Thursday, June 27, 2013

मौन अर्थशास्त्री,शोर मचाती महंगाई' खामोश जनता; जहाँ देखो, वहां नेता हैं भ्रष्टाचारी; आम जनता है मजबूरी; लाचारी -बेचारी सहती हैं सब-कुछ ; जो ज़ोर से बोलने लगते हैं आम तौर से वे भी काले धन के अधिकारी; माया है,ममता है न देश-भक्ति कहीं नहीं; जो देश पर अधिक बोलता हैं , उसका लापता हो जाता है; भ्रष्टाचार के विरुद्ध बोलनेवाले भ्रष्टाचारी दोनों ही संभालते कुर्सी;यही मतदाताओं की मर्जी.

मौन अर्थशास्त्री,शोर मचाती महंगाई'
खामोश  जनता;
जहाँ देखो,
वहां नेता हैं भ्रष्टाचारी;
आम जनता है मजबूरी;
लाचारी -बेचारी सहती हैं
सब-कुछ ;
जो ज़ोर से बोलने लगते हैं
आम तौर  से  वे भी काले धन के अधिकारी;

माया है,ममता है  न देश-भक्ति कहीं नहीं;
जो देश पर अधिक बोलता हैं ,
उसका लापता हो जाता है;
भ्रष्टाचार के विरुद्ध  बोलनेवाले भ्रष्टाचारी
दोनों ही संभालते कुर्सी;
मौन अर्थशास्त्री,शोर मचाती महंगाई'
खामोश  जनता;
जहाँ देखो,
वहां नेता हैं भ्रष्टाचारी;
आम जनता है मजबूरी;
लाचारी -बेचारी सहती हैं
सब-कुछ ;
जो ज़ोर से बोलने लगते हैं
आम तौर  से  वे भी काले धन के अधिकारी;

माया है,ममता है  न देश-भक्ति कहीं नहीं;
जो देश पर अधिक बोलता हैं ,
उसका लापता हो जाता है;
भ्रष्टाचार के विरुद्ध  बोलनेवाले भ्रष्टाचारी
दोनों ही संभालते कुर्सी;यही मतदाताओं की मर्जी.