जग में तूफान -आंधी -सुनामी होता है,भूकंप भी ;
नहीं कह सकते मनुष्य
मन ,दयालु के बीच एक निर्दयी है काफी
एक घड़े भर की भात में ,एक बूँद विष भी काफी;
प्यार भरा संसार है तो घृणा की बात क्यों;
सत्य भरा संसार हो तो असत्य का अस्तितिव क्यों?
सुख मय संसार् है तो दुःख कीबात क्यों?
फूल ही फूल है तो कांटे भी तो है साथ ही;
मृदु रेत है तो उसमें कंकट भी मिश्रित है.
बिजली की रोशनी है तो उसमें धक्का भी साथ है;
अग्नि मिटाती सर्दीतो जलन की क्रिया भी;
धूप ही धूप में छाया भी है जगत में;
पतझड़ है तो वसंत भी ;
संसार है अति विस्तार ,
संसार है अति निराली
जानना -पहचानना अति दुर्लभ;दुश्वार.