Saturday, October 28, 2017

खिले विचार खुले - भारतीय संत संस्थान --3(स)












संत श्री रमणर.

  कलंकित मन को

  सही दशा में
 ले आने 
कुछ उपाय हैं.

 वैसे मन को

तुझमें  से

 निकालकर

  फेंक देना चाहिए.


उस के मूल की

खोज करनी चाहिए.

अहंकार  को मन से

 मिटाना  चाहिए.

   सब के पार  की

    परमेश्वर  शक्ति

   जब तुममें 

  बन जाता है,

  तभी तेरा मन

तेरे वश में आएगा.

 वैराग्य का तात्पर्य  है,

 मन में जो भी विचार आते हैं,

 उनको उत्पत्ति के
  समय  में  ही
 मिटा देना  चाहिए.

श्वास   एक  घोड़े के समान  .

मन उसपर  सवारी करके

नियंत्रण  करने  से
 सवारी करनेवाले भी
नियंत्रित होते  हैं.

सांस नियंत्रण  ही

प्राणायाम  है.
 साँस  नियंत्रण और मंत्रोच्चारण

द्वारा  ही मन का  नियंत्रण  कर सकते  हैं.

मन और साँस  जुड़ना  ही   ध्यान   है.

दोनों जितना गहरा  होता  है,

उतना ही  मनुष्य सहजता

प्राप्त करता  है.
मन   का  नियंत्रण  ही ध्यान  है.

मौन रहने  का  मतलब है ,

अपने  बारे में आप  ही

सवाल करके जवाब भी पाना.

तब   तुम अपने को पूर्ण रूप  से 

समझ  सकते  हो.

मैं   कौन  हूँ ?

  इस  विचार  में   मन को  लगाने  पर ,

आँखें  खुलेंगी

   कि 
 मन   भी  मैं  नहीं,

मनके विचार   भी 

मेरे   नहीं,

ये  विचार   ही 

 आत्मानुभव    होगा.

तुम  सच्चे स्वरुप   को 

जानते  हो  तो 

ह्रदय  कमल  में  सच्चे

 सूर्य प्रकाश जैसे

अपने  आप

  सचाई  की  रोशनी

 प्रकट होगी.

 पीडाएं मिटेंगी और
 मन  निर्मल होगा.
सच्चा  आनंद  उमड़ेगा.
 सुख  ही  आत्म स्वरुप  होगा.

( महर्षी रमण , तिरुवन्नामलाई .तमिलनाडु)


Friday, October 27, 2017

खिले विचार खुले --भारतीय संत चिंतन --2 (स)


महावीर

हम  ज़िंदा
 रहते  समय
जो सद्कर्म
करते हैं ,
वे ही  हमें 
अमर  कीर्ति की ओर
ले जायेंगे .
जब  जब  हम
बुजुर्गों  को  ,

बच्चों  को ,
 गूँगे  बहरों  को ,
विदेशियों को ,
गरीबों को देखते  हैं ,
उनको करुणा  के
 पात्र  समझकर ,
उनकी आवश्यकता
 पूर्ती करनी चाहिए.
शरणार्थियों  की
रक्षा करना ,
आश्रय देना,
मदद माँगनेवालों की
 सेवा  करना ,
अभय दान  है.
वह दानों में  से
 बड़ा  दान   है .
बड़ों  और  अच्छों को
हम जो भी छोटी -सी
मदद  करेंगे ,
वह हमारे लिए
बढ़कर  साथ  रहेगी.
देने  की आदत   चाहिए .
दान  देनेवालों  को
कभी रोकना  न  चाहिए.
जिन्दगी  में   
परायों  की चीज़ों को
अपना  न  बनाकर ,
दूसरों  की भलाई में  ही
अपनी  भलाई
सोचनी चाहिए.
ऐसे सोचनेवाले 
चन्दन पेड़  के
 समान   होते  हैं .

चन्दन के पेड़
 घिसकर
दूसरों को
सुगंध  देता  है.

वैसे  ही  मनुष्य   को
 दूसरों की सेवा
और भलाई  के  लिए 
जीना   चाहिए .
बुराई  न  करके ,
जीने  की  जिन्दगी  ही
श्रेष्ठ जीवन   है.
दुखों  को सहने का
 मन  चाहिए.
हमारे जीवन
रेशम की गद्दी नहीं ,
    कंकट और काँटों  से
भरे   जंगली मार्ग हैं.
लालच मुक्ति  मार्ग  की
 बाधा है.
लालची अपने चारों  ओर
 दुश्मनी बढ़ा लेता  है.
क्रोध मनुष्य की आयु को 
घटा  देता  है.
क्रोध  मानसिक  चिंता  को
बढ़ा   देता  है.
क्रोध ,
ईर्ष्या के  बुखार,
कृतघ्नता ,
बेकार  हठ
आदि
  बुरे  गुण होते  हैं.
हमारे कल्याण   कार्य  ही
हमें अमर कीर्ति
 की ओर
 ले  जायेंगे.

Thursday, October 26, 2017

खिले विचार खुले --भारतीय संत चिंतन --1 (स)

    भारत  में सद्विचारों की

कमी नहीं हैं,

  जितने महानों के 

उपदेश निकल  रहे  हैं ,
   उतने  ही

 तीर्थ   स्थानों  में

         ठग    भी 

 ठगने में चतुर   हैं.

   आज  से 

  आदी  शंकराचार्य   से  लेकर

   माता  अमृतानंद मई  तक   के सदविचार

 जो   उनके मुंह  से  खिले  उन्हें

 हिंदी  में खोलने  के विचार  में 

 तमिल  से  हिंदी में अनुवाद करने

  मैं  लगा  हूँ.

 श्री  गणेश जी  के  नाम   से 
श्री  गणेश करता हूँ ;

 निर्विघ्नता   से

  पूरा   करने  का अनुग्रह करें.

     पाठकों  से  निवेदन है ,

    इस अनुवाद के   गुण-दोष   के

विचार प्रकट कीजिये.

  जिससे  सुधरने और भी मन लगने की

 प्रेरणा   और   प्रोत्साहन  मिलें.

    सर्वेश्वर  सब को  भला  करें .
************

          आदी   शंकराचार्य   के चिंतन
                   
  देवी  माता   को

 मन  में   बसाकर

 प्रार्थना  करनी  चाहिए.

     भय एक रूई का बोरा हैं ,

उसे जलाने वाली अग्नि

ज्वाला  देवी  हैं.

 भय के नागिन के   लिए 

 वह   नेवला  है.
 अपने भक्तों    के दुखों को 

मिटाने के  गुणवाली हैं.
 ईश्वर को भक्तिपूर्वक

 प्रार्थना करनेवाले    को 

ऐश्वर्य   मिलेगा  ही .
मनुष्य  जन्म में

बहुत बड़ा  भाग्य

 स्वस्थ तन    ही  होता  है.
स्वस्थ  शरीर  के  लिए 

 मन   की   चंचलता   को 

 नियंत्रण में  रखना  चाहिए.
     ज्ञान  ही मोक्ष पाने  का

 सीधा  मार्ग  है.
  बिन  आग  के

पकाना  असंभव  है ;
 वैसे  ही   बिन  ज्ञान    के

  मोक्ष    संभव  नहीं  है.

पंचेन्द्रिय
 तेरे  नियंत्रण  में   हैं  तो

   अपने   आप
 जो   कुछ   मिलता  है ,
उनसे  संतुष्ट  रहो.

   जो भी  विषय  हो ,

उससे  निस्पृह 
तटस्तथा   से  रहो ;

  सांसारिक लोगों  की    प्रशंसा 

और   निंदा     की  उपेक्षा  करो .

 एकांतवास की चाह  करो.
चित्त  को भगवान   पर  लगाओ.
जो  अपनी  सारी इच्छाओं को

 तज  देता  है, 
 वही सच्चिदानद  परमेश्वर    के

  प्रत्यक्ष   दर्शन  कर    सकता  है.

निष्काम  सेवा करने   से 

  मानसिक गंदगी    मिट  जाती  है.
.
बिना काम  करके

 मन  को  साफ रखना

मुश्किल     है.

 पंचेन्द्रिय तेरे  नियंत्रण  पर

आजाएँगे     तो 
  मन     की गहराई   में  वास  करने  वाले
  ईश्वर   के  दर्शन करना     निश्चित  हो   जाएगा.

Wednesday, October 25, 2017

चिंतन (स)


हिंदी प्रेमी - मुख-पुस्तिका  के

दोस्तों को प्रणाम .

हिमालय से  लेकर

 कन्याकुमारी तक के

यात्रा जो भी करते हैं ,

चेन्नई केंद्र रेल अड्डे से

 जो यात्रा करते हैं ,

वे भले ही कट्टर हिंदी- विरोधी हो ,

फिर भी हिंदी सीखने की आवाश्यक्ता को

अनिवार्य मानते हैं.

मुम्बई जाने वाले दो ही महीने में बोल चाल

व्यवहारिक हिंदी बोल लेते हैं.

कन्याकुमारी, रामेश्वरम मुझे ऐसे लगा

कितने लोग राष्ट्र भाषा बोलते हैं;

पर राजनीति में जीतने

तमिल का यशोगान करते हैं ,

हर एक हिंदी विरोधी -दल के नेता और बेनामी

केन्द्रीय स्वीकृत पाठशाला ही चलाते हैं .

देव विरोध के सब नेता बेनामी द्वारा मन्दिर बनवाते हैं.

बगैर प्रार्थना के , ज्योतिषों की सलाह के

एक तिनका भी नहीं हटाते.

जब मैं बच्चा था ,

तब के सारे मंदिर सरकार के हाथ में ,

अतः आजकल कई निजी मंदिर बनवाये गए हैं.

मस्जिद ,गिरजा घर की संख्या तो

भारतीय लोगों के मन की उदारता दिखाती हैं .

हर हिन्दू  मन्दिर के अतिनिकट ,

 एक भाग मस्जिद .

तिरुच्ची में , तिरुप्परंकुन्रम में.

पूजा सामग्री मुसलामानों के टोपी लगाकर

पलनी में ही नहीं,

चेन्नई में भी दूकानें हैं .

राजनैतिक स्वार्थ नेताओं को

देवता न मान

युवक युवतियाँ

 देश की भलाई चाहने लगेंगे तो

भारत में जो धार्मिक कट्टर लोग

 जैसे ओवासी
दुम दबाकर
 एक कोने में बैठ जायेंगे .

गाँधी भजन ही देश को
 मजहबी लड़ाई से बचेगा.
"रघुपति राघव राजा राम ,
ईश्वर अल्ला तेरे नाम ,
सबको सन्मति दें भगवान.

Tuesday, October 24, 2017

संग और समाज ( स)

सार्थक जीवन हैं
संग रहने में .
सत्संग देता मानसिक शांति -संतोष. दुष्संघ देता
दुर्विचार.
आतंक संस्थान के संग में
बेरहमी परिणाम ३२५ बालकों की ह्त्या.
कायर संग और वचनों से मन दुर्बल.
परिणाम मधुशाला /धूम्रपान /वेश्यागमन
आत्म हत्या तक बुरे विचार.
ताजमहल बुराई प्रेम का ,
रूपवती देखो , भले ही शादी सुदा हो ,
पति को मारो , पत्नी को उठा लाओ.
पहले पति को ठुकरा दो.
उठायी लाई रखैल पत्नी को
प्रेम का महल बनाओ ;
बुराई और अत्याचार अन्याय का प्रतीक.
परिणाम अपने बेटे के ही कारण
कारावास का दंड.
ईश्वर या खुदा के विश्वासियों के संग
यह कयामत देखो ,
दुष्संग संग, संग का परिणाम.
खान वंश देखो , गांधी जोड़ बनिया वंश .
पिता का परिचय वंश अब बदल गया गांधी वंश .
देखो पति छोडी , पुत्र को तजी, अल्प आयु में
आदर्श प्रधान मंत्रियों की हत्याएं .
यह ईश्वरीय दंड जान ,
भलाई -बुराई नगरवाला कितनों की हत्याएं
परिणाम दंड प्रत्यक्ष.
सोचो सत- संघ का महत्त्व ,
समाज से जानो , ईश्वरीय दंड निश्चित .
सत्संग में रहो ,
देश के कल्याण में लगो.
पद पर जो हैं , चुनाव लड़कर ,
उनके व्यक्तिगत जीवन की अशांति देखो ,
अध्ययन करो , आगे आद्यात्मिक आदर्श संग में रहो.
आजकल के नकली आदर्श आश्रम वासियों को
ईश्वर व आपके बीच का दलाल मत बनाओ.
खुद भक्त बनो , प्रहलाद -सा नरसिम्ह जैसे
ईश्वर की कृपा पात्र बनो.
दलाली में व्यापार, जानकर भी दलाली का संग
ले डुबायेगा , अशांति ही बचेगा जान.
ईश्वर का निर्दयी अपमान , यह तो बाह्याडम्बर का
मिथ्या व्यवहार.
अन्नदाता किसान गरीबी में आत्महत्या,
आदी देव श्री गणेशजी , श्री गणेश करते हैं काम
पर करते हैं अपमान. काली का अपमान.
तुम ध्यान कर , देवी -देवताओं को पाओगे उद्धार.

आँचल (स )

आँचल प्रधान है 
नारी के लिए.
आँचल प्रधान है 
देश केलिए. 
आंचलिक भाषाएँ प्रधान है
भाषाओं के परिवर्तन केलिए. 
अर्थात भाषाओं के विकास के लिए. 
देखिए जनाब ,
सिंधु को हिंदु कहा तो
भारतवर्ष भरत खंड  बदल गया
हिंदुस्तान इनकलाब. 
ऐसे ही काव्यांचल लाएगी क्रांति. 
मानी माँगी

 मित्रता दी है आपने .

मानी है मेरी माँग. 
दक्षिणांचल तमिलनाडु का हूँ, 
आज तक न झाँका

हिंदी प्रदेश. 

पर हूँ मैं हिंदी विरोध

प्रांत का 

हिंदी प्रचारक.

आनंदप्रद (स)

नमस्ते दोस्तों.
चुप रहना अति कठिन .
काम करना मन को  (हर्ष ).आनंद 
बुरे विचार बेकारों के मन में .
बेकार रहना अलग ध्यान.

 मग्न रहना अलग.

साठ साल से अधिक  उम्र 
     जिनका  तन कमजोर
उन का काम होगा
 प्रार्थना ध्यान.

जवानी में लौकिक
'बुढापे में अलौकिक

चाहों को विचारोंको
मन की चंचलता को
दूर करना

बुढापे के जीवन में
आनंदप्रद संतोषप्रद.

संगम (स)

संगम के दोस्तों,
गम की बात
संगम से मिटने -मिटाने
विचारों का संगम चाहिए.

सही या गलत संगम में

सही ही बनने -बनवाने का

विचार मन में संगमित होने

संगम का विचार विनिमय चाहिए.
लैक लैक टिक करना संगम नहीं

मिले विचारों से अपने विचार

मिलाने में साहित्य -हित समाज में

विचारों की अभिव्यक्ति मिलती है.
हिचकते हैं लोग
छंद-अलंकार -
शब्द शक्ति के बंधन में.
वैसे ही हिचकते सोचते न रहे लोग.
परिणाम में मिला ,
नव कविता, मुक्त छंद.
यों ही सोचो,
आगे बढ़,
लिखो,
दिमाग हित के लिए .

इश्क (ச )

हम हैं मनुष्य, 
इश्क केलिए 
जीते हैं, 
इश्क के लिए मरते हैं, 
इश्क के कारण जन्मलेते हैं. 
इश्क के कारण परिश्रम करते हैं. 
कहते हैं संन्यासी निस्पृही है 
पर भगवान से प्रेम है. 
बगैर इश्क के जीना 
जीवन ही नहीं, 
इश्क के बगैर 
ईश्वर का अनुग्रह नहीं.

चलायमान मन अचल हो जाएं

अनंत प्रेम भगवान पर
अनंत ध्यान भगवान पर 
पर मन है अति संचल. 
मन है अति विह्वल. 
मन में ज्वार भाटा, 
टेढे मेढे विचार,
शिखर पर के विचार
घाटी के विचार,
चलायमान मन
अचल हो जाएं तो
पर्वतेश्वर,
 अरुणाचलेश्वर .
बस जाएँगे मन में
.|

Sunday, October 15, 2017

ॐ नमः शिवाय


Anandakrishnan Sethuraman प्रातःकालीन प्रणाम.
பெற்ற தாய் தனை மக மறந்தாலும்                              भले ही बेटी माँ को भूल जाएँ 


பிள்ளையைப் பெரும் தாய் மறந்தாலும்                          बेटे को माँ भूल जाएँ 


உற்ற தேகத்தை உயிர் மறந்தாலும்                                 शरीर को प्राण भूल जाएँ 


உயிரை மேவிய உடல் மறந்தாலும்                                 प्राण रक्षक शरीर भूल जाएँ 


கற்ற நெஞ்சகம் கலை மறந்தாலும்                                 सीखी कला भूल जाएँ 


கண்கள் நின்றிமைப்பது மறந்தாலும்                         आँखों के पलक तड़पना भूले ,पर 


நற்றவத்தவர் உள்ளிருந்தோங்கும்                                      सुतपी अंतर मन से उत्तुंग करने 
वाले 
நமச்சிவாயத்தை நான் மறவேனே!                        नमः शिवाय को मैं सदा याद रखूंगा . भूलूंगा नहीं.

Thursday, October 12, 2017

कुम्हार से सीखो (स)


s
कुमहार के चित्र
जो कार्यरत देकर
उड़ान मुख्पुस्तिका में
कुछ लिखने को कहा
तो मेरे विचार :--



देखा ,यादें आयी,

प्राचीन भारतीय कितने परिश्रमी
,
कितने सहन शील कच्ची मिट्टी ,

पक्की घड़ा,

नारियां कितने सहन शील ,

रसोई मिट्टी के बर्तन में ,

जरा सी लापरवाही ,

पकाई पकवान

घड़े टूटने से बरबाद.

भू सी सहन शीलता ,

बर्तन बनानेवालों में ,

उसके उपयोग करनेवालों में ,

लकड़ी के न जलने पर

आँख के जलन

कितनी सहन शीलता उनमें

आज कठिनतम बर्तन भी टूट जाती,
ज़रा रसोई वायु बेलन खतम हुयी
न रसोई. बिजली नहीं न चलता कोई काम

छोटी-सी बात में दाम्पत्य अलग ,
अदालत में मुकद्दमा,
हमें ऐसे प्राचीनता से सीखना चाहिए

सहनशीलता, कच्ची को पक्की बनाना ,
सावधानी से चीज़ों का उपयोग प्रयोग ,
उड़ान के प्रबंधकों को सलाम
जिन्होंने ऐसे चित्र से ,
मेरे विचार प्रकट करने ,
प्रेरक बने.

Friday, October 6, 2017

देश प्रेमी

प्रेमी हूँ मैं देश का ,
भारतीय संस्कृति और
त्यागमय जीवन का.
भोग माय जीवन , यथार्थता
के आधार पर बने पाश्चात्य सभ्यता,
उनमें कंचन की इच्छा नहीं ,
बच्चे भी महसूस करते हैं
मृतयु निश्चित ,
पतिव्रता के आड़ में अफवाहें
उनके लिए ला परवाही,
न छोड़ते पत्नी को जंगल में ,
न पीटते -मारते ,कष्ट देते जोरू को
जोरू राक्षशी हो तो उसके इच्छानुसार छोड़
अपने मन पसंद से जीवन बिताना
तीन -तीन शादियाँ , पारिवारिक कलह
धर्म युद्ध के नाम से ,
अपने बदले चुकाने अधर्म -धर्म की बात नहीं ,
जिओ खुशी से आदाम -एवाल के एक ही संतानें हम .
पाश्चात्य दृष्टिकोण में जीवन का वह आदर्श नहीं.
एक गुण मुझे वहाँ का पसंद हैं ,
आत्म निर्भरता. क्षमता का सम्मान. कौशल की प्रशंसा.
धार्मिक आडम्बर कम , धर्म के नाम लूटना कम.
जादू -टोंका , मन्त्र-तंत्र , हवन -यज्ञ नहीं ,
आविष्कार, जाना-कल्याण ,
यहाँ के मंदिरों के उत्सवों में बदमाशों के दल का जबरदस्त वसूल.
धर्म कर्म के नाम लुटेरों का , पियक्कड़ों के अश्लील नाच -गान
ईश्वर के जुलूस पर सब के हाथ में लाठी -हथियार,
मनमाना अश्लीली संकेत , यह धर्म बाह्य अश्लीली
भारतीय धार्मिक आचरण मुझे ज़रा भी पसंद नहीं .



Tuesday, October 3, 2017

विमान मन मान स)

मन पंख लगाकर विमान सा उड रहा है,
अनंत आकाश, असीम गहरा सागर,
तीनों लोक की कलपनामें गोता लगा रहा है,
पर मनुष्य मन की गहराई तक जाना
असंभव -सा लग रहा है,
हर मनुष्य का चित्त डांवाडोल,
स्वार्थ सिद्ध करने मौन तमाशा
धर्म युद्घ कुरूक्षेत्र में भी
अधर्म की चर्चा चल रही है,
क्या करें मन को हवा महल बाँध
आकाश में हवाई जहाज -सा
ऊपर ही उड रहा है, अतः
भू पर अन्याय हो रहा है.
न्याय तो कभी कभी चमकता है,
पर न्याय का यशोगान दिन दिन हो रहा है.
मन तो आकाश विमान में उड रहा है.

उसे जाते देखा है.

अपनी आँखों से उसे दूर जाते देखा है, 
शीर्षक उसे माने क्या? 
सुंदर प्रेमी या प्रेमिका या मित्र 
विमान, कार जाने कितनी कविताएँ.

मैं जब छोटा था, मुझे कितनों का प्यार मिला

बडा बना तो उसे दूर होते देखा.

कम कमाई, पर नाते रिश्ते के आना जाना

खुशी से मिलना दुलारना,
उन सब को

अधिक कमाई ,
बडा घर पर नाते रिश्ते की 

आना जाना मिलना जुलना
सब को   
अब बंद होना देखा था.


गुरु जन मुफ्त सिखाते,
अब बोलने के लिए तैयार 
पैसे
गुरु शिष्य वात्सल्य मिलते देखा. 


हर बात हर सेवा नेताओं का त्याग 
सब दूर कर्तव्यपरायणता सब मिटते
दूर होते  देख रहा हूँ,
क्या  करूँ? 

स्वच्छ जल की नदियाँ ,
जल भरे मंदिर के तालाब 

उन सबके दूर होते देख रहा हूँ.
क्या करूँ? 

अब मेरी जवानी मिट
दूर होते देख रहा हूँ. 

हृष्ट पृष्ट शरीर में झुर्रियां
देख रहा हूँ. 

उसे दूर जाते देखा है,

अस्थायी जग में सब के सब
दूर जाते देखा है.