Wednesday, January 31, 2018

हिंदी

हिंदी हमारी अपनी भाषा.
अहिंदी वालों की देन अधिक.
कश्मीर से कन्याकुमारी  तक
हिंदी का प्रचार.
तमिल नाडु  में शासक, राजनैतिक दल
विरोध करने पर भी.
पढनेवालोंकी  संख्या अधिक.
जानने समझने की चाह अधिक.
खडी बोली ढाई लाख जनता की,
1900से भारतेंदु हरिश्चंद्र के कारण
व्रज अवधी मैथिली और अन्य बोलियों के
सिरमौर  की भाषा हिंदी,
संस्कृत की बेटी, उर्दू की सहोदरी.
हिंदी   विश्व की तीसरी बडी भाषा  बनी है.

रचनाएँ

रचना ऐसी हो
अनुशासन, आत्म संयम
देश भक्ति,  का विकसित करें.
पर आजकल की  पट कथाएँ
युवकों को मन में
प्रशासकों के प्रति,
शासकों के प्रति,
शिक्षा संस्थाओं के प्रति,
पुलिस, न्यायालय के प्रति
अविश्वास, शंका, बढा रही हैं.
नायक पहले खलनायक, बाद में नायक,
वही समाज में न्याय के लिए  लडता.
मंत्रियों को डराता,
सांसद, विधायक  की जीत हार
बदमाश सुधरा नायक  पर निर्भर.
क्या यह रचनाकार का दोष है?
रचनाएँ समाज का प्रतिबिंब.
समाज का दर्पण,
यह दोष रचनाकारों का नहीं,
विषैला विचारों के स्वार्थी  नेताओं के.
ईश्वर   के आकार ले खंडित जनता.
भाषा भेद से संपर्क का दोष,
विचारों की एकता,
धार्मिकता से अति दूर
नकली आश्रमवासी,
 भक्ति तीर्थस्थान में ठगनेवाले दलाल,
 सोचो समझो  नश्वर दुनिया,
अस्थायी  जवानी, अस्थायी  प्राण,
चंचल मन, चंचला धन,
सोचो समझो, सुधर,  सुधार.

Monday, January 1, 2018

कलंडर नया

कलंडर नया
पर गुप्त सूचक है
हमारीउम्र बढ़ रही है;

हम पुराने हो रहे हैं.
हमारे मन में यवन ,
शरीर में बुढापा ,
पर कुछ बड़ा करने का उमंग ,
ईश्वर की करुणा ,
नियम , क़ानून अति विचित्र.
नव वर्ष की शुभ कामना के पीछे
हमारा पुराना होना
अचल नियम बन गया है.
(स्वरचित )

नववर्ष

नव वर्ष की नवीन चेतना
नित नव चेतना बांटनी है ,
लोक तंत्र का सच्चा,
अच्छा आदर्श निभाना है,
जागना जगाना है कि 
मातृभूमि पीढ़ी दर पीढ़ी
समृद्ध रहना है;
विदेशी भाषा,
विदेशी माल
खान -पान में वर्जनीय
मानना हैं.
स्वस्थ मन , स्वस्थ धन , स्वस्थ तन
स्वदेशी खाना -पेय से ही
संभव .
निज भाषा उन्नति में ही
भारतीय विशेषता और विशिष्टता है
यह विचार दिल में बसाने का काम
शिक्षितों के लिए अनिवार्य समझाना है.