Wednesday, February 28, 2018

हिंदी प्रचार

   तमिल नाडू  में  हिंदी पढ़े लिखे लोगों  को  नौकरी देने 

   दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा 
   कोई कदम न उठाकर
   अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल 
     ,उच्च शिक्षा ,प्रशिक्षण कालेज

    तोरण द्वार ऐसे  करोड़ों रूपये 

   खर्च कर रही हैं.

   केंद्र सरकार हिंदी अफसर  को कितने रूपये  देती है ?

   कितने लोग हिंदी सीखते  हैं .

  कितने करोड़ खर्च कर  रही है.
  आजादी के सत्तर साल में हिंदी के कितने करोड़ खर्च ?

  नतीजा क्या हुआ?
 यहाँ प्रचारक एडी चोटी एक करके छात्र भेज रहे  है. 
  उनमे कितने प्रशिक्षित?
  केवल आंकड़ों  पर ध्यान देते  हैं  तो 
  हिंदी  परिक्षा केन्द्रों को परिक्षा के समय 
  निरीक्षण करना  है. 
  प्रवीण बी.ए .,  स्तर  की  परीक्षा 
  दस -तेरह साल में  उत्तीर्ण छात्र ?
  क्या बी.ये ,  स्तर के लिए आयु निर्णय नहीं.

  एक   प्रिंसिपल  पूछती हैं ,

   मेरे   स्कूल  में   सातवीं  कक्षा में दस प्रवीण उत्तीर्ण छात्र है ,
  उनमें हिंदी  की योग्यता बी. ये.  स्तर की नहीं  है .
  क्या उनको हिंदी प्रमाण पत्र के आधार पर
   हिंदी पंडित      की   नियुक्ति कर  सकते  हैं ?



 वहां सभा के द्वारा हर जिले में स्थायी  प्रशिक्षित  हिंदी   अध्यापक  को 
   वेतन ,इन्क्रीमेंट ,देकर स्थायी प्रचारक 
  आम  लोगों में प्रचार करने   नियुक्त नहीं कर रही है .


    जो भी आते हैं  सुन्दर इमारत देख सभा की प्रशंसा में           लग   जाते  हैं.

    उनसे पूछिए--आम जनता में हिंदी प्रचार के लिए 

   स्थायी प्रचारकों की नियुक्ति क्यों  नहीं  की है?

    पैसे के आभाव है तो

   तोरण द्वार, 

  अंग्रेज़ी  माध्यम  स्कूल की इमारत आदि के लिए

   पैसे कहाँ से  आती हैं ?

  आम लोगों  में क्यों सभा अप्रशिक्षित प्रमाणित प्रचारकों     पर  निर्भर है?

  सौ करोड़ रूपये  इमारत  बनाने की योज़ना 

  सभा के कार्यकारिणी समिति बना सकती हैं ? 

  केवल दिखावा और बाह्याडम्बर के  लिए ?

  उनसे पूछिए,

   हिंदी प्रचार करने सभा ने

  कितने स्थायी प्रचारकों की नियुक्ति की है ?

  जवाब नहीं. 

 जहां स्चूलों में  हिंदी  नहीं , 

 वहां सभा अपने स्थायी प्रचारक नियुक्ति करके

  हिंदी प्रचार में लागायेगी तो तमिलनाडु  में

  हिंदी छात्र संख्या बढ़ेगी.

 अंग्रेज़ी माध्यम विद्यालय तो  क्यों ?

 वहां भी स्थायी अध्यापक है  या अस्थायी ?

 जब वहां स्थायी अध्यापक की नियुक्ति कर सकती है तो 

 हर जिला में स्थायी हिंदी प्रचारक नियुक्ति क्यों  नहीं  कर      सकती ?

  इसके लिए क्यों  पैसे वसूल न  कर सकती ?


  इस प्रश्न का सवाल किया तो जवाब नहीं .क्यों ?

Tuesday, February 27, 2018

शब्द शक्ति


शब्द शक्ति का अपना महत्त्व ,
अश्वत्थामा जोर ,
कुंजरः धीमी ,
महा भारत में द्रोण की मुक्ति.
संकेत में शक्ति अपनी ,
जांघ मार के संकेत ,
दुर्योधन की मृत्यु.
आँखें मारी सुन्दरी ,
युवक बना पागल,
संकेत की अपनी शक्ति ,
काले बादल छाना ,
मोर का नाच ,
मोरनी का वश .
नाद में हिरन ,
संपेरे के बीन में नाग,
शब्द बेदी बाण का
दशरथ का शाप.
शब्द श्लेष में
पानी न तो न जीवन .
नर का ,नारी का, पद का ,
पेड़ पौधों का ,मोटी की चमक का.
शब्द शक्ति का महत्व वर्णनातीत .
स्वरचित --अनंत कृष्णन

हरे कृष्ण

कन्हैया !तेरे गुण यशोगान
कैसे गाऊँ .
नाम स्मरण ही पर्याप्त
नारायण का प्यार प्राप्त .
हरे राम हरे राम , हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कुष्ण कृष्ण हरे हरे.
मुख में अग जग , माक्खन की चोरी ,
माँ से ठगने की बोली ,
दुष्टों का संसार ,
भक्तों का सन्देश ,
"सत्य बोल ,कर्तव्य कर ,
फल मेरे वश."
मानता नहीं कोई ,
करता मनमाना.
उठाता कष्ट तेरे मन जो माना .
हरे राम ! हरे कृष्ण ! हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे ! हरे हरे .

हास्य

हास्य है तो
जीवन सदा आनंद है,
हास्य है तो मन में
स्वच्छ विचार है,
हास्य है तो तन मन में बल है,
ऐसी हँसी दुखप्रद है,
जिसमें व्यंग्य हो,
जलन हो, पीडा हो.
क्रोध और बदला का भाव उठे.
स्वस्थ हँसी चाहिए
जिससे सब के दुख नदारद हो.
घमंड की हँसी,
नाश की ओर.
हास्य रस ऐसा हो
जिससे हास्य ही प्रधान हो,
जिससे केवल हँसी नहीं,
दर्शन का भी स्थान हो.
स्वरचित अनंतकृष्णन द्वारा

Thursday, February 22, 2018

क्या होगा मानव हाल

नींद नहीं आ रही है,
नाते -रिश्ते की गलतफहमियाँ ,
ईर्ष्या , बदला ,घृणा ,
खुद नाश होनेवाला मनुष्य
खुश खोकर दुःख ही दुःख झेलकर 
कफन ओड जलनेवाला या
कब्रिस्तान में कीड़े -मकोड़े के आहार .
कबीर का एक दोहा-
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे मोहे,
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदूगी तोहे ।
कहते हैं मनुष्य बुद्धिमान पर
न जानता है अपना अंत .पर
जानता है अंत होगा ही.
ऐसी हालत में इतना इठलाना .
इतने मनोभाव ,इतने क्रोध .
अगर मृत्यु नहीं तो
क्या होगा मानव हाल.

बुढापा पाकर खोकर मुक्ति.

जवानी दीवानी, 
बुढापे में बदल गया .
जिंदगी का यथार्थ दिख रहा.
क्या करें ?मन तो जवानी. 
अपने को ताकतवर
मानता रहता.
कितना इठलाता ,
अब किसका न रहा.
कहीं से गीत ..
जिंदगी और कुछ भी नहीं,
कुछ खोकर पाना है,
कुछ पाकर खोना है.
शैशव पाकर, खोकर बचपन.
बचपन पाकर खोकर जवानी
जवानी पाकर खोकर बुढापा
बुढापा पाकर खोकर मुक्ति.
स्वरचित अनंतकृष्णन द्वारा

मूक साधना

वाह ! माली जी श्री युक्त मालीजी !
नरसिम्ह प्रहलाद !
मूक साधना में 
जगत का कल्याण 
उज्जवलित.
सूरज न चमकते तो
उदर पूर्ती असंभव
जग की ,
सूर्योदय -सूर्यास्त ,
मध्याह्न ताप
आदी और अंत
आदी में कोलाहाल ,
अस्त में मधुर चहचहाहट,
फिर चुप चुप चुप.
सूरज ! अकेले दीखता है दिन में ,
रोशनी में तारे छिप छिप.
अदृश्य पर भरोसा नहीं ,
दृश्य पर भले ही मिथ्या हो ,
सत्य जानने मूक साधना.

कुछ कही ,कुछ अनकही बातें

मन मानता नहीं 
कुमन की बात।
सुमन तो सूख जाता है।
दमन के कारण।
वामन के रूप में धोखा।
बामन के रूप में धोखा।
माया मची संसार।
कुछ कही कुछ अनकही बातें।

कलियुग में आत्म चिंतन ,

जिन्दगी जीने के लिए ,
आधुनिक युवकों में 
कलियुग में आत्म चिंतन ,
आत्मानुभूति , आत्म विश्वा आदि 
कम हो रहे हैं. 
खुद मरना , दूसरों की हत्या करना ,
प्रेम करो ,न तो तू दुसरे के लिए भी नालायक बनो ,
तेज़ाब फेंकना , बलात्कार करना,
कितना न्याय सोचिये संभ्य स्नातक -स्नातकोत्तर
युवकों! आजकल आत्म हत्या की खबरें आती हैं ,
हत्या या आत्म हत्या संदेह प्रद हो गए.
चतुर , चालाक , बुद्धिमान , प्राकृतिक शक्ति को
नियंत्रण में रखने वाले युवकों को
ऐसी दुर्बलता कैसे और कहाँ से आयी ?
शिक्षा में अनुशासन की कमी ,
नैतिक बातों की कमी ,
वेतन भोगी अध्यापकों में तटस्थता की कमी ,
शिक्षा में अंक प्रधान ,
अंक पाने आम जनता घूस देने तैयार ,
ज्ञान हो या न हो प्रमाण -पत्र सब के हाथ.
योग्यता पात्र कितने ?
एक छात्र से पूछा , पैसे देकर प्रमाण पत्र ! क्या फायदा?
कहा उसने हमारे अनपढ़ दादा की संपत्ति देखिये,
और कई पीढ़ियाँ बैठकर खा सकते.
लडकी वाले लडकी देने
दहेज़ देते हैं प्रमाण पत्र के आधार पर.
हमारी परम्परागत संपत्ति के आधार पर.
हम तो छोटे बड़े व्यापार में लगें हैं.
नौवीं कक्षा पास हो , पढाई छोड़ो ,
एक लाख दहेज़.
यों ही प्रमाण पत्र, डिग्री बढ़ाता है दहेज़.
सोचता हूँ , क्या होगा समाज .
जितने कम पढ़े लिखे हैं ,
शिक्षा संस्थान चलाते हैं ,
उनकी योग्यता केवल अमीरी.
उनसे मिलने बड़े बड़े डाक्ट्रेट प्रतीक्षा कर रहे हैं .
ऐसे समाज में जीने की राहें , उम्मीदें ज्यादा है.
सोचिये , मरना, मारने के मनोवृत्तियाँ छोड़ दें.
मृत्यु तो निश्चित , क्यों खुद मारने - मरने के विचार
ईश्वर के नाम लीजिये , आत्मविश्वास बढ़ाइए.
ध्यान कीजिये , शान्ति मार्ग अपनाइए.

पता नहीं जग में.

जिन्दगी में मान -अपमान क्यों ?
किसी से प्रेम , 
किसी से घृणा ,
किसी से त्याग ,
किसी से मोह ,
किसी से जलन ,
किसी से क्रोध
किसी से बदला
मान -अपमान की लापरवाही करके
जीना दिव्य जीवन.
ईश्वरीय अवतार में भी
अधर्म के बिना विजय नहीं.
मान-अपमान ,बदला ,क्रोध
के बगैर महाकाव्य नहीं.
स्वार्थ -निस्वार्थ के जंग में
स्वार्थ के षड़यंत्र अति सबल.
निस्वार्थ त्याग जीवन में सुख कैसे?
जग जीवन में ईश्वर की लीला
दुखमय या सुखमय ?
पता नहीं जग में.

अपनी प्रतिभा खो बैठे

देशद्रोही की बात भारतीय 
इतिहास में 
ऐतिहासिक कहानियों में 
नाटक में 
सिकंदर के आक्रमण काल से 
आज तक
भरी पडी है .
पैसे पद ख़िताब ,
ब्राह्मण सब आचार भूल बैठे ,
संस्कृत भूल बैठे
संस्कृति भूल बैठे.
नियम ,पोशाक ,खान -पान ,बदल चुके
चोटी खो बैठे .
न सिख बदला, न मुग़ल बदला , न ईसाई बदले.
हिन्दू अर्थात सनातनी
अपने आचार छोड़ बैठे.
अपनी प्रतिभा खो बैठे.

जय जवान जय किसान

जय जवान ,जय किसान
लाल देकर चले गए
बहादुर माई का लाल.
अब नदियाँ ,जीव नदियाँ
पानी के अभाव से मर रही हैं 
हरे भरे खेत सूख रहे हैं.
कारखाने की धुएँ
प्रदूषण फैला रहे हैं .
भूतल पानी भूत बन डरा रहा है.
नदियों की सुरक्षा ,
राष्ट्रीयकरण न हो तो
खेत सूख जायेंगे .
अनाज न उगेंगे .
प्यासे को पानी न मिलेगा.
सांसद -विधायकों !
मंत्रियों ! राजनैतिक दलों!
आप चले जाएंगे सदा के लिए .
देश रहेगा भूखा -प्यासा भावी पीढ़ी
तडप्पेंगी ,
जरा सोचो , देश के लिए काम करो.
मतदाता !चुनाव के समय के इनाम-पैसे के लिए
देश बिगाडनेवाले भ्रष्टाचारियों को
न दो वोट, वे हैं मतलबी.
आगे आप की मर्जी ,
देश ही प्रधान ,याद रखना .
नारा लगाओ -जोर से जय जवान , जय किसान.
नारा लगाओ - जय किसान जय जवान.
देश की सुरक्षा में रोज़ दो वीर प्राण समर्पण कर रहे हैं ,
दो आतंकी मरते हैं तो दो जवान.
ऐसी दशा बदलो, जवान न मरें, शत्रु
को ही मारें.
बोलो जय जवान , न तो देश की सुरक्षा कैसे?
— thinking about the meaning of life.

प्रार्थना

प्रातःकालीन प्रणाम.
प्रार्थना है सर्वेश्वर से
| जब तक जिऊँ,
तब तक चलता फिरता रहूँ.
तन, मन, धन की 
रहें पर्याप्त शक्ति
बुढापे में भी सेवा करने ,
सब के चाहक बनने,
सर्वस्व सुख ही सुख देखने,
संतोष मिलें, शांति मिलें,
सहर्ष कहूँ,
दैनिक निवृत्ति में
दिन दिन रहें तेरा अनुग्रह.
हेईश्वर! जब तक जिऊँ,
तब तक तन, मन, धन की शक्ति देना.

भिखारी

जब तक दयालु है 
तब तक ऐसे भिखारी, 
पियक्कड, ठग, छद्मवेशी 
फुटपाथ पर सोते रहेंगे. 
तीन पत्नियो वाली, 
लखपति भी
भिखपति पर
भीख लेता है,
मंदिरों के आसपास
हृष्ट पृष्ट संन्यासी
अंधविश्वासियों की दयालुता पर
भीख माँगते फिरते हैं,
क्या करेंगे हम?

भारत आजादी के बाद

भारत देश के युवक
और जन -संपर्क साधन
आजादी  के  बाद
इतने गिर गए ---

शहीद भगत सिंह की याद नहीं ,
सुखदेव की याद नहीं ,
राज-गुरु की याद नहीं,
संयम नहीं ,प्रेम दिन के नाम से 
सार्वजनिक स्थानों पर चुम्बन , आलिंगन ,
अश्लील लीलाएं,
पशु से गए गुजरे हैं .
पाश्चात्य शिक्षा का असर .

सपना

सपने होते हैं अनेक .
नींद में स्वप्न ,
निष्क्रिय बैठकर स्वप्न ,
कोई देवता या साधू
या
सिद्ध पुरुष की आशीषें मिलें,
कोई मन्त्र की छडी मिलें,
ईश्वर का वरदान मिलें.
ऐसे सपना साकार होना
भाग्य की बात हैं.
किसी किसी को जन्म से ही
कुछ बनने ,
समाज की भलाई करने का
ज्ञान मिलता रहता है;
आदि शंकराचार्य ,रमण महर्षी दोनों
बचपन से ही जगत कल्याण ,मुक्ति ,
ईश्वर की महिमा में
लग गए ,न उनको धन कमाने की चिंता ,
न कार ,बंगला की चिंता ;
केवल लोक कल्याण ,
जन कल्याण.

धन्यवाद

हिंदी प्रेमियों ! हिंदी मुख पुस्तिका दोस्तों !
सब को मेरा प्रणाम.
आप सब हिंदी प्रांत के कवि ,लेखक ,हिंदी के पारंगत
मेरी तुतली टूटी -फोटी ,तोड़ -मरोड़ हिंदी 
अभिव्यक्ति की चाह की हैं ,तारीफ की हैं ,प्रेरित और प्रोत्साहित किया है सबको विनम्र नमस्कार! धन्यवाद /शुक्रिया.
खासकर निम्न लिखित हिन्दी मुख-पुस्तिका दल के दोस्तों को .
१.हिंदी प्रेमी समुदाय
२. संगम
३. शब्द -शृंगार
४. गद्य -पद्य संगम
५. हिंदी लेखक मंडली
६.विश्व हिंदी रचनाकार मंच.
७. friends all
८.विश्व -हिंदी संस्थान ,कनाड़ा
९. महकते जज्बात
१०.विन्ध्य साहित्य संगम.
११. कविता सागर
१२.प्रवास पत्रिका
१३.अंतरा शब्द शक्ति
१४.साहित्य संगम (हिंदी उर्दू पोएट्री ग्रुप )
१५. गजल संध्या परिवार
१६ भारत के हिन्दी कवि एवं कवयित्रियाँ
१७.प्रबुद्ध पाठक संग
१८.साहित्य संगम संस्थान
१९ हिंदी काव्य जगत
२० .काव्य संसार
२१ शब्द सरोवर
२२ .शीर्षक समिति
२३. शीर्षक साहित्य परिषद्
२४. हिंदी भाव भूमि
२५.हमारा आत्म मंथन
२६.उत्तर भारत हिंदी संस्थान
२७.कवि ह्रूदेश बघेल
२८ अन्तराष्ट्रीय हिंदी संस्थान
व्यक्तिगत मित्र :-
डाक्टर राम शंकर चंचल
गोपालदास गुप्ता रेज़ा
सरन घई
गोपाल दस गुप्त
श्री प्रहलाद वन माली
ईश्वर करूण
नंदिता दस
अनिता मल्होत्रा सोनी
सबको पुनः सादर प्रणाम.

सपना

सपना /स्वप्न / होते हैं 
कई तरह के. 
दिवा सपना साकार होता नहीं, 
तडके के स्वप्न का 
होता है फल. 
सपन को कार्यान्वित करने
परिश्रम कठोर करने की आवश्यकता है.
कितने आविष्कारक हुए जग में
अग जग के कल्याण के लिए.
अघ जग अलग, वे हैं गरीबी में,
आविष्कारकों के सपने साकार होने
धन कमाना है आवश्यक.
तभी बनता है अघ जग.
भ्रष्टाचारी / रिश्वतखोरी / हतयारे/ आतंकवादी.
यह धन का सपना पाप की कमाई.
पुण्य की कमाई भाग्यवानों के लिए.
न राजा, न मंत्री, न सांसद न विधायक न अधिकारी
पाप की कमाई से जग को अघ जग ही बना देते.

धोखा

धोखा /ठगाना भी कहते हैं ;
धोखा देना /धोखा खाना 
दोनों में दया के पात्र 
धोखा खानेवाले हैं,
पर धोखा देनेवाले 
अति चतुर होते हैं ;
चतुर लोग भी धोखा खाते हैं.
ऐसे लोग हँस मुख होते हैं.
मधुर वचन बोलते हैं,
क्रोध न करते हैं ,
देखने में भोले भाले होते हैं .
उनका अभिनय ऐसा हैं ,
चेहरे ऐसे हैं ,
उनपर दया आती हैं ,
चतुर भी धोखा खाते हैं.
हार की जीत ,
सुदर्शन की कहानी .
साधू के घोड़े को
डाकू खड्ग सिंह
रोगी के छद्म वेश में
ले लेता है.
धोखा देता हैं.
तब साधू बाबा उससे
कहते हैं --मेरे प्रिय घोड़ा तुम्हीं रख लो .
पर किसी से न कहना --
रोगी के वेश में ठगा है;
क्योंकि कोई भी दुखी को
मदद न करेंगे.
यह तो कहानी ही रह गयी;
अब पता माँगकर ,चोरी करते हैं;
बिकुत देकर धोखा देते हैं.
मदद देकर धोखा देते हैं .
तमाशा दिखाकर धोखा देते हैं.
दस रूपये नोट नीचे डालकर
लाखों रूपये चोरी कर लेते हैं.
भगवान के नाम , प्रायश्चित के नाम भी
धोखा देते हैं;
किसी कवि ने लिखा है -
कदम कदम पर फूँक=फूंककर चलना है;
दुनिया तो अजब बाज़ार हैं.
सिनेमा का गाना याद आती है -
धोखा शब्द पढ़ते ही ,
हरे भाई ! देखते चलो,
दाए भी नहीं ,बाएं भी नहीं ,
ऊपर भी नहीं ,नीचे भी .
आगे भी नहीं ,पीछे भी .
पग -पग पर सतर्क चलना है.
चुनाव धोखा देने का परिणाम है.
उनकी होशियारी हैं ,
पिछले चुनाव के वादे को
नया जैसा बताना.
शासक दल न करते ,
विपक्षी दल आरोप लागाते
हमें चुनो, पूरा करेंगे.
पर वादा न निभाते,
पक्ष-विपक्ष दोनों ऐसे ही
ठग ते हैं , चाँदी के चंद टुकड़े लेकर
मत दाता भी उन्हीं के पिछलग्गू बनते हैं.
ठगने /ठगाने मत दाता तैयार.

मानव अद्भुत सृष्टि

कुछ न कुछ
लिख सकते हैं,
क्या लिखना है,
वही सोच.
तभी याद आई-
शीर्षक समिति का
एक शीर्षक.
प्रेरित गीत.
निराश मन बैठा तो
कबीर अनपढ की प्रेरित
देव वाणी याद आई.
जाके राखै साइयाँ,
मारी न सके कोय.
हाँ, भगवान ने मेरी सृष्टि की है.
जरूर उनकी कृपाकटाक्ष मिलेगी ही.
गुप्त जी की याद आई
नर हो, न निराश करो मन को,
हाँ मैं नर हूँ,. सिंह हूँ,
शेर हूँ, सियार हूँ, भेडिया हूँ,
हाथी हूँ, साँप हूँ, हिरण हूँ
सब पशु पक्षियों की तुलना
कर
जी रहा हूँ.
कोयल स्वर,
गरुड नजर,
उल्लू की दृष्टि,
मीन लोचन,
कमल नयन,
वज्र देह
ईश्वर की अद्भुत सृष्टि हूँ.
अद्वैत हँ.
अहं ब्रह्मास्मि,
मैं भगवान हूँ,
भगवान को नाना रूप देकर
खुद भगवान तुल्य बन जाऊँगा.
विवेक है, विवेकानंद बन सकता हूँ.
आदी शंकराचार्य बन सकता हूँ.
खारे पानी को मीठे पानी
बना सकता हूँ,
पंख हीन , पर
आकाश में उड सकता हूँ.
उमड़ती नदी को बाँध
बनाकर रोक सकता हूँ.
मैं मानव हूँ,
अद्भुत सृष्टि हूँ.

भारत में पट कथा

बाह्याडंबर से मध्यवर्ग 
उठाते है कष्ट 
चित्रपट गया, सौ रुपये में 
गन्ना रस, दस रुपये के छोटा सा टुकडा, 
बाहर पच्चीस, वहाँ अंदर सौ. 
पुलिस, अधिकारी अन्य विभागियें को
वी ऐ पी पास,
बाह्याडंबर का बातें
मुझे विवश होकर नाते रिश्तों के संतोष
ते लिए जाना पडा.
वाहन खडा करने एक घंटे के तीस रुपये.
तीन घंटे बहार निकले चालीस मिनट.
चार घंटे के लिए 120.
हीरो बदमाश कई बलात्कार, हत्या के बाद
हीरोइन से मिलना, सुधरना, .
पुलिस अन्यायी, वकील न्यायाधीश अन्यायी
मंत्री राजनीतिज्ञ अन्यायी,
हीरो के हाथ में न्याय की रक्षा.
न सरकार, न पुलिस,

आहा! भारत की रक्षा.

Tuesday, February 20, 2018

पाप की सजा

पाप की सजा
पाप  की  मात्रा,
जन्म फल, कर्म फल के हिसाब से
माफी या दंड .
 सबहीं नचावत राम गोसाई  का 
उपन्यास  पढिए.

.  एक खूनी साफ साफ बच जाता है.
   उस का बेटा गृह मंत्री  बनता है.
  एक निरपराध  को दंड मिल जाता है.
  दशरथ वेदना में तडपकर मरते हैं.

 अनजान गल्ती से शाप का पात्र बनता हैं.  कर्ण  की सजा,  
 माँ का त्याग,
 कबीर की जीवनी,

सबहीं नचावत राम गोसाई. मोहनदास करमचंद की हत्या,
इंदिरा गांधी की हत्या,
 संजय की  मृत्यु,,
 राजीव की हत्या
कर्म फल या जन्म फल.

 नगरवाला, यल .यन.  मिश्रा ,
 पुलिस अफसर की हत्या,

 शाहजहाँ  का कारावास,
अशोक हत्यारे का महान
अशोक बनना,

सबहीं नचावत राम गोसाई.

आत्म मंथन

हमारा आत्म मंथन  ,खुद को सुधारता है,
सामाजिक आत्ममंथन
कभी कभी  बंदर -गौरैया

कहानी बन जाती है.देश भक्तों की आत्म मंथन
त्याग का मार्ग दिखाता है.
सांसद - वैधानिक के आत्म मंथन

आधुनिक काल  में  बदमाशी,
भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोरी
न जाने कितनी बातें 
 युवकों को बिगाड  देती.

चित्रपट के मंथन सेयुवक पहले बदमाशी, 
खूनी, बलात्कारी,
मध्यावधि   के बाद
खुद कानून हाथ में ले

पुलिस, सांसद, मंत्री, न्यायाधीश ,
सब को  अपने   नियंत्रण  में.
युवकों में  बुरा प्रभाव.
 यों ही  विचार मंथन व्यक्तिगत सुधार या बिगाड के मूल में.

Sunday, February 18, 2018

आज के चिंतन

कल मैंने प्रेम , नफरत ,और कुछ चिंतन जो आये लिखे हैं. उनके चाहकों को , प्रशंसकों को मैं आभारी हूँ . धन्यवाद प्रकट करता हूँ.

________आज के चिंतन__

मनुष्य क्यों असंतोष , दुखी ,नाखुशी , अशांत हैं ,
इन पर आज जो विचार आये ,
हर मनुष्य की सृष्टि में ,
ईश्वर ने सुख-दुःख ,पद ,
अधिकार , कर्तव्य आदि
लिखकर ही पैदा करता है.
मनुष्य की बुद्धी भी उसीने पहले ही
भरकर भेजता है.
कला संगीत ,नृत्य ,भक्ति ,
भी जन्मजात है.
प्रायः हम कहते सुनते हैं ,
मेरा बच्चा जन्म से गुन - गुनाते रहते हैं .
मेरा बच्चा हमेशा औजारों से खेलता है.
मेरा बच्चा कुछ न कुछ चित्र खींचता है.
मेरा बच्चा गणित में रूचि दिखाता है.
मेरा बच्चा वैज्ञानिक विचार में है,
मेरा बच्चा चालाक है,
मेरा बच्चा चतुर है ,
मेरे बच्चे को झूठ बोलना पसंद नहीं हैं .
मेरा बच्चा झूठ ही बोलता है, चोरी करता हैं ,
भगवान की प्रार्थना नहीं करता.
मेरा बच्चा किताब लेकर पढता रहता है.
मेरे बच्चे को राजनैतिक विचार है.
मेरे बच्चे को अभिनय आता हैं ,
भाषण देता है ,
यों ही बच्चपन में ही
अहंकार, क्रोध , ईर्ष्या , प्रतिशोध ,सेवा भाव ,
अधिकार ,आज्ञा आदि गुण-भाव मालूम हो जाते हैं .
जन्म से रोगी को देखते हैं ,
असाध्य रोगी को देखते हैं ,
जवानी में कमजोरी , संतान हीन लोगों को देखते हैं .
शादी पत्नी या पति में राक्षसी गुण देखते हैं ,
कामुक देखते हैं , छद्मवेशी देखते हैं ,
सन्यासी देखते हैं ,
विभानडक ने अपने पुत्र को
ब्रह्मचारी ही देखना चाहते थे ,
पर सहज ही वह स्त्री के मोह में
पड जाने की दशा होती हैं ,
बुद्ध को सन्यासी से बचाने की
बड़ी कोशिश की गयी.
पर असंभव ही रहा.
रत्नाकार ,तुलसी, दास , मूर्ख कालिदास ,
तमिल के स्त्री कामान्धाकार अरुण गिरी
,अशोक आदि अपने बुरे गुण तजकर
लोक प्रिय बन गए.
जनता उनके बुरे कर्मों को भूलकर
आदर- सम्मान की दृष्टी से देखते हैं.
जन्म से लिखी भाग्य रेखा को
बदलने की शक्ति किसी में नहीं.
ईसा को शूली पर चढ़ना पड़ा.
मुहम्मद को पत्थर की चोट सहनी पडी.
इंदिरा ,राजीव को निकट से ही ह्त्या हुयी.
दुर्घटना में अल्पायु में मर जाते हैं .
यों ही समाज के चालू व्यवहार के
अध्ययन करें तो
पता चल जाएगा--;
सबहीं नचावत ,राम गोसाई.

Friday, February 16, 2018

नफरत

नफरत


नफरतें
_____________

प्रेम के अति
आनंद के रहते ,

नफरत क्यों ?

दुखप्रद चीज़ों से 
नफरत.
बदबू से प्रेम.

क्रोध करने से नफरत .

बुराई करने से नफरत.

नफरत इसलिए भी हैं ,

अच्छे लोगों के नाम से नफरत.

चोर को पुलिस से नफरत .

नक़ल करनेवाले  छात्र को
अध्यापक से नफरत.

शासित दल की योजना ,
बढ़िया होने पर भी
विपक्षी दल के   नफरत .
मजहबी नफरत ,

जाति-सम्प्रदाय के कारण
 नफरत
काले -गोर रंग के कारण
नफरत.
अमीर को गरीबों से ,
गरीबों को अमीरों से ,
नफरत .

बिना   कारण के भी नफरत.
नफरत -घृणा क्यों?
मानसिक -शारीरिक दुर्बलता ही
नफरत के मूल.

प्रेम.

प्रेम.
    प्रेम  देखते  ही प्रेम,
    मानसिक प्रेम ,
    शारीरिक  मोह .
     स्वार्थ प्रेम ,
    निस्वार्थ प्रेम
     देश प्रेम ,
      देश -  भाषा प्रेम,
     धन   प्रेम ,
      दान प्रेम ,
      धर्म प्रेंम,

   क्षेत्रीय प्रेम .
   विश्वप्रेम.
 सिर्फ भारतीय  में  है --
 विश्व  बंधुत्व  विश्व प्रेम है.

Sunday, February 11, 2018

भाग्यवान

मैं हूँ एक भाग्यवान --

कैसे ?क्यों ?कहते हो ;

पूछेगा कोई तो

 मेरे उत्तर निकलेगा यों ही ---

मैं हूँ तमिलनाडु का
एक हिंदी प्रचारक;

मेरी माँ गोमतिजी
एक हिंदी प्रचारिका.
हम है प्रचारक तीव्र
 उस समय के ,
तब हिन्दी विरोध के कारण
जल रही थी गाड़ियाँ;
राजनैतिक चाल-छल में ,
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की नींव हिल रही थी;
तब मेरे हिंदी क्षेत्र प्रवेश;
महात्मा मोहनदास करमचंद गांधीजी की
दूरदर्शिता
 महान विभूति कीआस्था में

हम भी गिलहरियों के समान
हिलते नींव को
मज़बूत बनाने में
सैकड़ों छात्रों के कंकट जोड़
 डाल रहे थे;
मेवा मिले या न मिले ,
सेवा करें तो मिलेगा संतोष;

मेरी नियुक्ति भी एक स्कूल में हुई ,

आन्दोलन के उस भयानक स्थिति में ,

हिन्दी अध्यापक के रूप में ,
जब मेरे अन्य सहपाठी थे बेकार;
हिंदी द्वि भाषा सूत्र के कारण
पाठशालाओं से तो चली ,
पर मेरे घर में तो छात्र संख्या बड़ी; बढी.

सेवा तो शर्त के अनुसार बिलकुल मुफ्त ;

एकसाल -दो साल में मिलती

एक अध्यापक विद्यालय अनुदान;

मैं और माँ भूखा -प्यासा प्रचार में लगे तो

एक आत्म -संतोष; आत्म -शान्ति -आत्म -सम्मान;

जहां भी शहर में जाए
कोई न कोई कहता "नमस्ते जी;
उस समय का वह आनंद
ब्रह्मानंद सा लगता;
प्रचार छोड़ चेन्नई में वेस्ली स्कूल में
 हिन्दी अध्यापक की नौकरी मिली
मेवा तो मिला ,सेवा सम्मान तो नहीं;
इसीलिये मैं भाग्यवान हूँ .

सत्याग्रही आचार्य जो मद्रास सभा के प्रबंधक थे
उनके द्वारा सूचना मिली ;
पांडिच्चेरी शाखा में हुई मेरी नियुक्ति;
आठ महीने की नौकरी
इस्तीफा करके चला
मेरे शहर पलनी को ;
भगवान ने भागीरथ प्रयत्न करने पर भी
भगा दिया चेन्नई;
वेस्ली स्कूल के चार साल की नौकरी आराम से बीता;
स्कूल जाता; छात्र बंद; स्कूल बंद ; वेतन पक्का ;
तब से श्री वेंकटेश्वर जी ,तिरुमलै बालाजी की पूरी कृपा मुझपर लग गयी;
वेस्ली के शेल्वादास जो बी;टी ;विज्ञान के मुझे एम् .ए;पढने की प्रेरणा डी;
सौ रूपये छूट परीक्षा शुल्क सहित ,
दो सौ रूपये में एम् .ए;

मेहनत करने की शक्ति
,बुद्धी दोनों दीं भगवान गोविन्दजी ने;

तभी स्कूल में हायर सेकंडरी का परिचय;
एम्.ए के  परीक्षा फल  के आते ही
 हिन्दू स्कूल में स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक;

फिर क्या एक भाग्यवान प्रचारक केलिए;

मैं जितना हो सके उतना सत्य का पालन किया .

भले ही लौकिकता के कारण
कुछ झूठों को साथ देना पड़ा;
हिन्दू एजुकेशनल आर्गेनाईजेशन एक मामूली संगठन नहीं,

बड़े तीव्र मेधावी अटर्नी जनरल परासरण समान दिग्गज
 न केवल ज्ञान के
लक्ष्मी के वर-पुत्र ;
सत्कैंकर्य शिरोमणि एन.सी राघवाचार्य ,
प्रतिभाशाली वकील अध्यक्ष थे .
प्रसिद्ध ऐ/ए/एस/  ऐ.पि. एस ., सदस्य सचिवगण;
ऐ.ये.यस . बी. एस. राघवन .एम्.ओ .पार्थसारथी ऐयांगार ,
डाक्टर  गणेशन , सीनियर एडवोकेट   एम्.ये. राजगोपालन
आदि  .केवल यही नहीं , सिल्वार्तंग श्रीनिवास शास्त्रियार
प्रधान अध्यापक पद पर थे.

अध्यापक संघ की ओर से हर साल बालाजी दर्शन;

मेरे सह -अध्यापक कितने मिलनसार ,
कितने सहृदय दानी ,मित्रता के प्रतीक
उस संस्था ने मुझे प्रधान अध्यापक पद पर बिठा दिया;

हम मद्रास शहर के दो प्रचारक पि.एस .चंद्रशेखर ,सनातन धर्म स्कूल के
और मैं हिन्दू हायर सेकंडरी के दोनों को
 अपने दायरे में उच्च पद मिला;

हिन्दी प्रचारक --हेडमास्टर कौन पूछेगा या सम्मान देगा ;

 मैं भाग्यवान -सभा ने सम्मान दिया;

मद्रास प्रचारक संघ ने दिया ;
भले ही हम दूर रहे ;
अब कहिए-- मैं भाग्यवान इसलिए हूँ -
मैं एक हिंदी प्रचारक मामूली.

jay javaan jay kisaan




— thinking about the meaning of life.