Friday, June 29, 2018

சீ ர டி நாதா,

சீ ர டி  நாதா,
 உன்னடி  சரணம்.
உடனடி  அரு ள்,
உன்னி டம் தஞ்சம் .
சத்ய சா யீ,
ச டு தி யி ல்  அ ரு ள் வா ய்.
உள்ளத் தி ல்  உன்னை வை த் தா ல்
எண்ணங்கள்  நி றை வே று ம்.
சாயீ ராம்!  சா யி  ராம்!
மதங்கள் மறக்க உன்ன ரு ள்.
ரா ம்  சா யி! அல்லா  சா யி!
கி ரு ஷ்ண  சா யி!  ஏசு  சா யி!
மனி த  நே யம்  வளர்க்கு ம் சா யி  பின்.
சனா தன தர்மத் தின் சா ரம்.
வை யகம்  ஒரு கு டு ம் பம்.
வாழ்க  வை யகம்.
பா ரத சமத் து வ மா ர்க்கம்.
சா ய் மஹா ரா ஜ் கீ  ஜய்.
ஜகம் பு கழு ம் சாய்.
ஜகம் கா க்கு ம் சா யி.
சா ந் மஹா ரா ஜ் கீ ஜய்.!

लेखक और समाज

लेखक अपने
अमूल्य समय,
दिमाग लगाकर
शब्दार्थ सजाकर
समाज के कल्याण,केलिए,
देश की भलाई के लिए, 
कुछ लिखता है,
लिखना ईश्वरानुग्रह है.
पर सम्मान ?
वह तो ईश्वरीय है,
अमीरी माया भरी,
समाज बिगाडनेवाले
गीत के लिए.
इश्क भरे अलौकिक इच्छाएँ,
जगानेवालों के लिए.
क्या करें?
चित्रपट में नायिका भी आजकल
हेलन, जयमालिनी जैसे!
दर्शन, राष्ट्र भक्ति, राष्ट्रीय विचार
न्यायालय, पुलिस, शिक्षा, शासक आदि पर
अविश्वास भरी कथाएँ.

ईश्वर का वरदान.

मानव सेवा करो. 
मानसिक शांति पाने. 
ईश्वर का अनुग्रह पाओ. 
ईश्वर सृष्टित मानव की सेवा करके. 
सत्य का पालन करो, 
सर्वेश्वर की कृपा कटाक्ष मिलें.
ईमानदारी से रहो,
ईश्वर से वरदान पाओ.
कर्तव्य निभाओ,
निष्काम सेवा का फल
ईश्वर का वरदान.

प्रेम और दुनिया

प्रेम कहाँ है? 
किससे कैसा मिलेगा? 
पता नहीं, 
जो देता रहता है, 
उसको प्रेम मिलता है क्या?
नहीं, कभी नहीं मिलता है.
देनेवाले से बढकर कोई देगा, तो
तजकर जाने लोग तैयार है.
जो लेकर ही देनेवाले को
खुशामद करके
जीता है, अंत तक वह मेहनत नहीं करता.
जो मेहनत करता है, वही देता है .
मेहनती जो देता है,
उसका मीन मेख देखने
नाते रिश्ते तैयार रहते हैं.
मेहनती भूखा प्यासा रहें,
पीडा सहता रहें, उसकी चिंता नहीं करता.
आज़ादी की लडाई में जो सच्चे अच्छे, नेक
त्यागी थे, आज़ादी के बाद
गरीबी के गड्ढे में पडे रहे.
स्वार्थी, भ्रष्टाचारी सांसद विधायक बन रहे हैं.
मंदिर भी ऱईश मंदिर का विशेष महत्व है.
यही मतलबी दुनिया है.

भारतीय सभ्यता और मजहब


विश्व में हिंदू
सभ्यता का विकास, 
हिंदी भाषा का विकास, 
भारतीय योग साधना, 
कृष्ण भक्ति, गीता का महत्व
अपने आप बढ रहा है.
भारतीय सभ्यता व संस्कृति
सारे जहाँ से अच्छा
हिंदोस्तान हमारा हमारा
सभी सभ्यता मिट गई,
हमारी सभ्यता का विकास हुआ.

अपने आप बढ रहा है.
भारतीय सभ्यता व संस्कृति
सारे जहाँ से अच्छा
हिंदोस्तान हमारा हमारा
सभी सभ्यता मिट गई,
हमारी सभ्यता का विकास हुआ.

Wednesday, June 27, 2018

भरोसा

भगवान के शरणार्थी  को कोई नहीं चिंता.
प्रार्थना  के बल से
कर्म फल की कठिन परीक्षा  में
साहस और सहने की शक्ति मिलेगी.
कष्ट के समय धीरज, शांति, प्रयत्न में सफलता की आकांक्षा,  वक्त आने पर भाग्योदय,
सफलता के शिखर पर पहुँच जाने का भरोसा,
अंत में सफलता.
पर एक बात पर सावधान..

सत्य, ईमानदारी, कर्तव्य पालन में तटस्थता,
सफलता के मूल है.
मानव जाति  के दुख के मूल में क्रोध, लोभ, काम, अहंकार है, सौ  प्रतिशत  भगवान पर भरोसा  रखना है.

Sunday, June 24, 2018

बाह्याडंबर

पराशर गुरुकुल में एक दिन.
 मैसूर से लगभग 15 कि. मा. की दूरी पर
बेलुकगोला में   नरसिंह स्वामी
के अनुग्रह  और उनके भक्त के
अथक परिश्रम  से गरीब ब्राह्मण
बच्चों को  आधुनिक पाठ्यक्रम और वेद मित्रों की शिक्षा  भी दी जाती है.
2003में स्थापित इस संस्था  में
अब लगभग 60 और कालेज में पढनेवाले छात्र भी हैं.
हर साल सकल लोगों की रक्षा  ,स्वास्थ्य, धन वृद्धि  के लिए
यज्ञ-होम-हवन आदि बडी श्रद्धा  से करते हैं.
ईश्वर के अनुग्रह  से 2018ई.
 मई 25 तारीख को एक दिन  वहाँ ठहरा. वह स्थान आनंदप्रद  रहा.
वहाँ के दृश्य






जपो जपो

प्रातःकालीन प्रणाम.
इनिय कालै  वणक्कम.
 हमारे मन में चाहिए  संयम.
इच्छा शक्ति चाहिए.
ईश्वर भक्ति चाहिए.
ज्ञान  शक्ति चाहिए
क्रिया शक्ति चाहिए.
तीनों  शक्तियाँ प्रदान करने
ईश्वरीय अनुग्रह चाहिए.
तब तो  हमें क्या करना चाहिए
ईश्वर  पर भरोसा चाहिए.
मंत्र तंत्र नहीं जानते,
ऐसा  सोच नहीं चाहिए.
 केवल सदाचार संयम  का बल,
ईश्वर के नाम जपना
मनोकामनाएँ पूरी होने का सरल मार्ग.
बोलो भजो जपो ध्यान में लगो.
 ऊँ गणेशाय नमः ऊँ कार्तिकेयाय नमः ऊँ नमः शिवाय ओम दुर्गायै नमः.
जपो जपो हमेशा,
मन लगाओ,काम में लगो
सत्य कर्तव्य पालन, सदाचार
नाम जपो
 पाओवाँछित फल.
तजो लौकिक इच्छाएँ.
अलौकिक  चाहें में  मन लगा.
सपरिवार  जिओ.
विषय वासना से दूर रहना.
जपो जपो जपो
,ऊँ गणेशाय नमः ऊँ कार्तिकेयाय नमः ऊँ नमः शिवाय ओम दुर्गायै नमः

शीर्षक --- भजन

 भजन :

  जीवन में  भला 
 चाहते हो ?
 तो करो भजन.
अल्ला पसंद  है तो
अल्ला का नाम जपो.
नाम जपने से नहीं ,
सुकर्म करने से ,
सच्चे आल्ला के भक्त अम्मीर सकुशल.
आतंकवादी हथियारे मुसलमान
मुखोटा पहन छिप छिप जीवन.
खत्ल  करो , अल्ला का रहम पाओ
कुरआन  ने न कहा.
इबादत करो ,
ईमान से रहो.
मुहब्बत करो ,
मारना -पीटना ,
खुद को ही जीना
ऐसा नहीं कहा कुरान .
ख़ुदा  के चाहक बनना है तो
खुद को सुधारों .
दूसरों के विनाश न अपना विकास
यह तो नहीं चैन का मार्ग.
चैन की जिन्दगी चाहते हो तो
अल्ला का नाम लो,
करो ,भलाई सब की.
आप भला तो जग भला.
मुग़ल बनो , आतंकवादी मुग़ल बनना
हमेशा केलिए खतरा और बेचैनी.




Thursday, June 14, 2018



  


आँसू

 
आंसू कितने प्रकार ? 
मगर मच्छ आँसू? 
कैकेयी के आँसू?
आभूषण के लिए आँसू ?
चोरी होने के बाद आंसू?
चोर के नकली आँसू?
अध्यापक के मार से
 बचने के लिए आँसू?

पुलिस से बचने के लिए आँसू?
पति के बिछुड़ने पर आँसू?
मृत्यु पर आँसू?
आनंदास्रु?
दर्द के कारण आँसू?
किस आँसू पर कैसी सज़ा?
शिशु के रुदन और आँसू
भूख मिटाते .
पर नकली  असली आँसुओं  में
धर्म संकट !!

Wednesday, June 13, 2018

स्वार्थ भक्ति.

हर मनुष्य में स्वार्थ ,भले  ही  वह भक्त हो .
अल्ला  सब का मालिक पर अपनाओ
मुग़ल धर्म.

जीसुस सब के रक्षक ,पर ईसाई बनो .

शिव सबके रक्षक पर शिव भक्त बनो.
विष्णु  तेरे  रक्षक,विष्णु भक्त बनो .

हर भगवान  हर एक मार्ग , पर सब के रक्षक .

खुदा ,भगवान , कैसे सब के रक्षक .

Saturday, June 9, 2018

सूक्ष्म जंतु

सब को सादर प्रणाम .
आज  के मनोविचार
मनोविकार  ही मन
चंचल  के मूल कारण है.
मनुष्य जो कुछ देखता है,
उन्हें  पाने को लिए  तडपता है.
ईश्वर के सृजन में  एक रूपता नहीं है.
काँटा ज्यादा है, फूल कम.
मच्छर ज्यादा है, मनुष्य को चैन की नींद सोने नहीं देते.
आकार तो मच्छरों   के अति छोटा.
खटमल अति छोटा, पर नींद हराम.
बिच्छू  छोटा सा बडा मनुष्य की तुलना में अति छोटा .
कितने कीटाणु है, अति सूक्ष्म ,वे सताते हैं.
हाथी को अपने काबू में नचानेवाले मनुष्य
मच्छरों  के पाल नहीं सकता, काबू में रख नहीं सकता.
कर्ण   को शाप  के मूल में एक छोटा सा भ्रमर.
अलि,तितलियाँ, मधु मक्खियाँ न तो बडे बडे वृक्ष नहीं पनप सकते.  मकरंद  केसर जुड़े के मूल में
इन छोटे जीवों की  देन अधिक है.

तिनका
एक  कविता है.
मनुष्य के घमंड दूर होने एक तिनका आँखों में पड रह जाता  तो चतुर मनुष्य की परेशानी तिनका जब तक
 आँख से बाहर नहीं आता, तब तक दूर नहीं होती.
ज़रा सोचिए..  मनुष्य की हालत.
ध्यान  रखिए, हम गलत मार्ग अपनाएँगे तो हम तो दुख
 देने सूक्ष्म  जंतुओं के भी ईश्वर ने सृष्टि की है.

Thursday, June 7, 2018

भगवान से मिलने का वरदान



  आज  मुख पुस्तिका में   तमिल में  पढी  कहानी  का सार.


    भगवान   के    दर्शन

 
एक दिन किसी देश  के  राजा के सुशासन  से खुश होकर

भगवान   ने  अपने दर्शन दिए. राजा खुश हो गए.   राजा  हमेशा  जन हित के सपने देखा  करते  थे .

 उन्होंने  भगवान से  एक  वर  माँगा.
भगवान खुशी  से  देने तैयार हो गए .

 राजा ने वर  माँगा  कि  मेरे देश  की  सारी  जनता  को आप  अपने  दर्शन    दीजिये.   भगवान सबको दर्शन देने

सन्नद्ध हो गए.

भगवान  ने  कहा --कल तुम अपनी  सारी प्रजा  सहित पहाड़  के शिखर  पर  आ जाओ. मैं  एक साथ सब के दर्शन देने  तैयार हूँ.

  राजा अत्यंत प्रसन्नता  के साथ राजमहल में पहुंचे.
 देश  भर में ढिंढोरा  पिटवाया  कि कल सब के सब
ईश्वर के दर्शन  और साक्षकार  के  लिए  पहाड़  पर आ जाइए.  पर्वत  पर   ईश्वर  के  दर्शन  मिलेंगे.

 दुसरे दिन  सब के सब  भगवान  से मिलने पहाड़ पर चढ़ने लगे.  थोड़ी  दूर चढ़ने  पर ताम्बे  के धातु मिले. कुछ लोग  ऊपर चढ़ना छोड़ ताम्बे की धातु जमा करने में   लग  गए.
बाकी लोग ऊपर चढ़ने  लगे. थोड़ी दूर के ऊपर  चढ़ते  ही
चांदी के ढेर दीख पड़े. चांदी के  देखते ही और बाकी लोग
चांदी एकत्रित करने में जुट गए.

राजा ,रानी ,सेनापति और बाकी लोग आगे बढे. थोड़ी दूर  और आगे बढ़ते  ही सोने के ढेर  मिले. जो आये उनमे अधिकांश लोग  स्वर्ण  जमा  करने लग  गए.
अब  केवल राजा,रानी ,सेनापति ,मंत्री ही आगे बढे.
थोड़ी दूर के  आगे बढ़ते  ही   चमकते हीरे के ढेर मिले. सिवा  राजा  के   बाकी सब  रानी भी हीरे इकट्ठा करने चले  गए.
अब  केवल  राजा  ही  अकेले  आगे बढे. भगवान  वहां  खड़े होकर  मुस्कुरा रहे  थे.
 राजा  ने भगवान के चरण पर मस्तक रखकर प्रणाम किया.

भगवान  ने  कहा--मैं  सर्व व्यापी हूँ . जगत रक्षक हूँ.
सब के  दर्शन देने  तैयार हूँ . पर जनता भौतिक  सुख  के  सामने  मेरा कोई महत्त्व न देती. माया मोह में फँस जाती.
मैं  क्या  करूँ?

 

लिखना ताज़ा कैसे?

 भारत प्रेमियों और हिंदी प्रेमियों को आज 8/5/18 के दिन सप्रेम नमस्कार.

रोज़  कुछ न कुछ  लिखने के संकल्प  में  नये विचार  आना ही चाहिए.
यों  सोचना सही है क्या?
मानव प्रेम, ईश्वर प्रेम, देश प्रेम,
आस्तिकवाद ,नास्तिक वाद,
देश द्रोह, भ्रष्टाचार, रिश्वत,
विवाह प्रेम  ,व्यवस्थित, जबर्दस्ती,
लाचारी,  गरीबी,  बेमेल,
चोर-डाकू,  दया निर्दय मानव,
अत्याचार, हत्याएँ
प्रेम के हार में,
अवैध संबंध  में,
धनी पति की, धनी पत्नी की,
क्रोधावेश में,  बातों बातों में
प्यार के इनकार  में,
आत्म हत्याएँ,
नेता के लिए,
प्रेम की नाकामयाबी  में,
माता पिता गुरु के ढाँटने से,
परीक्षा  में पास पर अंक कम,
परीक्षा  में असफल
नीट परीक्षा में फेल,
नेता या नेत्री पर मुकद्दमा जीतने,
न जाने आत्महत्या या हत्या के कारण
जाति धर्म संप्रदाय  के कारण संग्राम हत्या,
रोग के कारण  करुण हत्या,
कितनी बातें, कितने विचार  कितने सोच
सब के सब लिखते हैं
वर्तमान छोड अतीत की बातें
भविष्य  की कल्पना,
अनुशासन, चरित्र गठन
हर विष हर बात
नयी सी लगती, पर हर विषय पर कलम के सिपाहियों की कमी नहीं,
कहने को नये ढंग, शब्द शक्ति लेखक को शिखर पर पहुँचाया.

 देखिए गोपुर हर गोपुर की ऊँचाई  में अंतर
सर्वत्र  विद्यमान सर्वेश्वर  के आकर्षक मंदिर.

Tuesday, June 5, 2018

प्रदूषण --हवा.

  मनुष्य को स्वस्थ  रहने  के लिए  उसके  इर्द-गिर्द का  वातावरण निर्दूषित  होना  चाहिए|

आजकल  के वैज्ञानिक विकास  में  सुविधाएं जो  बढ़  रही  है, पर मनुष्य  का तन

स्वस्थ  नहीं   है. स्वस्थ    शरीर  में  ही स्वस्थ  विचारों का  स्वस्थ प्रगति  काम  में  मन लगेगा.   आज कल  के प्रमुख प्रढूषण में वायु,जल ,ध्वनी ,भूतल पानी  के    साथ -साथ
जन -संपर्क साधनों  के  द्वारा  विचार प्रदूषण भी   बढ़  रहे  हैं.

   बड़े बड़े ऋषी -मुनि ईश्वर  साक्षात्कार करने अन्न -आहार  के  बिना तपस्या करते  थे.

माहात्मा  मोहनदास  भी आजादी की लड़ाई में अनशन अस्त्र का प्रयोग किया.
कई सप्ताह ,कई महीने  बिना    खाए  रह  सकते  हैं. पर  बिना  सांस    लिए  जीना  मुश्किल  है.

 अतः हवा को   साफ रखना   चाहिए.   आजकल  युवा -युवतियाँ  सांस लेने का बहुत  कष्ट  उठाते हैं.

पानी,भोजन ,फल, तरकारियों  की  गन्दगी हम  प्रत्यक्ष  देख  सकते  हैं. धुल धूसरित वस्तुवों  को फ़ेंक  देते  हैं.

  पर  हवा  ईश्वर के  सामान  अदृश्य है. पञ्च भूतों में यह तुरंत जान लेवा  भूत  है.  कई   संक्रामक  रोग   हवा  द्वारा  फैलते  हैं. कई  अति सूक्ष्म कीटाणु  हवा में फैलते समय आसानी से साँस  लेते   समय  मनुष्य  शरीर  में प्रवेश करते  हैं.

  हवा  प्रदूषण  से  बचने -बचाने  हमें  वातावरण  को  साफ  रखना  चाहिए.
   हमें  सार्वजनिक  स्थानों में धूम्रपान करना नहीं चाहिए. मल-मूत्र ,थूकना आदि आम जगह पर  करने से  भी बीमारियाँ फैलती  है.
अतः  हवा  को  साफ  रखना  हर  एक  का  कर्तव्य  है. हर एक की जिमीदारी  भी  है. 

देशोन्नति में रुकावटें.

 सबको  प्रणाम !

आज का स्वतः चिंतन

भारत  की  प्रगति में बाधाएं :--

१. हिन्दू धर्म में एकता नहीं.
२.सनातन धर्म व्यापक  है.   खुद अपने को
भगवान   माननेवाले हैं .
अपने को मंदिर बनाकर पूजा पाठ करने वाले    हैं.

आध्यात्मिकता  जीविकोपार्जन का साधन  बन गया.
 कदम कदम पर   मंदिर ; पर अलग अलग मूर्तियाँ .
अय्यर   मंदिर /अय्यंगार  मंदिर / हर जाति का   मंदिर.
 ये मंदिर एकता तोड़ रहे हैं  या  जोड़ रहे  हैं   पता नहीं .

मंदिरों के इर्द -गिर्द ठग ज्यादा हैं .
आसपास के दूकानों में नकली रुद्राक्ष , नकली चन्दन ,
एक तरह की मिट्टी से  बने चन्दन घिसाने के पत्थर ,

 एक तरह से वाणिज्य केंद्र.

ईश्वर का भय नहीं  लुटेरों को. भ्रष्टाचारियों को ,रिश्वतखोरों को.

देव दर्शन दो   मिनट  ,लम्बे   कतारों  में घंटों खड़े होकर.

जब तक ईश्वरीय भय शाश्वत नहीं , तब तक देशोन्नति में रुकावटें होंगे ही.
हिन्दुओं को देखा देखी मस्जिद ,चर्च भी बढ़ रहे  हैं.
तीनों धर्मों में भेद भाव है, असली ,नक़ली,शाखाएं , उपशाखाएँ ,शंकाएं ,भक्ति में सांप छछूंदर की गति  है.
देखिये , मानुष मनुष्य पर का विशवास लुप्त हो रहा  है.
आश्रम खजाना बन रहा है .  किसीको अपने पर  अपनी भक्ति पर  प्रहलाद, ध्रुव जैसे दृढ़ भक्ति नहीं. भक्ति में ईश्वर की कृपा  प्राप्त करने दलील ,एजंट .
सोचिये ! अपने पर  भगवान पर दृढ़ विश्वास रखिये.

तब तो मानसिक  शान्ति मिलेगी  ही. 

Sunday, June 3, 2018

काव्यांचल में समर्पण

आज काव्यांचल  में
पहली  बार,
तमिलनाडु  के आँचल से

तालियाँ, वाह! वाह!
काव्यांचल के कलाकारों  को .
+++++++++++++++
मैं अपनी  भाषा,
अपनी शैली,
अपने विचार
लेकर चल रहा हूँ ;
वह पथ
कैसा है ?
जानना चाहता  हूँ.
  राह  बनता  है
 या कँटीला झाडू|

जानने में उत्सुक

छंद नियम के जाल में
तडपता
कुछ लिखना कहना
  पल ही में
अवरोध बन जाता.

तभी मन में आया,
जो मन में आया लिखो,
कोई आलोचक
 कविता कहें तो
बन जाओगे कवि.

कोई नव कविता माने तो

कवि के स्तर पर होना आसान.

हैकू कहें,
गद्य पद्य कहे,
बकवास कहे
 अनपढ कहे,
 
जो भी कहे,
 आलोचना एक कवि की.

अतः कम से कम
 लेखक  की कोटी में
निंदक, चाहक, या प्रशंसक
मिल ही जाएँगे.
यह तो सिर दर्द पाठकों का ,
कवि रूढीवादों का|

मन की बात कहने में
 क्या रुकावट.?
दोहे चौपाई, छप्पय
 पढ पढ कर बाल पक गये.

बंधन तोड़ कुछ लिखो.
 कोई न कोई एक नई शैली का  नाम
 किसी न किसी समय देगा  ही|

कभी न कभी ऐसा ही बन जाता.
रुद्राक्ष धारी हूँ मैं.
पास है दोस्त राजगोपाल.
ईश्वर के चरण छूकर लिखता हूँ.
पाठकों को मेरा विनम्र नमस्कार

अपनी रायें ,सुझावें ,निंदा ,प्रशंसा  का
सम्पूर्ण अधिकार पाठकों  में  हैं. 

Saturday, June 2, 2018

किसान का महत्व





तमिळ  कवयित्री  औवैयार  की भविष्यवाणी.
இது ஔவையாரின் பாடல்:

நூலெனிலோ கோல்சாயும் நுந்தமரேல் வெஞ்சமரால்
கோலெனிலோ ஆங்கே குடிசாயும் - நாலாவான்
மந்திரியும் ஆவான் வழிக்குத் துணையாவான்
அந்த அரசே அரசு


शिक्षित  मंत्री  बनेगा तो  उसका कुल ही श्रेष्ठ बनेगा.
क्षत्रीय  बनेगा तो स्वार्थ  और वीरता प्रदर्शन की लडाइयाँ होती रहेगी. वैश्य मंत्री  बनेगा तो उसका व्यापार चमकेगा.
पर किसान मंत्री  बनेगा तो अन्न धान्य सब्जियां फल
उत्पन्न होंगे.  देश अकाल रहित समृद्धि  बनेगा







இந்தப் பாடலின் பொருள்:



பிராமணன் மந்திரியாக ஆனால் அவன் பிராமணருக்குச் சாதகமாக நடந்து கொள்வான் உன் செங்கோல் சரிந்து விடும்.  உன்னைப் போன்றவர்களான சத்திரியன் மந்திரியானால் தினமும்
 கொடுமையான போர் நடக்கும். வைசியன் (தராசு பிடிப்பவன்) மந்திரியானால்  அவனுடைய பேராசையினால் மக்கள் துயரப் படுவார்கள். நாலாவான் மந்திரியாக ஆனால் அவன் நீ செல்லும் பாதையில் துணையாக இருப்பான். ஆகையால் அவன் மந்திரியாக இருக்கும் அரசே நல்ல அரசு.

இதில் நாலாவான் என்றால்யார்?


கா.சு. பிள்ளை உரையில் B  இரத்தின நாயகர் ஸன்ஸ் பதிப்பகத்தாரால் 1948ல் வெளிவந்த தனிப்பாடல் திரட்டு,
   இந்த தனி ப் பா டல்  விவசாயம் தா ன் மக்கள் வி ரு ம்பு ம்  சக்தி  தரும்.  விவசாயம்  செ ய் யு ம்  நா லா ம்  வர்ணத்தவன் வருடம் அதாவது  ஒளி  இழக்கம் செய் தால்   நா டு  பசி பட்டி  னி யில்  து ய ரு ரு ம் .

सबहीं नचावत राम गोसाई

रोज मन की बात
लिखना  सनकी सा बन गया.
क्या लिखना  है, वह हममें नहीं है.
हर कोई  कुछ न कुछ
 लिखना ही  चाहता है.
 हर कोई  नायक बनना ही चाहता है.
हर कोई  स्वस्थ  रहना ही चाहता है.
हर कोई   जिंदगी म
ें हर काम में विजय पाना ही चाहता है.
क्या यह संभव है?
रोज गुरु के चरण स्पर्श  कर
संगीत का अभ्यास  करनेवाला
बडे संगीतज्ञ  न बन सकता.
बडे बडे डाक्टर भी रोगी बनते हैं
अपने को बचा नहीं सकता.
अंत में चतुर मनुष्य को इसी निष्कर्ष  पर ही
आना पडा/ पडेगा/पडता है
"सबहीं  नचावत राम गोसाई "!

Friday, June 1, 2018

मातृभाषा


मैं हूँ. तमिलनाडु  के हिंदी प्रचारक  .
लिख रहा हूँ  ,अपनी हिंदी, 
अपनी शैली, अपने विचार. 
 प्रेम करता हूँ, अपनी मातृ भूमि से, 
अपनी देशी  भाषाओं  से
सनातन धर्म के भक्ति मार्ग से. 
 आदी काल से आजकल की राजनीति 
एकता लाने के प्रयत्न में. पर
स्वार्थी  मजहबी  ,
प्रेम भक्ति एकता में बाधक
विदेशी आये शासक बने
 जनता में सहन शीलता  
मंदिर तोड़, मसजिद बनाये
अंग्रेज़ आये  अपनी भाषा 
छोड चले, हम अपनी भाषा भूल चले. 
आजादी तो मिली, आधी रात को, 
अंधकार में, अंग्रेज़ी  की उजाला का 
अज्ञान  ज्योति जलाकर, 
शासक जो नेहरू बने 
अंग्रेजी  के पारंगत. 
मंत्री मंडल में सब अंग्रेजी  पटु. 
भूल गये मातृभाषा  और संपर्क भाषा. 
आज हर जगह जनता चाहती
अंग्रेज़ी  माध्यम  की शिक्षा. 
मातृभाषा  से नफरत. 
 बगैर अंग्रेज़ी  के, 
जीविकोपार्जन  असंभव. 
  यदि मातृभाषा  को
आय और, नौ करी का साधन  बनाने
सत्तर साल की आजादी 
अंग्रेज़ी  ही प्रधान. 
आरक्षण  नीति योग्य लोगों को
विदेशी भगा देती. 
फिर भी देश का विकास. 
शिक्षा  में अनुशासन  की कमी. 
फिर भी अनुशासित लोग. 
भ्रष्टाचार  शिखर पर
फिर भी न्याय की झलक. 
यह दिव्य भारत की दिव्य प्रभाव.
जानना-पहचानना,समझना मुश्किल. 


























खाली दिमाग.

खाली दिमाग कहा गया ,
शैतान का कारखना.
काम  न कोई , न आय .
बेकार मन ,
कई बातें सोचेगा ही.
 खा   ली रोटी,
फिर  खाली दिमाग .
 काम  की इच्छा ,
काबू न  मन
न धन ईर्ष्या का  आधार.
क्रोध का भाव .
नाश का  विचार.
खाली दिमाग .
तो  सही नहीं .
मन खाली  होने पर ब्रह्मानंद.
खाली दिमाग तो प्रलय दुःख.

मातृत्व

माता की  ममता,
मातृत्व की उमड,
भूख मिटाने नन्हें  की
न कृत्रिम  दूध व्यवस्था,
ईश्वरीय देन मातृत्व की
नंगे पैर, बोझ ढोने  की शक्ति,
धूप सहने की शक्ति,
मेहनत, ईमानदारी कमाई,
रंक- जीवनानंद,
  न  रंगीला अमीरीजीवन में,
बोझ सहित तेज गति,
आत्मनिर्भरता ,
 न रईसी जीवन में
कठोर मेहनत
सहज मीठी नींद
अति दुर्लभ
अमीरी जीवन में.
महिला को
जो प्राकृतिक विश्रांति
वह न मिलती शाही  जीवन में.
ईश्वर धन्य,
 गरीबों की शक्ति मेहनत में
अमीरों का ऐयाशी बाह्यानंद,
मजदूरी जीवन में
 अंतः मन का अतुलित आनंद.