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Tuesday, October 21, 2025

आदमी और खुशी

 खुशियों की तलाश

— एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई


मानव सदा चाहता है

आनंदमय जीवन जीना।

खुशियों की तलाश में

कभी तीर्थ जाता है,

कभी समुद्र तट पर

हवा खाने निकल जाता है।


गर्मी में पहाड़ों पर,

सर्दी में धूप की तलाश —

हर ऋतु में ढूँढता रहता है

सुख का नया आभास।


नौकरी में,

संबंधों में,

योग्य जीवनसाथी की चाह में,

वह हर ओर भटकता है

खुशियों की राह में।


कोई तपस्या में रमता है,

कोई मधुशाला में डूब जाता है,

कोई संगीत में खोकर,

मन का बोझ भुला देता है।


दोस्तों संग हँसी ठिठोली,

घर-आँगन के खेल,

यज्ञ, होम, मंदिर दर्शन —

सब एक ही मंज़िल की ओर —

मानसिक संतोष, सुख की खोज।


कभी जलप्रपात में नहाने,

कभी जंगल में मंगल मनाने,

कभी अजायबघर, चिड़ियाघर,

हर जगह —

आदमी खुशियाँ खोज ही लेता है।

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