Sunday, July 28, 2013
है.2014 चुनाव इसका ललकार समझो;
சதிக் கட்சிகள் வளர்வது ஜாதியிலே,
சமதர்மம் ,சமத்துவம் பேச்சினிலே.
தேர்தல் அபேட்சகர் தேர்வு ஜாதியிலே.
நாடார்,வன்னியர் ரெட்டி,முஸ்லிம் என
வேட்பாளர்.இந்தத் தகுதி தன(ம் ) தொகுதி.मेरी राय लिखने के पहले मुझे अपने विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता दीजिए;गलत समझना नहीं. इंदिरा गाँधी फेरोज़ ख़ान से शादी की तो उसके पुत्र किस जाति के हैं.
प्रियंका के पति ईसाई है तो ;राजीव की पत्नी सोनिया है तो तो ;चन्द्रगुप्त सेल्यूकस की बहन कार्नेलिया से शादी की तो...तो कहीं अन्य देशों में हैं? किसी देश में सिवा भारत के यह गाना गाया जाता है -ईश्वर अल्ला तेरा नाम सबको सन्मति दे भगवान.
हिन्दू-मुस्लिम सीख ईसाई आपस में हैं भाई-भाई; हींगवाला,वह चीनी भाई कहानी है? वसुदैव कुटुम्बकम,अथिति देवो भव ,जय जगत नारा है? धर्म में भेद हैं लेकिन तिलक के लिये कहीं मुकद्दमा चला है?हिदू धर्म विश्व बंधुत्व की भावना रखता हैं. जगन्नाथ,विश्वनाथ ईश्वर के नाम हैं. सिवा कुरान के अन्य अपवित्र माननेवालों के बीच हम कुरान को मानते हैं;बाइबिल को मानते हैं;मूल निवासी जो मुसलमान या हिन्दू किसी लोभ से या भय से या स्वार्थ से मुसलमान बन गये,उन में हिन्दू रक्त संचार होता है.सच्चे मुसलमान उनको दूसरे स्तर का ही मानता हैं. यही सच्चाई है. मैने खुद अपने मुसलमान भाइयों के मुंह से सुना. चेन्नई वेलान्कन्नी मंदिर में माताजी की पूजा में हिदुत्व का सुगंध निकलता है. हमारे पूर्वज सभी हिन्दुओं से गले नहीं लगाया; आजादी के बाद भी जातियों के महत्व के आधार पर चुनाव चलता हैन.धन वीरेन्द्र जागो!हिन्दुओं!एक हो जाओ;मिल्लत में ताकत है.2014 चुनाव इसका ललकार समझो;
சமதர்மம் ,சமத்துவம் பேச்சினிலே.
தேர்தல் அபேட்சகர் தேர்வு ஜாதியிலே.
நாடார்,வன்னியர் ரெட்டி,முஸ்லிம் என
வேட்பாளர்.இந்தத் தகுதி தன(ம் ) தொகுதி.मेरी राय लिखने के पहले मुझे अपने विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता दीजिए;गलत समझना नहीं. इंदिरा गाँधी फेरोज़ ख़ान से शादी की तो उसके पुत्र किस जाति के हैं.
प्रियंका के पति ईसाई है तो ;राजीव की पत्नी सोनिया है तो तो ;चन्द्रगुप्त सेल्यूकस की बहन कार्नेलिया से शादी की तो...तो कहीं अन्य देशों में हैं? किसी देश में सिवा भारत के यह गाना गाया जाता है -ईश्वर अल्ला तेरा नाम सबको सन्मति दे भगवान.
हिन्दू-मुस्लिम सीख ईसाई आपस में हैं भाई-भाई; हींगवाला,वह चीनी भाई कहानी है? वसुदैव कुटुम्बकम,अथिति देवो भव ,जय जगत नारा है? धर्म में भेद हैं लेकिन तिलक के लिये कहीं मुकद्दमा चला है?हिदू धर्म विश्व बंधुत्व की भावना रखता हैं. जगन्नाथ,विश्वनाथ ईश्वर के नाम हैं. सिवा कुरान के अन्य अपवित्र माननेवालों के बीच हम कुरान को मानते हैं;बाइबिल को मानते हैं;मूल निवासी जो मुसलमान या हिन्दू किसी लोभ से या भय से या स्वार्थ से मुसलमान बन गये,उन में हिन्दू रक्त संचार होता है.सच्चे मुसलमान उनको दूसरे स्तर का ही मानता हैं. यही सच्चाई है. मैने खुद अपने मुसलमान भाइयों के मुंह से सुना. चेन्नई वेलान्कन्नी मंदिर में माताजी की पूजा में हिदुत्व का सुगंध निकलता है. हमारे पूर्वज सभी हिन्दुओं से गले नहीं लगाया; आजादी के बाद भी जातियों के महत्व के आधार पर चुनाव चलता हैन.धन वीरेन्द्र जागो!हिन्दुओं!एक हो जाओ;मिल्लत में ताकत है.2014 चुनाव इसका ललकार समझो;
Thursday, July 25, 2013
भारत महान है;
भाई,भारत महान है क्यों?जानते हैं? भारतीय जनता अब भ्रष्टाचार के बिना जी नहीं सकते;आदि काल से आज तक शासक ईश्वर के प्रतिनिधि या वारिस है; धोबी कहता है तो पत्नी को जंगल भेजो;नागरिक आदर्श बन जायेंगे;देशद्रोही बनो;विदेशियों को अपनी रक्षा के लिये बुलाओ;सब को शिक्षा न दो; भाई पानी भी पांच रुपये के लिये नहीं मिलता;इससे बड़ी खेद और असहनीय बात और एक है कि २३ बच्चे की मृत्यु राजनैतिक षड्यंत्र;
मोदी के विरुद्ध भेजे अमेरिका पत्र में मिथ्या हस्ताक्षर; बलात्कार स्त्री के मानने से होता है;स्त्री की पोशाक के कारन होता है; ९० लाख का भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार ही नहीं; राजनैतिक सांसद -मंत्री के विरुद्ध मुकद्दमा तो चलता रहेगा;दंड नहीं मिलेगा; रिश्वत बिन सबूत के अपनी होशियारी से जितना चाहो ,ले लो;यदि सबूत है तो उसे मिटाने में या गवाहियों को लापता कर दो;
यह कब तक चलेगा ; हमेशा चलेगा; भारतीयों में देश भक्ति नहीं; थोडा पैसे मिलें ,हब सब कुछ सहने तैयार; इसलिए भारत महान है;
मोदी के विरुद्ध भेजे अमेरिका पत्र में मिथ्या हस्ताक्षर; बलात्कार स्त्री के मानने से होता है;स्त्री की पोशाक के कारन होता है; ९० लाख का भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार ही नहीं; राजनैतिक सांसद -मंत्री के विरुद्ध मुकद्दमा तो चलता रहेगा;दंड नहीं मिलेगा; रिश्वत बिन सबूत के अपनी होशियारी से जितना चाहो ,ले लो;यदि सबूत है तो उसे मिटाने में या गवाहियों को लापता कर दो;
यह कब तक चलेगा ; हमेशा चलेगा; भारतीयों में देश भक्ति नहीं; थोडा पैसे मिलें ,हब सब कुछ सहने तैयार; इसलिए भारत महान है;
Monday, July 8, 2013
प्रश्नवाचक शब्द : तमिल भाषा बोलने आप प्रश्नवाचक शब्द पर ध्यान दीजिये:
. कहाँ -- एंगे
'ए" का ह्रस्व रूप.
जैसे elephant men" ए" के उच्चारण जैसे.
कितना =एव्वलवु , एत्तनै ,
कितने रूपये =एत्तनै रूपाय.
कितने बजे =एत्तनै मणिक्कू.
कितनी दूर= एव्वलवु दूरम.
कितने लोग =एत्तनै पेर.
"ए : का ह्रस्व रूप.
कैसा ,कैसे ,कैसी --एप्पडि ;
किसलिए = एतर्काक.
किसकेलिए==यारुक्काक.
क्या =एन्न ;
इसमें सभी "ए" का उच्चारण ह्रस्व ही हैं.
कब =एप्पोलुतु
प्रश्न वाचक शब्दों को सीखिए. अगले पाठ प्रश्न और उत्तर के वाक्य होंगे.
तमिल पाठ --२.
तमिल में दो रूप मिलते हैं.
इसलिए लोग ज़रा कठिनाई महसूस करते हैं.
बोलचाल और लिखित. आगे बो,चा./लिख. में आप समझ लें कैसे बोलना है और लिखित भाषा कैसी है.
नी काफी कुड़ी.==तुम काफ़ी पीओ. .....आप काफी पीजिए ===== नींगल काफ़ी कुडियुंगल. (लि). नींग काफी कुडिंग.( बो.चा.)
नी -तुम . आप =नींगल बोलचाल में नींग काफी है.
वैसे ही आप --विधि वाक्यों में इए हिंदी में धातु के साथ जोड़ते हैं.
तमिल में -इंगल जोड़ते हैं.
बोलचाल में इंग काफ़ी है,
तुम बैठो.=नी वुट्कार. आप बैठिये==नींगल वुट्कारुंगल.--/- वुट्कारुंग.
तुम पूछो --नी केळ. आप पूछिए.=नींगल केलुंगल./ नींग केलुंग .
तुम सुनो.= नी केळ. आप सुनिए =नींगल केलुंगल./ नींग केलुंग.
तुम मांगो.=नी केळ . आप माँगिए.==नींगल केलुंगल./नींग केलुंग .
पूछो.सुनो ,मांगो. तीनों के लिए तमिल में एक ही धातु है. =केळ .
Thursday, June 27, 2013
मौन अर्थशास्त्री,शोर मचाती महंगाई' खामोश जनता; जहाँ देखो, वहां नेता हैं भ्रष्टाचारी; आम जनता है मजबूरी; लाचारी -बेचारी सहती हैं सब-कुछ ; जो ज़ोर से बोलने लगते हैं आम तौर से वे भी काले धन के अधिकारी; माया है,ममता है न देश-भक्ति कहीं नहीं; जो देश पर अधिक बोलता हैं , उसका लापता हो जाता है; भ्रष्टाचार के विरुद्ध बोलनेवाले भ्रष्टाचारी दोनों ही संभालते कुर्सी;यही मतदाताओं की मर्जी.
मौन अर्थशास्त्री,शोर मचाती महंगाई'
खामोश जनता;
जहाँ देखो,
वहां नेता हैं भ्रष्टाचारी;
आम जनता है मजबूरी;
लाचारी -बेचारी सहती हैं
सब-कुछ ;
जो ज़ोर से बोलने लगते हैं
आम तौर से वे भी काले धन के अधिकारी;
माया है,ममता है न देश-भक्ति कहीं नहीं;
जो देश पर अधिक बोलता हैं ,
उसका लापता हो जाता है;
भ्रष्टाचार के विरुद्ध बोलनेवाले भ्रष्टाचारी
दोनों ही संभालते कुर्सी;
मौन अर्थशास्त्री,शोर मचाती महंगाई'
खामोश जनता;
जहाँ देखो,
वहां नेता हैं भ्रष्टाचारी;
आम जनता है मजबूरी;
लाचारी -बेचारी सहती हैं
सब-कुछ ;
जो ज़ोर से बोलने लगते हैं
आम तौर से वे भी काले धन के अधिकारी;
माया है,ममता है न देश-भक्ति कहीं नहीं;
जो देश पर अधिक बोलता हैं ,
उसका लापता हो जाता है;
भ्रष्टाचार के विरुद्ध बोलनेवाले भ्रष्टाचारी
दोनों ही संभालते कुर्सी;यही मतदाताओं की मर्जी.
खामोश जनता;
जहाँ देखो,
वहां नेता हैं भ्रष्टाचारी;
आम जनता है मजबूरी;
लाचारी -बेचारी सहती हैं
सब-कुछ ;
जो ज़ोर से बोलने लगते हैं
आम तौर से वे भी काले धन के अधिकारी;
माया है,ममता है न देश-भक्ति कहीं नहीं;
जो देश पर अधिक बोलता हैं ,
उसका लापता हो जाता है;
भ्रष्टाचार के विरुद्ध बोलनेवाले भ्रष्टाचारी
दोनों ही संभालते कुर्सी;
मौन अर्थशास्त्री,शोर मचाती महंगाई'
खामोश जनता;
जहाँ देखो,
वहां नेता हैं भ्रष्टाचारी;
आम जनता है मजबूरी;
लाचारी -बेचारी सहती हैं
सब-कुछ ;
जो ज़ोर से बोलने लगते हैं
आम तौर से वे भी काले धन के अधिकारी;
माया है,ममता है न देश-भक्ति कहीं नहीं;
जो देश पर अधिक बोलता हैं ,
उसका लापता हो जाता है;
भ्रष्टाचार के विरुद्ध बोलनेवाले भ्रष्टाचारी
दोनों ही संभालते कुर्सी;यही मतदाताओं की मर्जी.
Tuesday, November 13, 2012
satya ka mahatv
मनुष्य और जानवर में कोई फर्क नहीं है। पर मनुष्य बहुत सोचता है। वर्तमान से उसको भविष्य की चिंता सताती है। जो कुछ उसको मिलता है, उससे संतुष्ट नहीं होता। इसी प्रवृत्ति के कारण वह सभ्य बनता जा रहा है;
सभ्य मनुष्य असभ्य मनुष्य से ज्यादा दुखी है। वह कम् परिश्रम पर ज्यादा से ज्यादा सुख अनुभव करना चाहता ही रहता है।उसकी कल्पनाएँ साकार होती जा रही है।उन सुखों को भोगना सब के वश में नहीं है।उसके लिए धन की जरूरत होती है।क्या धन काफी है। नहीं।स्वास्थ्य की जरूरत है।क्या स्वस्थ्य ठीक होना पर्याप्त है। नहीं।फिर,ज्ञान की खोज में लगता है। बेवकूफ भी धन और बल प्राप्त कर सकता है; पर ज्ञान। तभी समस्या उठती है।
मनुष्य में भेद-भाव उत्पन्न होते है।धन -बल का सहीप्रयोग बुद्धि के आधार पर ही होता है। धन और बल आसुरी प्रवृत्ति है। वह अशाश्वत संसार को शाश्वत मानती है।बड़ेबड़े ज्ञानि को भी धन और बल के बिना जीना दुश्वार हो जाता है। पहले भूख की समस्या।फिर कपडे ;फिर मकान। आहार तो आकार बढाने के लिए नहीं,जिन्दा रहने के लिए आवश्यक है।वह प्राकृतिक है। सूक्ष्मता से सोचने पर व्यस्त आदमी पेट की चिंता नहीं करता;वह काममें ही लगा रहता है।जब आराम मिलता है,तब थोडा खालेता है। खाने-पीने की चिंता रखनेवालों से दुनिया बनती नहीं है। जितने भी संत शाश्वत सत्य छोड़कर गए हैं, वे तपस्वी हैं। वे खान-पान छोड़कर विश्व हित के ज्ञान -कोष
छोड़ गए है। उस ज्ञान कोष की आलोचना और प्रति आलोचना करके स्नातक बन्ने वाले ,धन जोड़नेवाले लालच में पड़कर मनुष्य में फूट डालकर आपस में लडवाकर अपने को अगुवा अगुवा स्थापित करके अपने ही स्वार्थ लाभ के तरीके में संसारको अलग अलग कर लेते है।इसी को सभ्य मानते है। बुद्धिबल मानते हैं। दूसरों को भिडाकर,दूसरों को बलि देकर जीनेवाले अहंकारी के कारण इंसानियत नष्ट हो जाता है।कई सम्प्रदाय,कई राजनैतिक दल,लडाई -झगडा
के मूल में सिवा स्वार्थ के अहम् के कुछ नहीं है। इसे सोचकर आम जनता चलेगी तो स्वार्थ,लोभी नेता चमक नहीं सकते। एक नेता के जीने के लिए हज़ारों मरते है;नेता अच्छे ,ईमानदार हो तो ठीक हैं,आजकल भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए ईमानदारी अधिकारियों को ही सजा मिलती है।यहाँ तक कि अपने हत्याचार और भ्रष्टाचार छिपाने हत्याएं भे करते हैं।ऐसे स्वार्थ नेता या अधिकारी के मानसिक परिवर्तन और जन हित के कार्य में लगाने -लगवाने के लिए ही मृत्यु है।रोग है।सत्य एक न एक दिन प्रकट होगा ही।
के मूल में सिवा स्वार्थ के अहम् के कुछ नहीं है। इसे सोचकर आम जनता चलेगी तो स्वार्थ,लोभी नेता चमक नहीं सकते। एक नेता के जीने के लिए हज़ारों मरते है;नेता अच्छे ,ईमानदार हो तो ठीक हैं,आजकल भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए ईमानदारी अधिकारियों को ही सजा मिलती है।यहाँ तक कि अपने हत्याचार और भ्रष्टाचार छिपाने हत्याएं भे करते हैं।ऐसे स्वार्थ नेता या अधिकारी के मानसिक परिवर्तन और जन हित के कार्य में लगाने -लगवाने के लिए ही मृत्यु है।रोग है।सत्य एक न एक दिन प्रकट होगा ही।
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