Tuesday, October 21, 2014

श्री लंका तमिल समस्या हल --निवेदन.

मैं तो वास्तविक बुनियाद समस्या नहीं जानता ;
लेकिन तमिलनाडु के नेता श्री लंका तमिलों कीदुर्दशा  पर 
चिंतित हैं; चुनाव के समय और चुनाव हारने के बाद 
तमिल मछुआरे  और  श्रीलंका तमिल की रामकहानी पर  
जोर देते हैं; उनका आरोप है कि केंद्र सरकार तमिल लोगों कीसमस्या पर ध्यान नहीं देती;
अब रह भक्शे को "भारत रत्न"कीचर्चा  हो रही है;
सुब्रह्मन्य स्वामीजी का नाव न  वापस देने की माँग पर भी .
भारत की  उत्तर सीमा पर कश्मीर केसिर्दर्द ,तो 
दक्षिण में तमिल मछुआरे और श्री लंका केतमिल लोगों  के संकट 
चिर समस्या  मोदीजी सरकार  हल कर देगी तो 
भारत की महानता और मोदीजी के प्रशासन पर चार चाँद लग जायेंगे.
दूसरी  काले धन;तटस्थ कदम   --ये  देंगे मोदीजी के शाश्वत  प्रधान पद.
आशा है,ठीक कदम उठाएंगे.

Saturday, October 18, 2014

जागो देश बचाओ


आज  की  खबरें  पढी  तो 
क्या न्याय क्या अन्याय पता नहीं.
कश्मीर हल के बिना चैन नहीं,पाक सेना.
घोटाला  डेटा लापता;
नाबालिग का अपराध माफ;
युवक का अपराध माफ ;
बुढापे केअपराध  माफ.
मुख्य मंत्री का अपराध ,उम्र की याद से स्थगित.
माफिमांगो ,लुटेरों की मालिकिन सांसद.
पियक्कड़ पुलिस ने टकराया  ,
घायल को क्या न्याय मिलेगा?
उदयकुमार कूदंगुल्म विरोधी विदेशी से धन 
केवल समाचार ,उसको चुनाव लड़ने की अनुमति 
जीतेगा तो मंत्री ,फिर माफ.
आज एक पोस्टर नीतिपति  का न्याय नहीं ठीक ,
तीन साल की बच्ची बलात्कार का शिकार;
एक वाल्पोस्त --
हमारे नेता के लिए जान देंगे ,जान लेंगे.
जान देना उनकी मर्जी ;जान लेने की धमकी 
पढ़ा और समाचार ,भ्रष्टाचार के पक्ष में लोग 
विपक्ष केलोग भोले भाले साधारण ;
पक्ष के लोग बड़े बड़े नामी वकील ,एक दिन वादा करने पांच लाख,
अप्राधी तो लोकप्रिय मुख्य मंत्री,
इतिहास में उसका नाम स्वर्णाक्षर में 
अपराधी मुख्या मंत्रियों में छूटी इक्कीस दिन में .
उनका स्वागत आतिशबाजियाँ.
काले धन  की सूची प्रकाशित  करने संकोच.
देखो; पढो; औरेक खबर 
ऐ.ये.एस .अफसर को एक दल मारता है वीडियो आधार;
न्याय प्रिय ई.ए.एस .एक साल में २४ बार तबादला. 
एक ही दिन में दो बार,
सोचो,समझो, देश में हो रहा है क्या?
जागो; देश वासियों को जगावो;
लोकतंत्र में सब राजा.
बाल अपराधी नादान -माफ;
युवापराधि जो श में --माफ;
गरीब अपराधी गरीबी --माफ ;
अमीर अपराधी ,वकीलों कातांता ,डाक्टर है देते हैं उनको मनोवैज्ञानिक रोग.
मंत्री हो तो बहु मत से जीते ल्लोक्प्रिय --माफ.
तब तो नहीं कोई अपराधी ;
उनकेअपराधों  का  सही वजह ;
सब को छोड़ो ; लोकतंत्र  में है सब केसब राजा.
यही है भारत ला.
वायदा मांगो  बीससाल तक चलाओ मुकद्दमा;
इस देरी के लाभ से  न्यायालय दोषी ;
विधान सभा में प्रस्ताव पास कराओ ;
बस साफ साफ बच जाओगे ,भला तू प्रधान मंत्री के क़त्ल में भागी हो;
गला घोंटो न्याय का; पहले धन जोड़ो; चुनाव में सबकुछ करके जीतो;
भ्रष्टाचार के समर्थन में करो प्रस्ताव पास.
राजनीतिज्ञों के अपराध  भ्रष्टाचार  माफ -माफ,
जय लोकतंत्र ,भारत का;
लोगों को भटकाओ--धर्म ,भाषा,प्रांत ,जाति,सम्प्रदाय के नाम से ;
देश की एकता तोड़ो प्रांतीय जोश बढाओ ;
पूछो तो कहो --प्रशासन की सुविधा, स्थानीय सुधार;
६७ साल कीआजादी  में भारत का हाल'
सोचो ,जागो; देश बचाओ.

Sunday, September 28, 2014

JUDGEMENT

today  I  read  SELIVI JEYALALITHA'S JUDGEMENT AND 

PUBLIC OPINIONS.
I THINK ABOUT OUR PAST HISTORY.


ALWAYS THOSE WHO ARE IN POWER 

THEY USED THEIR POWER  TO THREATEN THE 

PUBLIC  THROUGH THE CRIMINAL ACTIVITIES.WHY THE SUPPORTERS ARE BURNING  THE INNOCENT PEOPLES CAR ,STOPPING THE VEHICLES AND TRAINS.

THOUSANDS OF PUBLIC ARE SUFFERING LOT.
THIS SHOWS
THE POWER CAN DO ANY HARM TO PUBLIC.
THEY HAVE NO MERCY OR SYMPATHY ON 

PUBLIC.

IT IS NOT GOOD  IN A DEMOCRATIC COUNTRY.

RULING PARTY FOLLOWERS AND CRIMINALS ARE 

NOT CONTROLED BY POLICE.

IF POLICE AUTHORITY IS STRONG THEY CAN STOP  THESE ATROCITIES.  


THEY CAN DO WHAT THEY THINK.


ASHOK A CRUEL KING CHANGED HIS 

CHARACTER AND HE BECAME A GREAT KING.AND GOT THE NAME   "ASHOKA THE GRAT".
NOW MANY OF THE FOLLOWERS OF JEYALALITHA 

THINKS ABOUT HER STATUS NO HER DEEDS. NO O

WE NEVER FORGOT THE LUXARY OF 

ADOPTED SON'S MARRIAGE.

MORE THAN  THOSANDS OF BANANA TREES 

CUT IN THE FIELDS SHOWING HER POWER.

FROM POES GARDEN TO RAJAANNAMALAIPURAM 

I SAW ONLY THE BANANA TREES.

THE TEARS OF FARMERS NOW GAVE HER THIS 

SITUATION.

IN THIS KALIYUGA ,NOT ONLY KALIYUGA ,

IN THIS EARTH  THE CONDUCT AND CHARACTER IS 

ALWAYS RISE IT HEADS. NOT MONEY .
THE MONEY SPOILS THE GOOD MAN TO WORSTAND SPOILS HIS /HER NAME.

WE CAN NOT ESCAPE  FROM THE PUNISHMENT OF ALMIGHTY WITH MONEY OR  POWER.
HEALTH IS LOST  SOMETHING  IS LOST .
WEALTH IS LOST NOTHING LOST.
BUT CHARATER  IS LOST EVERYTHING IS LOST.

Monday, March 3, 2014

कार्तिकेयाय नमः

श्री कार्तिकेय के स्मरण से होगा दुःख दूर.

 पीड़ा हर ,कर्म फल के पाप  हर
विजय   मिलने , कार्तिक  के यशोगान  करने
पाषाण दिलपिघलने के श्रेष्ठ  शब्दों में
श्री कवच श्रेष्ठ बनने,
वल्लभ विनायक
तेरे शरण पर वंदना.

समर्पण
करुणासागर ,सुन्दराकार
अपूर्व रूप ,अति सुन्दर
अति मधुर  तप मुनि यशश्वी
अरुणगिरी  मार्ग के पामबन स्वामी
अनेकों को इस सुअवसर  पर
गुरु  वंदना समर्पण.

गुरु पद चरण श्रीपाद चरण.
सतगुरु श्रीमद दुर्गादास स्वामीजी के पदकमल में शुभाशीष के साथ
गुह वीर श्रीमद वेंकटाचल शास्त्री जी के सुआशीष सहित
कनी भारती  स्वामीजी  रचित  कुमार कवच.
कार्तिकेय कवच.
 आकार आदियंत ज्योति स्वरुप
इहपर ईश्वर के सुपुत्र
उकार षट देव गति स्वरुप
अमारषटतेयु विधि रूप
मकार षटभव षष्टि  कुमार षट कव निष्ट
षकार आदि षटाक्षर नाम मेरे कपाल की करे रक्षा.
आदि पुत्र सुन्दर शूल मेरे सर की सुविशेष करें रक्षा।
भूति पर मन्त्र शूल मेरे प्राण प्रिय से करें रक्षा.
ज्योति कर यंत्र शूल मेरे ज्ञान भरे माथा की करें रक्षा.
वेदतंत्र शूल मेरे   दो नेत्रों को सहज करें रक्षा।
इतिहास दयाशूल  मेरे दो भौंहों की करें दया सहित रक्षा.
किरणेश  पवित्र शूल मेरे नाक की करें पुनीत रक्षा।
स्तुतिवास लयशूल मेरे बढ़ती शिखा की करें रक्षा।
पति प्रिय जयशूल मेरे श्रवणेन्द्रियों  की करें मधुर रक्षा.
इसपति के भू शूल मेरे श्री मुख की शक्ति की करें रक्षा.
भूपति भाव शूल मेरे जिह्वा की करें रक्षा.
विभूति भरे शूल मेरे चिबुक की करें रक्षा.
सीपति तप शूल  मेरे बत्तीस दांत की करें रक्षा.
रूप शक्तिशूल मेरे  सम्पूर्ण अग्र भाग  की करें रक्षा.
अरूप मुक्ति शूल मेरे पिछड़े भाग की करें रक्षा.
मरुप सिद्धि शूल मेरे दाए कंधे कीबल देकर करें  रक्षा।
वरूप बुद्धि शूल मेरे बाएं कंधे की  जुटकर रक्षा करें।
ऊलव  सत्य शूल मेरे श्री छाती की कुशलता पूर्वक करें रक्षा.
जग नित्य शूल मेरे दाए हस्त जोड़ की करें प्रेप पूर्ण रक्षा.
बाल विद्या शूल मेरे दायें कलाई की करे रक्षा।
काल मध्य शूल मेरे दाए हाथ की पांच उँगलियों की करें रक्षा.

सरल दानी शूल मेरे दाए जोड़ की करें रक्षा.
स्पष्ट  उन्नत शूल मेरे दाए कलाई की करें रक्षा.
सत्य के शूल मेरे दायें हस्त उंगलियाँ की करें रक्षा.
आनंद खुशामद शूल मेरे दो पृष्ठ कर की करें रक्षा.
सीढ़ी सा ऊँचा चढ़ाने  सहायक शूल मेरे दो कंधे की करें रक्षा.
सब्र मोती शूल मेरी पीठ की करें रक्षा.
साहस के बीज-शूल मेरे श्री वक्ष की करें रक्षा.
विनम्र सिद्धि शूल मेरे श्री पेट की करें रक्षा.
नैमित्तिक अमर शूल मेरे कमर की करें रक्षा.
वैदिक कुमार शूल मेरे कमर  की करें रक्षा .
पोतिक पर्वत मकर्शूल मेरे दो अंश कण की करें रक्षा.
नैतिक मधुर शूल हमेशा नर-नारी गुप्तांग  की  करें रक्षा.
दंड प्रद अभय शूल मेरे दाए जांघ की करें रक्षा.
हानि  हर उभय शूल मेरे दाए पैर जोड़ की करें रक्षा.
कष्ट अभय शूल मेरे जांघ की सहज करें रक्षा.
सहन शक्ति  धर्म शूल मेरे बाए पैर जोड़ की करें रक्षा.

षट किरण शूल  मेरे घुटने की करें रक्षा.
दो षट बारह चतुर्शूल मेरे टखनों की करें रक्षा.
सविशेष समझके दूर शूल मेरे एड़ियों  की करें रक्षा.
श्रेष्ठ षट शूल मेरे पाद की दसों उँगलियों की करें रक्षा.
औषक अस्त्र शूल मेरे दो चरणों को चलने की शक्ति देकर करें रक्षा.
औषध शस्त्र शूल मेरे सारे शरीर की करें रक्षा.
औटक षष्टि शूल साफ मन स्मरण देकर करें रक्षा.
औषध निष्ट शूल इह-पर सुख देकर करें रक्षा.
कार्तिक मॉस में कभी दुर्सप्न डरावना सपना न आयें;
दुखप्रद बुरा सपना ,भूत -पिशाच
अघोर रक्त राक्षस डाइन न आवें तंग करने.
पृथ्वी राजशूल मनको स्पष्ट ज्ञान देकर करें रक्षा.
जिह्वा में कटु शब्द और कार्य में बाद-कर्म
पर हानी कारक सांप ,पिल्ली -शून्य दृष्टि दोष
अहित्कारक  दुखप्रद पीडाप्रद  आदि से
अभय हस्त के स्कन्द शूल मेरी रक्षा करें.
चौ  शरवण भवाय नमः  ॐ षट भव नमो नमः .
कौ वर गुण कवाया नमः  ॐ षटकव पधारो;पधारो ;
क्रौ नरगण देवाय नमः
संयम देकर शक्तिशूल करें मेरी रक्षा.
ज्ञान मोक्ष सद्गति प्राप्त करने रोड़े हैं
स्त्री सुख की कामेच्छा -अंत में बचेगा कुछ नहीं,
अनासक्त ईश्वर पर आसक्त होने जयवेल करें मेरी रक्षा.
अस्त्र-शस्त्र  नाना प्रकार के लेकर ,
अत्यंत क्रोधांगिनी से मेरे शत्रु घेरें तो आक्रमण के लिए
बिना कोई हानी के पुलु तिवक्कम  में बसे
लोकपति -लोकशासक आपके दयाशूल  करें मेरी  रक्षा।
णभव शरवतत्पुरुष शिवजी तुरत पधारिये!
लप टूट पड़नेवाले गुस्सैल वानर,कौए, उल्लू और अनेक
अचानक आक्रमण करनेवाले शेर-सिंह भालू आदि के आक्रमण से
तपवास शरवण  भव तुरत करें मेरी रक्षा।
त्रिकाल  ज्ञान शूल अष्ट दिशाओं  में वीर शैव धर्म बढने की करें रक्षा.
गिरी बालक के वज्र शूल अष्ट दिकों में मायाजाल के बल पूर्ण
बुराइयों की वीर्य से मुझे  न हो दुख.
मेरे दिल को वज्र -सा बल देकर कार्तिकेय करें मेरी रक्षा.
नृपति  कर्मपति धर्मपति स्कन्द  किरण शूल
गुरुपर गुह नकहर अक हर  कार्तिकेय
मेरे  आभ्यांतर और बाह्य  रूप -गुणों को सर्वत्र  करें रक्षा.

अली -बिच्छु -रेंगनेवाले विषैली  जंतु ,उडनेवाले विष पक्षी
सब से  कार्तिकेय करें मेरी रक्षा.
प्राण -भय  देनेवाले पंच भूतों से
अर्थात आकाश ,अग्नि ,वायु,पृथ्वी ,क्षेत्र
आदि  प्राकृतिक भय से कार्तिक के शूल करें मेरी रक्षा.
मैं तो अज्ञानी कार्य कारण नहीं जानता;
हजारों गज घेरकर प्राकृतिक कोपों से
कार्तिक का शूल करें मेरी रक्षा.
नव ग्रहों के पकड़ से कार्तिक करे मेरी रक्षा.
जिससे मैं यशोगान कार्तिक के कर सकूँ।
सर्वत्र विद्यमान कार्तिक के नामी शूल ,
मुझे सभी बीमारियों से करें मेरी रक्षा.
पित्त-वाद रक्त -शोक ,मधुमेह ,फीलपाव ,
नवद्वार के रोग इनमें से कोई मुझे पीड़ित न करें,
जन्म लेने पर जवानी ,बुढापा  आदि में भी
कोई भयंकर रोग न हो मुझे.
ह्रदय रोग,नासूर,खाज खुजली
सन्निपात ज्वर आदि  न हो;के
कार्तिक के चरण वंदना करता हूँ
ईश्वर करें मेरी रक्षा.
कार्तिकेय जग  के मूल -प्रधान
तिरुप्परंगुन्रम के क्षेत्र -नाथ ,
दयावान  कार्तिकेय के षट्चक्र स्थल तिरुप्परंगुन्रम।
मूलाधार चक्र स्थल  क्षेत्र।
तरंगों के तट क्षेत्र तिरुच्चेंदुर ,
स्वादिष्ठान् चक्र क्षेत्र  है द्वितीय।
वस्त्र हीन कौपीन से सज्जित
फल के न मिलने से क्रोध से आ बसी
ज्ञान क्षेत्र है तिरुआइनन्कुडि।
यह है मणिपूरक क्षेत्र।
गुरु उपदेश अपने पिता को ही दिए
अनाकत क्षेत्र हैं स्वामी मलै.
धर्म क्षेत्र पंचभूत बाहारी आतंरिक सब को
जितेन्द्र  बने विशुद्धि चक्र स्थल है  तिरुत्तनी।
आज्ञा चक्र क्षेत्र है पलामुदिर्च्चोलै  जहाँ
कार्तिकेय के रूप वहाँ,हज़ारों सूर्य प्रकाश सम
 ज्योतिर्मय  स्वरुप  अति अपूर्व.
ये षट चक्र के षन्मुख  मुझे  मेरी रक्षा करें.
सभी मेरे कार्य में जय प्राप्त होने दें.
हे कार्तिक! तू मेरे गुरु बन;
मेरे माँ बन ,मेरे पिता बन,
मेरे अपने सुपुत्र मान ,
मेरी भूलों को करें क्षमा.
करें मेरी रक्षा.
गुरु पद प्रणाम ;गुरु करें मेरी रक्षा.













Saturday, January 25, 2014

आरक्षण

आरक्षण  आवश्यक है  क्योंकि हमारे पुरखों ने  एक बड़े समुदाय को शिक्षा न दी.वह  वर्ग  में  गुप्त सम्बंध रखा; तमिलनाडु में मध्याह्न हरिज़न कहकर ब्राह्मण की एक जाति है.विदुर को गरीब रखा;वह दासी पुत्र बुद्धिमान निकला. माता-पिता के पाप का दंड पुत्र को भोगना पड़ेगा;दलितों में एक जागृति आई;उनकी जागृति के कारण भी उच्च जाति के सुधारवादी लोग थे;वह भी अंग्रेज़ों के आने के बाद;स्वतंत्रता संग्राम के समय .जमनालाल बज़ाज़  , गरीब रखा;वह दासी पुत्र बुद्धिमान निकला. माता-पिता के पाप का दंड पुत्र को भोगना पड़ेगा;दलितों में एक जागृति आई;उनकी जागृति के कारण भी उच्च जाति के सुधारवादी लोग थे;वह भी अंग्रेज़ों के आने के बाद;स्वतंत्रता संग्राम के समय .जमनालाल बज़ाज़  ,महात्मा गाँधी,चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और उनके अनुयायी हरीजनोद्धार कार्य में बड़ी क्रांति की;दलित जो ईसाई बने,उनको शिक्षा मिली;दलितों का संघ बना;वे मेहनती वर्ग आगे बढ़ने सुविधाएं देनी पड़ी;उनमें जो चतुर थे आगे  बढे;वे खुद अपने लोगों से दूर रहना चाहने लगे;यह तो ठीक हैं;उनको शिक्षा देकर उचित नागरिक बनाना इज़्ज़त देना अत्यंत प्राथमिक कार्य रहा. जो इनमें मेधावी है,वे आयेज आये;जैसे सभी जातियों में होता है;लेकिन इनकी सांख्या अल्प थी;इन अलपॉं में कुछ अपने को ऊँचा समझा; इनमें जो राजनीति क्षेत्र में आये वे
स्वार्थ साधने वोट बैंक के रूप में इनको उपयोग किया;आरक्षण नीति के लिये एक निश्चित अवधि चाहिये;जो स्नातक और स्नातकोत्तर बने,उनको फिर सहूलियतें न देकर,जिनकी तरक्की न हुई उनको सुविधाएं देनी चाहिये;वैसा न हुआ;सबकी समान प्रगती हो रही है;उसकी कालावधि की सीमा निर्धारण ज़रूरी  है.

तमिल संघम साहित्य की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा

 साहित्य  का आधार  समाज है. हमारे देश का इतिहास साहित्य  पर आधारित है.खासकर  तमिल संस्कृति   हमें जान ने  के लिए संघम काल के साहित्य ही प्रधान हैं. चेर ,चोला ,पांडिया राजाओं के बाद संघम की उतनी प्रधानता  नहीं  रही. राजाश्रित जमाने में तमिल साहित्य का खूब विकास हुआ.  उन साहित्यों में तमिल नाडू के लोगों की वीरता,प्यार  आदि के विवरण  मिलते हैं.संघ साहित्य  पत्तुप्पाट्टू, एटटूत तोकै   है.
इनमें धर्म  दो प्रकार से  मिलते हैं.एक  अहम्   अर्थात आतंरिक जीवन के साहित्य  और दूसरा  पुरम  अर्थात बाह्य  जीवन  के संघ साहित्य। 
संघ के गीतों  की संख्या  २३८१. इनमें  अकत्तिनै  १८६२ हैं.
अकनानूरू  ४०० गीत  नटरिनै-- ४००।         कुरुन्तोकै----४०१.    गीत       ऐन्गुरुनूरू -५००.  कलित्तोकै -  १४९ गीत।  परिपाडल --८  
                         पत्तुप्पा ट टू     -------------  ४.                                        
इन सब के अलावा पुरनारु,पतित्रुप्पत्तु मदुरैक्कांची, आदि पुरत्तिने। बाह्य जीवन। 


                         
                       

कुछ पाकर खोना है,

आत्मोत्सर्ग

By: Anandakrishnan Sethuraman on Jan 26, 2014 | No Views |
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ADD TO SPIRITUAL DIARY

आज प्रातः काल ध्यान मग्न बैठा था;


विचार आया; चुप रहूँ;




केवल मन ध्यान में लगे,;


भारतीय समय चुप रहने न दिया.


कुछ लिखने की प्रेरणा देता रहता है.




कहा जाता है -मनुष्य जनम दुर्लभ.


समाज में हमें कुछ करना है.


तभी युवकों का विचार आया;


एक युवक अपनी प्रेमिका के मुख से उसका रिश्ता "भाई" के शब्द से जोड़ दिया.


वह युवक असहनीय पीड़ा से रेल की पटरीपर कूद पड़ा.




दुर्लभ मनुष्य जन्म ,


ज्ञान चक्षु प्राप्त मनुष्य जन्म


"भाई" का पवित्र नाता सह न सका;


प्यार /मुहब्बत/इश्क /लव


ये शब्द युवक -युवतियों को


सनकी/पागलपन/बावला बना रहे है.


उनके ज्ञान चक्षु को अँधा बना रहे हैं.


उनको यह सोचने नहीं देता


"जिन्दगी कुछ भी नहीं ,


कुछ पाकर खोना है,


कुछ खोकर पाना है."


मनुष्य जीवन में अंत निश्चित है.


जन्म-मरण के बीच की जिन्दगी


हमें कुछ करने केलिए;


ज़रा सोचिये! संसार में कुछ रचनात्मक कार्य हो रहे है


तो जन्म से कोई धनी नहीं है.


धन ही प्रधान माननेवाले


बिन धन कुछ नहीं होगा सोचनेवाले


कुछ नहीं कर सकते;


धन तो केवल मनुष्य को निष्क्रिय विचारहीन बुद्धि हीन


बनाकर भ्रष्टाचार के ओर,बलात्कार की और,लाले धन की और,


स्वार्थ की ओर.अन्याय की ओर


जबरदस्त खींचकर ले जाएगा;


ज़रा गहराई से सोचिये--


कौपीन या बगैर कौपीन के साधकों ने कितना कर दिखाया ,


कितनी सम्पत्ति जोड़ी,


समाज की कितनी भलायियाँ की हैं


उनलोगों ने चमत्कार करके दिखाया है.


स्वामी विवेकानंद अमेरिका में कैसे घूमे


कैसे भटके


अब उनकी साधना विश्ववन्द्य है.


रमण की जिन्दगी केवल कौपीन से गुज़री;


तिर्वन्नामलै क्षेत्र छोड़ और कहीं नहीं गए.


उनकी सेवाएं अपूर्व;विदेशी भी उनके चरण में;


राष्ट्र पिता मोहनदास क्या धनी थे?


उनकी सेवा विश्ववंदनीय रहा;


उनकी जीवनी का चित्रपट बनाकर विदेशी मालामाल बन गया.


हमारा प्यार प्यार के संकुचित भाव से


भक्ति श्रद्धा सेवा के आदर्श व्यापक सिद्धांत की और


बदलना है.


हमें सोचना है,ईश्वर ने हमें जो कुछ शक्ति दी है,


वह मनुष्यता निभाने के लिए है.


देश हित के लिए हैं;


मानव समाज के लिए हैं;


विश्व कल्याण के लिए हैं


तभी हम "प्यार" के लिए आत्म हत्या न करेंगे.


सार्वभौमिक आत्मोत्सर्ग करेंगे;


इसी में जीवन की सार्थकता है.