Monday, December 29, 2014

वह है भगवान

 ईश्वर  को स्नान कराके ,
सुंदर आकार में सजाना,
सनातन धर्म में कब से प्रचलित?
आदि कवि वालमीकी को
ईश्वर दर्शन तो वन में मिला.
कालीदास तो मूर्ख ,
उसने सजाया या मंत्रों का
उच्चारण किया ही नहीं,
उनको कवित्व मिला.
विश्वविद्यालय की पढाई नहीं
रैट ब्रदर्स ने विमान का  किया
आविष्काऱ.

अनपढ कबीर बने  वाणी का डिकटेटर

यों ही हर एक के जीवव में प्रेरणाएँ

चतुराई होशियारी कैसे?

सोचो तो पता चलेगा..

एक गूढ तत्व से मिलती प्रेरणा़

वह है अदृश्य ़...वह है भगवान.

बदनाम

    
मैं  भी हिन्दू ,

मेरे जीवन में 

हर क्षण ,हर कर्म 

जीवन कीगति-विधि सब में 

मानता हूँ  इसमें 

भगवान का हाथ -साथ रहता है.

लेकिन 
अब  हिन्दू धर्म में 
कई नकली ठगी  लोलुप 
भोली-भाली जनता को 
लूट  रहे हैं,
इन पर सरकार नहीं लेगी कार्रवाइयाँ.

जनता को जगना है,
जगाना है 
नहीं तो हिन्दू धर्म का नाम होगा 

बदनाम.

Saturday, December 27, 2014

वहाँ नहीं शान्ति -संतोष.

गजवदन!गणपति !शिव सुत!

संकट हर!सर्व व्यापी!पीपल तले वासी !

सकल कार्य के श्री गणेश  के मूल -मन्त्र !

श्री गणेश के चरण में शरणार्थी हूँ  मैं.


आज धरा  स्वर्ग तुल्य , तेरी कृपा कटाक्ष से.

पर एक बात से खटकता दिल.

तू ने बनाया कर्म फल के अनुसार ,

क्षम -सक्षम अति क्षम अतिसय लोगों को ,

तू ने सृष्टी की है रूप -कुरूप गुणी -अवगुणी लोगों को.

इनमें तो जग में  जन्मे लोगों की भूल नहीं,

तूने सुखी लोगों के कार्य  का महत्त्व दिया; पर

अति  आकर्षक अश्लीलता माया की सृष्टि तू ने की;

उनसे बचने के ज्ञान  से  फंसाने के काम में तू तो क्षमता दी.

तेरे चरणों में यही प्रार्थना ,माया से बचने का सुज्ञान देना.

हम भी जी सके भ्रष्टाचार पाप रहित जीवन. .

Thursday, December 25, 2014

सनातन -धर्म

सनातन धर्म. …हिंदु मत

सनातन धर्म  सागर  है  तो
 हिंदु  मत  एक नाला |
नालै में  कई बुरे जंतु

जातियाँ,संप्रदाय  !.
 विदेशी
 हिंदु   एकता बिगाड रहे    हैं

नतीजा विदेशी धार्मिक देश की एकता बिगाडने तत्पर .

स्वार्थ राजनीती    विदेशी धर्मों को

अति  प्राथमिकता    दे  रही  हैं.

हिन्दुओं  को  एकता   से  सामना  करने

अपने  अस्तित्व     का  कायम  करने

एक आवाज उठानी  है --
सनातन धर्म  की जय हो.
शिव-विष्णु -राम - कृष्ण
सब  को एक मन से 
  एक होने  का  समय आ  गया|

Tuesday, December 23, 2014

सोचिये!भारतीयों!

 
भारत तो महान ,
शांतिप्रिय  पर ,
विदेशियों के रंग -रूप,
उनके सुगन्धित मामूली वस्तुओं से
मोहित भारतीय देश द्रोही,
चंदृप्यों के लिए ,
भाई -भाइयों में दुश्मनी ,
महाभारत - सा
भारतीय एकता निगालने है तैयार.
हमें न चाहिए सोना -चाँदी,

न चाहिए बाह्याडम्बर सुविधायें ,
न चाहिए विदेशी आगमन
 वह जैसा भी रूप में हो ,
न चाहिए विदेशी पूँजी ,
न चाहिए विदेशी माल,
न चाहिए विदेशी माल;
भारतीय उद्योग धंधों ,
भारतीय हस्त -कौशल ,
नाच -रंग ,गान -कविता
आदि को दें प्रधान.

"मेक इन इण्डिया"
 भारतीय हथ-करघा ,
भारतीय कृषि ,
भारत में हैं
सभी प्रकार की सम्पन्नता.
हरे -भरे खेत ,
जीव-नदियाँ
स्वार्थ मनमुटाव,जलन ,ईर्ष्या ,
लोभ ,लालच ,विदेशियों की भेद नीति ,
कर दिए  भारत का विनाश.
अब तो ज्ञान का हो गया विकास;
सोचिये!भारतीयों!चाहिए भारतियों में एकता.
त्याग,प्रेम, अनुशासन.






Monday, December 22, 2014

कृषक दिवस




आज  जग किसान दिवस ,
 ज़रा सोचना गहराई से,

संसार में भारत ही  प्राकृतिक
भूमि सम्पन्न.

खेती  प्रधान देश हमारा.

मौसम है खेती करने लायक.

धन के लिए खेती नष्टकर ,
कारखाना खोलना कहाँ  तक सार्थक.

समृद्ध भूमि ,खेती करने योग्य भूमि,

इसको  अयोग्य बनाकर ,
विदेशों के धंधों के लिए
देश में उनका निमंत्रण कहाँ तक
 बुद्दिमत्ता पूर्ण है.

लाल बहादुर शास्त्री  नारा देकर  गए --
जय -जवान ,जय किसान.
गरम-राज्य  का महत्ता बताकर गए मोहनदास जी.
हम भूल ,जो धंधा हम जानते हैं
उन्हें छोड़ विदेशी पेय के कारखाने ,
विदेशी को मेक इण्डिया के लिए बुला रहे हैं.
हाथ का मक्खन छोड़
घी के लिए विदेशी का मोहताज ;
भारत की समृद्ध भूमि को बंजर बनाना

नदियों का राष्ट्रीय करण करना

मोदी जी का प्रधान कर्म.
 जग में ऐसा देश नहीं ,जहां
सभी प्रकार के अन्ना -फल उगा सके.
अमेरिका में सब खेती बंद ;
न  वहां दवादारू इमली -नीम .
पेड़  तो ऊँचे -ऊँचे ,आज एक पत्ता नहीं,
भारत में तो देखिये ,हरे -भरे पेड़ ,
एक को पतझड़ है तो दूसरा हरा-भरा.
मौसमी फल,मौसमी सब्जियां ,
जडी-बूटियों की कमी नहीं.

आज मोदीजी को मेक इंडिया विदेशियों को
छोड़ ,भारतीय किसानों को प्रोत्साहित करना है;
नदियों  को मिलाकर राष्ट्रीय नदी-जल योजना सपना का
साकार बनना है; छोड़ विदेशी पूँजी,
भारतीयों को पूंजीपति बनाना है.
जय किसान के नारे को
प्राथमिकता देनी है.
कृषी प्रधान देश को औद्योगीकरण करना
सुदर्शन की कहानी
चैन नगर के चार बेकार के समान.
सोचिये भारतीयों!एक साथ मिलकर नारा लगाइए -
जय जवान -जयकिसान.
नदियोंके  राष्ट्रीयकरण पर.
जग कृषक दिवस पर भारत सरकार का ध्यान
भविष्य में भारत अकाल पीड़ित न हो.

अजीबो -गरीब

संसार है अजीबो -गरीब 
कोई भगवान के नाम लेकर 
नंगा घूमता है  तो 
कोई भगवान के नाम लेकर 
दान-धर्म -कर्म -यज्ञ-काण्ड के 
रूप में करोडपति बनता है.
कोयीभागावान के नाम केवल 
लूटने -लुटाने लेता है.
कोई देश की इज्जत केलिए 
जान न्योछावर करता है तो
कोई देश-द्रोही बन खुद नष्ट हो जाता है.
कोई देश-की सेवा के नाम  ठगकर 
सुख -भोगी मालामाल बनता है;
कोई भाषा के नाम लड़ता-लड़ाता-लडवाता है तो 
कोई धर्म -जाती के नाम .
शिक्षालय -देवालय में भी 
त्याग कम ,भोग ज्यादा दीख पड़ता है.
जो भी जैसा भी हो  मिट्ठी में मिलता है.
मिट्टी का भार बढाता है ;
अंत में मिट्टी में मिल जाता  है.
यह तो  संसार अजीबो गरीब .
अंत जानकर भी 
भव-सागर पार करने भटकता रहता है.