Saturday, October 31, 2015

तिरुक्कुरल

குறள் 280:
    மழித்தலும் நீட்டலும் வேண்டா உலகம்
    பழித்தது ஒழித்து விடின்.
अगजग की निंदा के कर्म न कर।
यही अनुशासन ईशवर प्रिय।
दाडी जटा बढाना बाह्याडंबर।
  अपयश के कर्म  न करना।
ऐसा रहें तो सर मुंडन या दाडी जटा बढाने की जरूरत नहीं।

Tuesday, October 20, 2015

राष्ट्रहित की योजना

मैं  बहुत सोचता रहता हूँ  कि  जग भला है  या बुरा ?
जग तो भला ही है।

पर रोज़ दैनिक समाचार पत्रों में अच्छी खबरों को छोटे अक्षरों में कहीं कोने में

बुरी खबरों को चोरी डकैती हत्या बलात्कार भ्रष्टाचार आदि ख़बरों को बड़े अक्षरों में छापते हैं;

अभिनेता और अभिनेत्री सम्बन्धी खबरे भी मोटे अक्षरों में;
न जाने संसार की भलाई करने वालों को जल्दी दंड
बुराई करनेवालों के पक्ष में बड़े बड़े लोग

उनकी रिहाई के लिए तैयार;
हाल ही में एक  किताब पढ़ी है ;
 संसार को बुराई की ओर  धकेलनेवाले केवल बीस परिवार है;
उनके ही निर्देशों के कारण बुरी खबरों को प्रधानता दी जाती हैं ;

भारत में तो कई हज़ारों सालों के पहले ही असुरों- दानवों  का ही शासन था;
उनके अत्याचारों से देव भी डरते थे;
 संसार  संकट  से कभी बचकर नहीं रहा;
सुशासक तो त्यागी रहे; राम राज्य बोलते हैं ; तो खुद राम को कष्ट झेलना पड़ा;
पत्नी की तलाश में जाना पड़ा ; भयंकर संग्राम के बाद लाई पत्नी को जंगल में छोड़ना पड़ा;
धनियों  के संतान नहीं थे ; राजा एक राजकुमारी के लिए हज़ारों को पतिहीन बनाकर अंतपुर भर रहे थे;
शिवाजी को छिपकर ही वार करना पड़ा;
मुगलों की निर्दयता और नादिरशाह का कत्ले आम तो जगविदित  कहानी है;

संक्षेप में कहें तो जनकल्याण चाहक शासक कम थे ;

वे सार्वजनिक  भलाई ,गरीबों की भलाई से यादगारों में अधिक खर्च करते थे;कर रहे हैं ;

पटेल की शिला  ठीक हैं तो उनसे राष्ट्र की भलाई करने की योजना  नदियों का राष्ट्रीयकरण उससे बढ़कर प्राथमिकता देने का विषय है;
ऐसे राष्ट्रहित की योजना में ध्यान देंगे तो भारत विश्व  आगे बढ़ेगा;




आध्यात्मिक भारत कैसा है?

हम बहुत सोचते है।
ईश्वर के बारे में।
क्या हमने ईश्वर को सही ढंग से
जाना पहचाना।
पहचानने की सूक्ष्मता सचमुच हममें है

है तो पूजा अर्चना के बाह्याडंबर को हम
बिलकुल तोड देंगे।
पर  दिन ब दिन बाह्याडंबर बढ रहा  है।
मानव मन में यह बात बस गयी  कि
बिना धन के ईश्वर संतुष्ट न होंगे।
ऐसे विचार बढते रहेंगे तो
आध्यात्मिकता केवल धनियों की हो जाएगी जैसै आदी काल से चालू है। भक्ति एक खास व्यक्ति या खास जाति की ही हो जाएगी।

Wednesday, September 30, 2015

we   are in  need of  money .

no money we can not   enjoy any thing  in the world.

why  all are not  having  enough money  or equal money .?

why all are not having  good strength.?

every thing in this  world  differs.

in  this diversity  human only  making unity themselves.

but  language differs ,religion differs ,dress  and  food differs 

अग जग को विस्मित कर के श्रद्धा पैदा कर रहा है.

भारत में सनातन धर्म जो है ,धर्म नहीं आचरण का विज्ञान है। 
सर्वशक्तिमान ईश्वर के भय से आधारित यह आचार  ऋषि-मुनियों के द्वारा  सब को मार्ग दिखाने सूक्ष्म ज्ञान के दर्शन है.

  मनुष्य को शिष्टाचार और पारिवारिक आचरण पर ध्यान दें तो सभी भगवान की पत्नी या द्वि-पत्नियाँ  होती हैं;
 धार्मिक होम यज्ञ आदि के अवसर पर पति के साथ पत्नी का रहना शुभ -लक्षण माना जाता है. 
     प्राचीन मंदिर के नियम अति स्वच्छता के आधार पर हुआ था. 

जातियों का उतना महत्त्व नहीं ,जितना ज्ञान का. 

जन्म रहस्य ऋषिमुनियों के जीवन में कहा गया कि ऋषिमूल और नदी  मूल  न देखना चाहिए. 
रामायण काल के जाति -भेद  मिटाने गुह -शबरी के पात्र हैं तो 
महाभारत में जन्म सम्बन्धी -तर्क तो आचार -विचार -और तर्क से 
कलंकित ही हैं. खासकर भीष्म के अपहरण और विचित्रवीर्य की संतानोत्पत्ति की असमर्थता, कुंती द्वारा जन्म कारण का जन्म ,
इतना होते हुए भी संयम और पतिव्रता और पत्नी व्रत का अपना भारतीय धर्म की महानता और अन्य धर्म में नहीं दर्शाया गया है. 

 मन को वश में रखने और संयम के महत्त्व  पर  ज़ोर  ,फिसलने पर 
स्वर्ग-नरक ,कर्म-फल का प्रलोभ ,भय मनुष्य को न्याय और सत्य पथ पर से खिसकने  न देते. 

     सेक्स एजुकेशन की जो चर्चा और सीख पर आजकल विचार कर रहे हैं ,उससे सौ गुणी  महत्त्व भारतीय सनातन धर्म ने ध्यान दिया है. 

 इसी  ईश्वर -ईश्वरी के बिना मंदिर नहीं है; हर मंदिर में देवी और देव की मूर्तियां  हैं. 
गोपुर और स्तम्भों में ईश्वरीय प्राकृतिक उद्वेग की सेक्स सम्बन्धी मूर्तियां हैं तो आत्म संयम के लिए माया भरी संसार  पाश से बचने के लिए    संयम बुद्धि का प्रयोग अस्थायी संसार ,अशाश्वत जिंदगी ,अस्थिर संपत्ति रोग बुढ़ापा आदि के द्वारा सद्व्यवहार की सीख पर बल दिया गया है. 
थोड़े में कहें तो मनुष्यता निभाने का मार्ग  धर्म  विशिष्ट है,इसीलिये 
प्रलोभन ,डराने  धमकाने के अन्य धार्मिक हमलों के बाद भी सनातन धर्म की  अपनी  विशेष प्रगति अग जग को विस्मित कर के श्रद्धा पैदा कर रहा  है. 

Sunday, September 27, 2015

lead life peacefully.

where is God?  simple reply

 from a child ---in temple.

from parents  --family God.

home guard God-

village God 

nativeGOd -- --


forest guard god --

shaivate God -

vaishnavite God -

common God -

creating God 

protecting God 

life taking God 

God for medicine ,
God for Eye treatment 
God for summer 
when you Got wisdom --God is shapeless 
  it is the   greatness of hindu  religion .
we cannot  say or guide  this is a god to remove all distress.

 In university  many departments.

in the earth water taste differs .

soil differs. 

one mango but variety of mangoes  and taste.

holy places are having herbals and trees  which  differ from each pilgrim centre.

think,--the hindu religion, a scientific religion ,  it cures scientifically 
   all mental ,physical ,social  and many problems  in day to day life.
it is a occean who dives deeply they get pearls ,gems  of thoughts to lead life peacefully.




मेरा तनिक भी मन नहीं लगता।

ईश्वर के नाम तोड़ फ़ोड़  करनेवाले इन्सान  नहीं,
इंसान के नाम के शैतान है  वह.
 
 
मनुष्यता नहीं हैं इसलिए मारता है मनुष्य को निर्दयता से  मज़हब के नाम से। 
 
 
बीस हज़ार  तीस हज़ार की मूर्ति बनाकर  समुद्र में विसर्जन करता हैं;
 
ज़रा सोचो ; मार् कर ईश्वर को अगले साल के लिए बुलाता है;
 
कितने भूखे नंगे अनाथ लोग है संसार में ,
 
उनकी चिंता तो हमें  नहीं,
 
एकता  दिखाते हैं  करोड़ों रुपयों के बुत  बनाकर फेंकने में ;
 
दया नहीं ,ममता नहीं ,मायाभरी भक्ति ,इसमें मेरा तनिक भी मन नहीं लगता।