Friday, January 15, 2016

तिरुक्कुरल --प्रार्थना ७ to १०।

तिरुक्कुरल --प्रार्थना ७ to १०। 


७. 

तनक्कूवमै  इल्लातान ताल सेरंतार्ककल्लाळ 

मनक्कवलै  माट्रल  अरितु। 

मनुष्य   से  श्रेष्ठ  ईश्वर जिनका उपमेय उपमान नहीं हैं ,
उनके पादों के चरण  स्पर्श कर उनकी ही याद में 

रहनेवाले ही निश्चिन्त रह सकते है; उनका स्मरण न तो 
पीड़ा दूर होना  असंभव है. 

८. 
अरवाली  अंदणन ताल सेरन्तारक्कल्लाल   
पिरवाली नीत्तल अरितु। 

वे ही सुखी और धनी हैं जो  धर्माधिकारी ईश्वर के स्मरण में जीते हैं. 
उनका ही जीवन बनेगा सार्थक। दूसरोंको आर्थिक और अन्य सुख नहीं मिलेगा. 
९. 
कोलिल पोरियिन गुणमिलवे एण गुणत्तान 
तालै वनंगात तलै। 
पंचेन्द्रिय काम नहीं करता तो जो  बुरी दशा सिर  को होगी. 
वैसी ही दशा उनकी  होगी  जो ईश्वर  का ध्यान नहीं करता। 

१०. 
पिरविप्पेरुंगडल  निन्तुवर नींतार  
इरैवण आदि सेरातार। 
जो ईश्वर के चरणों में शरणार्थी बनते हैं  ,उनका जन्म ही सार्थक होगा. 
वे सांसारिक सागर पार करने में विजयी होंगे. अन्य नहीं पार कर सकते. 

 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 









२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 


 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 



















Tuesday, January 12, 2016

तिरुक्कुरल --1 to 6-- praarthnaa प्रार्थना

 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 









२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 


 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 

 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 









२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 


 तिरुक्कुरल 

तिरुवल्लुवर  तमिल भाषा के साहित्य का सूर है.
          उनके तिरुक्कुरल का अनुवाद
 संसार की प्रमुख भाषा में हो चुका  है. 
हाल  ही में गुजरात भाषामें भी हुआ  है. 

एक ही ग्रन्थ के कई अनुवादक
अपनी अपनी शैली में 
      काव्यात्मक अनुवाद और गद्यानुवाद
कर चुके हैं। 
कर रहे हैं।
 मैं भी अपनी शैली में
लिखने की कोशिश कर रहा हूँ.

पहले कुछ अध्याय कर चुका। 

मेरा अनुवाद सिलसिलेवार  नहीं है.
अब अपने   अनुवाद ग्रन्थ को  सफल बनाने में 
श्री गणेश से प्रार्थना करता हूँ। 

प्रार्थना 
१। अकरा मुतल एलुत्तु  एल्लाम आदि 
भगवन  मुतट्रे उलकु।

अक्षरों का आदि अक्षर "अकार " है. 
वैसे ही संसार का आधार भगवान है. 

२. 
क ट्र तनाल आय  पयनेन  कॉल वालारीवन 
नट्रॉल  तोलार्  एनिन. 
पवित्र ज्ञान स्वरूपी ईश्वर के चरण स्पर्श करके 
वंदना न करें तो सीखी शिक्षा से लाभ क्या ?
३. 
मलर  मिसै एकीनान  माणडी  सेर्नतार  
निलमिसै  नीडु वॉल्वार। 

भक्तों के ह्रदय कमल में विराजमान ईश्वर के चरण 
चिर वन्दना  करनेवाले शाश्वत सुख पाएँगे।
४. 
वेंडुतल  वेंडामै  इलानडी  सेरंतारुक्कु  
याण्डुम  इडुम्बै  इल.


इच्छा -अनिच्छा रहित तटस्थ  ईश्वर के जप तप में लगे 
ईश्वर चरणार्ति  को कोई दुःख कभी नहीं है. 
५. 
इरुल सेर   इरुविनैयुम  सेरा  इरैवन  

पोरुल सेर पुकल  पुरिन्तार  माट्टु. 

भगवान के सच्चे यश चाहनेवाले ,
भगवान से प्यार करनेवाले  की 
अज्ञानता  की गलतियों से होनेवाले 
सुकर्म -दुष्कर्म के फल  का कुछ  प्रभाव न पड़ेगा. 

६. 
पोरिवाईल  ऐन तवित्तान  पोयतीर् ओलुक्क
नेरी निनरार  नीडुवालवार। 

पंचेंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ईश्वर की स्तुति करनेवाले 

अनुशासित लोग जग में लम्बी उम्र जिएँगे। 







तिरुक्कुरल ---२. वान चिरप्पु ---वर्षा  की विशेषता। 


  १, वर्षा के होने  से संसार जी रहा है; अतः वर्षा अमृत-सम है;

२.  वर्षा अनाज और अन्य खाद्य -पदार्थों की उत्पत्ति करती है; प्यासे का प्यास बुझाती है। 
३. वर्षा न होने पर समुद्र से घेरे इस संसार के लोग भूखे रहेंगे। 

४. वर्षा  न हुयी तो किसान हल लेकर खेत  न जोतेंगे।. (परिणाम संकट में लोग. महंगाई )

५. बिना बरसे बिगाड़ेगी वर्षा  जन  जीवन को; यो ही बरसकर सुखीबनायेगी वर्षा।

६.. वर्षा की बूँदें आसमान से न गिरेंगी तो घास तक न पनपेगा ; न होगी हरियाली।

७. मेघ  समुन्दर के पानी लेकर भाप बनाकर न बरसेगा  तो समुद्र भी सूख जाएगा।

८. वर्षा न होगी तो  ईश्वर की पूजा आराधना ,मेला उत्सव ,दैनिक पूजा पाठ सब बंद हो जाएंगे. 

९. वर्षा न होगीतो  संसार में दान -धर्म काम भी न चलेगा।  

१०. बड़े बादशाह हो अर्थात सम्राट हो ,जितना भी महान हो ,पर  वर्षा न होने पर जीना दुश्वार हो जाएगा। अनुशासन न रहेगा।  सभी दुष्कर्म होने लगेगा। 




तिरुक्कुरल ---२. वान चिरप्पु ---वर्षा  की विशेषता। 


  १, वर्षा के होने  से संसार जी रहा है; अतः वर्षा अमृत-सम है;

२.  वर्षा अनाज और अन्य खाद्य -पदार्थों की उत्पत्ति करती है; प्यासे का प्यास बुझाती है। 
३. वर्षा न होने पर समुद्र से घेरे इस संसार के लोग भूखे रहेंगे। 

४. वर्षा  न हुयी तो किसान हल लेकर खेत  न जोतेंगे।. (परिणाम संकट में लोग. महंगाई )

५. बिना बरसे बिगाड़ेगी वर्षा  जन  जीवन को; यो ही बरसकर सुखीबनायेगी वर्षा।

६.. वर्षा की बूँदें आसमान से न गिरेंगी तो घास तक न पनपेगा ; न होगी हरियाली।

७. मेघ  समुन्दर के पानी लेकर भाप बनाकर न बरसेगा  तो समुद्र भी सूख जाएगा।

८. वर्षा न होगी तो  ईश्वर की पूजा आराधना ,मेला उत्सव ,दैनिक पूजा पाठ सब बंद हो जाएंगे. 

९. वर्षा न होगीतो  संसार में दान -धर्म काम भी न चलेगा।  

१०. बड़े बादशाह हो अर्थात सम्राट हो ,जितना भी महान हो ,पर  वर्षा न होने पर जीना दुश्वार हो जाएगा। अनुशासन न रहेगा।  सभी दुष्कर्म होने लगेगा। 










































Monday, January 11, 2016

मन में कुछ नहीं

मन   मानता है या नहीं
अपनों के लिए
अपने खून के रिश्तों केलिए
अपनी दोस्ती निभाने के लिए
अपने प्यार के लिए
अपने स्वार्थ साधनके लिए
मानव भले बुरे कार्य में लग जाते हैं
भले अनुयायी भले मार्ग के प्रचार में।
बुरे अनुयायी बुराई के प्रचार में
ऐसे भी है कुछ पिछलग्गु
भले बुरे के मिश्रित प्रचार में।
तीसरों के कारण बनता बिगडता संसार।

निराला

भारत निराली
भारतीय ता निराली
भारतीय भाषा भेद निराले
भारतीय  आध्यात्मिक सिदःधांत निराले।
भारतीय भक्ति धारा निराली।
भारतीय पतिव्रतता निराली।
जवहर व्रत सति प्रथा निराली।
  वेद गीता उपनिषद ग्रंथ निराले।
दिगंबर महावीर निराले।
  राजा के मन पसंद राजकुमारी लाने
मरने वाले  वीरों का त्याग निराले।
धन को तुच्छ समझने के साधु संग निराले।
आचार्यो के आश्रम में स्वरण सिंहासन निराले।
हमारी तो बातें ही निराली।
ईश्वरों के सहस्र नाम निराले।
जाति '-धर्म.संप्रदाय भेद निराले
भक्तों के विभिन्न तिलक निराले।
मंदिर निराले, मंदिरों के निर्माण निराले।
ईवशवरीय आभूषण  निराले।
सभी बातें निराली।
विदेशी पूँजी भारतीयों  की बाते ंनिराली।

मतवाला

मैं  हूँ  मतवाला

मत देने तैयार नहीं
चंद चाँदी  के टुकडों के लिए।
भ्रष्टाचारियों का खुशामद नहीं करता।
रिश्वत का विरोध करता हूँ।
सत पथ पर चलता हूँ।
दोस्तों के साथ चला। छला।
अब पछताता हूँ।
सुधर गया। 
एकांत  में ईश्वर भजन में लगा रहता हूँ।
नाते -रिश्ते  कहते हैं मैं हूँ मतवाला ।
मत  मेरे समझते नहीं ,मैं हूँ मतवाला।
सत्य का, धर्म का, दान का।

विश्वास

हमें.विश्वास है , जग की अनित्यता पर।

विश्वास है   जन्म मरण की शाश्वत पर।
जवानी बुढापा रोग मृत्यु पर।
फिर भी आश्चर्य मनष्य को
सांसारिक चाहे सताती है।
लोभ स्वार्थ  भ्रष्टाचार बलात्कार
मिटाने कितने साधु कितने फकीर
कितने देवदूत चीख-चिल्लाकर
वेद उपनिषद कुरान बाइबिल 
पढनेवाले भी करते है
अत्याचार अन्याय भ्रष्टाचार काले धन
इसका अंत आगे होगा वायु,जल,भूकंप,प्रदूषण से।

Sunday, January 10, 2016

निराली

भारत निराली
भारतीय ता निराली
भारतीय भाषा भेद निराले
भारतीय  आध्यात्मिक सिदःधांत निराले।
भारतीय भक्ति धारा निराली।
भारतीय पतिव्रतता निराली।
जवहर व्रत सति प्रथा निराली।
  वेद गीता उपनिषद ग्रंथ निराले।
दिगंबर महावीर निराले।
  राजा के मन पसंद राजकुमारी लाने
मरने वाले  वीरों का त्याग निराले।
धन को तुच्छ समझने के साधु संग निराले।
आचार्यो के आश्रम में स्वरण सिंहासन निराले।
हमारी तो बातें ही निराली।
ईश्वरों के सहस्र नाम निराले।
जाति '-धर्म.संप्रदाय भेद निराले
भक्तों के विभिन्न तिलक निराले।
मंदिर निराले, मंदिरों के निर्माण निराले।
ईवशवरीय आभूषण  निराले।
सभी बातें निराली।
विदेशी पूँजी भारतीयों  की  मेहनत बाते निराली।
यथार्थवादी बहुजन विरोधी।
वसुदैव कुटुंबकम् ।
सकल जगताम सुखिनो भवंतु।
जागो ! भारतीयो के व्यवहार निराले।