Saturday, April 30, 2016

प्रतिबंध टूटना --काम -- तिरुक्कुरळ -१२५१ से १२६०

प्रतिबंध टूटना--काम-   तिरुक्कुरल -१२५१ से १२६०

१. लज्जा की सुरक्षित कुंडी को  कामेच्छा का आरा तोड. देता  है.

२. सब के सब आराम की  नींद सो रहे  हैं, तब. बेरहमी बनकर कामेच्छा मेरी नींद को भंग करती  है.


३. जैसे  छींकने को हम रोक नहीं  सकते  वैसे ही कामेचछे को रोकना  हमारे  वश. में  नहीं है. प्रकट ही होती  है.

४. मैं सोच रही थी मन मेरे काबू  में है, पर कामेच्छा मेरे दृढ विश्वास को तोडकर प्रकट हो ही  जाती  है.

५. निर्दयी  प्रेमी के छोड. जाने  के  बाद. भी  मन को निमंत्रण में  रखने  की शक्ति प्रेमियों में नहीं  है. मन प्रेमी को भूलती नहीं  है.

६. प्रेमी मुझसे  घृणा करके  चले  गये. फिर भी  दिल  उनके पीछे चलता  है तो  मन. की  स्थिति के बारे  में क्या कह सकते  हैं.

७. प्रेमी  की इच्छाओं  को पूरी  करते  समय  लज्जा  नामक  एक  गुण   नदारद  हो  जाता  है.

८. स्त्रीत्व के आरक्षण को चोर प्रेमी के माया भरी वचन  तोड देते  हैं.

९. रूठकर  वापस. आने  प्रेमी  से मिलने  गई  पर कामाधिक्य  के कारण  संभोग. करना ही पडा.

१० चर्बी  को आग में डालने  पर  पिघल जाना  उसका गुण  है ,वैसे  ही संभोग के आनंदानुभव  के बाद रूठना असंभव. है.

स्वगतभाषण ---काम--तिरुक्कुरल ---१२४१ से १२५०

स्वगत भाषण -- काम -- तिरुक्कुरळ - १२४१से १२५०

१. हे दिल!   मेरे प्रेम रोग असाध्य. है.  उसे चंगा  करने एक दवा का पता लगाकर देना .

२. अपने  दिल  को संबोधित करती  हुई. प्रेयसी  कहती  है
 कि  प्रेमी तो भूल गये ,पर हम उनकी याद. में  है. सचमुच. दिल! तू बडा  है.


३. विरह वेदना  में तडापाते वे छोडकर. चले  गये. हे दिल ! उनको  सोचने  से  क्या लाभ. उन्हीं के कारण यह रोग आ गया  है.

४. हे  दिल! जब तू प्रेमी की याद. में  चलता  है, तब आँखों को  भी  साथ. ले  चल. नहीं तो उनको देखने के  लोभ के  कारण वह मुझे  ही खा  लेंगी.

५. दिल ! वे मुझसे  प्रेम नहीं करते   !नफरत. करते  हैं  यों सोचकर  क्या हम. उसको  भूल. सकते हैं? कभी नहीं.

६. हे दिल ! उनसे  मिलते समय बहुत खुश होता था,कभी तूने  नाराज न होता  था. अब का  नाराज. तो झूठा ही है  न!.

७.मेरे  दिल!  एक तो  कामेच्छा  छोड दो या   लज्जा  छोड  दो. इच्छा  और. लज्जा दोनों  सह नहीं सकता.

८.  बेरहमी  से प्रेमी छोडकर. चले गये . उनके  पीछे  ही  जानेवाला  मेरा मन बुद्धू  ही  है.

९. हे दिल ! प्रेमी  तो तुममें ही  है , उनकी  तलाश में कहाँ बाहर ढूँढ रहे  हो.

१०. प्रेमी तो न चाहकर चले  गये  फिर भी  मन  उनकी   ही  याद. में  दुखी  है और. तन  दुबला  पतला  हो  रहा  है.





तिरक्कुरळ -काम- अंग थकना\ शिथिल -१२३१ से १२४०

  तिरुक्कुरल - काम-अंग का थकान - १२३१ से १२४०.

१. प्रेमी  के बहुत दिन के  न आने  से  विरह वेदना  में मेरी  आँखों    शोभा  खोकर

फूलों के  आगे  लज्जित हो  गईं .


२. आँखें  पीली  पडकर दूसरों  से  कह रही  हैं  कि मैं विरह. वेदना  से  पीडित. हूँ.

३. जो बाँहें  मेरे पति के संग में फूली थीं,  वे आज  विरह वेदना  के  कारण फीकी  पड गयी. मेरी विरह. वेदना प्रकट कर . रही  है.

४. विरह वेदना  में हाथ  इतने दुबले हो गये  कि चूडियाँ गिर रही  हैं.  ऐसा  लगता  है  कि  मेरी  विरह वेदना को
दूसरे लोगों को दिखा  रहे  हैं.

५. मेरी  सुंदरता पीली पड गई. हाथों . के  दुबले होने  से  चूडियाँ गिर गई . मेरी अपनी विरह वेदना दूसरों को बता  रही  हैं.

६. मेरे दुबले -पतले शरीर और हाथ. देखकर. दूसरे  बता  रहे  हैं  कि मेरे  प्रेमी निर्दयी हैं.
दूसरों  के  मुख. से  मेरे प्रेमी  क़ा  बेरहम. कहना मेरे  दुख बढा रहा  है.

७. मेरे दिल! उन. से मेरी दीनावस्था  प्रकट करके बताओ. कि लोग तुम. को क्रूर  कह. रहे  हैं. मैं अति दुखी  हूँ.

८. प्रेयसी  से आलिंगन के हाथ ढील होते ही उसके चौडी माथा  पीली पड गया. वह जरा  सी अलग  होना भी सह . नहीं  सकती.

९. कसकर गले  लगाते  समय. बीच. में  हवा  के  प्रवेश के कारण अलग होने के  विचार. से उसकी  आँखें  फीकी  पड गयी. लंबा  बिछुडन वह. कैसे  सहेगी


१०. सुंदर माथे के फीका  पडते  देख. प्रेयसी  की  आँखें  भी पीली पडकर शोभा  को चुक. वह कैसे  दीर्घ. कालीन. विरह सहेगी.

१०.

Friday, April 29, 2016

तिरुक्कुरळ --संध्या का विलाप-काम भाग-१२२१से१२३०

 तिरुक्कुरळ --संध्या  का  विलाप-काम भाग-१२२१से१२३०

१. प्रेमी  से बिछुडकर रहने से  संध्या! तू  महिलाओं केप्राण लेने  के  लिए. आते  हो.

२. अंधकार लानेवालेी संध्या! कया तेरे प्रेमी  भी मेरे प्रेमी  की  तरह निर्दयी है ?

३.मेरे  प्रेमी  के रहते  संध्या !तू डरती हुई  पीला  पडकर आई थी. अब मैं  विरह. वेदना  से दुखी हूँ, तेरा  आगमन. मेरा दुख बढा रहा  है.

४. प्रेमी के न होने से  संध्या  मेरी  हत्या करने आ रही  है.

५. शाम को प्रेमियों का दुख. बढ रहा  है. हमने दिन के हित में क्या किया  है? संध्या  के अहित मं क्या किया  है ,पता  नहीं  है.

६.  मेरे  प्रेमी  के बिछुडकर जाने  के  पहले अनुभव. नहीं किया कि संध्या बहुत दुखप्रद. है.

७. काम का  रोग. दिन. में कली  के रूप. में है और शाम को विकसित होकर फूल बन  जाती  है.

८. पहले  ग्वाले  के बाँसुरी की ध्वनी मधुर. लगती थी. अब. प्रेमी  के बिछुड. जाने  से  गवीले की  मुरली आग बनकर मेरी हत्या करने आनेवाली सेना  की  तरह कष्ट दे  रहा  है.

९. बुद्धि भ्रषट करनेवाली  संध्या  मुझे ऐसा  लगता  है  कि सारे शहर. को  दुख दे रही  है.

२०.
मेरे प्रेमी के बिछुडते  ही  संध्या  की माया मुझे  दुख देकर. मार. रही  है.

स्वप्न दशा - तिरुक्कुरल- काम -१२११_-१२२०



१. जब मैं विरह वेदना  में  तडपकर सो गई , तब पति के दूत बनकर  स्वप्न आया .उस स्वप्न की कृतग्ञ था कैसे पूरी करूँ?

२. मेरे  काजल. लगे  मीन लोचन  सो गये तो स्वप्न में आनेवाले  अपने  पति  से  कहूँगा  कि मैं अब. तक जिंदा हूँ.

३. याद में तो प्रेमी  नहीं  आते. यादें दिन में सताती है. याद से स्वप्न बढिया है, स्वप्न में प्रेमी प्रत्यक्ष आता है. प्रेयसी स्वप्न दशा  में  ही रहना चाहती है.

४. प्रेमी  तो प्रत्यक्ष नहीं आते  हैं. प्रेम दिखाते नहीं है, पर स्वप्न में आते  हैं  तो स्वप्न में ही  दांपत्य सुख मिल जाता  है.

५. प्रेमी  को प्रत्यक्ष देखने  में जो खुशी मिली , वही खुशी स्वप्न में देखते समय मिलती है.

६.  यादें न. आती  तो स्वप्न में देखे प्रेमी को स्वप्न न टूटा  तो  देखती सुखानुभव करता रहता.

७. याद में प्रत्यक्ष न. आकर स्वप्न  में आकर क्यों सताता रहता है ?

८.  नींद में स्वप्न में प्रत्यक्ष आकर प्रेमी ने सुख देकर. कहीं नहीं गये. नींद. के  टूटते  ही  मेरे हृदय. में बस गये. 

यादों के विलाप --तिरुक्कुरळ -काम भाग -१२०१ से १२१०

यादों के विलाप - तिरुक्कुरळ - काम भाग - १२०१ से१२१०


१. मधु  तो पीने के बाद ही नशा चढाता  है.सोचते  ही आनंदोल्लास देनेवाला   काम  मधु  से  अधिक  सुखप्रद. है.

२.मुझसे प्रेम करनेवाले प्रेमी के बिछुडने  से भी काम. की इच्छा   यादों की लहरों में  आनंद ही दे रहा  है. 

३. छींक  का  आना  रुक गया है, अर्थात प्रेमी  याद करके भूल गया  होगा. 

४. मेरे  दिल में जैसे प्रेम. की  यादें हैं , वैसे ही उनके  मन. में  मेरी यादें होंगी ही.

५. प्रेमी  उनके  दिल. में  मुझे स्थान नहीं दिया. पर. मेरे दिल में रहने का संकोच उनको  नहीं है क्या ?

६. चंद. दिन. मैं अपने  प्रेमी के साथ मिलजुलकर रह चुकी हूँ. उन दिनों  की  याद. करके  जिंदा  हूँ ,नहीं तो कैसे  जी सकती हूँ .

७. हमेशा याद रखने से  भी  विरह वेदना  बढ. रही  है. भूल जाती तो मेरी  दशा क्या  होगी.
८. मेरे प्रेमी  की याद में रहने  से  वे मुझपर क्रोध नहीं  होंगे.वही मेरे लिए उनकी  मदद. होगी.

९. प्रेमा कहा करते थे  कि दोनों शरीर. से  भिन्न है, पर जान तो दोनों  की  एक. है. पर वे  अब भूल गये,यह. बात मुझे बहुत. दुख. दे  रहा है.


      १०.  प्रेयसी  चंद्रमा से कहती  हैं  कि  मैं अपने बिछुडे प्रेमी  की  तलाश में  हूँ , अतः उनको  देखने  के  लिए ओझल न होना ,प्रकाश देते रहना.


तिरक्कुरळ- काम भाग- एक पक्षीय प्रेम --११९१ से १२००

 तिरुक्कुरळ -काम भाग- एक. पक्षीय  प्रेम-११९१ _--१२००

१. जिससे  प्नेम  हो गया ,  उसका प्रेम मिल गया  तो मतलब है , बीज रहित फल मिल गया.     निर्विघ्न प्रेम  मिल गया.

२.  प्रेमी  का प्रेम   उचित. अवसर. पर.  मिलना,    मौसमी वर्षा के  समान है जो जीने के लिए  अत्यंत आवश्यक. है.


३. प्रेमी सदा साथ रहने  के निश्चित बंधन में  ही  जीवन का बडप्पन है.

४. प्रेमी द्वारा घृणित नायिका  सुकर्म का पात्र नहीं  है.

५. जिससे हम प्रेम करते  हैं ,  वे प्यार. न. करें तो कोई सुख नहीं मिलेगा.

६. एक पक्षीय  प्रेम से कोई सुख न मिलेगा. काबडी के भार के समान दोनों पलडे एक ही होना जरूरी  है.

७. एक पक्षीय प्रेम में काम की पीडा को प्रेमी महसूस नहीं करेगा. प्रेमी का विवर्ण होना समझेगा नहीं'

८. अपने बिछुडे प्रेमी  से प्यार का मधुर शब्द  न प्राप्त नायिका के समान असहनीय दुख झेलनेवाली और कोई नहीं हो  सकती.

९. प्रेमी का प्यार. न. मिलने  पर. भी प्रेमी की प्रसिद्धी और प्रशंसा  के शब्द प्रेमिका को सुखप्रद ही रहेगी .