Sunday, May 1, 2016

रूठने में आनंद -- काम - तिरुक्कुरळ - १३२० से १३३०



  रूठने  में  आनंद -- काम - तिरुक्कुरळ - १३२० से   १३३०
१. बिना  किसी  कारण के प्रेमियों में   रूठना  भी  आनंदप्रद. है. और प्रेम  अधिक होगा  ही।  

२.  प्रेयसी  कहती  है  कि  रूठने  के कारण  प्रेम जरा  घटने  पर   भी    आनंददायक ही  हैं .

३. पानी -मिट्टी जैसे  मिलकर  रहती  है , वैसे  ही   प्रेम में एकता  होने पर भी  जरा -सा  रूठने से होनेवाला  सुख देवलोक  में भी नहीं  मिलेगा.

४. प्रेमी  के आलिंगन  सदा कसकर रहने में रूठना ही साथ  देता  है. प्रेयसी कहती है कि रूठना प्रेम लूटने की शक्तिशाली  सेना  है.

५. कोई  गलती  के  न होने पर भी प्रेयसी  का रूठना अच्छा  ही  लगता  है.

६. भोजन करने  से जो भोजन खाया है , वह पच जाना ही  सुख. है.    उसी प्रकार प्रेम मिलन. में  रूठना  आनंददायक. है

७.
रूठ. के  मधुर. युद्ध. में जो  हार जाते  हैं 'वे ही  विजयी हैं. यह सच्चाई संभोग के बाद मालूम.होगा.

८. माथे पर पसीने निकलने  के  मिलन. सुख. को  रूठने  के  बाद. ही  महसूस कर सकते हैं.

९. प्रेयसी का रूठ   अधिक होने  के  लिए रात लंबी होनी चाहिए ,वही प्रार्थना है.

१०. कामेच्छा को आनंद   देने  में  रूठना  सहायक  ही  है. रूठने के बाद का आलिंगन और संभोग ही आनंद की चरम सीमा है.

बहाना बनाना-तिरुक्कुरळ -- काम - १३११ से१३२०

    बहाना बनाना-तिरुक्कुरळ -- काम - १३११  से१३२०

१.  प्रेयसी  प्रेमी  से   बहाना बनाती है कि  स्त्रियों   को  तुम आम संपत्ती मानकर सब को घूरकर. देखते  हो. इसलिए मैं तेरी छाती से गले  नहीं  लगाऊँगा.

२. प्रेयसी  कहती  हैं  कि मैं उनसे  रूठी  थी. तब प्रेमी  झूठी छींक छींकने लगे कि मैं कहूँगी कि दीर्घायुष.
क्या मैं कहूँगी न हीं.

   ३. प्रेमी  कहता  है  कि एक दिन फूल गूँथकर  उसकी  चोटी  पर रखा तो वह यह कहकर रूठी  थी  कि  और किसी को लुभाने मैंने  ऐसा  किया  था.

४.
प्रेमी ने कहा  कि और. दूसरों से मैं तुझसे  अधिक. प्यार करता  हूँ. तब वह रूठने  लगी कि औरों से माने

 और दूसरी  से प्यार करते  हैे ?

५.  प्रेमी  ने  प्रेयसी  से कहा  कि इस जन्म में  मैं  तुमसे  बिछुडूँगा नहीं, तब प्रेयसी रूठकर वेना  के आँसू  बहाने लगी  कि  अगले  जन्म. में  बिछुड जाएँगे क्या ?

६ . प्रेमी  ने प्रेयसी  से  कहा  कि  मैंने तुमहारे बारे में सोचा ,तब प्रेयसी रूठने लगी  कि तुमने  मुझे भूलगये ; इसलिए सोचा  है . यें ही वह बगैर. आलिंगन के रूठ गयी.

७. प्रेयसी   ने मैंने छींका तो बधाइयाँ दी. फिर संदेह प्रकट करके पूछा  कि तुम और. किसकी याद. में  हो. रूठकर  रोने लगी.


८. प्रेयसी रूठेगी  सोचकर. छींक दबाया  तो वह रूठने लगी कि किसी  की याद छिपाने के लिए
छींकने को रोका क्या?

९. प्रेयसी के क्रोध दूर. करने  दुलारने लगूँ  तो तब भी  वह रूठती थी  कि अन्य महिलाओं के  साथ भी ऐसा  ही व्यवहार करोगी  क्या ?

१०. प्रेयसी की  अनुपम  सुंदरता  देखकर.  घूर कर देखती  तो  रूठती थी  कि   किसकी तुलिना करके ऐसे देखते  हैं. 

जिद्दी /हठ--- तिरुक्कुरळ - काम १३०१ से १३१०


जिद्दी /हठ--- तिरुक्कुरळ - काम १३०१  से १३१०
१.प्रेमी  के आलिंगन से थोडी देर   रोकेगे  तो तुम्हारे   रूठने के दुख प्रेमी कैसे  अनुभव करते  हैं  उसे   थोडी  देर  तक   देख सकती  हो.

२. रूठने और प्रेम मिलन की देरी भोजन. में नमक के  समान   थोडी ही होनी  चाहिए.
वह. देरी  लंबी  होने  पर. जैसे भोजन में  नमक बढने  पर अच्छा  नहीं लगेगा ,वैसे ही काम बिगड जाएगा.

३. हम. से  रूठनेवालों के रूठ को जल्दी आलिंगन  करके दूर न. करेंगे  तो
दुखी को और दुख बढाने  के  समान  हो जाएगा.

४. क्रोधी प्रेम के क्रोध को दूर करने  का प्रयत्न न करना और प्रेम  न दिखाना पहले ही सूखी

लता को जड से नष्ट करने  के  समान है.

५. अनुशासित  प्रेमी की शोभा  तभी बढती  है , जब कुसुम -सी  सुंदरी  उनके व्यवहार. से  रूठती  है.

६. प्रेम में . रूठ  छोटी - बडी  न  होने पर,   काम अति  पके  फल  के  समान  या  छोटे कच्चे फल के समान  बेकार. हो  जाएगा.

७. संभोग का समय  लंबा होगा या छोटा , यह. सोचकर  रूठने  में भी वेदना बढेगी ही.

८. हमारी वेदना को समझने ,जाननेवाले प्रेमी  न रहने पर दुख होने से क्या लाभ  है.

९. छाया  के  नीचे रहनेवाला  जल ही ठंडा  रहेगा. वैसे  ही रूठ में ही प्रेम आनंदप्रदायिनी है.

१०. रूठी प्रेयसी को खुश प्रदान न करके वेदना बढानेवाले प्रेमी  से प्रिय मिलन. की  चाह
 के कारण चाह. ही  हैं. चाह. ही दुखों  के मूल है.



उलाहना -तिरुक्कुरळ -काम - १२९१ से१३००

उलाहना -तिरुक्कुरळ -काम - १२९१ से१३००

१. अपने दिल से  प्रेयसी  कहती  है  कि  प्रेमी का  दिल  मझसे प्रेम नहीं करता, दिल में मेरी याद. नहीं  है  तो तुम उनको  अपने  दिल. में  रखकर क्यों गलते रहते हो?


२.हे दिल ! तुझे मालूम. है  कि  वे मुझसे प्रेम नहीं करेंगे. फिर भी उनकी याद में ही क्यों उनका  पीछा  करते  हो?

३. हे दिल ! तुम अपनी इच्छा  के  अनुसार उनका  पीछा करने  के कारण यही  होगा  कि दुख में कोई. साथी  न मिलेगा.

४. हे दिल! तुम  रूठकर उसके फल नहीं भोग. सकते ; अतः रूठ की सलाहें  तुमसे  नहीं लूँगी.

५. हे दिल! मेरे भय की कहानी जारी ही रहेगी, पहले प्रेमी के न मिलने  से डरता रहा; मिलने  के  बाद यह. डर. है  कि फिर छोडकर चले जाएँगे तो ? यह भय तो अनंत ही है.

६.  प्रेमी  से  बिछुडकर विरह वेदना  से  तडपते  समय उनके अपराधों की  चिंताएँ ऐसी  ही  लगी कि दिल मुझे  खा  लेगा.

७. प्रेमी के बारे में सोचनेवाले मेरे मूर्ख मन. से  मिलकर  मैं ने  भी अपनी  लज्जा  छोड दी.

८.बिछुडकर गये प्रेमी की निंदा करके   मेरा  दिल. अपमान करना नहीं  चाहता ,अतः वह उनके अच्छे गुणों की प्रशंसा में ही लगा है.

९. हे  दिल ! संताप के समय तू साथ नहीं  देगा  तो  और कौन. देगा.

१०. वेदना के समय अपना  दिल ही साथ नहीं देता  तो दूसरे नाथा छोडना सहज ही  है.


पुनर्मिलन की चाह --तिरुक्कुरळ -- काम - १२८१ से१२९०


पुनर्मिलन  की चाह --तिरुक्कुरळ -- काम - १२८१ से१२९०


१. मद्यपान करने से ही नशा  चढेगी.  कामेच्छा तो देखने -मिलने  से  काम. की  नशा  चढ. जाएगी.और चरमोत्कर्ष  होगा.

२. ताड के पेड बराबर कामेच्छा बढ जाती  है  तो  य्रेससी को अपने प्रेमी  से  तिल. पर. भी रूठना  नहीं  चाहिए.

३.
प्रेमी  मुझे  न. चाहकर अपने कर्म. में ही  लगने  पर. भी  मेरी आँखें उनके दर्शन के बिना  शांति नहीं  पाती.

४. प्रेयसी अपने  सखी  से  कहती  है  कि मेरा  दिल अपने प्रेमी  से  लूटने  गया. पर उनसे  मिलते  ही दिल प्रेम. में मग्न होना ही चाहता  है.

५.
काजल लगाते समय  आँखें काजल लगाने की तूरिका  पर ध्यान. नहीं  देता. उसी प्रकार  प्रेमी  के  देखते  ही उनके अपराध भल जाता है . मिलन सुख भोगना  ही  चाहता  है.

६. प्रेयसी  कहती  हैं कि अपने  प्रेमी  से मिलते  समय  उनके अपराध  की यादें नहीं आती.

उनके बिछुडन. के वक्त सिर्फ. उनके  अपराध  ही याद आती हैं.

७. बाढ के आने  पर. सब को खींचकर  ले  जाता  है.  मालूम होने पर भी बाढ में कूदनेवाले होते  हैें, वैसे  ही
रूठने से फायदा नहीं है,फिर. भी  दिल रूठता  है ,उससे कौन -सा  लाभ मिलेगा?

८. प्रेयसी  कहती  हैं कि प्रेमी के अपमान. के  बाद. भी नशे की गुलाम  जैसे
प्रेमी छाती का नशा बढती  ही  जाती  है. कम. होती  नहीं  है.

९. कामेच्छा फूल. से  अधिक. कोमलतम  है, उसे जान-समझकर भोगनेवाले  बहुत  कम. ही  होते  हैं.

१०. आँखों  से    अति क्रोध दिखानेवाली  मेरी प्रेमिका, संभोग में मुझसे अधिक तेज थी.



भाव मुद्रा अध्ययन -- काम - तिरुक्कुरळ - १२८१ से १२८०.




भाव  मुद्रा  अध्ययन -- काम - तिरुक्कुरळ - १२८१ से १२८०.


१. बिना बताये छिपाने पर. भी  आँखों  के  द्वारा प्रकट होने की एक खबर  है  तो  वही प्रेम .


२. अति सुंदर और कोमल बाँहों वाली  प्रेयसी में जो स्त्रीत्व. है ,वह अति सुंदर. है.

३. मणी माला में छिपे हुए  दागे  के  समान मेरी प्रेमी की  बाह्य सुंदरता  के  अंदर छिपा हुआ भाव -मुद्रा  है.

४. कली  में जैसे  सुगंध दबा हुआ. है ,वैसे  ही प्रेयसी के  मन में प्रेमी  की  यादें दबी  हुई. हैं.

५. रंगबिरंगे चूडियाँ पहनी अति लावण्यमयी  मेरी प्रेमिका में मेरे मनको सतानेवाले दुख मिटाने  की दवा छिपी  हुई. है.

६. अति  प्रेम  दिखाकर  संभोग -सुख देने में  एक सूचना संकेत  छिपा  है  कि वे जलदी ही मुझे  छोडकर चलनेवाले  हैं.

७. मेरे प्रेमी ठंडे दिल से संभोग देना ,मुझे छोडने का संकेत हैं. इसे मेरी पहनी चूडियाँ शिथिल. होकर समझ गई.

८. प्रेयसी  सोचती  है कि मेरे  प्रेमी  कल. ही गये थे  पर ऐसा लगता  है कि  सात. दिन बीत गये.

   ९.  प्रेयसी के भाव मुद्रा देखकर  उसकी  सखी  ने  नायिका  से  बताया  कि    चूडियाँ ढीली  है.,बाँहें दुबली -पतली  हो  गई. हैं, पर उसके चरण प्रेमी के  साथ चलने  तैयार. है.

१०. आँखों  से  ही  अपने काम रोग का संकेत दर्शानेवाली प्रेमिका स्त्रीत्व और साथ रहने का अनुरोध  स्त्रीतव की शोभा  बढा रहा  है.

परस्पर. शौक /अन्योन्य प्रेम --पास्परिक. शौक - /इच्छा- काम-तिरुक्कुरल -१२६१ से १२७०.

परस्पर. शौक /अन्योन्य प्रेम --पास्परिक. शौक - /इच्छा-  काम-तिरुक्कुरल -१२६१ से १२७०.

१.  प्रेयसी  विरह वेदना में तडपती हुई. कहती  है  कि प्रेमी की प्रतीक्षा  करते करते आँखें  थक गई हैं. उनके आने के दिन  के इंतजार. में हर दिन जो निशाना  बनाती थी उनको  गिन गिनकर  उंगलियाँ थक गईं.

२. प्रेयसी अपने  सखी  से  कहती  है कि  मैं अपने प्रेमी की  याद खो  देती  तो मेरे अंग और शिथिल हो जाते और मेरे  हाथ और. दुबली -पतली  हो जाते और चूडियाँ गिर जातीं.

३. प्रेयसी कहती  हैं कि मैं इसलिए  जिंदा हूँ  कि मेरे प्रेमी साहसी हैं  और विजय ही उनका लक्षय है. आशा  है जरूर एक. दिन वापस. आएँगे.

४. मेरे प्रेमी के साथ सानंद बीते उन दिनों की यादों  में मेरा  दिल  पेड कीं ऊँची डाल पर चढकर उनका रास्ता  देख. रहा  है.

५. मेरे प्रेमी के दर्शन के बाद ही मेरे फीके शरीर में  और हाथों में तेजस आएगा.

६.  मेरे प्रेमी जो मुझे  विरह वेदना में तडपाकर गये , वे जरूर एक. दिन आएँगे  ही. तब मैं पूर्ण आनंद  का अनुभव  करूँगा.

७. प्रेयसी सोचती  है कि कई. दिनों के बाद मेरे   नयन  तारे प्रेमी आएँगे तो  पता नहीं ,उनसे रूठूँगी  या प्रेम में लग जाऊँगी  या दोनों करूँगी.

८. प्रेमी  सोचता  है  कि  राजा युद्ध में जीतेंगे तो कई दिनों के बाद प्रेयसी  से मिलूँगी और मिलन  सुख. का अनुभव करूँगी.

९. विरह वेदना की  प्रेयसी  को  एक दिन भी  सातदिन सा लगेगा.

१०. असह्य वेदना  के  कारण  दिल टूट  जाएगा  तो  उनके आने  से , मिलन सुख देने  से  देने  से  या संग रहने से क्या लाभ होगा ? नहीं, दिल. तो टूट गया है न ?