Sunday, October 9, 2016

सोचो , देश बचाओ

बीते  इतिहास   की  सीख  से  नए  युग  का  निर्माण

हमारे  भारत  के  इतिहास  से  
हमें  नए  युग  के  निर्माण  में

राष्ट्रीय देश  भक्ति  की  शिक्षा  अनिवार्य  है.

देश   में  देश भक्ति   की  कमी  नहीं  हैं .

इतिहास  ने  हमें  एक   सीख  दी  है --

हममें  एकता  नहीं  थी , इसीलिये विदेशी यहाँ

आसन  से  अपने  शासन चलाने  लगे.

हमने  सोचा  कि   यह  तो  भाग्य  की  रेखा  है.
यह  नहीं  सोचा  --हममे  कमियाँ  थीं.

सनातन  धर्म  विश्व  मैत्री  पर  जोर दे  रहा  है.

अतिथियों  को  देव  तुल्य बता  रहा  है.

इतहास  से  पता  चला  कि
सनातन  धर्म  ने  यह  भी  सीख दी  है
पात्र -कुपात्र  का  विचार  करके   दान  देना  हैं .
माया  से   बचना -बचाना  है.
शैतानों  को  भगाना  है.
असुरों   का  वध  करना  है.
आसुरी  शक्ति  को  स्थान  दें  तो
देवों  को  भी  बचाना बचना  अति  कठिन  है.
खुद शिव  को  भी वर  देकर
अपने  को बचाने  भागना -छिपना पड़ा.

अब  अखबारों   की खबरों   से   पता  चल  रहा  है
बलात्कार  बढ़  रहा है.

शिक्षित  लोगों  में  पारिवारिक जीवन    सुखप्रद   है

आर्थिक  दृष्टी  से ,
 पर   मानसिक  दृष्टी से   दुःख  प्रद  है.
दाम्पत्य  जीवन  में  सहन  शक्ति  की   कमी  है.
तलाक  का  मुकद्दमा  बढ़  रहे  हैं.

पर-पुरुष , पर -स्त्री  पर  के  आकर्षण  से
खून -हत्या-आत्महत्या -अपने  पुत्र की  भी  हत्या,
गुरु  -शिष्य  के  संबध  में  गलतियाँ ,
अध्यापक  की  हत्या , मारना -पीटना ,
कारण  पाश्चात्य  प्रभाव , ऐसा  नहीं  कह  सकते.
आदर्श  गुरुओं  की  कमी ,
देश  के  प्रशासन  में  सत्य  का  अभाव,
भ्रष्टाचार , स्वार्थ .
पर ऐसे  लोग   कम  प्रतिशत  में  है.
पर  विष तो एक  बूँद  काफी  है.
ऐसे  आसुरी शक्ति  को पनपने  न  देना
बहुसख्यक   सत्य प्रिय और  देश- भक्त  लोगों  का कर्तव्य  है.
ऐसी  शिक्षा  देनी  है  जिससे  
जिसकी  लाठी उसकी  भैस नीति को मिथ्या बना  सके.
धन  प्रधान  मानकर  वोट  देने  की  निति  को  बदलना  है.
 राजनीतिज्ञ   अपराधी  क़ानून  से  बचकर फी  सत्ता  हासिल करने  को  रोकना  है.
जागो  भारतीय   युवकों!
अन्न्यायी  अल्पसंख्यकों  को  विषैली  सांप या  वृक्ष  समझ दूर  रखो.

उनके  अधिकार  क्षेत्र में  आने  न  दो. 

Wednesday, October 5, 2016

तमिल सीखिए

हिंदी प्रेमियों को सादर प्रणाम.

देवनागरी द्वारा तमिल पाठ आज से दस-दस वाक्य लिखना चाहता हूँ.

आशा है एक भारतीय प्राचीनतम भाषा सीखने में और सिखाने में प्रोत्साहन मिलेगा.


अव्वैयार तमिल के प्रसिद्ध कवयित्री है.

वे विनायक भगवान और कार्तिक भगवान की भक्ता है.

वे गणेश से प्रार्थना करती हैं ---

हे! गज मुख! श्रेष्ठ मणि!

तुमको दूध,शुद्ध शहद, गुड पानी, दाल मिश्रित

प्रसाद चढाऊंगा.

मुझे तमिलभाषा त्रि तमिलका ज्ञान देना.
(त्रि तमिल--- सहजतमिल, संगीततमिल और नाटक तमिल)


मूल:--पालुम तेलितेनुम , पाकुम , परुप्पुम इवै नान्गुम

कलंतुनक्कू नान तरुवें कोलंचेय
तुन्गाक्करिमुकत्तु तू मानिये नी

एनाक्कू संघत तमिल मूंरुमता.

पालुम--दूध
तेलितें--शुद्ध शहद.
पाकुम---गुड पिघला पानी
परुप्पुम --दाल
इवै नान्गुम-- ये चार
कलंतु --मिश्रण करके
नान --मैं
दूँगा--तरुवेंन
तूमणिये --पवित्र मणि तू.
नी --तुम
एनक्कू--मुझे
संघत=संघ के
तमिल==तमिल
मूनरुम --तीनों
ता --दे.

पाठकों की सलाह, रूचि , चाह प्रकट करें.

चाहकों की संख्या, आलोचना की प्रतीक्षा में.

भारत सनकी--
मतिनंत.

Tuesday, October 4, 2016

saahityakaar

साहियकार  और  पत्रकार  दोनों  में
अधिक   दुखी  है , ठगे  हैं साहित्यकार.

प्रेम चंद , निराला,  पन्त , 


राजाश्रित  कवि  सब  थे  अधिक दीनावस्था  में. 
  अभी  हाल  ही  में  तमिल चित्रपट  के  कवि 
 इलाज  के  लिए  पैसे  न  होने  से ३९  वर्ष  की  उम्र में  ही  स्वर्ग  पहुँच  गए.
नवभारत  टाइम्स  के  ब्लोग्गेर्स को  खुद  पाइंट्स  देकर
प्रोत्साहित  कर  रहे हैं .
मैं   भी  अधिक  खुश.
पर  देखता  हूँ ,
मेरे  ११७००  पाइंट्स  अचानक  ७०००  हो  गए.
दस  हज़ार   का  पाइंट्स  ५०००  हो  गए.

मैं  केवल  इतना  ही  जानना  चाहता  हूँ
 क्यों   पाइंट्स  कम  करते  हैं  ऐसे.
प्लाटिनम  मेम्बर  को  क्यों
 अचानक  गोल्ड बना  दिया  ,
पता  नहीं .
मन  है  तो  जानकारी  दें .
जी  मेल  भी   भेज  चुका .
दें  इतनी   जानकारी.
न  चाहिए  रिवार्ड  या  अवार्ड.
जो  खुद  दिया  है,  खुद  लेना
कितना  है  न्यायसंगत.  

Sunday, October 2, 2016

जय भारत

  भारत   है   सचमुच  महान
कितने  विदेशी  शासकों   के  अधीन  रहा ?

कितनी  संपत्तियां   विदेशी  लूटकर  ले  गए.

कितने  मंदिर  तोड़े  गए,
कितनी  सुन्दर मूर्तियाँ   तोडी  गयी.
निर्दयी , सुन्दर  मूर्ती  की शिल्पकला
शिल्पी  का  कौशल  भी  न  देख  सके.
न  कला  प्रियता , न  रहम  दिल ,
सिवा  अपनों  को  अन्यों  को  मिटा  दो.
सिवा  अपने  धर्म  ग्रन्थ  के  सब को  जला  दो.
कितनी  बेवकूफी ,  अल्ला  भी  न  सह  सकता.
तोड़े  मंदिर  बने  मस्जिद ,देवालय .
बदले   सनातन भारतीय  धर्मी ,
विदेशी  धर्मों  के  पीछे चले.
बीते  इतिहास  से  हमने  न  सीखा ,

सनातन  धर्मी    सुधरे  नहीं ,
अपने  ही  धर्मियों  को  दूर  अपमानित  रखा.

आये  अंग्रेज़ी   चर्च  बनाया , हिन्दू दलितों  को
अपने  वश  कर  लिया.
हिन्दू  धर्म  फिर  भी  न  जागा.
युग  पुरुष  गांधी, अर्थात  मोहनदास  करमचंद जी
जमनलाल जी , राजाजी  जैसे  कट्टर सनातनियों  के  द्वारा
मंदिर खुलवाये  ,

हरिजन  का  नाम  दिया.
उपवास  तोड़ने   गरीब  हरिजन   के  सूखे  संतरे  का  रस  पिया.
हमने  किया  क्या ?
टेरसा  की सेवा  की  तारीफ  की .
टेरसा  ने  दुखियों  की  सेवा  की .
ईसा  पर  विशवास  बढ़ाया.
हम  तो  हिन्दुओं  की  शक्ति  दिखाने
करोड़ों  के  गणेश  की  मूर्तियाँ  बनाकर
समुद्र  में  फ़ेंक  रहे  हैं .
न  सेवा,  न  एकता.
न  दरिद्र नारायण  की  सेवा.
 भिखारियों  की  संख्या  मंदिरों  के  सामने.
 पवित्र  तीर्थस्थानों   में  कितना  धोखा ,
कितनी  दूकानें,
भक्ति  के  क्षेत्र  तो अर्थ कमाने  के  साधन.
शिक्षालय  तो  महँगा  ,
देवालय  के  दर्शन महँगा.
ऐसे     काम  करना  है,
भक्ति  में  बाह्याडम्बर   तजकर
देश  में  शिक्षा   कम  से   कम
बारहवीं  कक्षा  तक  योग्य शिक्षकों  द्वारा
उचित  शिक्षा.
धार्मियों  को  धर्म  के  लिए  झुकना ,
झुकना   नहीं , एकता  लाना  हैं.
भारतीय  जो  विदेशी  धर्म  के  हैं
उन सब को    उचित  मदद  द्वारा ,
चिकित्सा , शिक्षा, नौकरी , आवास  का  प्रबंध  करना  है.
बीते   इतिहास  से  हमें सीखना  है ज्यादा.
भारत  को  नयी  शक्ति मिल  रही  हैं ,
आतंकवादियों  को  पाठ   मोदीजी  सरकार  ने सिखाया  हैं ,
संसार  को  दिखा  दिया   हैं ,
अहिंसा   एक   हद  तक  सत्याग्रह  करेगा ,
सहन  की  भी सीमा  होती  हैं ,
आगे  खून  का  बदला  खून.
अब  केवल सेवा-मेवा  द्वारा  सानता धर्मियों  में
एकता  लानी  हैं ,
मिसनारियों  के  स्थान   सनातन  धर्मियों  को  लेना  हैं ,
 ऐसी  सेवा , जिससे  मातृधर्म  की  ओर  ले  आना  है.
जातियों  में  ऊँच -नीच  मिटाना  हैं ,
बीते  इतिहास  की  सीख  से  नए  युग  बनाना  है,
मातृधर्म  की  ओर  आकर्षण  बढ़ाना  है.
देश   की  वीरता   जवानों  की भक्ति  अब
दिखा  चुके  हैं ,
हिदू , मुस्लिम , सीख , ईसाई   आपस में  हैं  भाई -भाई.
न  यहाँ  स्थान  आतंकवादियों  का,
न  यहाँ विदेशी  षडयंत्र  का  दाल  न  गलेगा.
जय  हिन्द! जय  भारत !  वन्देमातरम.

Monday, September 26, 2016

जागो .

साहित्य मंच ,
अपने विचार प्रकट करने,
परायों का विचार जानने,
विशेष बातों की चर्चा करने,
विशिष्ट बातों से लोगों को जागने,
जगाने , प्रोत्साहित करने, प्रेरित करने,
चर्चाएँ स्वस्थ देशोपयोगी हो तो
साहित्य होता लोक प्रिय.
रामायण काल, महा भारत काल से
ऊँच-नीच भेद मिटाने कई कथाएं
गुह-शबरी , विदुर कर्ण की कथाएं,
रैदास -ब्राह्मण की कथाएं
हज़ारों साल पुराणी बातें,
आज भी अति गंभीर.
आरक्षण की माँग के आन्दोलन,
कितनी राजनीती,कितना चाल.
सुविधाएंपीढीदर पीढी भोगते.
ब्राह्मण तो हो गया अब्राह्मण,
वेद पाठ भूल गया,
फिर भी न सरकारी सुविधाएं,
वस्त्र, चोटी, बातें, उच्चारण सबमें बराबर,
फिर भी न सरकारी सहूलियतें.
सोचो! ऐसी संवैधानिक असमानताएं
मजहब के नाम लड़ाई.हत्या-काण्ड.
पुराणी बातें न भूल, बीतीघटनाओं से न सीख,
अल्प संख्यों के धर्म की सुविधाएं अनेक.
बहु संख्यक की सुविधाएं कम.
ऐसी नीति न कहींअग जग में.
यही अघ की बातें प्रधान.
सोचो! जागो! देश बचाओ.

Saturday, September 3, 2016

ॐ गणेशाय नमः

ॐ गणेशाय नमः ॐ विघ्न्विनायाका पादम नमस्ते. विघ्नेश चतुर्थी के लिए चेन्नई नगर में २५०० गणेश की मूर्तियाँ प्रतिष्ठा और विसर्जन की योज़ना है. हर शुभ कार्य के आरम्भ में विघ्नेश्वर पूजा करते हैं. सर्वत्र विराजमान गणेश सादगी और शक्ति में सर्व श्रेष्ठ हैं. अचानक मेरे सनातन धर्म में इतना बाह्याडम्बर , भय ,बेचैनी गणेश चतुर्थी के समय. हर साल बढ़ती जा रही हैं. जुलूस तो देखने में भक्ति से बाह्याडम्बर का महत्त्व दीख पड़ता है. चेन्नई में १९९० तक इतना बाह्याडम्बर , जुलुस विसर्जन न रहा. हिन्दू शक्ति प्रदर्शन का यह मार्ग कितना सफल होगा पता नहीं. हर पार्टी के नेता मुसलमान और ईसाई त्यौहार का जितना महत्त्व देते हैं , उतना हिन्दू त्यौहार में न देते हैं -ऐसी शिकायत आती रहती है. हिन्दू लोगों की संख्या ज्यादा होने पर भी राजनीती मुगलों और ईसाई के पक्ष में ही चलती है. कारण हिन्दू धर्म में एकता नहीं है; जातियों के भेद , सम्प्रदाय , ऊँच-नीच आदि

आजादी के सत्तर साल के बाद भी मिटे नहीं . हर साल अनुसूचित -सूचित पिछड़े जातियों की सूची बढ़ाना इस बयांन का प्रमाण है. आरक्षण की सुविधा मिलने हर जाति सम्प्रदाय आन्दोलन करते हैं. उनकी संख्या और शक्ति के आधार पर या ओट लेने सूची बढ़ाना राजनैतिक दलों के लिए अवाश्यक बन गया.
अब शिक्षा दिन बी दिन महंगी हो रही है .नतीजा किसान खेतों को बेचकर अपने बेटों को उच्च शिक्षा पढ़ाने में लगे हैं. हिन्दू लोग वास्तव में देश के कल्याण और धार्मिक एकता चाहते हैं और सनातन धर्म को मज़बूत बनाना चाहते हैं तो
भक्ति के आडम्बर पूर्ण खर्च कम करके सभी हिन्दुओं की मुफ्त शिक्षा प्रदान करना ही उत्तम है. २५०० मूर्तियाँ . एक मूर्ती ५०००/ औसत दाम हो तो १२५०००००/ रूपये .विसर्जन जल में. केवल चेन्नई नगर में मात्र. सारे तमिलनाडु अन्य प्रान्तों में तो हज़ारों करोड़. हिन्दू धार्मिक एकता और सब की शिक्षा के लिए करें तो समाज कल्याण भी होगा. देश की प्रगति भी होगी. भारत गरीब देश नहीं हैं . विदेशी आक्रमण व्यापार, लूट के बाद भी देश संसार के अमीर देशों में सातवाँ हैं. हिन्दू भाइयों सोचिये.
भगवान सबों को सद्बुद्धि दें और सुख भी. ॐ गणेशाय नमः .

Friday, September 2, 2016

चित्रपट गीत --तमिल



  कवि     क णण दास.

  चित्रपट  गाना .

एम्  .जी.  आर  नेता  बन्ने  के  मूल  में
 कवि  और  गायकों  के  चित्रपट  गीत  का  मुख्य हाथ  रहा.
--------------------------------- நான்  ஆணையிட்டால்

यदि  मैं  हुकुम  दूँ,

वह   माना  जाय   तो
 आज
गरीब  दुखी   न  होंगे .

जब  तक  जान  रहेगी ,
तब  तक न  होगा दुःख .

न वे आँसू  के  सागर  में    डूबेंगे.

कोई  गलती करें ,
वह  भी  जान -बूझकर  करें  तो
 वे   भले   ही   ईश्वर  हो ,
  फिर  भी  उन्हें  न  छोडूंगा .

  शारीरिक  मेहनत  करके
  जीने की  सलाह  दूंगा.

  मेहनती  लोगों  की चीज़ें   न  छुऊँगा.
  कुछ  लोग   सुखी -सुविधा  पूर्ण  जीवन  के  लिए

  दूसरों  के  पैर  पकड़ेंगे.
  उनमें  कोई  ईमानदारी नहीं ,

  मान  -मर्यादा   नहीं , दूसरों की  पूँछ  पकड़ेंगे.

 भविष्य  ऐसा  आयेगा , मेरी  आज्ञा    चालू होगा ,

मुझे  कर्तव्य  करने  का  समय  आएगा.

दुखियों  को  सतानेवाले  स्वार्थ   दलों  को  मिटा  दूंगा.

नयी  नीति , नया  मार्ग  अपनाऊंगा,

यदि  मैं  हुकुम  दूँ,

वह   माना  जाय   तो  आज

गरीब  दुखी   न  होंगे .

जब  तक  जान  रहेगी , तब  तक न  होगा दुःख .

न वे आँसू  के  सागर  में    डूबेंगे.

यहाँ  सत्य  गूंगा , ईमानदारी  सोने  को  देखकर  चुप  न  रहूँगा.

ईश्वर  एक  है, उनके  सिद्धांत   है,

उसकी   रक्षा  हमेशा  करूँगा.

पहले  ईसा  थे , बुद्ध  थे ,
 फिर  गांधी  आये ,
मनुष्य  को  सुधारने  की  सीख  दी.

अब  भी  लोग  न  सुधरे ,

यदि  मैं  हुकुम  दूँ,

वह   माना  जाय   तो  आज

गरीब  दुखी   न  होंगे .

जब  तक  जान  रहेगी , तब  तक न  होगा दुःख .

न वे आँसू  के  सागर  में    डूबेंगे.