Sunday, October 23, 2016

महान नेता कामराज

  भारत  में  धन  प्रधान और चित्रपट  प्रधान  राजनीति  के  कारण

कर्म वीर  श्री  कामराज ,काला गाँधी   चुनाव    में  हार  गए.

सुन्दर  तमिल भाषा  में  बोलकर  एक  शैतानियत शक्ति   १९६७  में  सत्ता पर  बैठी.

पर  वह  शक्ति  डा.० सुदर्शनजी  की  कहानी  "चैन  नगर  के  चार बेकार " का जीता =जागता उदहारण  है.



         करुणामयी  नेता  कर्मवीर  कामराज  के  जीवन  की  एक  घटना.


एक   बार   तमिलनाडु  में जब  कर्म  वीर  कामराज  मुख्य मंत्री  थे ,तब  एक  जिलादेश  उनसे मिलने आये.

चाय  आयी  तो  जिलादेश  काफी  के  प्याले  को  ही देख  रहे  थे. कामराज  ने  प्याले  को  देखा तो  उसमें  एक मक्खी तड़प  रही  थी, तुरंत  वे  चाय से  मक्खी  निकालकर  बाहर  छोड़  दिए.

  फिर  कलेक्टर  से  कहा --आप  तो  चाय  के  प्याले  में तड़पते  मक्खी को  ही  देख  रहे थे.

उसे उठाकर   बचाने की  चेष्टा  नहीं  की.

वह  छोटा-सा  जीव  तड़प  रहा  था.

सुनकर  कलेक्टर  का सिर  लज्जसे  झुक  गया.

 महान  नेता है  shree  कामराज. 

Saturday, October 22, 2016

बुढापा भगाइए.

हमारे मनुष्य  जीवन  में ही  नहीं ,

वनस्पति  जगत  में ,

पशु- पक्षी  के  जीवन  में

स्त्री-पुरुष  का  शारीरिक संबध   और सम्भोग  प्रधान  है.

पर  संयम  की  जरूरत  हैं .

हमारे  पूर्वज  तो ज्ञानी हैं .

ब्रह्मचर्य    के  महत्त्व के  साथ -साथ

दाम्पत्य  जीवन को  प्रधान  माना.
विदेशी धार्मिक ने  पुछा  --

मंदिरों  में क्यों सम्भोग सम्बन्धी

शिल्प.

ईसा  के कई हज़ार  पुराने सनातन  धर्म  में

देव-देवी  पति-पत्नी  के  रूप  में  ही   है.

पार्वती -परमेश्वर,  अर्द्धनारी  रूप.

विष्णु  , श्री  कृष्ण  के द्वि -पत्नियाँ

ब्रह्मा -सरस्वती. 

ऋषि-ऋषि पत्नी.

तेरह  साल  की  कम उम्र में  शादी.

उन  बच्चों  को दाम्पत्य जीवन  में  प्रेरित  करने, 

सेक्स शिक्षा का आज कल  का  जो  बोलबाला  है 

प्राचीन  काल में  हमारे  भारत  देश  में ही शुरू हुआ है. 

दशरत  के  तीन  रानियाँ , 

कुंती  के  मंत्रोच्चारण  के  पति गण

राजाओं  के  अन्तः  पुर  में  रानियों  की  संख्या  बढना

ये  इतिहास  के बुरे मार्ग  से  बचाने

रामायण   में  एक पत्नी व्रत.


व्यवहार में  कृष्ण का जितना  लोक रंचक  रूप  है, 

उसका जितना  लोकार्षण  है ,  उतना राम  का  नहीं.

वर वधु  देखने  के सम्प्रदाय  में  कृष्ण के गीत  ही  गाते  हैं. 

पचास साल में भारत  में    स्त्री -पुरुष एक साथ  बैठने पर 

बुढापे  में  देखो, कैसे अश्लील  बैठे  हैं .

बुढ़ापे में पति -पत्नी के स्पर्श काफी है. 

शक्ति  मिलेगी. 

आलिंगन , चुम्बन  विटामीन  का  काम  करेगा. 

तनाव , पैर दर्द , गुत्नों के  जोड़  दर्द  दूर  करने 


दूर -दूर  शयन  न  करके  , अति  निकट  स्पर्श -नींद सोना  

तनाव   कम  कर  देगा. 

 मंदिरों  के  प्रकार  में तो अश्लीलता ,

फिर  गर्भ-ग्रह  की  मूर्ती  में अलौकिकता.
लौकिकता  में  आत्म नियंत्रण  के लिए
अलौकिक शक्ति को प्रधान  देते हैं.
माया-  भरी संसार  से  बचकर दिव्य-शक्ति  लाने
मंदिर  के  गोपुर और स्तंभों  में सम्भोग  की  सीख.

गर्भ -ग्रह  में  अनुशासन  दिव्य शक्ति , ध्यान , संयम  आदि.

बुजुर्ग  दम्पतियों  को  भी  साथ सोना  , स्पर्श,  आलिंगन आदी

आवश्यक  है. तभी स्वस्थ तन ,मन  रहेगा.

मंदिरों  में  देवदासी  प्रथा भी  थी. इसे आम  महिला  कहते थे. 

माया  महा ठगिनी है, पर  सम्भोग  तो  प्राकृतिक है. 

उसे  रोकने  से  ही  तनाव  बढ़  रहा  है बुढापे  में.

यदि  स्वर्ग  है  तो  नारी  उर  के  भीतर. 

Thursday, October 13, 2016

धरती और मनुष्य

दिन दिन प्रार्थना


,मन में है भर्त्सना


बद-दर्शना.


कितने विचार शुभ -अशुभ के .



बनेगा मनुष्य अपने विचारों के अनुसार.



मिलेगा फल उसके कर्मानुसार.




किसी मनुष्य के जीवान में शान्ति हैं? या नहीं है ?





कौन सुखी था संसार में ?




पेड़ तो फल ही देता है ,




फिर भी सूखता है ,




पनपता है,


पतझड़ बनकर काटा जाता है.




गोमाता देता है दूध ,




बुढापे में कसाई के हाथ में.




मनुष्य जीवन उस गाय से भी गए बीते हैं ,


भलाई करो , भस्म ,




बुराई करो भस्म.




भला करो तो प्रशंसा के पात्र ,




बुरा करें तो निंदा .




दुर्योधन को सुयोधन कहनेवाले,




रावण के प्रशंसक - है या नहीं जग में.


सांसारिक जीवन दुःख मय



.
सांसारिक जीवन दुःख मय .







अच्छों के भी दुश्मन.



बुरों को भी साथी .




जग तो माया भरी जान.





नेक हो या बद





अंतिम क्रिया तो सम.







स्वर्ग -नरक अलग नहीं ,






यह धरती ही .रौंदता है सब को.

























Sunday, October 9, 2016

सोचो , देश बचाओ

बीते  इतिहास   की  सीख  से  नए  युग  का  निर्माण

हमारे  भारत  के  इतिहास  से  
हमें  नए  युग  के  निर्माण  में

राष्ट्रीय देश  भक्ति  की  शिक्षा  अनिवार्य  है.

देश   में  देश भक्ति   की  कमी  नहीं  हैं .

इतिहास  ने  हमें  एक   सीख  दी  है --

हममें  एकता  नहीं  थी , इसीलिये विदेशी यहाँ

आसन  से  अपने  शासन चलाने  लगे.

हमने  सोचा  कि   यह  तो  भाग्य  की  रेखा  है.
यह  नहीं  सोचा  --हममे  कमियाँ  थीं.

सनातन  धर्म  विश्व  मैत्री  पर  जोर दे  रहा  है.

अतिथियों  को  देव  तुल्य बता  रहा  है.

इतहास  से  पता  चला  कि
सनातन  धर्म  ने  यह  भी  सीख दी  है
पात्र -कुपात्र  का  विचार  करके   दान  देना  हैं .
माया  से   बचना -बचाना  है.
शैतानों  को  भगाना  है.
असुरों   का  वध  करना  है.
आसुरी  शक्ति  को  स्थान  दें  तो
देवों  को  भी  बचाना बचना  अति  कठिन  है.
खुद शिव  को  भी वर  देकर
अपने  को बचाने  भागना -छिपना पड़ा.

अब  अखबारों   की खबरों   से   पता  चल  रहा  है
बलात्कार  बढ़  रहा है.

शिक्षित  लोगों  में  पारिवारिक जीवन    सुखप्रद   है

आर्थिक  दृष्टी  से ,
 पर   मानसिक  दृष्टी से   दुःख  प्रद  है.
दाम्पत्य  जीवन  में  सहन  शक्ति  की   कमी  है.
तलाक  का  मुकद्दमा  बढ़  रहे  हैं.

पर-पुरुष , पर -स्त्री  पर  के  आकर्षण  से
खून -हत्या-आत्महत्या -अपने  पुत्र की  भी  हत्या,
गुरु  -शिष्य  के  संबध  में  गलतियाँ ,
अध्यापक  की  हत्या , मारना -पीटना ,
कारण  पाश्चात्य  प्रभाव , ऐसा  नहीं  कह  सकते.
आदर्श  गुरुओं  की  कमी ,
देश  के  प्रशासन  में  सत्य  का  अभाव,
भ्रष्टाचार , स्वार्थ .
पर ऐसे  लोग   कम  प्रतिशत  में  है.
पर  विष तो एक  बूँद  काफी  है.
ऐसे  आसुरी शक्ति  को पनपने  न  देना
बहुसख्यक   सत्य प्रिय और  देश- भक्त  लोगों  का कर्तव्य  है.
ऐसी  शिक्षा  देनी  है  जिससे  
जिसकी  लाठी उसकी  भैस नीति को मिथ्या बना  सके.
धन  प्रधान  मानकर  वोट  देने  की  निति  को  बदलना  है.
 राजनीतिज्ञ   अपराधी  क़ानून  से  बचकर फी  सत्ता  हासिल करने  को  रोकना  है.
जागो  भारतीय   युवकों!
अन्न्यायी  अल्पसंख्यकों  को  विषैली  सांप या  वृक्ष  समझ दूर  रखो.

उनके  अधिकार  क्षेत्र में  आने  न  दो. 

Wednesday, October 5, 2016

तमिल सीखिए

हिंदी प्रेमियों को सादर प्रणाम.

देवनागरी द्वारा तमिल पाठ आज से दस-दस वाक्य लिखना चाहता हूँ.

आशा है एक भारतीय प्राचीनतम भाषा सीखने में और सिखाने में प्रोत्साहन मिलेगा.


अव्वैयार तमिल के प्रसिद्ध कवयित्री है.

वे विनायक भगवान और कार्तिक भगवान की भक्ता है.

वे गणेश से प्रार्थना करती हैं ---

हे! गज मुख! श्रेष्ठ मणि!

तुमको दूध,शुद्ध शहद, गुड पानी, दाल मिश्रित

प्रसाद चढाऊंगा.

मुझे तमिलभाषा त्रि तमिलका ज्ञान देना.
(त्रि तमिल--- सहजतमिल, संगीततमिल और नाटक तमिल)


मूल:--पालुम तेलितेनुम , पाकुम , परुप्पुम इवै नान्गुम

कलंतुनक्कू नान तरुवें कोलंचेय
तुन्गाक्करिमुकत्तु तू मानिये नी

एनाक्कू संघत तमिल मूंरुमता.

पालुम--दूध
तेलितें--शुद्ध शहद.
पाकुम---गुड पिघला पानी
परुप्पुम --दाल
इवै नान्गुम-- ये चार
कलंतु --मिश्रण करके
नान --मैं
दूँगा--तरुवेंन
तूमणिये --पवित्र मणि तू.
नी --तुम
एनक्कू--मुझे
संघत=संघ के
तमिल==तमिल
मूनरुम --तीनों
ता --दे.

पाठकों की सलाह, रूचि , चाह प्रकट करें.

चाहकों की संख्या, आलोचना की प्रतीक्षा में.

भारत सनकी--
मतिनंत.

Tuesday, October 4, 2016

saahityakaar

साहियकार  और  पत्रकार  दोनों  में
अधिक   दुखी  है , ठगे  हैं साहित्यकार.

प्रेम चंद , निराला,  पन्त , 


राजाश्रित  कवि  सब  थे  अधिक दीनावस्था  में. 
  अभी  हाल  ही  में  तमिल चित्रपट  के  कवि 
 इलाज  के  लिए  पैसे  न  होने  से ३९  वर्ष  की  उम्र में  ही  स्वर्ग  पहुँच  गए.
नवभारत  टाइम्स  के  ब्लोग्गेर्स को  खुद  पाइंट्स  देकर
प्रोत्साहित  कर  रहे हैं .
मैं   भी  अधिक  खुश.
पर  देखता  हूँ ,
मेरे  ११७००  पाइंट्स  अचानक  ७०००  हो  गए.
दस  हज़ार   का  पाइंट्स  ५०००  हो  गए.

मैं  केवल  इतना  ही  जानना  चाहता  हूँ
 क्यों   पाइंट्स  कम  करते  हैं  ऐसे.
प्लाटिनम  मेम्बर  को  क्यों
 अचानक  गोल्ड बना  दिया  ,
पता  नहीं .
मन  है  तो  जानकारी  दें .
जी  मेल  भी   भेज  चुका .
दें  इतनी   जानकारी.
न  चाहिए  रिवार्ड  या  अवार्ड.
जो  खुद  दिया  है,  खुद  लेना
कितना  है  न्यायसंगत.  

Sunday, October 2, 2016

जय भारत

  भारत   है   सचमुच  महान
कितने  विदेशी  शासकों   के  अधीन  रहा ?

कितनी  संपत्तियां   विदेशी  लूटकर  ले  गए.

कितने  मंदिर  तोड़े  गए,
कितनी  सुन्दर मूर्तियाँ   तोडी  गयी.
निर्दयी , सुन्दर  मूर्ती  की शिल्पकला
शिल्पी  का  कौशल  भी  न  देख  सके.
न  कला  प्रियता , न  रहम  दिल ,
सिवा  अपनों  को  अन्यों  को  मिटा  दो.
सिवा  अपने  धर्म  ग्रन्थ  के  सब को  जला  दो.
कितनी  बेवकूफी ,  अल्ला  भी  न  सह  सकता.
तोड़े  मंदिर  बने  मस्जिद ,देवालय .
बदले   सनातन भारतीय  धर्मी ,
विदेशी  धर्मों  के  पीछे चले.
बीते  इतिहास  से  हमने  न  सीखा ,

सनातन  धर्मी    सुधरे  नहीं ,
अपने  ही  धर्मियों  को  दूर  अपमानित  रखा.

आये  अंग्रेज़ी   चर्च  बनाया , हिन्दू दलितों  को
अपने  वश  कर  लिया.
हिन्दू  धर्म  फिर  भी  न  जागा.
युग  पुरुष  गांधी, अर्थात  मोहनदास  करमचंद जी
जमनलाल जी , राजाजी  जैसे  कट्टर सनातनियों  के  द्वारा
मंदिर खुलवाये  ,

हरिजन  का  नाम  दिया.
उपवास  तोड़ने   गरीब  हरिजन   के  सूखे  संतरे  का  रस  पिया.
हमने  किया  क्या ?
टेरसा  की सेवा  की  तारीफ  की .
टेरसा  ने  दुखियों  की  सेवा  की .
ईसा  पर  विशवास  बढ़ाया.
हम  तो  हिन्दुओं  की  शक्ति  दिखाने
करोड़ों  के  गणेश  की  मूर्तियाँ  बनाकर
समुद्र  में  फ़ेंक  रहे  हैं .
न  सेवा,  न  एकता.
न  दरिद्र नारायण  की  सेवा.
 भिखारियों  की  संख्या  मंदिरों  के  सामने.
 पवित्र  तीर्थस्थानों   में  कितना  धोखा ,
कितनी  दूकानें,
भक्ति  के  क्षेत्र  तो अर्थ कमाने  के  साधन.
शिक्षालय  तो  महँगा  ,
देवालय  के  दर्शन महँगा.
ऐसे     काम  करना  है,
भक्ति  में  बाह्याडम्बर   तजकर
देश  में  शिक्षा   कम  से   कम
बारहवीं  कक्षा  तक  योग्य शिक्षकों  द्वारा
उचित  शिक्षा.
धार्मियों  को  धर्म  के  लिए  झुकना ,
झुकना   नहीं , एकता  लाना  हैं.
भारतीय  जो  विदेशी  धर्म  के  हैं
उन सब को    उचित  मदद  द्वारा ,
चिकित्सा , शिक्षा, नौकरी , आवास  का  प्रबंध  करना  है.
बीते   इतिहास  से  हमें सीखना  है ज्यादा.
भारत  को  नयी  शक्ति मिल  रही  हैं ,
आतंकवादियों  को  पाठ   मोदीजी  सरकार  ने सिखाया  हैं ,
संसार  को  दिखा  दिया   हैं ,
अहिंसा   एक   हद  तक  सत्याग्रह  करेगा ,
सहन  की  भी सीमा  होती  हैं ,
आगे  खून  का  बदला  खून.
अब  केवल सेवा-मेवा  द्वारा  सानता धर्मियों  में
एकता  लानी  हैं ,
मिसनारियों  के  स्थान   सनातन  धर्मियों  को  लेना  हैं ,
 ऐसी  सेवा , जिससे  मातृधर्म  की  ओर  ले  आना  है.
जातियों  में  ऊँच -नीच  मिटाना  हैं ,
बीते  इतिहास  की  सीख  से  नए  युग  बनाना  है,
मातृधर्म  की  ओर  आकर्षण  बढ़ाना  है.
देश   की  वीरता   जवानों  की भक्ति  अब
दिखा  चुके  हैं ,
हिदू , मुस्लिम , सीख , ईसाई   आपस में  हैं  भाई -भाई.
न  यहाँ  स्थान  आतंकवादियों  का,
न  यहाँ विदेशी  षडयंत्र  का  दाल  न  गलेगा.
जय  हिन्द! जय  भारत !  वन्देमातरम.