Saturday, February 10, 2018

भक्ति

भक्ति  ही मनुष्य   की
 अपनी व्यक्तिगत
 मनोकामना  पूरी
करने का साधन है.
 भक्त के एकांत साधना,
 ध्यान,   प्रार्थनाएँ,
उनकी सादगी  ,सरलता,
सत्यवचन  के कारण
विजयेंद्र बनता है.
पर सांसारिक शैतानियत
मनुष्य को  भक्ति,
ध्यान, योग में
रहने न देती.

 बुद्धि  क्यों भगवान ने दी?
भ्रष्टाचार  करने के लिए?
रिश्वत के धन से जीने के लिए?
कर्तव्य न कर छुट्टी  लेकर घूमने के लिए.
सोचिए.

 विचार कीजिए.

मनुष्य क्यों धन पाकर भी
असंतुष्ट  है?  अस्वस्थ  है?

पद, अधिकार,  धन,, राजपद,
दल -बल  का कोई प्रयोजन  नहीं.


काल अंगरक्षक  के रूप में भी
आ सकता है.
 सोचिए.
 रोज पाँच मिनट ध्यान  कीजिए.
आपका मन स्वस्थ  ,
अचंचल बन जाएगा.
लौकिक इच्छाएँ
अपने आप  कम होगी.
 सत्य का आधार ही
 आपको  शांति देगी.
कर्तव्य    निस्वार्थी से निभाना है.

Wednesday, February 7, 2018

युवकों को सन्देश





— thinking about the meaning of life
.

Tuesday, February 6, 2018

बुढापा

जवानी की प्रतिबिंब दर्पण में
बुढापा खडा है सामने
वह बोल रहा है:-
जवानी दीवानी,
बुढापे में बदल गया .
 जिंदगी का यथार्थ  दिख रहा.
क्या करें ?मन तो जवानी.
अपने को ताकतवर
 मानता रहता.
 कितना इठलाता ,
अब किसका न रहा.
कहीं से गीत  ..
जिंदगी और कुछ भी नहीं,
कुछ खोकर पाना है,
कुछ पाकर खोना है.
 शैशव पाकर, खोकर बचपन.
बचपन पाकर खोकर जवानी
जवानी पाकर खोकर बुढापा
बुढापा पाकर खोकर मुक्ति.
स्वरचित अनंतकृष्णन द्वारा

Saturday, February 3, 2018

हिंदी चिंतन मन की बातें

आज मेरे मन की बात


सब को मेरा प्रणाम.
हिंदी  सीखी,
परिणाम  स्वरूप
भारत भर के कई मित्र मिले.
दक्षिण  भारत के दोस्त मिले,
वीर गाथा काल से सीख मिली,
एक सुंदर  राजकुमारी के लिए
हजारों वीरों की विधवाएँ, अनाथ बच्चे
बनाना-बनवाना राजा की नहीं वीरता,
जनता की नहीं राज भक्ति.
कितने स्वार्थ, कितने बेरहमी
राजा और कवि न देश की चिंता,
न देशोन्नति की चिंता,
लडो-भिडे, मरे, मारो,
एक राजकुमारी  पकड लाओ,
यह तो भीष्म के राजकुमारी
 अपहरण   का  परिणाम.
रावण के सीता अपहरण  का फल.
कवि जिसका खाना, उसका गाना,
आज  की राजनीति  भी धन की विजय,
धनियों की विजय.
पक्षवादी  राजनीतिज्ञ.
वीर गाथा  काल  की वही हालत
आज भी इत्र तत्र  सर्वत्र,
मजदूरी  खूनी,  पैसे मिल जाएँ  तो
तेजाब, बम, आत्म हत्याएँ करने तैयार.
एक स्वार्थ  नेता के संकेत के कारण
रेल, बसें जलाने तैयार.
सडक खोदने, रेल की पट्रियाँ
उखाड़ने तैयार .
पैसे  के  बल  वोट पाने,
रिश्वत के बल अन्याय करने तैयार.
 आध्यात्मिकता के भय दिखाकर
लूटने तैयार.
अनुशासन  नहीं,
आत्म संयम नहीं,
बाल बलात्कारी ,
बाल अपराधी  को छोडना,
जिस देश में तेरह साल के वीर -वीरांगनाओं का
जन्म हुआ, जहाँ बाल अपराधी प्रशिक्षण केंद्र हैं.
कितना बडा न्याय विरुद्ध  कार्य हैं.
  हिंदी साहित्य वीर गाथा  काल
 फिर न पनप ने देना.
कवियों! लेखकों!
ऐसी कविताएँ लेख कहानी लिखना
जिनमें माया /शैतानियत / लौकिक  प्रेम तज
आत्मसंयम, मनुष्यता, त्याग, दान धर्म
देश की एकता ,अनुशासन, चरित्र निर्माण  आदि
का  जोश बढें
पैसे के बल वोट पाकर,
जीतनेवालों  को हार ही हार मिलें .











Friday, February 2, 2018

बालक प्रार्थना

हे हरी! मैं हूँ  बालक!
जग  में जीने
हे ईश्वर!
बल दो!
तन, मन, धन
बल दो!
तन  बल से करूँ,
देश की सुरक्षा.
मन बल से
 विज्ञान  ग्ञान
दे दो ईश्वर.
धन बल  से
धर्म कर्म करूँ मैं.
भारतीय  जाने
समय  का महत्व.
सब के मन में
देश भक्ति भर जाएँ.
नदियों का राष्ट्रीयकरण
जल्दी करने के मन दो.
हे हरी! मैं हूँ बालक!
जग में जीने,
हे ईश्वर बल दो.
तन, मन, धन बल!
( स्वरचित) 

Thursday, February 1, 2018

प्राकृतिक सन्देश

प्राकृतिक परिवर्तन अति सूक्ष्म, 
अपने को देखा, 
अपने छाया चित्र देखा
पोते से पूछा -वह बोला -
यह अंकिल   कौन-है  ?
 नहीं जानता. 
कितना फरक,


कितनी महँगाई.

एक अना बस यात्रा
अब हो गया 25रुपये.
स्थानीय व्यवहार
 परखने   समय नहीं,

ईश्वरीय अति सूक्ष्म निरीक्षण
करेगा कैसा?

जब मैं बच्चा  था ,
तब  यही कहते  --
पाप की कमाई
शान्ति न देगी .
माता -पिता का पाप
बच्चे को सजा देगी.

आज  कहते  हैं --
वह तो मालामाल.
भ्रष्टाचार ,रिश्वत तो
लेकर बड़ा  अमीर  बन  गया.

सौ करोड़ खर्च कर
सांसद  या  वैधानिक बन  गया.

वोट  के  लिए पैसे देता,
जीतने  के  बाद
नौ दो  बारह हो गया.

जैसे भी  हो  चुनाव  के  पर्व पर

रुपयों  की वर्षा  करता.

मतदाता तो अति भुलक्कड़

पांच  साल के पहले  वादा को
नया ही वादा  समझ  वोट  देता.

ऐसी दशा   में  ईश्वरीय  नचावत
 निरीक्षण वह कैसे  जानता ?

Wednesday, January 31, 2018

हिंदी

हिंदी हमारी अपनी भाषा.
अहिंदी वालों की देन अधिक.
कश्मीर से कन्याकुमारी  तक
हिंदी का प्रचार.
तमिल नाडु  में शासक, राजनैतिक दल
विरोध करने पर भी.
पढनेवालोंकी  संख्या अधिक.
जानने समझने की चाह अधिक.
खडी बोली ढाई लाख जनता की,
1900से भारतेंदु हरिश्चंद्र के कारण
व्रज अवधी मैथिली और अन्य बोलियों के
सिरमौर  की भाषा हिंदी,
संस्कृत की बेटी, उर्दू की सहोदरी.
हिंदी   विश्व की तीसरी बडी भाषा  बनी है.