Saturday, May 19, 2018

पानी

पानी  बिना सब सून.
मनुष्य जीवन अंत,
वनस्पति जीवन अंत
पशु पक्षी  अंत.
नदी वाला शून्य

धरती में फरारें पड जाती.
पानी देना ,पानी फेरना, पानी  रखना
पानी चले जाना, जीभ में पानी का लार टपकना,
 बिन पानी  सब सून
पानी गये न भरे मोती मानुस सून

भक्ति

भले ही भगवान हो,
 ज्ञान  के प्रकाश  फैलाता है.
भरोसा श्रद्धा -भक्ति
अपने आप  जगना है.
भगवान असुर  को भी वर देता है.
भक्तों के भी.
पागल, अंधे,बहरे, लूले- लंगडे
इत्तिफाक से मनुष्य  को बुद्धि  दी है,
 एक  छापेखाने के मालिक  ने अपने  लाभ के लिए  अफवाहें फैलाई कि 200नोटिस  छपकर बाँटो,
मालामाल हो जाओगे,  भगवान के
प्रत्यक्ष दर्शन मिलेंगे.
देखा, छापाखाने का मालिक
मालामाल बन गया.
 भक्त प्रहलाद, ध्रुव, भक्त त्याग राज, रमण महर्षि, महावीर, बुद्ध, नानक, मुहम्मद, ईसा देखिए.
केवल भक्ति की, धर्म कर्म अपनाया.भगवान का नाम जपो,
मनो कामनाएँ पूरी होंगी. बाकी सब मिथ्याडंबर  की भक्ति है.

Friday, May 18, 2018

नव लेखक शिबिर का प्रभाव


पुदुच्चेरी  में   पुदुच्चेरी हिंदी साहित्य  अकादमी ,

  केन्द्रीय निदेशालय दोनों

मिलकर    नव  लेखक शिबिर  का  प्रबंध किया.

उसमें    भाग  लेने  का सुअवसर  मिला.

यह  मेरे लिए  पहला  शिबिर  था.

मैं      सोच  रहा  था कि  ६८ साल की उम्र  का

दिलतल     का युवक  मैं ही हूँगा.

पर वहां   श्रीमती चेल्लं, चंद्रा ,वासुदेवन , कल्याणी  जैसे
मुझसे    बड़े बहनों का ,  वासुदेवन जैसे साठ साल  के छोटे भाई का
मधुर      मिलन  हुआ.

आये नवयुवकों  में से  श्रीमती चेल्लम जी, चंद्राजी  के सक्रिय  भाग ,
 परिश्रम ,उत्साह देख मुझे लगा , मैं तो निष्क्रिय  हूँ.
उन्होंने  हिंदी किताब आर्थिक लाभार्थ नहीं ,
साधक     के  रूप  में    प्रकाशित किया  है.

मेरे     ब्लॉग लेखन  का  उन्हें  पता  ही नहीं.

 शिबिर   की प्रतिक्रिया :-
 
भला      मेरी   उम्र  बड़ी ,
मन में   जो  विचार  आते,
जिन्हें  मेरा  मन  माना ,
उन्हें    अपनी हिंदी ,अपनी शैली , अपने विचार
अपना     स्वतंत्र   प्रकाशन
यों      ही  लेखनी  दौडाई.
उनमें    कितनों  ने  प्रशंसा  की ,
कितनों   निंदा की ,
कित्नोने ने समझा  पागल ,
कितनों   ने  समझा चतुर
पता       नहीं ,
मेरे     ब्लॉग  नव  भारत टाइम्स  में
आ  सेतु  हिमाचल, मतिनंत  के  नाम  से ,
राम्क्री  सेतुक्री.ब्लॉग स्पॉट  के  नाम से ,
तमिल-    हिंदी संपर्क ,anandgomu.ब्लॉग स्पॉट .कॉम
स्पीकिंग ट्री  इण्डिया टाइम्स  में
अनूदित,   स्वरचित ,नकल की  रचनाएँ
लिखता     रहा हूँ ,
किसी      का  बंधन  नहीं ,
विश्व    भर के एक लाख लोग
न जाने   सरसरी नजर  से    देख  रहे  हैं ,
या  पढ़   रहें   हैं  पता  नहीं ,
चाहक     की  संख्या  से ,
संतुष्ट  रहा,
११-५-  १८   से  १८.५ .१८  तक के   आठों  दिनों  में
मेरे     अष्ट वक्र  विचार,
लेखन      शैली  में  ,
कितनी    गलतियां  हैं ,
कितनी    श्रद्धा  हीनता  है,
 यह       सोचकर  लज्जित  हूँ.

शिबिर    की   प्रक्रिया  जो   कहूं ,
जितना    भाई   चारा   बंधुत्व  मिला,
जितनी    अधिक  प्रेरणा   मिली ,
प्रोत्साहन मिला ,
वे       वर्णनातीत  और शब्दों  से  परे
अनुभूतियात्मक   हैं.
 पुदुच्चेरी   हिंदी  साहित्य  अकादमी  के  अध्यक्ष
श्री      श्रीनिवास गुप्त जी, ,श्री जयशंकर बापू जी , सचिव    चेंदिलकुमरन जी ,
 व्यवस्थापिका समिति के सदस्या मुरली जी , राधिकाजी

केन्द्रीय निदेशालय  के    निदेशक  अश्विनी कुमार  जी ,
सहायक निदेशक
 गांधारी पांके जी, , मार्गदर्शक  त्रिदेव   डाक्टर  श्यामसुंदर पांडे जी ,
प्रत्युष गुलेरी जी ,डाक्टर   राधाकृष्णन जी   आदि  का मार्ग   दर्शन  मिला.

शिबिर    की   यादें हमेशा  हरा रहेगा,

मैंने     कहा -- यह हरियाली  हमेशा हरी  रहेगी .
तब -गुलेरीजी  ने  कहा --  घरवाली ,
मैंने    कहा -
वसंत     वसंत   है    सदा ,
सताने    की  गर्मी  है कभी -कभी ,
वर्षा     है , शीतल  है, पतझड़  है ,
छह  ऋ तुओं  का चक्कर   है

सुनकर    पांडे  जी  ने   कहा ,
यह  तो   यह   कविता   बन   गयी.

इन   मधुर  स्मृतियों   के   साथ
चेन्नई   पहुंचा.  सधन्यवाद.

परिवर्तन


  मीनू,मीनू  --नानी   ने  नाम  लेकर  चिल्लाया.

 मीनू बाहर  खेल  रही  थी .  उसकी  उम्र  ८- १०  साल  की   होगी .

नानी   ने   कहा --आओ ,जल्दी बाहर  के  शहर   जाना  है.

   मीनू  ने  देखा,भोले -भाले  चेहरे .नानी  कहा , कल  तेरी शादी है.

  माँ-बाप  ,उसके  दो  बड़े  भाई,एक छोटा  भाई ,नानी  सब  बैल-गाडी में

निकले.  नानी  पास  के  शहर गयी थी ;
वहां   मंदिर  में अपने  रिश्तेदार  को  देखा.
रिश्तेदार ने  कहा कि  कल   मेरी  बेटी की    शादी   थी.
 क्या तेरे जान-पहचान  में  कोई लडकी  है?

नानी को अपनी  पोती  की  याद  आयी.  तुरंत   शादी पक्की  हो  गयी.
नानी ने कहा --वर अमीर घर का  है.
वर  सिनेमा   हीरो  की   तरह  रहेगा.

गाडी  सीधे विवाह मंडप  में रुकी.

 नादान  लडकी से सब ने  प्यार  की वर्षा  की. उसको नयी  सादी पहनाई.
गहनों से अलंकार किया.  न  वर  ने वधु  को   देखा ,न  वधु  ने  वर को.

 मीनू    की  माँ  ने उससे  कहा-- मीनू,वर   पास  बैठो. मीनू  सीधे  नंदोई के  पास बैठी.

ननदोई  ने तो उसकी गोरी ननद को  पहले  ही देखा है. अपने  पास दूसरी नयी लडकी को  देख   उठ गया.  ऐसे  अचानक शादी बिना वर देखे हुयी. अब साठ  साल    गए.

मीनू को  सारी   यादें  आ  रही   थी.
तभी  किसीने  पुकार की घंटी बजायी.
जाकर दरवाजा खोला.   तो  उसकी  पोती एक  लड़के  के  साथ आयी. दोनों के  गले  में फूल  माला   थी. दोनों रिजिस्टर मेरेज  करके आये  हैं.
न नमस्कार ,न सूचना. सीधे दोनो   कमरे  में  चले  गए.
 पोती  ने  दादी माँ   मीनू   से  कुछ  न  कहा.
मीनू  ने  अपनी  बेटी  को  बुलाया- रोटी हुयी  कहा -- पोती बिना  बताये  शादी  करके  आयी  है.
बेटे  पर  इसका कोई असर  न  पड़ा. क्या करूँ   माँ ,
मुझे मालूम  है. वह तो जिद्दी लडकी  है. स्नातकोत्तर है.
महीने एक लाख  ऐ.टी. कंपनी में  कमाती  है..

अब  लाखों रुपयों  की  शादी  का  खर्च  कम.
मुफ्त में  विश्वस्त ड्राइवर.

उसको विश्वसनीय ड्राइवर चाहिए. उसने आठवीं   पढी, आटो  ड्राइवर से  प्रेम किया. ड्राइविंग लैसंस भी दिलवाई.
 अब कल से  अपने पति ड्राइवर के   साथ       दफ्तर  जायेगी  और   घर  आएगी.
आमदनी    की  कमी  नहीं  है.

  ज़माना  बदल  गया. सब स्नातक- स्नातकोत्तर.

भारतीय  संस्कृति में  इतना  बड़ा  परिवर्तन.

मीनू को  न सूझा, पछताना  है  या  आनंद मनाना  है.

Thursday, May 17, 2018

पाश्चात्यीकरण

हमारे पूर्वज कितने चतुर
 और मानव जीवन की शांति  के लिए  जीवन को
बहुत आनंदमय, त्यागमय
मार्ग दिखाया.

तेरह साल की उम्र में शादी.
 सम्मिलित परिवार.
त्यागमय   जीवन.
संयम की सीख.
 ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास.
पतिव्रत, पत्नी व्रत का महत्व.
 आजकल संयम नहीं,
संभोग का महत्व देकर
प्रेम  का महत्व देकर
जनसंपर्क के साधन,
युवक कुत्तों की तरह
प्रेमिका की तलाश में.
न संयम, शादीसुदा
युवक के मन में चंचल,
युवतियों के  मन  मेंचंचल,
न नियंत्रण,
सार्वजनिक स्थानों में
चुंबन, आलिंगन,  यहाँ तक
दोपहर के समय
समुद्रतट पर स्तन पकडकर काम लीला,
पाश्चात्यीकरण
 मनको प्रदूषित कर रहा है.
तन   सुख में पति बदलने
तैयार युवतियाँ-युवक,

गैर प्रेम में पति पत्नी
 एक दूसरे को
 छोडने
मारने तैयार.

पत्नी पति को मारने तैयार.
तलाक  तलाक के मुद्दों की बढती,

प्रेमी या प्रेमिका  न मिलें तो
तेजाब  फेंकना, हत्या करना,
आत्महत्या कर लेना,
पाश्चात्यीकरण
 हमें पशु तुल्य
जीवन की ओर
ले जा रहा है,
कौन समझाएगा इसे.
समाज हित
 हमें संयम की बात
भारतीय  जीवन शैली
विदेशियों के आने के
 पहले जो थी,
उनका प्रचार करना है,
 जितेंद्र  बनना बनाने बनवाने की
सीख
 सिखाना है,
भारतीय  भाषाओं  के नीति ग्रंथ
जो धूल दूषित हैं,
इनमें युवकों में अति प्रचार करना है.

Sunday, May 13, 2018

लव फेइलियर

लव फेइलियर

   मुझे हमेशा समाज का  चिंतन है.
नव युवकों  की दशा बिलकुल बदल गई है.
चित्रपट,  चित्रपट गीत, दूरदर्शन   के नाटक,
सब के सब प्रेम/मुहब्बत/इश्कआदि ही.
संयम की बात नहीं सिखाई जाती.
र्रुष्यशृंग  की कहानी तो नहीं सिखाते.
भारतीय इतिहास  में भी
 युद्ध  राजकुमारियों को लिए होता था.
भगवान कार्तिक  भी अपनी प्रेयसी से शादी करने
लडे थे. छद्मवेश  में गये थे.  रावण सीता को
उठाकर ले गया.  शाहजहाँ  ने शेरखाँ  को मारकर
मुहताज से शादी की थी.
तमिल कवि कंबर के बेटे ने  भी  राजकुमारी  से प्रेम  किया.
परिणाम  मृत्यु दंड मिल गई.
 इतिहास, पुराण, कहानी आदि सब में
जिन घटनाओं का चित्रण  मिलते हैं,
वह आजकल के समाज के अध्ययन  से
स्पष्ट होता है. बलात्कार  की खबरें आजकल
के समाज के अध्ययन से पता चलता है.
समाज में स्नातक-स्नातकोत्तर  की संख्याएँ
 उत्तरोत्तर  बढती रहती है. पर उन सब में
एक प्रकार  का मानसिक तनाव ज्यादा  है.
तलाक की संख्याएँ बढ रही हैं. शिक्षित  समाज में
ऐसी परेशानियाँ. हैं. खूब कमाते  हैं, आर्थिक  कष्ट नहीं है.

यों कई प्रकार के विचार  सोचते सोचते बस में बैठा,तो
अचानक उदासी  युवक मेरे पास बैठा . उसका चेहरा  ऐसा लगा मानो मुझसे कुछ कहना चाहता  हो.
मैं उसको देखता रहा. वह मोबाइल में किसी नंबर को काल करता रहा. जवाब न आने से उसकी परेशानियाँ  बढती रही.
  उसकी दशा देखकर  मेंने उससे पूछा-  तुम क्यों  इतनी परेशानी दुख पडता है?   क्या तुम्हारे  घर में  कोई बीमार है?
क्या उसकी पूछ ताछ कर रहे हो?
 युवक की आँखों से आँसू  निकले. दुखी  स्वर में कहा-
लव फेइलियर. टिल यसटर्डे  शी वास रेडी टु मेरी मी
नौ शी ईस नाट रेडी टु मेरी  मी. नाट अटंडिंग मै कालस.
मैं कल आत्महत्या  करूँगा. उसकी  यु
सिसकियाँ  बढने लगी. अन्य यात्री भी मुडकर  दे खने लगे.
सिसकियाँ  भरते हुए कई बातें  बताई. वह  और उसकी प्रेमिका कहाँ कहाँ घूम रहे  थे और फोटो भी दिखाया.
और दोहराता रहा  कि  मैं मर जाऊँगा. उसकी दशा देखकर
मैं असमंजस में पड गया.
 उसको कैसे समझाऊँ?  कैसे धीरज बाँधूँ?
कैसे समझाऊँ?  यह तो  संवेदनशील  बात है.
 मेंने पूछा -वह कल अन्य से  शादी कर लेगी तो
आनंदमय जीवन बिताएगी.   तुम तो अपने परिवार वालों  को
दुख सागर में डुबोकर  चले जाओगे. क्या तुम्हारी  आत्मा को शांति  मिलेगी. माँ-बाप ,भाई -बहन की हालत  क्या होगी?
 तुम्हारी  प्रेमिका का प्रेम मिथ्या है. यदि उसका प्रेम सच्चा है तो बिताएगी. वह तो बिलकुल इनकार कर दिया.  तुम पुरुष हो.  नया आदर्श दिखाओ.
 सार्वजनिक काम में मन लगाओ. वह तो अपने मन को काबू  में न पाया. वह अपनी आत्म हत्या का धुन दोहराता रहा. लव फेइलियर, हौ केन ऐ लिव?  सूसयिड ओन ली वे. दूसरा कोई
मार्ग नहीं. वह न मिलती तो जीना बेकार.
उसके प्रति मेरी हम दर्दी  बढती गयी.
उसके दिल में परिवर्तन  लाना था.
 मेंने उसको समझाया--
असफलता तेरी  भाषा  के कारण.
लव फेइलियर....
मातृभाषा  में बोलने पर तो
प्रेम में विजय मिलेगी.
 तेरी विजया मिलेगी.
वह अंग्रेजी  तो तलाक  (डैवर्स)की भाषा है.
तुम को संयम सीखना चाहिए.
जितना अंग्रेज़ी  बोलते हो,
 उतना आमदनी बढेगी.
आत्म शांति  ,भारतीयों का विशिष्ट आत्माभिमान,
आत्म संतोष, संयमी जीवन न मिलेगा.
हमारी संस्कृति लड़कियों से दूर खडे होने को सिखाती

वह  पाश्चात्य  सभ्यता  हाथ मिलाने,
आलिंगन करने की बात सिखाती.
  इतना ही नहीं पराई   स्त्री  के संभोग को
 पशु के समान  सार्वजनिक  मानता है.
 हमारी ऊँची सभ्यता देखिए,
अग्नि प्रवेश  से पतिव्रता स्थापित   सीता को
धोबी की बात  को महत्व देकर वन में छोड दिया.
  अब रोज भारतीय  समाचार  पत्र में
  गैर पुरुषों  से संबंध  स्थापित कर
अपने निजी पति को  केवल शारीरिक  संबंध  के लिए
हत्या कर देती है.  यह अंग्रेज़ी  प्रभाव   है.

अपनी  तमिल भाषा    में देखो,
 तिरुवल्लुवर की पत्नी
वासुकि पति की आज्ञा कारी पत्नी है.
   सति सावित्री, नलायिनी,  ,सति अनुसिया ,आदि की दुनिया,
शकुंतला का प्रेम, दुष्यंत को  भूलना
 ये सब  आदर्श  प्रेमिकाएँ हैं.
तेरी प्रेमिका तो सच्ची नहीं है.
  तुम को संयम  सीखना है,   कायर ही मरते हैं.
 एक  मिथ्या
प्रेमी के लिए   आत्महत्या   करना
 मनुष्यता नहीं है.
पौरुष नहीं है.
लैला मजनू की कहानी तो   युवकों  को
गलत मार्ग दर्शक है.
हम भगवान  को  घाट घाट का निवासी मानते हैं.
वह कहानी तो  जहाँ देखो,
 वहाँ लैला का लौकिक
 माया मोह सिखाती है.
 एक चंचल प्रेम  की बात तजो,
उसे भूल दो,  तेरे प्रेम को अलौकिक
प्रेम में बदल लो.
सार्वजनिक की सेवा में लगो.
तुम वन्दनीय नायक  बनोगे.
वल्लुवर  को पढो .
कछुए  के  समान   पंचेंद्रियों को
काबू  में  रखो. वह  तो " यू  टू  ब्रूटस " है.
तुमको  जितेन्द्र  बनना  है.
 चार-पांच  कुत्ते    ही  कुतिया    के  पीछे  जाएँगे.
लड़ेंगे. लडकी  के  पीछे जानेवाला नायक नहीं  बनेगा.
हीरो  बनो ,जीरो  न  बनो.
कुत्ता  तो  पशु है ,वह  मनुष्य नहीं  है.
तुम तो  मनुष्य हो.  तुममें पशुत्व नहीं ,
मनुष्यता होनी  चाहिए.
जवानी में   एक  लडकी  के  लिए  मरना,
आत्म हत्या की  बात  सोचना  कायरता  है.
आत्म हत्या  कायरता  की चरम  सीमा  है.
कसम  खाओ ;आत्म हत्या का  विचार  छोड़ो.
 मेरी बात मानो . ठुकराई लडकी को तुम ठुकरा दो.
उसने  कहा- आपकी दिलासा भरी बातें   ज़रा  धीरज बंधा  रही    है.
 मैं कुत्ता नहीं ,   मनुष्य  हूँ .
कुत्ते  का  विशेष गुण  कृतज्ञता  इ.
उसमें   वह  नहीं  है.
 मैं अपनी  माता -पिता  के  प्रति   कृतज्ञ  रहूँगा.
उसने  तिरुक्कुरल तक  कहा--
आमै  पोल  ऐन्तडक्कल  आट्रिन
एलुमैयुम एमाप्पुडैत्तु .

अर्थात  कछुए  की  तरह अपने पंचेंद्रियों  को  नियंत्रण  न रखें  तो
सातों  जन्मों  में  श्रेष्ठ पुरुष  रहोगे.
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तरंगें

विचारों  की तरंगें
समुद्र की तरंगों से बडी.
बीच के  समुद्र तो शांत.
पर मन तो कभी शांत  नहीं.
मन शांत का मतलब है,
ब्रह्मत्व  पाना.
ब्रह्मत्व पाना है तो
शरीर तजकर जाना.
निश्चल मन योग साधना  का
सर्वोच्च  शिखर.
निश्चल मन में न मोह ,
न बंधन.
 हवा रहित स्थिति  में  ही
तरंगें  रुकती है.
विचार तरंगों ते बिना
न वेद, न कुरान, न बाइबिल.
वैसा तो मन की तरंगों  को
रोकना कैसा?