नमस्ते वणक्कम।
भगवान की सृष्टियों में
आदम खोर जानवर भी है,
पालतू जानवर भी है,
लाखों करोड़ मछलियाँ,
अग जग की भूख मिटाने
अति चंचल हैं,
बकरियाँ तैयार खड़ी हैं।
सब को खानेवाला मानव,
स्वार्थी हैं, निस्वार्थी है,
ईमानदार है, बेईमानी हैं।
लोभी हैं, कामी हैं, क्रोधी है।
दानी हैं, लुटेरे हैं।
धर्मी हैं ,अधर्मी हैं।
दोष मानव का है या
सृष्टि कर्ता का है,
पता नहीं, सृजनहार की सूक्ष्मता सुनामी, रेल की दुर्घटना,
आँधी, तूफान, बाढ़, भूकंप
ईश्वर के क्रोध की घंटी।
जान समझ कर्म करना ।
लोग,बुढ़ापा, मृत्यु
शाश्वत दंड ईश्वर का।
नहीं कर सकते पुनरावेदन।।
स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।