र्षक :-- वजह तुम हो।
अग जग में प्राकृतिक सुंदरता,
हरियाली मरुभूमि,
विविध फल, विविध रंग,
विविध भाषाएँ,
हे तुम सूक्ष्म शक्ति हो,
वजह तुम ही हो।
मेरी सृष्टि हिंदी विरोध,तमिलनाडु में।
मेरी माँ हिंदी प्रचारिका
मैं भी हिंदी प्रचारक।
हे सर्वेश्वर ! तेरे अनुग्रह से,
हिंदी में स्नातकोत्तर!
हिंदी में ही जीविकोपार्जन।।
विधि की विडंबना,
परमेश्वर की लीला,
अति सूक्ष्म।
सबहिं नचावत राम गोसाईं।
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई,
स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक।
नाम --एस.अनंतकृष्णन,
A7, Archana Usha Square
4-5, Kubernagar IV Cross Street
Madippakkam, Chennai 600091.
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