Tuesday, May 23, 2023


[22/05, 9:46 am] sanantha 50: तमिल  भाषा शब्दों में व्यंग्य भाव।  Fun with English words का असर - धन्यवाद जी तोलेटी चंद्रशेखर को 

कल्वि  कर्क --शिक्षा  सीखो . कलवि   कर्क-(क +ल+वि ) सीखो--संभोग

कल-इयाँ--बिरामणर्कल--ब्राह्मण-बहुवचन, 

कल-शराब.

अंदणर्कल  साप्पिडुम् इडम--ब्राह्मण खाने की जगह.

अंदणर   कल। साप्पिडुम इटम्---अंदणर   शराम पीने। का स्थान.

हमारी अपनी भारतीय भाषाओं में भी शब्दों का व्यंग्य बाण.

श्लेष अलंकार भी है.

[22/05, 9:58 am] sanantha 50: கல், --पत्थर, सीख  

कल एण्णि कल---पत्थर गिनकर गिनती सीख.  

கள்-- इयाँ, शराब। 

पडित्त्त पेण  கள் कल  कुडित्ताल. शिक्षित औरत शराब पीती है.

[22/05, 10:34 am] sanantha 50: हमारा अपना दल तो अपने विचार प्रकट करने की पूर्ण स्वतंत्रता  है।

गुलामी भाषा अंग्रेजी को श्रेष्ठ  माननेवाले को भारतीय  महत्व  को समझाना हमारी जिम्मेदारी  है।

 इच्छा शक्ति, ज्ञान  शक्ति, क्रिया शक्ति भारतीय मंदिरों में  है।

 इनको अंग्रेजों की देन माननेवाले     अज्ञानियों को समझाने लिखना ही कर्तव्य है.

गुरु ने शिष्य से कहा --

सेंधव लाओ.

शिष्य घोडा लाया.

 सेंधव का दूसरा अर्थ नमक.

 गुरु ने नमक लाने के लिए कहा.

 ऐसी कई  व्यंग्य भारतीय  भाषाओं  में हैं .

[22/05, 12:54 pm] sanantha 50: अंग्रेजी  विश्व की भाषा है.

 भारतीय  अंग्रेजी  के सीखते ही  अपनी मातृभाषा सीखने भूलजाते हैं.

  मातृभाषा  में बोलने को अपमानमानते हैं.   भारत के स्कूलों में मातृभाषा  में बोलने पर  जूर्माना  देकर अपमान मानते हैं. यही खेद की बात है.

[22/05, 2:33 pm] sanantha 50: हर एक  भाषा की अपनी बडी विशेषता है। पर भारत में ही मातृभाषा  को अवहेलना करते हैं।

क्योंकि भारतीय भाषाएँ  जीविकोपार्जन  की उच्चतम शिक्षा   नहीं दे रही है।

[23/05, 10:46 am] sanantha 50: आश्वासन देना आसान!

तिल को पहाड बनाना

पहाड को तिल बनाना.

पहाड का चूर्ण  संभव है,

चूर्ण  को पहाड बनाना?

वह भी ढेर करके बनाना आसान?

कृत्रिम  जल प्रभात भी संभव!

 पर कुदरत की देन में स्वर्गीय आनंद. 

वातानुकूल  बर्फ तो रोग प्रद.

प्राकृतिक  बर्फ में 

सहजानंद.

पंखा ही हवा,

समुद्र तट की हवा,

एक रोग प्रद, 

दूसरा आरोग्यप्रद.

 स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक 

अनंतकृष्णन चेन्नई

[23/05, 11:16 am] sanantha 50: आस्तिक की बातें,

अति सूक्ष्म।

 हवा की तरह 

 महसूस करने की बात।

 तटस्थ  बात।

 अगजग में है

ईश्वर  के नाम 

ठगनेवाले,ठगानेवाले,

 धोखा खाकर भी

 ईश्वर की परीक्षा  मान

आश्वासन आशा की बात।

  धोखा खाकर धोखा देने की बात,

 मानव साधारण मानव का बर्ताव।

धोखा खाकर  भी धोखा न देना,

 दिव्य पुरुष की बात।

स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक 

एस.अनंतकृष्णन,  चेन्नै।


हिंदी  प्रचारक त्याग के मार्ग  पर,
लाचारी से हिंदी प्रचार में 1967से कर रहे हैं.
कितनी हिंदी अध्यापकों  के बाल काटे गये.

 कितनों को मार खाना पडा.

 यह काला पक्ष 

 छिपाकर  लेख लिखते हैं ! 

जैसे मंत्री आते समय गली की सफाई    करते हैं. 

भारत में ऐसी ही राजनीति  है. 

   ये लेख उनके हैं  जो सभा के पदाधिकारी  बन कर खूब लूटे थे.

 सौ करोड शताब्दी वर्ष में  करोडों के खर्च  पर शिला इमारत तोरणद्वार.

 पर हिंदी प्रचार करने स्थाई प्रचारक  नहीं. 

  सभा की इमारतें बिक चुकी.

 मदुरै के बस स्टैं के पास सभा का निजी भवन मंजनक्कार गली में था.

 वही मैंने हिंदी  प्रचारक पत्र शिक्षण पाया. अब वह नहीं  है.

 ऊटी बी.एड कालेज का  भ्रष्टाचार  से बंद.

 बी.ए समक्ष प्रवीण उपाधी आठवीं  कक्षा के छात्र आसानी से पातेहैं.

 सातवीं कक्षा में  प्रवीण छात्र.

   प्रचारक  की आर्थिक स्थित  

स्थाई आय नहीं केवल दुखित विधवाओं के जीविकोपार्जन  के लिए.

 आर्थिक  संकट  भगवान  ही जानता.

 चुनाव जीतनेवाले पदाधिकारी  क्या जानते हैं.

  ऐसी सच्चाई लिख सकता हूँ।

तब मानदेय नहीं  दूर हटादेंगे।

 तोरण द्वार पंद्रह लाख। प्रचारक   दरिद्र।

 झोंपड़ी  वालों को शराब पिलाकर चुनाव जीतनेवाले  एमपी एम एल ए की तरह।

  सकारात्मक लिखूँगा,  मानदेय के लिए ।

 आपको सच्चाई  लिखने में हिचकूँगा नहीं।

आप अपने अनुभव भी लिखें लेकिन हिंदी और नागरी लिपि के सकारात्मक पक्ष को भी तमिलनाडु के संदर्भ में अवश्य उल्लिखित करें।

जरूर  मैंने नागरी पत्रिका  के लिए  अलग  लिखा है। सकारात्मक  लिखने पर ही समाज में मान है। चमचागिरी  जानना भी आवश्यक  है।

भगवान का यशोगान करना है।

मंदिर के इर्द गिर्द के पापाचार  कहना अपराध  है। भगवान  ही चुप है तो तुम किस खेत की मूली हो।  

मैंने  दो साल का एम.ए हिंदी परीक्षा शुल्क  सहित सौ रुपये  खर्च किया।

आज बाईस हजार पांच्चेरी विश्वविद्यालय  में। 

बी एड एम एड दो हजार से कम।

 आज दो लाख।

 तमिलनाडु  में  चार लाख  बीएड प्रशिक्षित लोगों ने अध्यापक  चुनाव परीक्षा  लिखी। केवल ३२५ तीन सौ पच्चीस लोग योग्य अध्यापक  निकले।

 ये नीट परीक्षा  का विरोध  करते हैं।

 दक्षिण  के तीन प्रांतों  के स्कूलों में हिंदी सिखाते हैं।  वहाँ के विश्व विद्यालय  में हिंदी  अध्यापक  प्रशिक्षण  कालेज है।

 पर तमिलनाडु   के सरकारी  स्कूलों में हिंदी नहीं है।  सभा के सिवा कहीं हिंदी नहीं। अतः…

केरल , बंगलूरू  हैदराबाद  हिंदी बोलना वाले समझने वाले मिलेंगे।

तमिलनाडु  की सडकों पर हिंदी भाषी भी तमिल बोलेगा।

   मेरे शहर में एक ही हिंदी परिवार  था। अब दो सौ परिवर्तन हैं।

हिंदी और तेलुगु वाले नहीं तो कारीगर, रंगलगानेवाले बढई का काम नहीं होगा। अब हिंदी भाषियों की संख्या तमिलनाडु  भर में बढ रही है। वे तमिल सीखकर आते हैं।

 तमिल के महाकाव्य नैतिक ग्रंथ जैनाचार्यों  की देन है। प्रसिद्ध  तिरुक्कुरल  भी जैन मुनी की देन है।

' तमिलनाडु में हिंदी और नागरी लिपि की स्थिति ' विषय पर शोध पत्र तैयार कर प्रस्तुत करेंगे, तो ही विशाखापत्तनम संगोष्ठी में आपकी उपयोगिता सिद्ध हो सकेगी। नियमानुसार शोध पत्र परिषद् में पहले भेजना होगा।(ईमेल या व्हाट्स ऐप पर)

कितने पन्नों  का

मैं भेजूँगा.

कम से कम तीन पृष्ठ का।

मेरा जन्म आजाद  भारत में हुआ।

स्वतंत्रता संग्राम  के प्रबल दल कांग्रेस  का सत्ता आरंभ हुआ। तब के नेता अंग्रेजी को ही महत्व देते थे। सब के सब अंग्रेज़ी  भाषा के निपुण थे।

 उन सबका विचार  था कि 

भारतीय भाषाओं  में  वैज्ञानिक  बातें नहीं है।

 विचित्र बात थी कि भारत के उच्च वर्ग   के लोग भी अंग्रेज़ी सीखकर अपने को महान मानने लगे।  भारतीय  भाषाएँ  जो बोलते हैं,उनको बुद्धिहीन मानने लगे।  खेद की बात है कि प्रतिभाशाली  उच्च वर्ग के  संस्कृत  विद्वान  भी संस्कृत  को छोडकर अंग्रेजों  के गुमाश्ते बन गये । और भी विचित्र बात है कि कुछ अंधविश्वासी  ज्योतिषों ने कहा विदेशी शासन ईश्वरीय  देन है।

 संस्कृत  के ज्ञाता भी गायत्री मंत्र , संध्यावंदन तजकर अपना संस्कार 

में भूल करने लगे। परिणाम   उनका ईश्वरीय  महत्व  में कमी हुई।

आज तो तमिलनाडु  में  ब्राह्मणों की बस्ती  खाली। संतान न होने पर सर्प दोष कहते हैं पर गर्भच्छेद का बडा पाप। इसका मुगल और ईसाई लाभ उठा रहे हैं। उन मजहबों में अबार्शन तो पाप है। पर हिंदुओं के लिए सर्प दोष पाप है।  अबार्शन पाप नहीं।

 भारतीय  भाषाएँ  नालायक।

सत्तर साल के बाद भी बगैर  अंग्रेज़ी   के उच्च शिक्षा  असंभव ।

तमिलनाडु  में तीन हजार तमिल माध्यम   स्कूल बंद। जहाँ एक स्कूल बंद,वहाँ पाँच अंग्रेज़ी  माध्यम निजी स्कूल। वहाँ तीन साल के बच्चे के लिए 

किताबें आठ हजार। दान एक लाख।

 तमिल बोलने पर अपराध का जुर्माना  अलग।। 

 जय भारत।










 मेरा जन्म आजाद  भारत में हुआ।

स्वतंत्रता संग्राम  के प्रबल दल कांग्रेस  का सत्ता आरंभ हुआ। तब के नेता अंग्रेजी को ही महत्व देते थे। सब के सब अंग्रेज़ी  भाषा के निपुण थे।

 उन सबका विचार  था कि 

भारतीय भाषाओं  में  वैज्ञानिक  बातें नहीं है।

 विचित्र बात थी कि भारत के उच्च वर्ग   के लोग भी अंग्रेज़ी सीखकर अपने को महान मानने लगे।  भारतीय  भाषाएँ  जो बोलते हैं,उनको बुद्धिहीन मानने लगे।  खेद की बात है कि प्रतिभाशाली  उच्च वर्ग के  संस्कृत  विद्वान  भी संस्कृत  को छोडकर अंग्रेजों  के गुमाश्ते बन गये । और भी विचित्र बात है कि कुछ अंधविश्वासी  ज्योतिषों ने कहा विदेशी शासन ईश्वरीय  देन है।

 संस्कृत  के ज्ञाता भी गायत्री मंत्र , संध्यावंदन तजकर अपना संस्कार 

में भूल करने लगे। परिणाम   उनका ईश्वरीय  महत्व  में कमी हुई।

आज तो तमिलनाडु  में  ब्राह्मणों की बस्ती  खाली। संतान न होने पर सर्प दोष कहते हैं पर गर्भच्छेद का बडा पाप। इसका मुगल और ईसाई लाभ उठा रहे हैं। उन मजहबों में अबार्शन तो पाप है। पर हिंदुओं के लिए सर्प दोष पाप है।  अबार्शन पाप नहीं।

 भारतीय  भाषाएँ  नालायक।

सत्तर साल के बाद भी बगैर  अंग्रेज़ी   के उच्च शिक्षा  असंभव ।

तमिलनाडु  में तीन हजार तमिल माध्यम   स्कूल बंद। जहाँ एक स्कूल बंद,वहाँ पाँच अंग्रेज़ी  माध्यम निजी स्कूल। वहाँ तीन साल के बच्चे के लिए 

किताबें आठ हजार। दान एक लाख।

 तमिल बोलने पर अपराध का जुर्माना  अलग।। 

 जय भारत।

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