Friday, August 2, 2024

ज्योतिष

 नमस्ते वणक्कम्।

 कलम बोलती है दल में  बहुत दिनों के बाद लिख रहा हूँ।

 यह भी भाग्योदय का विषय है।

   ज्योतिष शास्त्र आदी काल से आज तक  प्रचलित है।

 सिद्धार्थ के जन्म लेते ही उनकी जन्मकुंडली के अनुसार संन्यासी बनने की भविष्यवाणी ज्योतिष ने बताई।

कृष्ण के जन्म जानकर कंस ने आठ बहन के पुत्रों को मारा था।   ज्योतिष शास्त्र के पटु अब भी है। विश्वास करने के प्रमाण है। पर नकली वैद्यों की तरह नकली संन्यासी की तरह नकली ज्योतिषों के कारण  अविश्वास बढ़ रहा है।

 भारत में ज्योतिष के प्रकार पर विचार करेंगे।

 १.जन्मकुंडली २. हस्तरेखा ३.अगस्य नाड़ी ज्योतिष 

४.अंकज्योतिष। ५तोता ज्योतिष ६. चिपकली ध्वनि ज्योति ७. प्रश्न ज्योतिष 8.अंकस्पर्शज्योतिष ९. राम चक्र १०.सीता चक्र११.  चेहरा अध्ययन १२. काले धब्बे  ज्योतिष आदि। 

 भारत में सद्यःफल  के लिए साधु-संतों की दिव्य भविष्य वाणी जानने  जाते हैं। नाखूनों को देखकर भविष्य बताने वाले हैं।

  हर जगह की भीड़ के कारण अविश्वास को भी विश्वास होता है।

   मेरे चेहरे देखकर एक संन्यासी ने बताया तुम हिंदी के अध्यापक बनोगे। 1965ई. में हिंदी विरोध, 1967से हिंदी विरोध शासन  में हिंदी ही नहीं,पर मुझे तमिलनाडु मान्यता प्राप्त स्कूल में स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक की नौकरी मिली। प्रधान अध्यापक भी बना।  तमिलनाडु में हिंदी अध्यापक।

  अतः मुझे ज्योतिष शास्त्र पर विश्वास है।

एस.अनंणकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 




 



 

Thursday, August 1, 2024

तन्हाई

 नमस्ते वणक्कम्।

 तन्हाई।

 

तन और मन उतावला तन्हाई में।

लौकिक विचार वालों में।

अलौकिक आध्यात्मिक तपस्वियों  को तो

तन्हाई तन सुध-बुध भूल,

बंद  मन का झूला ।,

 चंचलता दूर , ध्यान में एकाग्रता।

 बन गये आदी कवि वाल्मीकि।

 बन गये शशि तुलसीदास।

 बुद्धि बन गये आसिया ज्योति।

 अंधेरी गुफा में पैगंबर बने।

 अकेले कैद कमरे में गीता रहस्य 

 बालगंगाधर तिलक की देन।

 तन्हाई  तन भूल मन भूल

 आत्मा परमात्मा बन।

 अहं ब्रह्मासमी।

 न भेदाभिन्न भाव अद्वैत सिद्धांत।

 एस.अनंतकृष्णन, तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

कबीर वाणी

 God is great.

 I believe only God from childhood.

 Nothing to worry about.

 Other thoughts are wrong way. It slips.

 Divine path is strong way. No sleepery.

  Divinity always appear like a mad. Fool.

 No worldly affection.

 But it only gives light to us. 

 Although divine man is mad but  God makes him up.

कबीर दास 

S Anandakrishnan 



  A man who's care by almighty He is strong.

 Although the devotee is alone whole world becomes his enemy 

 No one do little harm to him.


 जाको राखे साइयां मारी न सके कोई।

 बाल न बांका करि सकै जो जग वैरी होय।।

 கடவுளால் ரக்ஷிக்கப்படும் ஒருவன் தனியாக இருந்து உலகமே எதிர்த்தாலும் அவனை உலகமே சேர்ந்தாலும் சிறு தீங்கும் இழைக்க முடியாது.

  பூர்வ ஜன்ம கர்ம வினைகள் கூட இன்னல் அளித்தாலும் இன்பம் தரும்.

 கபீர்.

दिव्य शक्ति भारत

 अगजग में भारत-सा  

संपन्न देश।

 ज्ञान का केंद्र, 

वीर वीरांगनाओं का देश 

 वास्तुकला में अतुलनीय।

 धर्म-कर्म में आकार निराकार भक्ति।

 त्यागमय साधु ऋषि मुनि।

 बर्फीले प्रदेश में नंगे बदन।

  स्वर्ण  रत्न हीरे  पन्नों के मंदिर।

 गोरी ,गजनी, मालिकापुर के लूटने के बाद भी उस

 सर्व संपन्न मंदिर,  आज का पुनर्निर्माण।

 राम मंदिर की प्रतिष्ठा।

   फिर भी  हिंदु धर्म की एकता 

 उतनी शक्तिशाली नहीं,

 पैसे स्वार्थ परिणाम 

 जैसा भी हो ईश्वर की सृष्टि में ,

प्रतिभाशाली , मंद बुद्धि, बल दुर्बल चतुर चालाक 

 ये भेद भाव आरक्षण देने पर भी 

 ईश्वरीय शक्ति का अपना विशिष्ट महत्व है ही।

 यही भारत के विभिन्न आक्रमण कर्ताओं को

मज़हबी    घृणित वातावरण में 

 देश भक्ति के शिखर पर है भारत।

 जय जय भारत की दिव्य शक्ति।

एस. अनंत कृष्णन।

तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 



 


 


Friday, July 26, 2024

जिंदगी बनती है

 नमस्ते वणक्कम्।

साहित्य बोध गुजरात इकाई को एसअनंतकृष्णन का।

विषय --जिंदगी दरिया सी है अपने मार्ग बना लेती है।

 विधा --अपनी हिंदी अपने विचार 

             अपनी भावाभिव्यक्ति  स्वतंत्र शैली।

     26-7-24.

जिंदगी शिशु के रूप में,

 जितने कर्ण , कबीर , सीता, आंडाल  जैसे 

 अनाथ रूप में जन्म लेकर,

 श्री कृष्ण जैसे जेल में,

 जंगली नदी के समान

 अनाथालयों में,

  कालीदास जैसे वर पुत्र

 शंकराचार्य बुद्ध महावीर  जैसे दिव्य पुरुष 

 जन्म लेते हैं किसी के गर्भ में 

 पाले जाते हैं किसी की दया से।

पांडु के पुत्र पांडव नाम मात्र के लिए 

  दशरथ के पुत्र खीर से,

 ईसा मसीह के पिता का पता नहीं।

 अपने अपने कर्म फल  के अनुसार 

 बहते हैं बढते हैं किनारा लगते हैं।।

कर्ण को दुर्योधन जैसा,

 अनाथ को अनाथालय जैसा

 पलते हैं भाग्य का बल विचित्र।

 चायवाले भी  विश्व विख्यात प्रधानमंत्री।

  साम्राज्य का उत्थान पतन।

जिंदगी में दरिया सी  अपने मार्ग स्वयं बना लेती है।

 मैं हूं हिंदी विरोधी के शासन में 

 चालीस साल से हिन्दी प्रचारक की जिंदगी।

 हर एक जीव की जिंदगी  स्वयं बन जाती है।

 किसी की जिंदगी नदी सी।

 किसी का नहर सा तो किसी का नाला।

 किसी का मोरा, किसी का तालाब।

 किसी का नंदनवन, किसी का जंगल।

 जिंदगी बनने की सूक्ष्मता मानव बुद्धि के पार।

 सबहीं नचावत राम गोसाईं।।

 एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति कविता मौलिक स्वतंत्र शैली।

 




 

 


Thursday, July 25, 2024

ईमानदारी

 ईमानदारी केवल बातों में 

 व्यवहार में 

देखो रीतिनीति।

आज की चुनाव प्रणाली,

 असुरों को वर देकर खुद भागनेवाले देव।

 देवों के राजा इंद्र कलंकित।

 मुहम्मद  पर पत्थर मार

 ईसा को सूली मार।

 हरिश्चंद्र  का श्मशान रक्षक।

 पूराने देवी का सांसद पद।

 मत दाता को पैसों का लेन देन।

 अमीरों के अपराध को

 मंत्रियों  के भ्रष्टाचारी को

 रिश्वत खुल्लमखुल्ला,

 वाहन की चाबी लेना।

 सिफारिश पर अपराधी मुक्त।

 ठेकेदारों की सड़क बनाना

 ये सब देखकर ईमानदारी ।

ईमानदारी?!!!!!!??????

रिश्वत रोकने एक इलाका

चुनाव आयोग चुप -चुप।

 मधुशाला ही आय का मूल।

बुरे मार्ग की कमाई।

 कबीर की बात।

 गो रस गली गली गली बिक्री।

 मदिरा बैठे आराम।

 ग्वाला झोंपड़ी में।

 कलारिन महल में।


 

एस. अनंतकृष्णन।


Wednesday, July 24, 2024

शरण

 [24/07, 9:26 am] sanantha.50@gmail.com: नमस्ते वणक्कम्।

एस.अनंतकृष्णन का।

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 अस्थाई जीवन।----

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लोग समझते हैं 

पद हैं अधिकार है।

 अंगरक्षक है,

 पर न जानते

 अंगरक्षक ही काल बनेगा।

प्रधान मंत्री को भून डालेगा।

 बम बनकर आएगा,

 शरीर को छिन्न-भिन्न कर देगा।

 कौन सुरक्षित है,अगजग में।

 द्वारका समुद्रतले,

 धनुष्कोटी केवल उजड़े  हैं।

 पूम्पुकार का पता नहीं।

 किले राजमहल उजड़े पड़े हैं।

 मिथ्या शरीर मिथ्या जगत।

 कृष्ण के रहते महाभारत में 

 कितने अधर्म वध,

 रामायण में कपट संन्यासी वेश,

 फिर भी आज कदम कदम पर पाखंड।

 न कोई यहाँ सुरक्षित आराम।

 करोड़पति भले ही वातानुकूलित कमरे में हो,

 वह भी बूढ़ा बन जाता है,

 धन जवानी न दे सकती।

 यम सबकी आँखों मेँ धूल झोंक आ जाता है, हा हाकर मच जाता है।

 सुनामी, मुकुट विषैला कीटाणु 

  न जाने डिंगु, जाने अंजाने रोग।

 केंसर,हार्ट अट्टेक।

 धनी से फुटपाथवासी हँसता है

 निश्छल निष्कपट सहज स्वाभाविक आनंद।

 मीठी नींद सड़क पर।

 अपना अपना भाग्य, 

‌अपना अपना राग 

 अपनी अपनी डफ़ली।

 यही है सांसारिक जीवन।

 चंद दिनों के मेहमान।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 

 सौहार्द सम्मान प्राप्त हिंदी सेवी।

[24/07, 10:52 am] sanantha.50@gmail.com: இறைவன் 

 அவனை வழிபட்டு 

 அவனுக்கு பயந்து 

 வாழ்ந்த 

 பக்தி வாழ்க்கையே

 பேரானந்தம்.

 பரமானந்தம்.

 அதற்கு ராம் பக்தர் தியாகராஜர்

 பல ராம் பக்தர்கள் 

  வாழ்ந்த காலம்.

 இறைவன் அருள் 

 பெற்ற காளிதாசர்

 அருணகிரி 

 துளசிதாசர் 

 கபீர் சூர்தாசர்

 ஆண்டாள் மீரா

 இவர்கள் என்றும் இருப்பார்கள்.

 கருணை நிதி பெற்றவர்கள்.

 இந்த ஆழ் மன பக்தி 

 ஆங்கில மயக்கத்தில் 

 பொருளாதார வளர்ச்சி 

 அருளாதாரம் மறந்து 

 பொருள் +தாரம் -வாழக்கை.

 பெற்றோர்கள் ?

 பொருள் +தாரம்

   சற்றே அருள் ஆதாரம் பெற

 ஆண்டவனை சரணடைவோம்.