Friday, July 7, 2023

सुप्रभात ! ईश्वर सब की भला करें

 सुप्रभात ! ईश्वर सब की भला करें । हिंदी प्रचारक अपनी कल्पना से कोई कहानी,कविता,लिखिए। जितना हो सके अपने सह प्रचारकों से हिंदी में बोलिए ।

ऐसी हिंदी का व्यवहारिक ज्ञान मिलने पर साहित्य दलों में या ब्लाग बनाकर लिखिए. अपनी हिंदी,अपनी शैली,अपना विधा । अपने प्रयत्न में भगवान की कृपा साथ दें ।

अपने मार्ग की रुकावटें दूर होने अमानुष्य शक्ति पर विश्वास रखिए ।

कबीर का यह दोहा याद रखिए---

जाको राखै साइयाँ,मारी न सकै कोय। बाल न बांका करि सकै जो जग वैरी होय ।

अपना कर्तव्य निभाइए । सद्यःफल के लिए अधर्म से बचिए ।

अधर्मियों को भगवान देख लेगा । हर सृष्टि ईश्वर की है तो धर्म और अधर्म भी ईश्वर की लीला है ।ज्ञानी मनुष्य को यथासंभव धर्म मार्ग पर ही चलना है ।

एस. अनंतकृष्णन.

Wednesday, July 5, 2023

नागरी लिपि परिषद

 महोदय,

  नागरी लिपि परिषद का आीवन सदस्य डाक्टर  श्रीमती राजलक्ष्मी कृष्णन की  प्रेरणा से बना। 
परिणाम स्वरूप   पहली बार श्री हरिपाल सिंह जी के प्रोत्साहन से  विशाखपट्टणम   की दो दिवसीय संगोष्ठी में पहली बार भाग लेने का स्वर्ण अवसर मिला । पहली बार विषयांतर रहित संगोषठी में भाग लेने का अवसर मिला। 
  अतिथिसत्कार  में आवास,खानपान,मंच सम्मान, प्रति भागियों के नाम लिखित  बोर्ड संयोजकों के श्रद्धा की प्रत्यक्ष झांकी देखी ।
  २६-६-२७ के दिन ठीक ९.३० बजे सबेरे  सबको श्री गोपालजी,राजभाषा प्रशासन सहायक ने आदर पूर्वक यथास्थान बिठाया। 
साढे दस बजे निर्धारित समय पर  स्वागताध्यक्ष श्री ललन कुमार ,राजभाषा महाप्रबंधक ने सरस्वति वंदना केबाद सबका स्वागत भाषण दिया । फिर मुख्य अतिथि श्री अतुल भट्टजी,अध्यक्ष ,सह प्रबंध निदेशक आर.ए.यन.यल ने नागरी लिपि   दो दिवसीय संगोष्ठियों के उद्देश्य और नागरी लिपि के महतव को समझाया।
मान्य अतिथि प्रो.पूर्ण सिंह डबास ,पूर्व आचार्य बीजिंग विश्व विद्यालय .चीन ने चित्रलिपि की तुलना में नागरी लिपि की वैज्ञानिकता बताकर विश्व की सारी भाषाओं को सही उच्चारण सहित लिखने का सामार्थ्य नागरी लिपि में ही है। विशेष अतिथि श्री सुरेश चंद्र पांडे निदेशक ,कार्मिक ने भी संगोषठी के लक्ष्य और राजभाषा के महत्व पर जोर दिया ।श्री हरिसिंह पालजी ,महामंत्री ,नागरी लिपि परिषद ,नई दिल्ली ने  
नागरि लिपि परिषद के उद्देश्य,अगजग में उस लिपि को अपनाने की संभानाओं की राहे बतायी ।  
नागरी लिपि परिषद द्वारा प्रकाशित किताब का लोकार्पण किया ।
 चाय विरम के बाद प्रो.शहाबुद्दीन शेख नियाज ,पूर्व आचार्य,पूणे  विश्व विद्यालय  की अध्यक्षता में डा. कृष्णबाबू ने भारतीय लेखन पद्धति के विककास पर कहा कि बौद्ध धर्म के प्रचार -प्रसार में ब्रह्मी, प्राकृत लिपि के शिलालेख मिलते हैं । कृष्ण बाबू  ने दर्शकों से  अंतर्क्रियाओं से दर्शकों से सवाल करके समझाया । ब्राह्मणों द्वारा नागरीी लिपि  का विकास हुआ ।डा.सी.एच. निर्मला नेवी चिल्ड्रन स्कूल  ब्रह्मी लिपि ,खरोष्टि,प्राकृत ,कुटिल लिपियों का परिचय देकर  नागरी लिपि का महत्व समझाया।
भोजन विराम के बाद   श्री हरिराम पंसारी ,सेवा निवृत्ति राजभाषा अधिकारी,भुवनेश्वर,प्रो.नागनाथ शंकर राव,कर्नाटक,श्री चवाकुल रामकृष्ण राव,दराबद करनाटक नागरी लिपि और तेलंगाना नागरी लिपि के विकास की संभावना पर प्रकाश डाले ।
तीसरा सत्र डाॅ. पूर्ण् सिंह डडबास ,दिल्ली की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी और सांस्कृतिक सध्या  अति रचक ढग से हुई ।इसमें कविगण डा. पुष्पा पालल ,दिल्ली, श्री मोहन द्वि वेदी ,गजियाबाद,श्री जे.एस. यादव,श्रीमती सुधाकुमारी जुही ,विशाखपटटणम ,आदि ने अपने मधुर स्वर में कविता सुनाई ।
इंटर पास,गाँववाले उदासी, जेब भरा है तो सब सकारात्मक मोहन द्विवेदी    की कविताएँ शिक्षा प्रद रही।
२८-६-२३ के द्वितीय दिवस केकार्य-क्रम डाॅ. हरिपाल सिंह,महासचिव,नागरी लिपि परिषद की अध्यक्षता में ठीक नौ बजे प्रारंभ हुआ । अध्यक्षीय भाषण में श्री हरिसिंह पाल ने कहा कि  नागरी लिपि विश्व मान्य लिपि में  परिणत हो रही है। अध्यक्ष  भाषण के बाद श्री प्रभाकर मनोहर दिवेचा जी ,आरईयनयल  ने यूनिकोड के महत्व और प्रयोग की विधियाँ बताई और कहा  ज्ञात भाषा हो या अज्ञात भाषा अंग्रेजी में टंकण करने पर वह उसी भाषा के रूप में  प्रकट होगा ।  यह यूनिकोड की विशेषता है।
फिर श्री गोपालजी ने   अपने वक्तृत्व में कहा कि  हिंदी के विकास में प्रांतीय भाषाओं के तत्सम और तद्भव शब्दों का योगदान है । तमिलनाडु में जो भी आते हैं ,वे तमिल भाषी बन जाते हैं । तिरुक्कुल, तिरिकटुकम्,विवेक चिंतामणि और कई ग्रंथ  जैन मुनियों की देन है । तेलुगु और कन्नड भाषियों के शासन काल में भी तमिल साहित्य समृद्ध बनी । संस्कृत के विरोध दिखानेवाले शासक दल का चिन्ह उदय सूर्य है।
तमिलनाडु  की राजनीति स्वार्थ  है,पर जनता हिंदी पढना चाहती  है।
 चाय विराम के बाद  श्री ललन कुमार ,राजभाषा महाप्रबंधक की अध्यक्षता में पंचम सत्र शुरु हुआ ।प्रशासनिक क्षेत्र में हिंदी प्रयोग, हिंदी पत्रों के जवाब हिंदी में ही देने की अनिवार्यता का उल्लेख किया गया ।
श्री हरिराम पंसारी ,राजभाषा अधिकरी (सेवा निवृतत)ने कहा कि देवनगी लिपि का  उपयोग दिन दूनी रात चौगुनी   गति से  जटिलता से सरलता की ओर बढ रहा है।     श्री रिजवान पाशा  ,राजभाषा वरिष्ट प्रबंधक 
ने कहा कि राजभाषा कार्यान्वयन अपनी अपनी मानसिकता पर निर्भर है ।
चवाकुल नरसिंह मूर्ति राष्ट्रीय नागरी सम्मान और नकद एक हजार  से नागरी लिपि के सेवक और कविगणोको सम्मानित किया गया ।

अंत में खुला मंच श्री परन डबास की अध्यक्षता में कविगण  डाँ.श्वेतारानी, दिल्ली पब्लिक स्कूल,उक्कुनगरम्, श्रीमती अपराजिता शर्मा ,कवि मोहन द्विवेदी के संगीत महफिल के हर्षोल्लास  और प्रतिभागी प्रमाण पत्र विसर्जन के साथ सभा विसर्जित हुई।
दो दिवसीय कार्यक्रम मे  आन लयन में १३५ प्रतिभागियों ने  भाग  लेकर अपने वक्तव्य  और सेवा निष्ठा का परिचय दिया । 
डाॅ. अनिल शर्मा जोशी ,उपाध्यक्ष हिंदी शिक्षण संस्था,आग्रा ने  अपने व्यस्त कार्य क्रमों के बीच आनलयन में अपने विचारों की अभिव्यक्ति करके  नागरी लिपि और राजभाषा विकास पर प्रकाश डाला।डाॅ.Knlv .श्री कृष्णवेणी जी ,राजभाषा प्रशासन सहायक ने सब को धन्यवाद ज्ञापन प्रकट किया। 

Sunday, June 25, 2023

 हम हैं तमिलनाडु के प्रेमी ,

न हमें स्थाई आय हिंदी द्वारा।
हिंदी की दूकानों खोलते हैं,
इच्छुक ग्राहक हिंदी ज्ञान लेने आते हैं।।
ये दूकान विज्ञापन रहित सहित चलती हैं।
प्रचारकों की काबिलियत के मुताबिक
हिंदी ग्राहक आते हैं।
उनमें नौकरी की आशा नहीं,
हर एक को अपनी अपनी चाहें होती हैं।
उत्तर भारत की यात्रा के लिए कुछ लोग।
व्यापारिक व्यवहारिक चालू हिंदी
जानने कुछ लोग।
अनुवादक बनने कुछ लोग।
प्रचारक बनकर जेब खर्च कमाने कुछ लोग।
आन लयन हिंदी सिखाने कुछ लोग।
हिंदी की दूकानों छोटे मोटे व्यापारियों की तरह।।
सब को कुछ अतिरिक्त आय का मार्ग।
न राज्य सरकार का समर्थन ,
न केंद्र सरकार का समर्थन।
न राष्ट्रीय , प्रांतीय दलों का
मंचीय समर्थन।।
हिंदी की दुूकानें १००%
जनता के समर्थन से चलती हैं।
हिंदी की दुूकानें खोलने की
प्रेरणा गुजराती नेता के द्वारा,
राजाराम मोहन राय द्वारा
मोटूरी सत्यनारायण द्वारा
अहींदी भाषियों के द्वारा ज़ोर पकड़ी है।
स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक ,
सौहार्द सम्मान प्राप्त।

Saturday, June 24, 2023

- परीक्षा।।

 नमस्ते वणक्कम।

सभी साहित्य संगम संस्थान और साहित्य कारों को समर्पण।
शीर्षक -- परीक्षा।।
मानव के लिए परीक्षाएँ अनेक।।
परीक्षा परिणाम भी विचित्र।।
आजकल तीन साल के बच्चे से परीक्षा शुरू।।
बुद्धि मान कमाने में खासकर बाह्यडंबरता
दिखाकर आकर्षित करने में अति चालाक।।
शिशु विद्यालय पूर्व बाल वर्ग 3से4उम्र
परीक्षा फल, पदवी दान समारोह,छाया चित्र।।
अतिरिक्त शुल्क एक हज़ार।
अभिभावक देने तैयार। कुल एक लाख।
अदा करने में अभिभावक की परीक्षा परिश्रम।।
मातृभाषा भूलने एक लाख खर्च।
मातृभाषा बोलना गँवार की प्रशिक्षण परीक्षा।।
तब से तेईस साल तक अग्नि परीक्षा।।
चित्र पट, हस्त दूर भाष संयम की परीक्षा।।
प्रेमी-प्रेमिका मिलने मिलाने मिलवाने की परीक्षा।
प्रेम करने मजहबी, जातीय अंतर्जातीय, अंतर्राष्ट्रीय
प्रेम में बाधाओं में जीतने की परीक्षा।।
सुहागरात की परीक्षा, सम्मिलित परिवार की परीक्षा।।
विदेशी नोकरी पास पोर्ट , विसा की परीक्षा।।
कदम कदम पर परीक्षा जय पराजय।।
आतंक वादी , स्वार्थ राजनीति, रिश्वत, भ्रष्टाचारी।
इन परीक्षाओं के बीच जीने की कामयाबी।।
परीक्षा ही जीवन सत्य असत्य जीवन।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

निद्रादेवि

 निद्रादेवि कहीं छोड चली, वह छली.

कल्पना देवि रूठ चली.
वह छली.
कल्पना घोडा तेज़ चली.
भाग गया.
भारत देश उन्नति की ओर.
विदेशी पत्नी मायके के मोह.
विदेशी पति खान छोड.
चार्स छोड
गांधी जोडना
कहाँ तक सार्थक पता नहीं.

Friday, June 23, 2023

 सबको मेरा प्रणाम ।

 सार्थक है हिंदी प्रचार।

अर्थ की अवनति,

अर्थ पूर्ण जिंदगी,

 हिंदी प्रचार  में।

 अनर्थ नहीं, 

सार्थक है हिंदी प्रचार।

 नागरी लिपि सीखने 

 क्यों तमिलनाडु में संकोच?

पता नहीं, 

द्रमुक दल का प्रचार है

 गजब, घझढधब  के उच्चारण में

 पेप्टिक अलसर की संभावना।

 द्राविड़ पार्टी छोड़ दें,

 यहाँ के विप्र भी न जानते नागरी।

 क1क2क3क4 तमिल में वेद मंत्र की किताबें।

 पता नहीं, तमिलनाडु की वेदपाठ शालाओं में  देवनागरी लिपि सिखाते हैं कि नहीं।

    यकीनन  अर्थ की कमी,

   सार्थक जीवन 

  तमिलनाडु के 

   प्रचारकों का।।

  कोई भी प्रचारक 

 अपनी युवा पीढ़ियों को

 जीविकोपार्जन के लिए

 हिंदी पढ़ का

 समर्थन न करते जान।

 परिस्थिति ऐसी है तो

 हिंदी का  विकास 

 न होगा जान।।

 करोड़ों का खर्च,पर

 सरकार की जवान पत्नी है अंग्रेज़ी।।

 दशरथ चुप कारण जवान कैकेई।।

 सरकार चुप कारण अंग्रेज़ी।

 

 

  अर्थ नहीं,पर है सार्थक जीवन।

  भाग्यवश जो हिंदी प्राध्यापक ,

  सरकारी अध्यापक, हिंदी अधिकारी, बने,

हिंदी विकास की प्रशंसा बढ़ा-चढ़ाकर बोलते।

  ऐलान करने का दिल नहीं,

 सिर्फ हिंदी राज भाषा।

वास्तव में  स्वतंत्रता संग्राम की 

एकता अंग्रेज़ों के थप्पड़ से

 विदेश में  शुरु।

 गोखले, मोहनदास करमचंद गाँधी, आधुनिक गाँधी परिवार, नेहरु ,पटेल ,तिलक, लाल,बाल,पाल अंग्रेज़ी में  पारंगत। 

  अंग्रेज़ी सीखने के बाद

 भारतीय भाषाएँ सीखना

 अति मुश्किल जान।

तमिलनाडु की युवा पीढ़ी,

 40000/+2छात्र  तमिल भाषा में अनुत्तीर्ण ।।

 कर्ड रैस,  लेमन रैस,  ओयइट चटनी,
रेड चट्नी ग्रीन चट्नी

जिन्हें हम  जवानी में कहते 

नारियल चट्नी, तक्काली चट्नी, पुदीना /कोत्तमल्लि चट्नी।

 अंग्रेज़ी मगर मच्छर निगल रहा है

 तमिल भाषा को।।
भारतीय भाषाओं को ।




   नागरी लिपि और भारतीय भाषाओं के  विकास में  अद्भुत शक्ति रही।  
भगवान  की सृष्टियों में कमी रहित सृष्टि नहीं है.
मानव मानव में रंग भेद,आकार भेद, गुण भेद ,उच्चारण में भेद।
जब भाषाओं में लिपि भेद है ,तो कोई भी लिपि  मानक नही है ।
भारत में लिपि सहित भाषाएँ  और लिपि रहित  बोलियाँ हैं ।
देवनागरी लिपि को अति वैज्ञानिक लिपि कहते हैं । लेकिन तमिल भाषा के ऍ,ओॅ  ध्वनियाँ नहीं हैं ।
पर आजकल ए के ऊपर शशिकला लगाकर वह कमी दूर किया जा रहा है । 
तमिल में तीन ल हैं । ल,ल, ल,दो रा है । देवनागरी में ल, ल है, ल के नीचे बिंदु लगाकर तीसरे ल की कमी  दूर हो गयी ।
र, र है,र के  पहले र्   आने पर   मुट्रम ट्  लगाते  हैं ।
तमिल में  ट-ण, त-न, र -न   तीन न है । 
 कर्ण,सुंदर, मन.तब देवनागरी में एक न की कमी है । 
आ सेतु पर्यावरण में भेद --
 कश्मीर से  कन्याकुमरी तक प्राकृतिक विविधता है । कश्मीर के फल दक्षिण में नहीं मिलते ।
पहाडी पेड,पौधे, जडी बूटियाँ  मैदान में नहीं मिलते ।उत्तर में ऊँचे हिमालय पहाड है तो तीन समुद्रों का संगम् 
हिंदु महासगर है। जलवायु, पैदावर के अनुसार  पोशाक,भोजन में भेद होते हैं । 
विचारों की एकता में सत्य,दान,धर्म,परोपकार सर्वमान्य है. बाकी  राजनीति,मजहब,भाषा,अभिवादन प्रणालियाँ आदि में
भिन्नताएँ हैं ।
 सिवा तमिऴ के अन्य सभी भाषाओं  में अल्पप्राण,महाप्राण ,अंतस्त,ऊष्म  वर्णमाला है । पर तमिल में क,च,ट,त,प,
य,र,ल,व, ल,ल,ल,र ,र, न,ड.,ञ,ण,न,न,म है ।
   १९६५ में तमिलनाडू में हिंदी राजभाषा की घोषणा के विरुद्ध  बहुत बडा आंदोलन चला । तब के द्राविड दल के नेता ,
भाषण कला में पटु थे. वे ऐसे मोहक आवाज में जोरदार भाषण देते कि महाप्राण अक्षरों के उच्चारण  लगातार करोगे तो पेट में अलसर हो जाएगा । हिंदी आएगी तो तमिल की मृत्यु हो जाएगी । हिंदी  के प्रति नफरत जगाना ही द्राविड दलों की राजनीति है ।
तमिल प्रांत के लोग तो जान-समझ चुके हैं  कि भारत भर  के संपर्क के लिए हिंदी आवश्यक है । फिर भी सत्ता हासिल करने के लिए हिंदी विरोध को अस्त्र- शस्त्र  के रूप में  प्रयोग  करते हैं । हिंदी के पक्ष में जो नेता थे, वे भी हिंदी का विरोध करने लगे । चक्रवर्ति  १९३७ में मद्रास प्राविन्स के मुख्य मंत्री थे,तब स्कूलें में हिंदी को अनिवार्य भाषा बनायी ।तब  जस्टिस पार्टि के  ई.वे. रामसामी नायक्कर ने हिंदी के विरोध में आंदोलन चलाया।  १९६५ ई. में लालबहादूर शास्त्री ने राजभाषा घोषित की तो हिंदी विरोध में बहुत बडी क्रांति शुरु हो गई । रेल -बस जलाने लगे । हिंदी अक्षरों को रेलवे स्टेशन,डाक- घर में मिटाने लगे। लगभग सौ लोग पुलिस की  गोलियों के शिकार हो गये ।  अण्णादुरै  ,करुणानिधि,राजाजी और बडे बडे लोग हिंदी के विरोध में नारा लगाने लगेे । परिणाम स्वरूप कांग्रस हार गया। १९६७ से आज तक तमिलनाडु में प्रांतीय दल का हिंदी विरोध शासन चल रहा है । अंग्रेजी माध्यम स्कूल की संख्या बढने लगी।तमिल माध्यम स्कूल बंद  होने लगे । लोग तो हिंदी सीखना चाहते हैं,पर हिंदी को राजभाषा बनाना नहीं चाहते ।
  मैं पचास साल से तमिलनाडू का हिंदी प्रचारक हूँ। हर छात्र से साक्षात्कार करता हूँ। वे तो हिंदी पढना चाहते हैं । पर राजभाषा कहते ही नफरत के शिखर पर पहुँच जाते। हिंदी ही नहीं अपनी मातृभाषा तमिल को भी नहीं चाहते । तमिल तो लिखित तमिल अलग ,बोलचाल की तमिल अलग है । आप आइए--बोलचाल तमिल में नींग वांग काफी है । लिखित तमिल में नींगल वारुंगल। 
अंग्रेजी माध्यम के  बढते  बढते भारतीय भाषाएँ पढना मुश्किल  हो जाते हैं । 
मैंने पूछा -आप को अपनी मातृभाषा तमिल क्यों कठिन लगता है .
छात्रों ने कहा-   सभी सर्वनामों के लिए    रोट.wrote.पर तमिल में  तो  नान  एलुतिनेन । नी एलुतिनाय. अवन एलुतिनान .
नांगल एलुतिनोम  नींगल एलुतुकिरीरकलअवर एलुतिनार .  अवरकल एलुतिनारकल ।क्रिया के  इतने परिवर्तन । wrote .
 अंग्रेजी माध्यम पढनेवालों को देवनागरी लिपी भी मुश्किल  लगता है ।

  तमिऴ अति प्राचीनतम भाषा है। तमिऴ भाषा में आ सेतु हिमाचल   के आम शब्द पाये जाते हैं। शुद्ध को चुत्तम् कहते हैं।

आध्यात्मिक क्षेत्र में  पूजा,अर्चना, ध्यान,अष्टमा सिद्धि, प्राणायाम ,योगा  सहस्रनाम,अष्टोत्तरी आदि शब्द पाये जाते हैं।

अधिकांश व्यक्तिवाचक संज्ञा भारत भर के चालू शब्द हैं।

तमिऴ नाम रखना नहीं चाहते।  श्याम, श्वेता, श्रेया, सरोजा,

कमला,जलजा नीरजा,पद्मा, निर्मला, कमला,विमला,लक्ष्मी,प्रेमा,मीनलोचनी,सुलोचना,विजया,

कामाक्षी,अजित,रजनी,सत्यराज,राजकुमार,कामराज, वीरास्वामी,पुरुषोत्तम, षण्मुखम्, आरोग्त सामी, ये नाम भारत भर में चालू है।  हिंदी सिखाते समय इन नंद नामों का तमिल अर्थ बताएँगे तो हिंदी आसान हो जाएगी। भारत भर में बोलनेवाले आम शब्द हजारों तमिऴ में मिलते हैं। निर्वाह, निवारण, परिवर्तन,प्रयत्न, प्रयास, सहायक, व्यापार, विरोध,द्रोह,लाभ-नष्ट, बंद,घेरो,तीर्थ यात्रा, विश्वास, वर, उपयोग,

जैसे हजारों शब्द  आ सेतु हिमालय में व्यवहार में हैं।

नगर, ग्राम, ग्राम पंचायत, अधिकारी , जन्म,मरण,पाप,पुण्य,

दरिद्र, रोग, चिकित्सा, प्रायश्चित ।

ऐसे भारत भर के आम शब्द के कारण  भारतीय भाषाओं की एकता का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

  आचार्य विनोबा भावे के भूदान यज्ञ में तमिलनाडु के गाँव गाँव में हिंदी गूँज उठी है। हमें उनके देवनागरी लिपि 

सिद्धांत  के अनुसार भारतीय सभी भाषाओं को देवनागरी लिपी द्वारा सिखाना चाहिए। मैंने तमिल सीखिए किताब को हिंदी देवनागरी लिपी में ही लिखा है। उसकी pdf भी  नागरी लिपि परिषद  , हिंदी गौरव सम्मान, मेरे ब्लाग तमिल हिंदी संपर्क में भेजा है।

तमिल के प्रसिद्ध चित्रपट के कवि सम्राट कण्णदआसन ने भाषाई एकता की कविता में लिखा है "हिंदी मोर नाचो नाचो, धीरे-धीरे , मातृभूमि तुमको अपनाएगा।

हिंदी और देवनागरी लिपि की सरलता को युवकों को समझाने का प्रयत्न करना चाहिए। मातृभाषा माध्यम के छात्रों को ही सरकारी कार्यालयों में नियुक्त करना चाहिए। भारतीय भाषा माध्यम पाठशालाओं की ओर जनता को खींचना चाहिए।पर आज़ादी के पच्हत्तर साल के बाद भी  अंग्रेज़ी का मोह बढ़ रहा है तो अंग्रेज़ी ही जीविकोपार्जन की भाषा है।

१९५७ की स्वतंत्रता भारतीय भाषाओं के विकास के लिए, पर

अंग्रेज़ी माध्यम पाठशालाएँ बढ़ रही है। भारतीय भाषा माध्यम की पाठशाला केवल गरीब वर्ग  का हो रहा है। सांसद,वि नंद आयकर, जिलादेश ही नहीं सरकारी स्कूल के अध्यापक भी निजी स्कूलों में ही अपने बच्चों को भर्ती कर रहे हैं जहाँ मातृभाषा बोलने पर जुर्माना लगाते हैं। सोचिए, कितना खेद का  विषय है। 

धन्यवाद।

जय हिन्द। जय हिन्दी।

 








 




  



  











  










 

Monday, June 19, 2023

मानव मन

 मानव मन

मानव  मन  की लहरें,
उठती रहती हैं .
विचारों की तरंगें
ज्वार -भाटा ,
मन ज्वालामुखी ।
मन भूकंप ,
मन आँधी तूफान
मन आसक्त-मन अनासक्त
मन लोभी,मन क्रोधी,
मन लैकिक- मन अलौकिक
मन वीर-मन कायर
मन प्रेम,मन शत्रु ,
मन विजयी,मन कायर,
मन भोगी,मन त्यागी.
मन स्वर्ग.मन नरक.
मन चंचल,मन अचंचल.
मन चंगा तो कटौती में गंगा ।
मनोवांछित फल
मनोकामना
मन चतुर,मन चालाक ,
मन बुद्धिमान,मन बेवकूफ,
मन ज्ञानी ।