Thursday, November 26, 2015

जागो

अगजग देखो,
जागकर देखो
जहा अच्छा है या बुरा।
ईशवर की रीतिनीति देखो।
इस जग को देखो।
हिरन सा साधु।
साँप सा विषैला।
बडी मछलियाँ
छोटी मछलियाँ
मकडियाँ
छिपकलियाँ
जोंघु
न जाने
विषैली पेड पौधे
आरोग्यप्रद जटिबूटियाँ.
इन सबों को मिलाकर
ईश्वर ने बनाया
अहं ब्रह्मास्मि का
अहंकारी मनुष्य।
दंड मृत्यु दंड तय करके।
मरता है.मारता है।
जो भी भला बुरा करता है
नाटक का मंच
दृश्य बदलता रहता है।

Wednesday, November 18, 2015

परेशानी ही होगी परेशानी.

विश्व के व्यवहार देखो ;

धन  ही धन  जीनेवाले ,

निर्धनी सा सुखी नहीं ;

निर्धनी का विचार है 

धनी ही सुखी. 

धन जोड़कर देखो ;
धनी बनकर सुखी बनो ;

बाह्याडम्बर  के चक्कर में 

आधुनिक सुख सुविधाओं ओ भोगकर देखो ;

पैदल चलना भारी हो जाएगा;

ज़रा सा सर्दी ,ज़रा सी गर्मी सहना मुश्किल 
हो जाएगा; 
बिजली का पंखा ,
वातानुकूल कमरा 
सुख झेलकर एक दिन भी 
उनके बिना मीठी नींद सोना 
दुर्लभ हो जाएगा। 

कृत्रिम वातावरण में पलने से शरीर 
साथ न देगा ;
पानी तक फूँक फूंककर पीना पडेगा;
साँस  लेना दुर्लभ हो जाएगा;

रोग रहित गोली रहित सुविधा रहित जीवन 

नरक तुल्य बन जाएगा;

निर्धनी सा मीठी नींद ,
निर्मल हँसी  ,
मिलना जुलना असंभव हो जाएगा;
नौकर चाकर का आदर मिलेगा;
दिली मुहब्बत मिलना दूभर हो जाएगा;
नाते रिश्ते भी 
ऐंठकर रहेंगे;
ऊँचे  पर पहुँच जाओ 
सुरक्षा दल  के बिना चलना बाज़ार में 
बेचैन हो जाएगा. 
चाय की दूकान  से प्रधान बने मोदीजी ,
स्वयं सेवक मोदीजी ,
अभिनेता कंडक्टर से बने रजिनी जी 
तब जैसे आम जगहों में स्वच्छंद घुमते ,
अब सुरक्षा दल सहित चलना पड़ता है;

धनी और उच्च पद पर देखो 
बेचैनी ही बचेगी ज्यादा;
हर शब्द हर चाल में ज़रा सी असावधानी 
चर्चा बन जाएगी;
कपडे पहनो उसके दाम की चर्चा;

लड़की से हाथ मिलाओ चर्चा ;
चर्च जाओ चर्चा ;मस्जिद जाओ चर्चा ;
न जाओ तो नास्तिक;
जाओ तो धार्मिक ;
अमुक धर्म का अनुयायी ;
अमुक धर्म से फिसलकर विधर्मी का समर्थक;
जो  करो अखबार में आलोचना;
धनि और उच्च पद पर पहुंचकर देखो 
परेशानी ही होगी परेशानी. 






Tuesday, November 17, 2015

पाप।

ईश्वर  की करुणा अपूर्व।
बचपन  जवानी बुढापा मृत्यु
रीति बनाई।
अवनी को नश्वर बनाया।
फिर भी मनुष्य कर रहा है
अन्याय।भ्रष्टाचार। रिश्वतखोर।
चुनाव में मनमाना।करोडों का खर्च ।
खर्च कमाने मनमाना।

देशद्रोह। कलंकित पापी आत्मा।
न पुण्य न धर्म न पाप।
न भय ईश्वर का।
न भय नरक का।
मारने मरवाने मजदूरी सेना।
धर्म के नाम वध करने की सेना।
आत्म हत्या की सेना।
न जाने मनुष्यता कहाँ गईः