Monday, February 15, 2021

भगवान का दंड पुरस्कार

 वणक्कम। नमस्कार।

भगवान से सृष्टित संसार। 

भगवान की प्रार्थना अनिवार्य। 

हमारे  ऋषि मुनियों को ,पैगम्बरों को 

अगजग  की एकता के लिए   के

शान्ति  के लिए ,

भाईचारा बढ़ने -बढ़ाने के लिए 

प्रेम  से रहने के लिए ,

 दान धर्म, सहानुभूति, परोपकार,फँ

निस्वार्थ समाज कल्याण, विभाग

संक्षेप में इन्सानियत,संयम, 

भगवान के प्रति भक्ति भाव।

जितेन्द्रियता, ईमानदारी,

वचन का पालन,सत्यव्रत।

    सोचिए,मनुष्य सद्य:फल के लिए मनुष्यता

छोड़ देता तो वह मृगतुल्य।

लौकिक मृगतृष्णा की मिथ्या दौड़।

माया/शैतान/सामान के चंगुल में 

फँस जाता है।

भगवान को मालूम है,

मनुष्य  जानवर है।

हम ज्ञान देते हैं, 

मनुष्यता अपनाने वालों को सुखी रखेंगे।

बाकी को बदनाम  देंगे।

सबको मृत्यु  दंड  निश्चित।

ऐसा कानून ईश्वर का हर पापी को दंड/सजा।

 अतः  हर किसी को संसार में 

कोई न कोई कष्ट  विविध प्रकार के

भोगता है। गहराई से विचार करेंगे तो

समझेंगे कि यह  भूमि ही स्वर्ग नरक।

यह धरती ही जन्नत जहन्नुम।

 असाध्य रोग,साध्य रोग,   दरिद्रता,

लाभ नष्ट,कीर्ति अपकीर्ति, ज्ञानी अज्ञानी।

अंग हीनता,पदोन्नति पदोअवनति 

अल्पायु पूर्णायु, आत्महत्या,हत्या 

काम क्रोध मद लोभ में सद्गुण भी ईश्वरीय देन है

 अतः देवेन मनीष्यरूपेन।

अन्यायी न्यायी, दोनों ही सुख दुख भोगते हैं।

 दोनों को दंड  पुरस्कार देते हैं।

अंतिम सजा मृत्यु स्वर्ग नरक भोगने के बाद।

 संसार में रहकर सौ प्रतिशत तटस्थ रहना असंभव।

अतः सिद्ध पुरुष जंगलों में पहाड़ों में दुर्गम

स्थानों में  बस जाते हैं।

 कोई सज्जनों को अपनी दिव्य  शक्ति द्वारा

मिलवाकर दिव्य संदेश देते हैं।

वह दिव्य पुरुष की नसीहतें सुनकर 

समाज में पाप पुण्य के डाँवाडोल में

मनुष्य सुख दुख भोगते हैं।

इन दिव्य पुरुषों में   समाजिक संक्रामक रोग

माया पकड़ लेती है।

पर जल्दी ही उसका भंडा फोड़ जाता है।

वह अपमानित होकर छिप जाता है या जेल का दंड भोगता है।

भगवान सृष्टियां समाज। पाप पुण्य का भंडार घर।

जैसा लेते हैं वैसा ही स्वर्ग नरक  भेज गया है मनुष्य


स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Thursday, February 4, 2021

पुकार

 नमस्कार। वणक्कम।

विषय  पुकार 

५-२-२०२१कलमकार कुंभ।

पुकार बुला अर्थ हिंदी हो तो

पुकार तमिल शब्द का अर्थ शिकायत।

  पुकार  

 माँ की पुकार में ममता,

पिता की पुकार में भय,

नानी ,दादी की पुकार,

मामा,बुआ की पुकार।

हर पुकार में प्रेम,आतंक।

दोस्त की पुकार में  आनंद उल्लास।

 अध्यापक की पुकार में 

ज्ञान, अनुशासन, चरित्र गठन।

 देश की पुकार में देशभक्ति।

  भक्तों के प्रेम पुकार में 

 ईश्वरानुराग ।

काल की पुकार  निश्चित।

उनकी पुकार की तारीख पता नहीं,

उतने में हमें कल्याण कार्य कर

पुण्य कमाना मानव धर्म


स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक। का इस

स्वतंत्र

 ग्वालियर साहित्यिक सांस्कृतिक मंच के प्रशासक प्रबंधक संचालक समन्वयक सदस्य पाठक सब को सादर प्रणाम।

  इस दल में मेरी पहली अभिव्यक्ति।

३-२-२०२१

विषय  स्वतंत्र 

विधा। अपनी भाषा अपनी अभिव्यक्ति अपना छंद

 स्वतंत्र भारत नाम के लिए।

नौकरी बगैर अंग्रेज़ी के नहीं।

पोशाक अंग्रेज़ी के।

  टूटी फूटी अंग्रेज़ी न तो

 शुद्ध भारतभाषी अपमानित।

अंग्रेज़ी पेय,पीने का जल 

 हर बात में अंग्रेजियत।

हम स्वतंत्र भारतीय नाम के वास्ते।

विदेशी पूंजी विदेशी मालिक 

हम हैं दास।

भारतीय दास,नाथ देव तुल्य।

तुलसीदास कबीरदास रैदास एकनाथ


स्वतंत्र व्यक्तित्व दासों को भूल,

अंग्रेज़ी दास बनकर कहते हैं

स्वतंत्र।

सत्तर साल के बाद

आज ललकार

स्ववच्छ भारत, भारतीय बनो।

 भारत में बनाओ।

गंगा घाटी डुबोकर पानी।

पर मुझे पीने का पानी

एक लिटर २५ रुपए में लेना पड़ा।

  यह धिक्कार है स्वतंत्र।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

धरती

 कलमकार दल के प्रशासक,सदस्य समन्वयक संयोजक पाठक सब को हार्दिक नमस्ते वणक्कम।

४-२-२०२१

शीर्षक--धरती

धरती एक,गुण अनेक।

समृद्ध भूमि,संपन्नभूमि 

मरुभूमि,सूखी भूमि,

  नदी किनारे की हरी धरती।

सभ्यता का पालना।

मेरी भारत धरती कृषी प्रधान।

विदेशियों के आने के पहले,

अग जग की अमीर भूमि।


 मंगोलिया,फ्रांस,डच,अंग्रेज़,यूनानी 

सब लुटेरे लूटने आये,

खूब लूटे,  शैतान का कुप्रभाव,

  भारतीय संस्कृति, उद्योग, कलाएँ,

कुटिर उद

योग, संगीत, भारतीय भाषाएँ सब

खुद भारतीय ठुकराने लगे।

भारत की धरती पर

स्वर्ण उगता,दान धर्म की भूमि।

त्याग की भूमि,मानवता की श्रेष्ठ भूमि।

उद्योगीकरण, शहरीकरण,शहर विस्तार के नाम

मरुभूमि बना रही है।

विदेशी पेय,विदेशी कार कारखाना,

आदि के कारण जल प्रदूषिण वायु प्रदूषण, विचार प्रदूषण की 

भूमि बन रही है।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Wednesday, February 3, 2021

भावना

 हम नमस्कार वणक्कम।

कलमकार कुंभ ३-२-२०२१!

विषय। भावना।

विधा अपनी शैली अपनी भाषा अपनी अभिव्यक्ति अपना छंद।

अपनों के दुख में,

  भावना  अलग।

परायों के दुख में

भावना अलग।

पीडा का संवेग 

 दोस्ती-शत्रु में

अति विपरीत।।

  हार जीत में

पक्ष दल विपक्षदल 

मृत्यु में भी  भावना अलग।

 आँखों देखी दुर्घटना,

आकस्मिक हो तो

भावना  अलग।

ड्राइवर पियक्कड़ होतो 

क्रोध की भावना बहुगुणा अधिक।।

 डाक्टर हाथ छोड़ देता तो

भक्ति भावना अलग।

 नकली साधु ढोंगी का पता

लगे तो भक्ति विपरीत।

भावनाएँ अलग अलग । भी

घटना  अलग-अलग।

 प्रेम में फर्क,क्रोध में फ़र्क।

  करुण में फर्क।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Tuesday, February 2, 2021

रिश्ते

 साहित्य संगम सब इकाइयाँ, कविता कोश,काव्योदय, हिंदी प्रेमी समुदाय, साहित्य संगम, हिंदी लेखक परिवार,विश्व हिन्दी सचिवालय  और अंतर्राष्ट्रीय  साहित्य संगम, वर्णमाला साहित्य संगम सबको समर्पण। 

३_२_२०२१.

विषय। रिश्तें

विधा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति

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रिश्तें   खून के ,

रिश्तें मिलन के,

 रिश्तें माँ के, सौतेली माँ के,रखैल के।

 माँ धाय माँ के

सब प्रकार के रिश्ते,

 रिश्ते दोस्त के, रिश्तें भक्तों के

 रिश्ते देश विदेश के

रामायण काल से आज तक

  सबके व्यवहार पढ़ा,परखा,

सच्चे ,कच्चे, पके,ठगे रिश्तें।

कर्ण की माँ निर्दयी

 कायर कामान्ध ।

भरत की माँ  अस्थिर,

मामा शकुनि  प्रतिशोध,

विभीषण ईमानदारी पर द्रोही,

मन में नाना विचार,

सर्वैश्वर की लीला।

भीष्म का बलात्कार,

विचित्र वीर्य नपुंसक तीन अबलाएँ,

विदुर से  अछूत का व्यवहार।

पांडवों के विविध पिता,

भीष्म प्रतिज्ञा,

अति विचित्र नाते रिश्तें।

ईश्वर की लीला अपूर्व अद्भुत।

मानव का सच्चा रिश्ता परमेश्वर।

जब  चाहते अपने आप परम पद देते।

बाकी रिश्तों में 

 विश्वसनीय-अविश्वनीय होते।

ईश्वरमानव सृष्टित अति स्वार्थ। के

 सोनिया मंदिर,मोदी मंदिर ,

जयललिता मंदिर,अभिनेता अभिनेत्री मंदिर।

मानव के स्वार्थ मंदिर। न समरस सन्मार्ग। इस करें हैं

 प्राकृतिक मंदिर सूर्य चंद्र,हवा,पानी,अग्नि,

ये ही समदर्शी भगवान।बाकी मानव निर्मित व्यापार केंद्र।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक










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