शीर्षक --यादें।
Thursday, December 31, 2020
यादें
अविस्मरणीय घटना
मेरे जीवन की अविस्मरणीय घटना।
मैं १९६७ में P UC के बाद आगे पढ न सका। मेरी मां हिन्दी प्रचारिका।
मैं भी हिंदी प्रचार करने लगा ।
तब एक सरकारी अस्पताल के एक कर्मचारी हिंदी पढ़ने आए।
नाम हृदय राज। चतुर थे।
पर यह ,वह का उच्चारण यग ,लग
ही किया करते थे।
एक दिन वे मिठाई के साथ आए।
कहा - मैं पी.ए.,(बी.ए) पास हो गया।
दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्राचार पाठ्यक्रम में पढ़ा।
मैं ने उनकी प्रेरणा से
बी.ए, का स्नातक बना।
उनका नाम ह्र राज मेरे ह्रदय कै राजा बने। मुझे सरकारी स्कूल में तमिलनाडु में हिंदी अध्यापक की नौकरी मिली।
तब मेरे सह अध्यापक श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में निजी छात्र के रूप में
एम.ए हिंदी पढ़ने की सलाह दी।
पहली बार तिरुपति गया।
परीक्षा देकर तिरुमलाई में श्री वेंकटेश्वर के दर्शन करने गया। बड़ी भीड़ थी।
तब गोपुर के प्रधान
द्वार पर खड़ा था। पहली बार जाने से पता नहीं कतार पर खड़े होने कहां जाना है।
तब न जाने एक अज्ञात दिव्य पुरुष मुझे सीधे राजगोपुरम से गर्भ स्थान ले गए। श्री बालाजी के दर्शन दस मिनट में। एम.ए के परीक्षा फल के निकलते ही स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक की नौकरी हिंदू हायर सेकंडरी स्कूल,तिरुवल्लिक्केणी , चेन्नई में।
जिस प्रांत में सरकारी स्कूलों में हिंदी ही नहीं, वहां हिंदी स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक। हर साल स्कूल के अध्यापक संघ द्वारा दस रुपए में
तिरुमलाई की तीर्थ यात्रा। दो दिन बढ़िया भोजन के साथ ठहरने की व्यवस्था। पच्चीस साल लगातार दर्शन। अवकाश प्राप्त होने तक।
चिरस्मरणीय दर्शन। मुझे सीधे दर्शनके लिए जो ले गये, उन्होंने अपना नाम वेंकटाचलम कहा और यह भी कहा मैं सब का अन्नदाता हूं। दर्शन कर बाहर आते ही वे ओझल हो गये।
आज भी वह घटना ताज़ी है।
ऊं अच्चुदा अनंता गोविंदा।।
चिरस्मरणीय अनुकरणीय उल्लेखनीय घटना।
सबहिं नचावत राम गोसाईं।।
Wednesday, December 30, 2020
आसमान
नमस्ते नमस्ते वणक्कम।
दिनांक 30-12-2020
बुधवार।
विषय -- गगन। आकाश आसमान
तमिल में एक प्राचीन कविता है,
गगन तमिल में कगनम्।
गगन से आते समय नीर तेरा नाम।
ग्वालिन के हाथ जाने पर मट्टा।
आसमान नीला, मेघ सफेद,काला।।
धूप ले जाता भाप,
नीला मेघ सफेद होता।।
सफेद मेघ काला बनता।
काले बादल गरजता,
बिजली चमकाता।
रिमझिम पानी बरसाता।
आसमान पर सूर्योदय की लालिमा
सूर्यास्त की लालिमा।
एक जगाता,
एक सुलाने का
समय लाता।।
आसमान न होता तो
हमारी भूमि का छत,
समृद्धि और सूखे के मूल।।
पूर्णिमा की चांदनी अति अद्भुत।।
आसमान में इंद्रधनुष कितना मनोहर।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
मौसम
नमस्ते वणक्कम।
३०-१२-२०२०
साहित्य संगम संस्थान पंजाब इकाई
मौसम .
मौसमों का बदलना,
पसंद हो या न हो,
हर मौसम के चाहक
अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए।
शक्कर और नमक के व्यापारी
वर्षा नहीं चाहते। गर्मी चाहते।
गरम कपड़े के व्यापारी ,
सर्दी चाहते, गर्मी नहीं।
स्कूल के बच्चे वर्षा चाहते
बार बार स्कूल की छुट्टी।।
मरुभूमि और ध्रुव प्रदेश।
मौसम की चिंता नहीं।
छात्रों के लिए
मार्च-अप्रैल वार्षिक
परीक्षा का मौसम।।
अनपढ़ों के लिए भय।।
पढ कर जो परीक्षा देने तैयार हैं,
उनके लिए आनंद का मौसम।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
हाथी
नमस्ते। वणक्कम।
माँ हाथी, बच्चा हाथी।
अति प्रिय ,पर कुमुकी हाथी।
अलग ले आने में समर्थ।
देखने में बड़ा हाथी,
पर प्यार का प्यासा,
पालतू हाथी,
सरकस हाथी,
पूजा की घंटी बजाता।
दोनों पैरों से नाचता।
एक स्कूल पर खड़ा हो जाता।।
जंगली हाथी और सनकी
अति भयंकर जान।।
शहतीर उठाने में मदद।
पागल हो जाता तो शहतीर
उठाकर फेंकने माउत को भी
मारने तैयार।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।
Tuesday, December 29, 2020
माया
नमस्ते। நமஸ்தே.
वणक्कम।। வணக்கம்.
माया ।शैतान। மாயை . சைத்தான்.
வணக்கம்.நமஸ்தே!
தமிழும் நானே.ஹிந்தியும் நானே.
கவி குடும்பம்..कवि कुटुंब।
இன்றைய தலைப்பு.
शीर्षक :माया-योगमाया ।மாயை யோகமாயை.
6-12-2020.
असली माया।। உண்மையான மாயை
नकली माया।। பொய்யான மாயை.
रंग माया। வண்ண மாயை.
रंगीली माया।। கேளிக்கை மாயை
चमकती माया।। ஒளிரும் மாயை.
नर-नारी, प्रेमी-प्रेमिका माया।। ஆண்-பெண்,காதலன்-காதலி மாயை
धन माया, अहं माया।। தன மாயை,ஆணவமாயை
लोभ माया ,सत्ता माया, பேராசை மாயை,
ஆட்சி மாயை
पद माया, अधिकार माया।। பதவி மாயை ,அதிகாரமாயை.
न जाने विविध माया।। அறியாத பல வித மாயைகள்.
माया से बचना अति मुश्किल।। மாயையில் இருந்து தப்பிப்பது அதிக கடினம்.
माया महाठगिनी மாயை மஹா மோசக்காரி
त्रिदेव भी न बचे।। மூன்று. தேவர்களும் தப்பவில்லை.
मामूली मानव सद्य: फल के लोभी।।
சாதாரண மனிதன் உடனடி பலன்
அடையும் பேராசைக்காரன்.
परिणाम असाध्य दुखी ईश्वरीय दंड।।
பலன் தீர்க்க முடியாத
கடவுளின் தண்டனை.
+++++++++++++++++++
योगमाया योग साधना ध्यान।
யோகமாயைகடவுள் விருப்பம்- யோகசாதனை -தியானம்.
कितने करते वे सुखी।।
செய்கின்ற அளவிற்கு சுகம் அதிகரிக்கும்.
செய்யாத அளவிற்கு துன்பம்.
அதனால் மனிதனால்
மாயையில் சிக்கி
மனிதன் சொல்கிறான்--
உலகம் இன்னல் மயமானது.
யோகமாயை (ஈஸ்வரசக்தி மாயை)
பெற்ற மனிதன் சொல்கிறான்---
"பூமி சுவர்க்கம்."
नमस्ते।
वणक्कम।।
माया ।शैतान।
असली माया।।
नकली माया।।
रंग माया।
रंगीली माया।।
चमकती माया।।
नर-नारी, प्रेमी-प्रेमिका माया।।
धन माया, अहं माया।।
लोभ माया ,सत्ता माया,
पद माया, अधिकार माया।।
न जाने विविध माया।।
माया से बचना अति मुश्किल।।
माया महाठगिनी त्रिदेव भी न बचे।।
मामूली मानव सद्य: फल के लोभी।।
परिणाम असाध्य दुखी ईश्वरीय दंड।।
योगमाया योग साधना ध्यान।
कितने करते वे सुखी।।
कितने न करते दुखी।
अतः मनुष्य कहता है
दुख भरा संसार।।
योगमाया प्राप्त मानव कहता,
स्वर्ग है वसुंधरा।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।।
कितने न करते दुखी।
अतः मनुष्य कहता है
दुख भरा संसार।।
योगमाया पर्याप्त मानव कहता,
स्वर्ग है वसुंधरा।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।।
पूजा अर्चना और वंदना
नमस्ते। वणक्कम।
शीर्षक पूजन अर्चन वंदना।
29-12-2020.
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
फूलों से अष्टोत्तर, सहस्रनाम,
अर्चना मनोकामना पूरी होने वंदना।।
भारतीय परंपरा ईश्वर वंदना का।।
पू माने फूल। सेय माने करना।
पूजा फूल से सहस्रनाम,
एक एक फूल डालकर अर्चना।।
कर जोड़ ईश्वर से प्रार्थना।।
लाखों नामों की अर्चना भी है।
मानसिक शांति , संतोष ,आनंद
पूजा,अर्चना और वंदना है
मनोकामना होती है पूरी।
अनंत कृष्णन चेन्नै तमिलनाडु
Monday, December 28, 2020
फूल
नमस्कार। वणक्कम।
शीर्षक सुमन। २९-१२-२०२०
सुख शांति से जीने
मन सु+मन होना रे।
सुमन से
सुमन हाथ में
लेना,
अष्टोत्र नाम कह कह,
एक एक करके भगवान के
पाल कमलों पर चढ़ाना।
वंदना कीर्तन करना।
सुमन सुगंधित है मन भी सुमन हो।।
चमेली फूल अति सुगंधित।।
सर पर रखते , द्वार पर खड़े
सबेरे गये पति की प्रतीक्षा में।
सुमन भगवान पर चढ़ाते,
मन सुमन हो तो भगवान
खुश हो जाते।।
फूलों का किरीट
भगवान की शोभा
बढाता।
शादी में तो फूलों की माला।
वर, वधु की खूबसूरती बढ़ाती।
अमीरों के शव उठाने,
सुमनों की पालकी,
सुमन और सिक्का फेंकना।
मदन मोहन मालवीय जी,
हैदराबाद निजाम
विश्वविद्यालय बनवाने
दान नहीं दिया तो
शव पर फेंके
सिक्का चुनने लगे।।
यह भी कहने लगे,
नवाब से मिलकर
खाली हाथ कैसे लौटूँ?
भारतीय आत्मा ,
माखनलाल जी का कहना था
हे वनमाली, फूल की चाह यही,
तोड़कर उस पर पर फेंकना,
जिस पर जावे वीर अनेक।।
रंग-बिरंगे विविध फूल हम,
भारत वासी, भारत उद्यान सुंदर।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
वाह!वाह!
साहित्य बोध में
मेरी पहली रचना ।।
दल में सम्मिलित कर लिया।
तदनर्थ धन्यवाद।।
***********
सर्वेश्वर से मेरी प्रार्थना।।
साहित्य कार में
शैतानियत का वास न हो।।
सदा प्रेम प्रेमिका की बात,
लौकिक इच्छा बढ़ाने की बात न हो।।
संयम जितेन्द्र परहित ही मानवता।।
सार्वजनिक स्थानों पर,
समुद्र तट पर खुल्लमखुल्ला प्यार।
आलिंगन चुम्बन मानवता नहीं,
पशुतुल्य व्यवहार मान।।
मजहबी कट्टरता, मनुष्य मनुष्य में नफ़रत
खुदा के नाम हत्या, मूर्ति तोड़ना,
बहुत बड़ा पाप, ऐसा करें तो
धरती में ही नरक तुल्य
जहन्नुम की वेदना जान।।
खेती की भूमि को नगर विस्तार के लिए,
कारखाना, स्कूल,कालेज बनवाना
जंगल का नाश देश को नरक बनाना जान।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै तमिलनाडु।
साहित्य में
साहित्य बोध में
मेरी पहली रचना ।।
दल में सम्मिलित कर लिया।
तदनर्थ धन्यवाद।।
***********
सर्वेश्वर से मेरी प्रार्थना।।
साहित्य कार में
शैतानियत का वास न हो।।
सदा प्रेम प्रेमिका की बात,
लौकिक इच्छा बढ़ाने की बात न हो।।
संयम जितेन्द्र परहित ही मानवता।।
सार्वजनिक स्थानों पर,
समुद्र तट पर खुल्लमखुल्ला प्यार।
आलिंगन चुम्बन मानवता नहीं,
पशुतुल्य व्यवहार मान।।
मजहबी कट्टरता, मनुष्य मनुष्य में नफ़रत
खुदा के नाम हत्या, मूर्ति तोड़ना,
बहुत बड़ा पाप, ऐसा करें तो
धरती में ही नरक तुल्य
जहन्नुम की वेदना जान।।
खेती की भूमि को नगर विस्तार के लिए,
कारखाना, स्कूल,कालेज बनवाना
जंगल का नाश देश को नरक बनाना जान।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै तमिलनाडु।
सुमन
नमस्कार। वणक्कम।
शीर्षक सुमन। २९-१२-२०२०
सुख शांति से जीने
मन सु+मन होना रे।
सुमन से
सुमन हाथ में
लेना,
अष्टोत्र नाम कह कह,
एक एक करके भगवान के
पाल कमलों पर चढ़ाना।
वंदना कीर्तन करना।
सुमन सुगंधित है मन भी सुमन हो।।
चमेली फूल अति सुगंधित।।
सर पर रखते , द्वार पर खड़े
सबेरे गये पति की प्रतीक्षा में।
सुमन भगवान पर चढ़ाते,
मन सुमन हो तो भगवान
खुश हो जाते।।
फूलों का किरीट
भगवान की शोभा
बढाता।
शादी में तो फूलों की माला।
वर, वधु की खूबसूरती बढ़ाती।
अमीरों के शव उठाने,
सुमनों की पालकी,
सुमन और सिक्का फेंकना।
मदन मोहन मालवीय जी,
हैदराबाद निजाम
विश्वविद्यालय बनवाने
दान नहीं दिया तो
शव पर फेंके
सिक्का चुनने लगे।।
यह भी कहने लगे,
नवाब से मिलकर
खाली हाथ कैसे लौटूँ?
भारतीय आत्मा ,
माखनलाल जी का कहना था
हे वनमाली, फूल की चाह यही,
तोड़कर उस पर पर फेंकना,
जिस पर जावे वीर अनेक।।
रंग-बिरंगे विविध फूल हम,
भारत वासी, भारत उद्यान सुंदर।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
श्रृंगार
नमस्ते वणक्कम।
विषय श्रृंगार ।
श्रृंगार का अर्थ अलंकार।।
भगवान भी अगजग में प्रसिद्ध।
जब फूलों से सजाते हैं।।
स्वर्ण कवच पहनाते हैं।
हीरे का मुकुट पहनाते हैं।
आश्रम के प्रवचन
आध्यात्मिक आचार्य,
स्वर्ण सिंहासन, मुकुट ।।
न तो आसाराम का महत्व नहीं
नित्यानंद का बचना नहीं।
श्रृंगार बिना मेहंदी बिना शादी नहीं
गली गली में ब्यटि पार्लर।
दूल्हा दुल्हन ब्यूटी पार्लर में।
कहानी यही खलनायक का
उठाकर ले जाना।
श्रृंगार बिन कविता भी न रुचियां जान।।
साबुन की बिक्री
उसके अलंकृत आवरण से।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
भगवान भिन्न भिन्न नहीं,एक।।
इबादत या झूठ।
28-12-2020
नमस्ते। वणक्कम।
खुदा के नाम झूठ।
इबादत के बहाने झूठ।।
प्रार्थना के नाम झूठ।।
स्तुति के नाम झूठ।
झूठ क्या? इबादत क्या?
मजहबी बातें।
कैसे-कैसे ?
भगवान के रूप है?
खुदा के रूप रंग नहीं है?
पाप कर माफी मांग।
पाप से मुक्ति।
मेरे अल्ला बड़े।
मेरे विष्णु विराट रूप।।
मेरे ईसा पापियों के लिए खून बहाया।
तीनों समुद्र के तट पर।
खुदा के नाम इबादत प्रार्थना स्तुति के नाम
आपस में कटकर मरने ही वाले थे,
तत्काल तेज सुनामी तीनों को एक साथ
भूकंप तीनों को एक साथ।
कोराना तीनों को एक साथ।।
विमान दुर्घटना तीनों को
एक साथ उठाकर ले गये।
सर्व रक्षक ईश्वर सब का एक है।
सब की काम वासना एक ।
भूख एक, प्राण देनेवाली हवा एक।।
पानी एक ।
इबादत, प्रार्थना,स्तुति भिन्न।
मनुष्यता भंग करनेवाले ,
मज़हबी झूठ। यही तमाशा इबादत या झूठ।।
बाकी भाव मनोविकार एक।।
Sunday, December 27, 2020
अरुणाचल शिव अक्षरमाला
रमण महर्षि कृत अक्षर माला।
अद्वैतवादी अरुणाचल अपने में ईश्वर को बसाकर
अक्षरमाला की रचना की है। इस गीत माला एक मुगल प्राध्यापक
हबीब सैयद के सवाल था कि आप तो अद्वैतवादी हैं।
आप कैसे अरुणाचलेश्वर को पराया बनाकर कैसे गाते हैं? अतः अरुणाचलेश्वर को अपने में ऐक्य बनाकर गाये हैं।। अतः अक्षरमाला की विशेषता ईश्वर रोपण श्रषि में विराजि रचे ग्रंथ।।
Sunday, December 13, 2020
जिंदगी एक सफर
आज कवि कुटुंब दल के
वाक्य के आधार पर मेरीअपनी निजी कविता।
कवि कुटुंब के प्रशासक,समन्वयक, संयोजक और सदस्यों को सादर प्रणाम।।
जिंदगी एक सफर सुहाना,
कल करता हो किसने जाना।।
यह चित्रपट गीतअति प्रसिद्ध।।
तमिल नाडु के गडरिया भी गाता था।
वह द्राविड कलकम् के हिंदी
विरोधी था।
अपने नेता हिंदी विरोधी,
अतः वह भी हिंदी विरोधी।।
अंध भक्ति,नेता, पिता माता ,
संतानों का अंधानुकरण,
कभी न बनाता जिंदगी को
सुहाना सफर।।
सुख-दुख जो भी हो,
भगवान की देन।
कम पूंजी,सौ गुना लाभ,
अति आनंद, भगवान की कृपा।।
अधिक पूंजी अधिक नुकसान,
अति दुख वह भी ईश्वरीय देन।।
दिन रात का मेहनत,
निरंतर गाने का अभ्यास,
फिर भी मुंह से
निकलता कठोर आवाज।
फुटपाथ के भिखारी का मधुर स्वर।
रोगी का पुत्र अत्यंत स्वस्थ ,
वह भी ईश्वर की देन।।
चिकित्सक का पुत्र असाध्य रोगी,
वह भी सर्वेश्वर की कृपा।।
जो इन बातों को मानकर,
सदा हर हालत में सानंद रहता है,
वास्तव में जिंदगी
एक सफर सूहाना।।
सुख में दुख में जीवन पथ पर
साथ देनेवाले भगवान,
मानकर आगे प्रसन्न होकर बढ़ना,
जिंदगी एक सफर सुहाना,
कल करता हो किसने जाना।।
स्वरचित,स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।
कवि कुटुंब के प्रशासक,समन्वयक, संयोजक और सदस्यों को सादर प्रणाम।।
जिंदगी एक सफर सुहाना,
कल करता हो किसने जाना।।
यह चित्रपट गीतअति प्रसिद्ध।।
तमिल नाडु के गडरिया भी गाता था।
वह द्राविड कलकम् के हिंदी
विरोधी था।
अपने नेता हिंदी विरोधी,
अतः वह भी हिंदी विरोधी।।
अंध भक्ति,नेता, पिता माता ,
संतानों का अंधानुकरण,
कभी न बनाता जिंदगी को
सुहाना सफर।।
सुख-दुख जो भी हो,
भगवान की देन।
कम पूंजी,सौ गुना लाभ,
अति आनंद, भगवान की कृपा।।
अधिक पूंजी अधिक नुकसान,
अति दुख वह भी ईश्वरीय देन।।
दिन रात का मेहनत,
निरंतर गाने का अभ्यास,
फिर भी मुंह से
निकलता कठोर आवाज।
फुटपाथ के भिखारी का मधुर स्वर।
रोगी का पुत्र अत्यंत स्वस्थ ,
वह भी ईश्वर की देन।।
चिकित्सक का पुत्र असाध्य रोगी,
वह भी सर्वेश्वर की कृपा।।
जो इन बातों को मानकर,
सदा हर हालत में सानंद रहता है,
वास्तव में जिंदगी
एक सफर सूहाना।।
सुख में दुख में जीवन पथ पर
साथ देनेवाले भगवान,
मानकर आगे प्रसन्न होकर बढ़ना,
जिंदगी एक सफर सुहाना,
कल करता हो किसने जाना।।
स्वरचित,स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।
Saturday, December 12, 2020
योग-वियोग
योग वियोग विधि का विधान।
ईश्वरीय लीला अति अदभुत।
पुनरपि जननम् पनरपि मरणम्
आत्मा परमात्मा एक,
भिन्न के सिद्धांत , भिन्नआचार्य,
योग वियोग विधि का विधान।।
विष्णु अवतार राम का योग-वियोग।।
हरिश्चंद्र का योग वियोग।।
शकुंतला-दुष्यंत का योग -वियोग।।
इंदिरा -फरोज खान का
योग -वियोग।।
शेरखान-नूरजहां-शाहजहां का योग-वियोग ।।
न जाने चित्र पट जैसे
नायक -नायिकाओं के
मंगल सूत्र बदलना,
नेताओं के तीन पत्नियां,
परायी पत्नी के अपहरण
योग-वियोग जन्म -जिंदगी-मरण।।
आत्मा परमात्मा
का योग-वियोग विधान।।।
पुनरपि जननम् पुनरपि मरणम्।।
पूर्व जन्म के ज्ञान साथ लाना,
पूर्व जन्म के पाप- पुण्य ।
सुख-दुख के योग -वियोग।।
यही नश्वर जगत का
योग-वियोग का विधान।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन,चेन्नै।।
तुम इतना जो मुस्कुरा रही हो
नमस्ते! वणक्कम!
विधा -परोडा।
तुम इतना जो मुस्कुरा रह हो।
साठ प्रतिशत मत नहीं देते।
४०%में २५%मत पाकर शासक।।
७५% का नापसंद शासन।।
तब भी देश की। प्रगति।। भारतीय!
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो।।
भ्रष्टाचार, रिश्वत खोर खान छिपा गांधी,
खुल्लमखुल्ला ठग,देशविरोध।।
देव की भाषा भूलने अंग्रेजी शिक्षा।।
फिर भी देश। की। आर्थिक। प्रगति।।
मुस्करा रहे हो, आनंद मिलन हो।।
जरा सोचो,जागो,देव की कल्पना करो।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नई।
Friday, December 11, 2020
प्याला
प्याला / चाय १२-१२-2020
मातृ देशी भाषाएँ
हमारे देश में कितनी भाषयें थी,
Thursday, December 10, 2020
सीसा दर्पण
सीसा /दर्पण।
கஷ்மீர் கவிதைகள்
"आधुनिक कश्मीरी कविता के सात दशक "
चयन -77
__________________
मशल सुल्तानपुरी
(1936-2020)
गज़ल-1
பரஸ்பர ஆறுதலாய்
இந்த கடினமான நேரம்
இன்றைய தினம் கழிந்து விடும்.
நாம் ஒன்றாக இணைந்து செல்வோம்.
உன்னால் சிறிது நேரம் ,
என்னால் சிறிது நேரம் கழிந்து விடும்..
உன்னை என்மனதில்
பிடித்து வைத்து விடுவேன்.
ஏதோ ஒரு இணைப்பாளர்
இந்த நாள் நம்மால் கழிந்து விடும்.
நம் இணையின் முன்
பல லக்ஷம் இறை
செய்திகள உபதேசங்கள்
மிக குறைவான மதிப்பாகிவிடும்..
பலருக்கு செய்த உபகாரமாக
இந்த நாள் கழித்து விடும்.
அளவிட முடியாத ஆசைகள்
விருப்பங்கள் நான் உண்மையாக
இருந்தால் நான் காதலனுடன்
சுகமாக கழியும் இந்த நாள்.
உன்னுடைய அழகு என் மனதில்
எண்ண முடியா ஆசைகள் ,
உண்மை என்றால் இந்த காதலன்
நாள் ஆனந்த மாக கழியும் .
நான்கு பக்கங்களில்மூடி கட்டுப்படுத்தினாலும்
இந்த அன்பு உறவு வெளிப்படுகிறது .
இப்பொழுது காதலென்ற தீவெட்டி
கொளுத்தி ஒளிகாட்டுவோம் .
இந்தநாள் இப்படியே கழியட்டும் .
-------------------------------
२.சாது பல முறை மலை ஏற
தவழ்ந்து முயன்றும்
முதல் நாள் ஏறிய இடத்திலேயே
நின்றது போல ,
தனித்துவாழ்பவன் அனுபவிக்கும்
இன்பமும் துன்பமும் அப்படியே .
மாறாது .
(காஷ்மீர் சாமியார் 16870அடி உயரமான மலையில் ஏற முயன்றும்
சறுக்கிசறுக்கி அதே அடிவாரத்தில்நின்றான் )
---------
வெளிநாட்டு இடம்
பெயர்ப்பறவைகள் காட்சி மீண்டும்
தென் படவில்லை
ஏரிக்குத் திரும்பவில்லை .
இதேநிலைதான் என் நிலை .
இடம் பெயரும் நிலைஇதுதான் .
===========
மாளிகைகள் பல இருந்தன .
இப்பொழுது வேர்கள்படர்ந்து
காட்சியளிக்கின்றன
இதேநிலைதான் இப்பொழுது .
----------------
அந்தநோயாளிக்கு சிகிச்சை எங்கே
அவன் நிலையறிய யாரும்வரவில்லை
இதேநிலைதான் இங்கே
-----------
இருமல்நிற்கவில்லை .
நாடித்துடிப்புநின்றது
வாரிசு க்கு உயில் எழுதியாகிவிட்டது .
இதுதான் நிலை .
----------------------------
परस्पर सांत्वना से कटेगा यह दिन
कठिन समय कुटिल कटेगा यह दिन
○○
एकजुट हो चलेंगे हम साथ साथ
कुछ तुमसे कुछ हमसे कटेगा यह दिन
○○
यह सौन्दर्य तेरा, थामकर रखता हूँ दिल
हो कोई युक्ति तो हमसे कटेगा यह दिन
○○
यहाँ लाख मसीहा भी हों पडेंगे कम
कितनों का करेगा उपकार कटेगा यह दिन
○○
अनगिन इच्छाएं मेरी उस पर सदके
सच्चा जब लगूं मैं प्रेमी कटेगा यह दिन
○○
चारों ओर से रोका मैंने अपना चिंतन
जब छूटे चेतनता,अभिलाषा कटेगा यह दिन
○○
आओ 'मशल' छेड़ें हम बात प्रेम की
रहे ,ना रहे हमारे पीछे कटेगा यह दिन
○○
गज़ल-2
हरमुख* पर्वत चढ़े रेंगते जोगी ,
यही दशा है
सुख-दुख में निसंग अजनबी,
यही दशा है
○○
थी डार प्रवासी पंछियों की
दृश्यमान
न लौटा,न दिखा सरोवर में ही,
यही दशा है
○○
वो सड़ी अट्टालिका थी कितनी
वे ही जानें
इस-उस घर में उसके द्वार जडे ,
यही दशा है
○○
वह रोगी है उसके जीने का
उपचार कहाँ
विरले ही हाल पूछने कोई आता
यही दशा है
○○
न खांसी हिचकी ही कोई ,
नब्ज़ रुका तो छोड़ा
वसीयत लिखवा ली वारिस से जीते ही
यही दशा है।
0
(अनुवाद : अग्निशेखर)
________________________
* 16,870 फुट ऊंचे कश्मीर के इस अजेय पर्वत पर एकबार एक संन्यासी ने जितनी बार चढ़ने का प्रयास किया,वह उतनी ही बार दूसरे दिन अपने को वापस तलहटी में पहुँचा पाता।इस से कश्मीरी में लोकोक्ति बनी है 'हरम्वखुक ग्वसाॅन्य' अर्थात् हरमुख का गोसाईं ।
Sunday, December 6, 2020
शिक्षा नीति
नमस्ते। वणक्कम।
प्रतियोगिता क्रमांक --६९
६-१२-२०२०
विषय --शिक्षा नीति
शिक्षा नीति भारत में ,
कृषि नीति भारत में
चिकित्सा नीति भारत में
आजादी के पहले और बाद।
सर्व शिक्षा अभियान ,
अंग्रेज़ी नीति ,भारतीय नीति शास्त्र बंद।
तीन साल के बच्चेको मातृभाषा भूलने
बीस हज़ार से सात लाख तक दान।
मातृभाषा बोलने पर जुर्माना।
मातृभाषा के माध्यम अपमान।
बगैर मातृभाषा के नौकरी और शिक्षा।
मातृभाषा माध्यम के स्कूल बंद।
और दस सालों में अंग्रेज़ी ही
मगर मच्छ सामान मातृभाषा को निगलेगी।
नगरीकरण नगर विस्तार के नाम खेती करने
जमीन ही नहीं नदी झील में कारखाने।
गुरु भक्ति ही नहीं रहेगी ,
पैसे लेकर सिखाने प्रशिक्षित अध्यापक कतार पर।
प्रतिभाशाली विदेश में।
शिक्षा नीति अति चिंताजनक।
भारतीय संस्कृति आचार व्यवहार
खान पान सभी में पाश्चात्य प्रभाव।
परिणाम न सम्मिलित परिवार ,
न पति पत्नी में आत्मीयता।
न माता पिता का आदर।
तलाक अशांति के पति पत्नी में .
अनुशासन ममता हीन ईश्वरीय भय रहित
स्नातक स्नातकोत्तर क्या प्रयोजन।
पैसे प्रधान गुणात्मक शिक्षा नहीं
धार्मिक शिक्षा नहीं
क्या प्रयोजन ?
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन ,चेन्नै।
Saturday, December 5, 2020
योगमाया
नमस्ते। நமஸ்தே.
वणक्कम।। வணக்கம்.
माया ।शैतान। மாயை . சைத்தான்.
வணக்கம்.நமஸ்தே!
தமிழும் நானே.ஹிந்தியும் நானே.
கவி குடும்பம்..कवि कुटुंब।
இன்றைய தலைப்பு.
शीर्षक :माया-योगमाया ।மாயை யோகமாயை.
6-12-2020.
असली माया।। உண்மையான மாயை
नकली माया।। பொய்யான மாயை.
रंग माया। வண்ண மாயை.
रंगीली माया।। கேளிக்கை மாயை
चमकती माया।। ஒளிரும் மாயை.
नर-नारी, प्रेमी-प्रेमिका माया।। ஆண்-பெண்,காதலன்-காதலி மாயை
धन माया, अहं माया।। தன மாயை,ஆணவமாயை
लोभ माया ,सत्ता माया, பேராசை மாயை,
ஆட்சி மாயை
पद माया, अधिकार माया।। பதவி மாயை ,அதிகாரமாயை.
न जाने विविध माया।। அறியாத பல வித மாயைகள்.
माया से बचना अति मुश्किल।। மாயையில் இருந்து தப்பிப்பது அதிக கடினம்.
माया महाठगिनी மாயை மஹா மோசக்காரி
त्रिदेव भी न बचे।। மூன்று. தேவர்களும் தப்பவில்லை.
मामूली मानव सद्य: फल के लोभी।।
சாதாரண மனிதன் உடனடி பலன்
அடையும் பேராசைக்காரன்.
परिणाम असाध्य दुखी ईश्वरीय दंड।।
பலன் தீர்க்க முடியாத
கடவுளின் தண்டனை.
+++++++++++++++++++
योगमाया योग साधना ध्यान।
யோகமாயைகடவுள் விருப்பம்- யோகசாதனை -தியானம்.
कितने करते वे सुखी।।
செய்கின்ற அளவிற்கு சுகம் அதிகரிக்கும்.
செய்யாத அளவிற்கு துன்பம்.
அதனால் மனிதனால்
மாயையில் சிக்கி
மனிதன் சொல்கிறான்--
உலகம் இன்னல் மயமானது.
யோகமாயை (ஈஸ்வரசக்தி மாயை)
பெற்ற மனிதன் சொல்கிறான்---
"பூமி சுவர்க்கம்."
नमस्ते।
वणक्कम।।
माया ।शैतान।
असली माया।।
नकली माया।।
रंग माया।
रंगीली माया।।
चमकती माया।।
नर-नारी, प्रेमी-प्रेमिका माया।।
धन माया, अहं माया।।
लोभ माया ,सत्ता माया,
पद माया, अधिकार माया।।
न जाने विविध माया।।
माया से बचना अति मुश्किल।।
माया महाठगिनी त्रिदेव भी न बचे।।
मामूली मानव सद्य: फल के लोभी।।
परिणाम असाध्य दुखी ईश्वरीय दंड।।
योगमाया योग साधना ध्यान।
कितने करते वे सुखी।।
कितने न करते दुखी।
अतः मनुष्य कहता है
दुख भरा संसार।।
योगमाया प्राप्त मानव कहता,
स्वर्ग है वसुंधरा।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।।
कितने न करते दुखी।
अतः मनुष्य कहता है
दुख भरा संसार।।
योगमाया पर्याप्त मानव कहता,
स्वर्ग है वसुंधरा।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।।
Friday, December 4, 2020
युवक निर्दोष।
नमस्ते। वणक्कम।
विधा --अपनी भाषा।अपनी शैली, अपने छंद।
शीर्षक :किस डगर पर चल पड़े युवा।।
युवा अच्छे ,
शैतानियां शक्ति बड़ी।
भ्रष्टाचार ,रिश्वत, मतदाता के अंधविश्वास।
पैसे के बल पर शासक,
पैसे के बल पर पदाधिकारी।
सिफारिश के बल पर,
दान धन के बल पर
कालेज की भर्ती।।
अंक लेने रिश्वत।।
खबर पढ़ी अंग लेकर
डाक्टरेट । स्नातक। स्नातकोत्तर।
पुनः अंक गिनती कितने उत्तीर्ण।।
समाचार पत्र के भ्रष्टाचार खबर।।
आज तक किसी को दंड नहीं।
युवकों पर कोई दोष नहीं।।
सद्य: फल ही प्रधान। प्राथमिकता।।
अतः ज्ञान चक्षु प्राप्त मनुष्य,
कुकर्म कर रहे हैं।।
भगवान भी अति अदभुत ,
जवानी, बुढ़ापा, असाध्य रोग,
मच्छर रोग फैलाने तैयार।।
कोराना आतंकित करने तैयार।
बाढ , तूफान,आंधी, सुनामी, निस्संतान।।
युवकों पर दोष नहीं
स्वार्थ समाज का दोष।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन चेन्नै
जीवन साथी
आयोजन ४
४-१२-२०२०
जीवन साथी।
नमस्ते। वणक्कम।।
मैं हूं तेरा जीवन साथी,
जितने कहे,वे सब तीस साल तक।
१९९० के बाद नौकरी की तलाश में
मेरे साथी विश्व भर बिखर गये ।
मिलने मिलाने कोई नहीं।।
बेटे बेटी सब अमेरिका,
आस्ट्रेलिया,कनाडा चले आते।
मेरा गांव सूना पड़ा है।।
गांव में नये लोग,श्री पीढ़ी।।
मेरे जीवन साथी मोबाइल।।
अंतर्जाल मिलन।।
यही निर्णय पर पहुंचा,
नश्वर दुनिया में साथी घट रहे हैं।
शाश्र्वत साथी भगवान।।
ज्ञान के विस्फोट जमाने में
भगवद्गीता वेद शास्त्र बाइबिल कुरान
गहराई से पढ़ने समय नहीं।
किस भगवान किस मंदिर जाऊं?
एक एक चेनल कई प्रवचन करता।
शिव महिमा,शीरडि पुट् टबर्ति साईं महिमा
राम महिमा कृष्ण महिमा,
मेरे जीवन साथी भगवान हैं,
बाकी साथी पूर्णकालीन नहीं।
अंश कालीन भी नहीं।
आठवीं कक्षा तक के साथी बारहवीं में नहीं।
बारहवीं के साथी कालेज में नहीं।
कालेज के साथी नौकरी, शादी बिखर गये।।
मेरे जीवन साथी भगवान भजन।।
राम,कृष्ण, गीता, शिव विष्णु भजन।
लौकिक साथी कम होते जा रहे हैं,
सत्तर साल का बूढ़ा हूं,
मुख पुस्तिका में मुख न देखा,
स्पर्श न किया , आवाज न सुना साथी।
उनके भी साथी राम कृष्ण शिव गणेश
दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती सुंदर सुंदर तस्वीर।।
वे भी फारवेड मैं भी फारवेड।।
अब जीवन साथी भगवान।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।
Thursday, December 3, 2020
कागज
नमस्ते। वणक्कम।।
शीर्षक : कलम कागज।
दिनांक --३-१२-२०२०-३.
विचार अभिव्यक्ति बोली,
बोली से चित्रलेखन।।
चित्र लेखन से ताड़ के पत्ते।
ताड़ के पत्ते से शिलालेख।।
ताम्रपत्र लेख।। फिर कपड़ों पर।
कागज के आविष्कार,
कलम का आविष्कार दोनों
लिखित साहित्य की अति प्रगति।।
भूले बिसरे लापता साहित्यों की खोज।
प्रकाशन कलम कागज
छापाखाने का आविष्कार।
ज्ञान के विकास के क्षेत्र में बड़ी क्रांति।।
भलाई में बुराई भी साथ साथ।।
कोरा कागज का है मन मेरा।
लिख लिया नाम तेरा,तेरा।
प्रेम पत्र ,बेनाम पत्र प्रेम की कविताएं।
अश्लीलता, चित्र, यूवकों को बिगाड़ने वाले।।
कलम द्वारा लिखित विषय शाश्र्वत कैसे?
पत्थर पर के लेख भी घिस जाते हैैं।
कागज पर लिखने कलम ।।
आज तो संगणक और
कागज का महत्त्व।
कलम केवल हस्ताक्षर करने।।
A4Sheetaaका महत्त्व अधिक।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै
वक्त का खेल।
नमस्ते। वणक्कम।।
"वक्त की लाठी होती बेआवाज।"
----+------------
विधि की विडंबना ही वक्त का खेल।।
साज़िश इंदिरा गांधी की ,
पर अनुमान नहीं, अंगरक्षक ही ।
शिवाजी छत्रपति अफजल खां की साजीशें पता नहीं बघनखा।
महात्मा गांधीजी की सत्यता ,
भारी भीड़, नमस्कार की मुद्रा।।
वक्त की लाठी होती बेआवाज।।
समुद्र तट पर कुतूहल खेल।।
न पता सुनामी का बदनामी करतूत।।
वक्त की लाठी होती बेआवाज।।
दस रुपए का लाटरी,
बनाया लखपति।
शकुंतला दुश्यंत अंगूठी को जाना।
वक्त की लाठी होती बेआवाज।।
राम के पार स्पर्श अहल्या मुक्ति।
हर जोतना सीता का मिलना,
महाराज जनक के जीवन में,
वक्त की लाठी होती बेआवाज।।
कारण के जीवन में
दुर्योधन का आना।
वक्त की लाठी होती बेआवाज।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै
Wednesday, December 2, 2020
भगवान याद आते हैं
नमस्ते नमस्ते वणक्कम।
तब भगवान याद आते हैं,
जब डाक्टर ऊपर हाथ दिखाकर
प्राण बचाने की आशा निराशा कर देते हैं।
करोड़ों की पूंजी रात दिन मेहनत
वह चित्रपट की असफलता
याद दिलाती है भगवान की।।
सैकड़ों हजारों के खर्च,
गली गली घूम ना, हर मनुष्य के सामने हाथ जोड़ना,
चुनाव में हार जीत याद दिलाती है भगवान।
कम पूंजी करोड़ों लाभ भुला देती भगवान की याद।।
भक्ति काल के राधाकृष्णन,
भव बाधा दूर करो राधा
रीतिकालीन कवियों को
श्रृंगार अश्लीलता तब भूल जाते हैं भगवान को।
वीरगाथाकाल,रीतिकाल दोनों
बना दिया भारत को गुलाम।
वीरगाथाकाल में मुगल आगमन।
हिंदू गुलाम।
रीतिकाल में अंग्रेजों के आगमन
फ्रांसीसी आगमन दोनोें गुलाम।
आजादी के बाद
नौ करोड़ की काली विघ्नेश्वर की मूर्त्तियां
बनाकर विसर्जन के नाम अपमान।
गिरिजा घर, मस्जिद की संख्या अधिक।
ईश्वर का सम्मान नहीं,ईश्वर के विसर्जन ,
पैर से धक्का देता, नहीं समझता ईश्वर का शाप
अपनाते हैं हिंदु।
तभी एक शैतानियां शक्ति ओवैसी का नारा
पंद्रह मिनट का समय भारत मुगल देश।।
तब याद आती है भगवान की।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।।
कबीर
दुख में सुमिरन सब करें सुख में करै न कोय।
सुख में सुमिरन सब करें तो दुख काहे को होय।।
मंदिर साधु समाधी
विषय गद्य --भारत ज्ञान
विधा --गद्य पल्रय अपनी निजी शैली।
दिनांक --२.१२.२०२०.
----------------++++++++
वह जा रहा था,वह लेखक था। गंभीर चिंतक।।
जाते जाते सोचते सोचते बहुत दूर चला गया।
प्रधान सड़क पर थोड़ी दूर चला, फिर वापस आने मुंडा तो सड़क के उस पार एक पगडंडी दीख पड़ी।। लेखक ह्रुदय में पगडंडी देखने की जिज्ञासा हुई।।
वह तो निर्जन जंगली पगडंडी। विषैली जंतु ,सांप आदि की याद आती।फिर भी धीरज बांधकर आगे बढ़े।
न जाने उसकी गति में तेजी। सांप विषैली जंतुओं का डर
भूल गया। आधा घंटा चला होगा,जड़ी बूटियों से ढका हुआ एक गोपुर लीग पड़ा। एक ऐसी तेज गति उसको
द्वार के सामने ले गयी। दरवाजा नहीं था। और कोई व्यक्ति नहीं था। विस्मय के साथ देखा तो
दीप जल रहा था। वह चारों ओर मुड़ मुड़कर
देखने लगा। कोई नहीं था।साहस के साथ अंदर गया तो
देवी की अति सुन्दर मूर्ति।
आंखों में तेज,ओंटों मे मुस्कान।
वह भौंचक्का हो गया।।
दिव्य रूप देखते देखते उसके मन की चंचलता दूर हो गई। एक ही विचार देवी के सामने सदा ही रहे।।
चंद मिनटों में उसको लगा कोई नई शक्ति घुस गई है।
वह सब कुछ भूल गया। वही आंखें बंद कर बैठ गया।।
न खाने की चिंता,न पीने की चिंता, न सोने की चिंता।।
दो -तीन घंटे के बाद उठा , मंदिर को परिक्रमा करने लगा। एक कोने में एक नाम लिखा हुआ था।
उसे पढ़ा तो पता चला देवी बृह्मनायकी।।
एक ऐसी अटल चेतना। मंदिर बनवाओ।।
निर्धन हिंदी लेखक अपने लेख प्रकाशित करने अपने
पैसे खर्च करके अपनी ज़रूरतों को कम करनेवाले कैसै
मंदिर बनवाते। चिंतित नहीं बैठ गये।।
धीरे धीरे अंधेरा। जंगल सा क्षेत्र। वह बस से मसन होकर बैठ रहा थी। आधी रात के समय चार पांच लोग एक बोरे उठाकर वहां आ पहुंचे।। आंखें मूंद बैठे लेखक कैसे देवी के पीछे आये, पता नहीं।।
जो आए थे वे बोल रहे थे,
बोरे में लड़का है। सेठ को फोन करो कि
दस लाख न देंगे तो लड़के का शव ही मिलेगा।
तभी लेखक अपनी पुरानी अवस्था पर पहुंचे।।
अंधेरे में चार पांच लोगों की आवाज।
इत्तिफाकन लेखक मिमिक्री जानते थे।
न जाने साहस से देवी की आवाज़ में बोले,
मैं बृहननायकी। मेरे सामने ! इतना साहस।
तभी एक आदमी की चीख-पुकार।
दूसरे ने सिंगार जलाया। त्रीशूल में एक आदमी का सिर।लटक रहा था। बाकी तीन बोरे को छोड़कर भाग गये।
सिंगार जल रहा था। बोरे खोलकर देखा तो
शहर का प्रसिद्ध अमीर सौदागर का बेटा।
जिसे वह खूब जानता था। उसे लेकर सौदागर के यहां गया। सारा विवरण बताया, मंदिर बनवाने की अपनी इच्छा प्रकट की। बृहद नामकी वन रक्षिका बृहद नायकी के नाम से भव्य मंदिर में प्रसिद्ध तीर्थ स्थल में है।
भारत की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती रही।।
लेखक मौन साधु बन गये। देवि स्मरण मात्र,न विभिन्न विचारों की लहरें। अंत तक वन रक्षिका बृहद नायकी मंदिर में ही रहे। भारत देवी के साथ देवी दास के नाम बनवायी समाधी की भी आराधना करते हैं।
सौदागर की ओर से हर साल मेला, अन्नदान।
धूलधूसरित वह देवी की मूर्ति स्वर्ण कवच और
हीरे-जवाहरात से सजकर भक्तों की
अभिलाषा की पूर्ति में।
आज अखबार में ताज़ा समाचार आया कि
वन रक्षिका बृहद नायकी के आलम की हुंडी में
अनजान भक्त ने दो लाख रुपये का बंडल डाला है।
सबहिं नचावत राम गोसाईं।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै हिंदी प्रेमी।
ंं
गुरु नानक
नमस्ते। वणक्कम।
शीर्षक -
गुरुनानक आदर्श समाज सुधारक
--------++-+++
विधा --गद्य।
गुरु नानक समाज में सत्य,धर्म, ईमानदारी, परोपकार, सहानुभूति,
आदि मनुष्यता के गुणों के प्रचार
करने गांव गांव जाया करते थे।
एक गांव में प्रवचन करते समय
एक भयंकर डाकू उनसे मिला।
उसने गुरु महोदय से कहा कि मैं बड़ा पापी हूं। डकैती करना, चोरी करना,खून करना मेरा धंधा है। मैं दुखी हूं।
मैं अपना धंधा छोड़ भी नहीं सकता।
ऐसा उपाय बताइए, मैं अपना धंधा करूं और आनंद से जी सकूं।।
गुरु नानक ने डाकू से कहा -
कल भी मैं यहां प्रवचन करूंगा।
तुम आज रात से कर शाम तक जो भी करते हो, उन्हें सविस्तार लिखो।
तुम को अपने धंधा छोड़ने की जरूरत नहीं है।पर अवश्य तुम अपने किये कार्यों को लिखा करो।और रोज प्रवचन के समय आम लोगों के सामने पढ़ा करो।
डाकू गुरु वंदना करके चला गया।।
गुरुनानक अपने कार्याधिक्य कारण भूल गये ।
एक महीने के बाद डाकू आया।
भरी सभा में सब के सामने गुरु के पैरों पर गिरा और क्षमा मांगी।।
गुरु नानक ने पूछा --कयों इतने दिन नहीं आये।
डाकू ने कहा कि मैं अपने बद कामों को पढ़कर खुद शर्मिंदा हूं। कैसे मैं सार्वजनिक लोगों के सामने पढूं?
मैं अब अपने डकैती,चोरी के काम छोड़ दिया।
गुरुनानक महान थे।
उनकी सीख है कि सोने के पहले
दिन भर के हमारे कार्यों को
पढ़कर आत्म परीक्षण द्वारा
अपने बुरे
काम तजकर
अच्छे काम करेंगे तो
अपनी मानसिक संतोष,आनंद,शांति
पूर्ण जिंदगी बिता सकते हैं।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।