Monday, December 28, 2020

वाह!वाह!

 साहित्य बोध में 

मेरी पहली रचना ।।

 दल में सम्मिलित कर लिया।

तदनर्थ धन्यवाद।।

***********


सर्वेश्वर से  मेरी प्रार्थना।।

साहित्य कार में 

शैतानियत का वास न हो।।

सदा  प्रेम प्रेमिका की बात,

लौकिक इच्छा बढ़ाने की बात न हो।।

संयम जितेन्द्र परहित ही मानवता।।

सार्वजनिक स्थानों पर,

समुद्र तट पर खुल्लमखुल्ला प्यार।

आलिंगन चुम्बन मानवता नहीं,

पशुतुल्य व्यवहार मान।।

मजहबी कट्टरता, मनुष्य मनुष्य में नफ़रत 

खुदा के नाम हत्या, मूर्ति तोड़ना,

बहुत बड़ा पाप, ऐसा करें तो 

धरती  में ही नरक तुल्य 

जहन्नुम की वेदना जान।।

 खेती की भूमि को नगर विस्तार के लिए,

 कारखाना, स्कूल,कालेज बनवाना

जंगल का नाश देश को नरक बनाना जान।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै तमिलनाडु।

No comments:

Post a Comment