नमस्ते। वणक्कम।
विधा --अपनी भाषा।अपनी शैली, अपने छंद।
शीर्षक :किस डगर पर चल पड़े युवा।।
युवा अच्छे ,
शैतानियां शक्ति बड़ी।
भ्रष्टाचार ,रिश्वत, मतदाता के अंधविश्वास।
पैसे के बल पर शासक,
पैसे के बल पर पदाधिकारी।
सिफारिश के बल पर,
दान धन के बल पर
कालेज की भर्ती।।
अंक लेने रिश्वत।।
खबर पढ़ी अंग लेकर
डाक्टरेट । स्नातक। स्नातकोत्तर।
पुनः अंक गिनती कितने उत्तीर्ण।।
समाचार पत्र के भ्रष्टाचार खबर।।
आज तक किसी को दंड नहीं।
युवकों पर कोई दोष नहीं।।
सद्य: फल ही प्रधान। प्राथमिकता।।
अतः ज्ञान चक्षु प्राप्त मनुष्य,
कुकर्म कर रहे हैं।।
भगवान भी अति अदभुत ,
जवानी, बुढ़ापा, असाध्य रोग,
मच्छर रोग फैलाने तैयार।।
कोराना आतंकित करने तैयार।
बाढ , तूफान,आंधी, सुनामी, निस्संतान।।
युवकों पर दोष नहीं
स्वार्थ समाज का दोष।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन चेन्नै
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