Thursday, December 31, 2020

यादें

 शीर्षक --यादें।

३१-१२-२०२०
यादें।
बचपन की यादें ,
आजकल अविश्वनीय।।
मैं हूँ सरकारी स्कूल का छात्र।
अध्यापक अति गरीब।पर
ट्यूषण लेना, छुट्टी लेना पाप मानते।।
हाथ में किताब नहीं रखते।
प्राध्यापक शेक्सपियर नाटक,
हिंदी अध्यापक कुरुक्षेत्र,
यों ही पढ़ाते,
परीक्षा उत्तर किताब जाँचकर गल्तियाँ
सही कर देते।
आजकल जाँचक अंक मात्र।
भर्ति के समय ही के
ट्यूषण।
एलकेजी से
ट्यूषण।
यादें पुरानी अति मधुर।।
हम अधिक खेलते,पढ़ते
मजे में रहता।
अधन्नी ही अमीरी।
अधन्नी है तो वर्ग नेता।
इतना घना और गुड़ देते।
आज एक मिठाई तीस रुपये।
तोड़ने पर छोटी सी मिठाई।।
छोटा सा खिलौना पैंतीस रूपये।।
मेरे पिता के एक महीना वेतन।
सांसद विधायक गली गली घूमते।
आज तो ईद के चांद हो गये।।
वह पुरानी यादें , आत्मीयता, प्यार,मदद।
आजकल नहीं के बराबर।।
सम्मिलित परिवार घर में कमरे नहीं।
हर साल बच्चे घर
बन जाता एक स्कूल।।
नहीं गर्भ धारण बननेबनाने का अस्पताल।।
घर में ही बच्चा पैदा होता।
सिसेरियन का लूट नहीं।
पुरानी यादें अति मधुर।।
जन्म प्रमाण पत्र का रिश्वत नहीं।
शिक्षालय के नाम लूट नहीं।
पीने का पानी मुफ्त,पैसे नहीं।
पुरानी यादें अति मधुर।
अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु

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