आयोजन ४
४-१२-२०२०
जीवन साथी।
नमस्ते। वणक्कम।।
मैं हूं तेरा जीवन साथी,
जितने कहे,वे सब तीस साल तक।
१९९० के बाद नौकरी की तलाश में
मेरे साथी विश्व भर बिखर गये ।
मिलने मिलाने कोई नहीं।।
बेटे बेटी सब अमेरिका,
आस्ट्रेलिया,कनाडा चले आते।
मेरा गांव सूना पड़ा है।।
गांव में नये लोग,श्री पीढ़ी।।
मेरे जीवन साथी मोबाइल।।
अंतर्जाल मिलन।।
यही निर्णय पर पहुंचा,
नश्वर दुनिया में साथी घट रहे हैं।
शाश्र्वत साथी भगवान।।
ज्ञान के विस्फोट जमाने में
भगवद्गीता वेद शास्त्र बाइबिल कुरान
गहराई से पढ़ने समय नहीं।
किस भगवान किस मंदिर जाऊं?
एक एक चेनल कई प्रवचन करता।
शिव महिमा,शीरडि पुट् टबर्ति साईं महिमा
राम महिमा कृष्ण महिमा,
मेरे जीवन साथी भगवान हैं,
बाकी साथी पूर्णकालीन नहीं।
अंश कालीन भी नहीं।
आठवीं कक्षा तक के साथी बारहवीं में नहीं।
बारहवीं के साथी कालेज में नहीं।
कालेज के साथी नौकरी, शादी बिखर गये।।
मेरे जीवन साथी भगवान भजन।।
राम,कृष्ण, गीता, शिव विष्णु भजन।
लौकिक साथी कम होते जा रहे हैं,
सत्तर साल का बूढ़ा हूं,
मुख पुस्तिका में मुख न देखा,
स्पर्श न किया , आवाज न सुना साथी।
उनके भी साथी राम कृष्ण शिव गणेश
दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती सुंदर सुंदर तस्वीर।।
वे भी फारवेड मैं भी फारवेड।।
अब जीवन साथी भगवान।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।
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