Friday, August 31, 2018

बेचैन जीवन ही मनुष्य जीवन ही है.

प्रातः कालीन  नमस्कार।

 भगवान  की प्रार्थना

 सर्वत्र विद्यमान  भगवान
               कई  प्रकार से  हमें  परीक्षा देता है.               

  ज्ञान देने पर भी

    मनुष्य को कई प्रकार
            की    चाहें देकर
      उसे चैन से जीने नहीं  देता।


पद ,पैसे ,स्त्री,लालच,लोभ,ईर्ष्या ,त्याग ,बुराइयों  के विरुद्ध संग्राम ,
जाति ,भाषा,वर्ग ,मत, रंग,मित्रता,प्यार,रक्त -बंधन, नाते -रिश्ते की दुश्मनी ,
विवाह , विवाह से होनेवाले दुःख ,शिशु पालन ,
संतान हीन  समस्या,
प्यार,झगड़ा, एक पक्षीय प्यार,टक्कर,
इन  सबसे   बचने ईश्वर है तो
धार्मिक ,मज़हबी भेद , असल  धर्म ,
धार्मिक परिवर्तन ,नक़ल,
अल्ला सब के मालिक है तो
मज़हबी भेद ,
उनमें  संघर्ष ,
ईसा  उनके अनुयायियों के भेद ,संघर्ष ,
हिन्दू धर्म की शाखाएं ,उपा शाखाएं, संघर्ष ,
प्राकृतिक  नाराज़ ,
विषैली जन्तुएं,
खूँख्वार जानवर ,
भूख ,प्यास, अकाल ,दुर्घटनाएँ ,
ज्ञान-विवेक ,बुद्धि प्राप्त करके  भी ,
बेचैन  जीवन  ही मनुष्य जीवन ही है.

Thursday, August 30, 2018

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के कार्य कर्ताओं के वेतन काटने से रोकने निवेदन

हिंदी
 अमीर   आर्थिक
हिंदी प्रेमी  से  निवेदन.
 तमिलनाडु  के हिंदी प्रचारक 
अपने सारे मनोरंजन तजकर
हिंदी का प्रचार  कर रहे हैं.
आंशिक  पूर्ण कालीन विद्यालय
केंद्र  सरकार  की मान्यता एक साल दो साल
बाद ही मिलता है, वह रकम विद्यलय का किराया,
बिजली बिल चुकाने के लिए  भी काफी नहीं है.
जन साधारण यहाँ हिन्दी सीखने पैसा खर्च करते हैं.
अब सभा का नियम है किताबों  की बिक्री के लिए
जो किताब खरीद देते हैं, वे ही परीक्षा  दे सकते हैं.
परीक्षा  आवेदन पत्र किताब में संलग्न है

 विचित्र नीति है  परीक्षा  आवेदन पत्र बिलकुल अंग्रेज़ी  में.
प्रवीण उत्तरार्द्ध परीक्षा  का नाम भी गलत लिखते हैं.
परीक्षार्थी  का नाम प्रवेश  पत्र में छोटे अक्षर,
हिंदी प्रचारक  का नाम बजे अक्षर.
प्रवेश  पत्र आवेदन पत्र हिंदी में हो तो कुछ
हिंदी का ज्ञान  बढ़ेगा.
  दूसरा हिंदी प्रचार  सभा  शताब्दी  वर्ष  में
सभा के मध्यम वर्ग के कर्मचारियों  के वेतन से
एक महीने का वेतन अनिवार्य  दान या ऐच्छिक  दान पता नहीं, देना पड़ा है.
  अब सभा का वातावरण  अंग्रेज़ी, अंग्रेजी माध्यम स्कूल, परीक्षा  हिंदी परीक्षा आवेदन पत्र अंग्रेज़ी  में.
  अब देश प्रेमी राष्ट्र भाषा प्रेमी धनी वर्ग, मंत्री  केंद्र सरकार  के, सांसद सब उदार दिल से कार्यकर्ता के वेतन से रकम न काटकर  कर्मचारियों  के दान रकम को खुद देने का इंतजाम करें तो कार्य कर्ता प्रचारक खुश होंगे.
प्रतिकूल वातावरण  में  हिंदी का प्रचार सुचारु  रूप से
चलेगा.
 अधपका
यस.  अनंतकृष्णन..
9941303639.
 राष्ट्रीय  एकता राष्ट्र भाषा प्रचार 
पूज्य महात्मा मोहनदास गाँधीजी का सपना और तेजी होने कार्यकर्ताओं  के वेतन न काटने में  सहायता  दें.
 हिंदी के प्रचारक तमिल नाडु  के बहुत बडे त्यागी हैं.
वे अपना व्यक्तिगत  मनोरंजन तजकर प्रचार  कार्य में लग रहे हैं.
परीक्षा शुल्क कम करने की मदद भी  करें

Wednesday, August 29, 2018

चैन का जीवन पाओ

இனிய காலை வணக்கம் நண்பர்களே!
प्रात: कालीन प्रणाम।
सत्य बोलो,
शत्रु मोल लो।
चापलूसी करो।
अधिकारियों का प्यारा बनो।
रिश्वतृ लो,हीरे का मुकुट दान करो।
पैसे बांटो,पद पाओ,
अध्यापक हो तो 
प्रश्न पत्र दे दो
प्रश्न पत्र बेचो।
पैसे दो,अंक दो।
अदालत में अपराधियों को
रिहा करो।
लेखापाल हो तो
झूठा हिसाब किताब लिखो
डाकटर हो तो 
ऐसी दवा दो।
रोग बढजाएं।
माला माल बनो।
शांति को बैठो।
यही दुख का मूल समझो।
पाप कार्य से सद्यफल साध्य।
पंच अकेलेपन में दुख।
सोचो समझो,
व्यक्तिगत जीवन 
कभी धन से
सुख नहीं पाता।
सोचो समझो 
पुण्य काम करो।
चैन का जीवन पाओ।

Tuesday, August 28, 2018

हिंदी प्रचार।

पूज्य प्रधान मंत्री महोदय ,

नमस्ते ! दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा ,चेन्नई ,गांधीजी स्थापित संस्था का शताब्दी वर्ष ,

केवल बाह्याडम्बर के लिए बड़ी बड़ी इमारतें
अंग्रेज़ी माध्यम पाठशालाएं ,

इसकेलिए कार्यकर्ताओं से जबरदस्त एक महीने का वेतन ,
हिंदी प्रचारक तमिलनाडु के सच्चे सेवक
उनसे सरकारी मान्यता जो एक साल के एक बार देते हैं ,
उनसे जबरदस्त दान,
तमिलनाडु हिंदी विरोध कहकर मनमाना प्रमाण पत्र , परीक्षा शुल्क ,दान , किताब खरीदना है , नहीं तो परीक्षा नहीं दे सकते। एक घर में तीन लोग एक ही परीक्षा देनी है तो तीन किताबें जबरदस्त सर पर मढ़ना कहाँ तक सार्थक है. बाह्याडम्बर दिखाने इमारत के लिए आंशिक पूर्णकालीन विद्यालय के गरीब प्रचारकों से पचास हज़ार तक दान लेना क्या न्याय है? मोहनदास करमचंद गांधी जी की आत्मा रोयेगी ज़रूर। जहाँ हिंदी प्रचार मुफ़्त में करना है , वहाँ परीक्षा शुल्क ,अनिवार्य किताब बिक्री , अनिवार्य दान। केवल इमारत  बनवाकर लूटने।

हर एक परीक्षा केंद्र में नक़ल ,
सातवीं कक्षा में बी.ए समकक्ष प्रवीण प्रमाण पत्र ,
विद्यार्थी मेला द्वारा प्रश्न पत्र का व्यापार,
चुनाव में कितना भ्रष्टाचार,
प्रमाणित प्रचारक संख्या ,
कुछ प्रलोभन से बिना चुनाव के सदस्य चुनना ,
बी.एड, कालेज में मनमाना लूट ,
केवल तमिलनाडु में ही हिंदी प्रचारक त्यागमय
जीवन बिता रहे हैं ;
सभा की गतिविधियों के लिए एक जाँच आयोग नियुक्त करेंगे तो
प्रचार सभा के भ्रष्टाचारों का , कार्यकर्ता और प्रचारकों के त्यागमय जीवन का पता चलेगा।

मनमाना वसूल कर इमारतें , पर शताब्दी वर्ष में सभा के कार्यकर्तावों को बोनस न देकर ,
प्रचारकों को प्रोत्साहन न देकर दान दान दान वसूल .
तोरण द्वार के लिए बीस लाख ,
पर कार्यकर्ता और प्रचारक के लिए क्या किया है?

क्वाटर्स बनाना ठेकेदार लाभ के लिए.
सभा का विस्तृत मैदान अंग्रेज़ी के विकास के लिए ,
मनमाना लूटने .
सभा का उद्देश्य हिंदी प्रचार --
पर प्रचारक को कमीशन एजेंट बना रही है सभा.
अंग्रेज़ी ज्यादा बोलनेवाला अहाता।

आशा है सच्चे दिलसे जांच कर
योग्य प्रचारकों द्वारा हिंदी प्रचार करने की कार्रवाई
प्रधान मंत्री लेंगे।
धन्यवाद !

Sunday, August 26, 2018

Hindi

हिंदी  सुखात्मक भाषा.
अपने आप पली,
सबके अधर
 गुनगुनाने  लगे
बढा, पर हीरे  को
चमकाने का जौहरी
सरकार  नहीं.
पुरातन भारत  की कलाएँ
बगैर अंग्रेज़ी  के
बगैर सिविल इंजनीयरिंग  के
पहाड को काटकर बनाये मंदिर गोपुर.
गजरोहा के सांसरिक दिव्य चेतना
ब्रह्मचर्य, संयम   की सीख
निस्पृह  जीवन
सादा जीवन उच्च  विचार.
अब नहीं  बाह्याडंबर
वैज्ञानिक तरक्की,
हर साल तकनीकी परिवर्तित
गाडियाँ,  मोबाइल, द्विचक्री  .

भगवान,  संत,  नेताओं को
रुपयों  का माला, ऐसे
परिवर्तित  जीवन में,
नौकरी की आशा  न होने पर भी
भारतीय  भाषा प्रेमी.
हिंदी को ज़िंदा रखने
 कुछ न कुछ करते ही रहते हैं. 🌁

Saturday, August 25, 2018

नयी कल्पना -नया कथानक


स्वरचित रचना ,
दिमाग टटोलकर ,
रचना लिखने
ढूँढ रहा हूँ।

विषय? कथानक ?
बच्चे गैर कानूनी
कबीर हैं। कर्ण है।
निर्दयी शिशु हत्याएँ ,
नदी में अवैध बच्चे को बहा देना ,
कन्या अपहरण ,

नपुंसक की शादी ,
बहुत सोचता हूँ
सभी युगों की बात।
दूसरी पत्नी को उठा लेना
रावण तो
छद्मवेष में अहल्या से इंद्र का सम्भोग शाप.
त्रेता युग , द्वापर युग, कलियुग
वैज्ञानिक खोजों से
युग तो परिवर्तित ,
बर्तन नए नए धातु के
प्लास्टिक ,ग्लास , माइक्रो ओवन ,

पकाने की विधि परिवर्तन ,
स्वाद में ,वास में
मूल तो वही,
कैसे आएगी नयी रचना?
खलनायक एक सामान सभी युगों में,
हथियार तो अब बन्दूक ,
तलवार की निर्दयता बन्दूक से
पहले आमने -सामने
अब चुपके छिपके ,
नयी कल्पना
नयी कहानी ,
कुछ भी नहीं ,
मैं सब में पुरानी
बातों की कल्पना
देखता हूँ , प्रमाण भी दे सकता हूँ.

Thursday, August 23, 2018


4 mins

धैर्य लक्ष्मी धैर्य दें
विजय लक्ष्मी विजय दें , दिलाएँ , दिलवाएँ ,
वीर लक्ष्मी वीर बनाएँ।
संतानलक्ष्मी संतान दें.
धान्य लक्ष्मी धान्य दें।
भाग्य लक्ष्मी भाग्योदय करें।
सब मिली हुयी शक्ति महा लक्ष्मी
संसार को , सर्वजनों को ,
न्याय ,ईमानदार ,निस्वार्थ , लोभ रहित
ज्ञान देकर समृद्ध -संपन्न रखें

निर्दयी नाम लेता है ईश्वर।

भगवान एक बागवान ,
रंग बिरंग के फूल ,
रंगबिरंगे मनुष्य ,
रंग बिरंगे विचार ,
तरह तरह के रोग ,
सबको पालनहार भगवान
कुछ पौधोंको पानी देता है ,
कुछ को छोड़ देता है
अल्पायु ,मध्य आयु में ही
निराई कर देता है.
कुछ पर ध्यान ही नहीं देता।
वह जिम्मेदारी है प्रार्थना सुनने पर ,
गैर जिम्मेदारी खुद ध्यान न देने पर,
निर्दयी प्रार्थना न सुनने पर.
प्रार्थना वह सुनता ही है,
पर ध्यान में मन मानव का नहीं लगता।
चंचल ,अविश्वास ,ईश्वर और अपने बीच
दलाल की खोज
मनुष्य को बीच धार छोड़
निर्दयी नाम लेता है ईश्वर।

Tuesday, August 21, 2018

मानव और ईश्वर

नमस्कार. 
भगवान,
ईश्वर,
देव,
गणेश, कार्तिक, शिव, दुर्गा,
विष्णु, राम, कृष्ण, अल्ला, ईसा,
नाम ही है भिन्न.
कर्म है लोक रक्षा,
तटस्थ  दंड/पुरस्कार.
हर नाम के अनुयायी
सब के सब सुखी नहीं,
सब के सब दुखी नहीं,
सबके सब ज्ञानी  नहीं,
सब के सब बुद्धु  नहीं,
.सब के सब स्वस्थ नहीं,
सबके सब रोगी नहीं,
असीम भूभाग,
अनंत आसमान,
एक ही सूर्य,
एक ही चंद्र
पर
एक समान
रोशनी नहीं,
एक समान
गर्मी नहीं.
एक समान
शीतल नहीं,
 वनस्पति हरियाली,
छाया
भिन्न भिन्न.
गुण, स्वाद में भी भिन्न..
देखिए, मीठा फल मीठा ही है,
खट्टा खट्टा ही,
कडुआ कडुआ ही.
बदलना मुश्किल.
पर मानव के गुण में
प्रेम, दया, परोपकार,
स्वार्थ, लोभ,
डर, निडर,
कायर, ज्ञानी,
अज्ञानी,
चतुर ,
चालाक,
ईमान
बेईमानी
 संगति के अनुसार,
बदल सकते हैं,
अत्याचार  क्रूर शासक,
सुशासन बने,
 बनाया, बनवाया
देखा ,
गर्मी में स्वीडन की गर्मी
हिमाचल मेंकैसे?
दक्षिण के  सुखी मौसम,
पाश्चात्य देश में कहाँ?
धनी सुखी नहीं,
गरीबी दुखी नहीं,
कर्म फल ही प्रधान.
अमीर गरीब बनता
देखते हैं.
पापी सुखी,
पुण्यात्मा दुखी.
ईश्वरीय लीला अति सूक्ष्म..
ईश्वर के नाम में
पुण्य प्रचार,
ईश्वर के नाम लेकर
 अपहरण  ,लूट..
विचित्र  जग में,
सब को समान दंड मृत्यु.

Thursday, August 16, 2018

அடல் பிஹாரி வாஜ்பாய் கவிதை

முன்னாள் பாரதப் பிரதமர் இன்று இறைவன் அடி சேர்ந்து விட்டார். ஆனால் அவர் ஆத்மா
இங்குதான் இருக்கும். இறைவனுக்குள்
ஐக்கியம் ஆவதை விட அவர் ஆத்மா
பாரதத்தில் ஐக்கியமாகும் .
அவர் கவிதைகள் அனைத்தும் காஷ்மீர் முதல் 
கன்னியாகுமரிவரை ஐக்கியப்படுத்துவதே.
அதற்காக அவர் செய்த அரிய பெரிய சாதனை
தேசீய நெடுஞ்சாலை.
உண்மையான தேசத்தொண்டர் . அவரைப் பற்றி
நாம் சிந்திப்போம் .
அவர் அமரகவிதைகளில் ஒன்று.
ஆகஸ்ட் பதினைந்து சொல்கிறது :
அடையவில்லை சுதந்திரம்
இப்பொழுதும் முழுமை .
நமது கனவுகள் மெய்யாவது மீதம் இருக்கிறது.
ராவி ஆற்றங்கரை சபதம் இன்னும்
முழுமை யடையவில்லை.
அந்த தியாகிகளின் பிணங்கள் மேல்
கால் வைத்து விடுதலை
பாரதத்திற்கு வந்தது.
அவர்கள் இப்பொழுதும்
நாடோடிகள்.
துன்பத்தின் கருமேகங்கள்
சூழ்ந்துள்ளன.
கொல்கொத்தாவின்
நடைபாதையில் புயலை
சகிக்கிறார்கள் .
பதினைந்து ஆகஸ்ட் பற்றி
அவர்களிடம் கேளுங்கள் .
என்ன சொல்கிறார்கள் என?
ஹிந்துக்களாக அவர்கள்
சொல்வதைக்கேட்டு
நாணம் வரவில்லையா ?
எல்லையின் அப்பக்கம் செல்லுங்கள்
நாகரீகம் நசுக்கப்படுகிறது.
மனிதன் அங்கே விற்கப்படுகிறான் .
நேர்மை நாணயம் வாங்கப்படுகிறது .
இஸ்லாமியர்கள் தேம்பித்தேம்பி அழுகிறார்கள்.
புன்னகைக்கிறது
மனதிற்குள் டாலர் .
பசியில் வாடுபவர்களுக்கு
தோட்டா கொடுக்கப்படுகிறது .
ஆடையில்லாதவர்களுக்கு
ஆயுதங்கள் அணிவிக்க்கப் படுகின்றன.
தாக்கத்தால் தவிப்பவர்களிடம்
ஜகாத் முழக்கங்கள்
முழங்க வைக்கிறார்கள்.
டாக்க , கராச்சி , லாகூரில்
கேட்கிறது மரண ஓலம் .
பக்தன் ,கில்கித்த்தில்
துன்பப்படுவோரின்
அடிமைகளின் நிழல் .
அதனால் தான்
சுதந்திரம் முழுமையாக
கிட்டவில்லை என்கிறேன்.
நான் எப்படி சுதந்திரத்தைக்
கொண்டாடமுடியும் ?
துடுப்பாட்ட பாரதத்தை
மீண்டும் இணைப்போம்.
அகண்ட பாரதமாக்குவோம் .
கில்கித்த்தில் இருந்து காரோ மலை வரை
விடுதலை நாள் கொண்டாடுவோம்.
இன்றே தயாராவோம்.
அந்த பொன் நாளுக்காக .
பெற்றதை இழக்கக்கூடாது .
இழந்ததை நினைவில் கொள்வோம்.
(பாரதப்பிரதமர் ஸ்வர்கீய அடல் பிஹாரி வாஜ்பாய். )
தமிழாக்கம் : எஸ் .அனந்தகிருஷ்ணன்.

पंद्रह अगस्त का दिन कहता:
आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाकी है,
रावी की शपथ न पूरी है॥
जिनकी लाशों पर पग धर कर
आज़ादी भारत में आई,
वे अब तक हैं खानाबदोश
ग़म की काली बदली छाई॥
कलकत्ते के फुटपाथों पर
जो आँधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के
बारे में क्या कहते हैं॥
हिंदू के नाते उनका दु:ख
सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो
सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥
इंसान जहाँ बेचा जाता,
ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है,
डालर मन में मुस्काता है॥
भूखों को गोली नंगों को
हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कंठों से जेहादी
नारे लगवाए जाते हैं॥
लाहौर, कराची, ढाका पर
मातम की है काली छाया।
पख्तूनों पर, गिलगित पर है
ग़मगीन गुलामी का साया॥
बस इसीलिए तो कहता हूँ
आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं?
थोड़े दिन की मजबूरी है॥
दिन दूर नहीं खंडित भारत को
पुन: अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक
आज़ादी पर्व मनाएँगे॥
उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से
कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ,
जो खोया उसका ध्यान करें॥

Wednesday, August 15, 2018

मैं हूँ ईश्वर शरणार्थी

सब को प्रातःकालीन प्रणाम.
ईश्वर हमारे रक्षक हैं.
हमारे सुंदर असुंदर
रूप की सृष्टिकर्ता है.
हमारे गुण अवगुण  को
कार्यान्वित  करनेवाला है.
उनकी कृपा से ही
अत्याचारी  अशोक, घृणित अशोक
मन बोलकर जन सेवा में लगा.
महान अशोक सम्राट बना.
राम, कृष्ण ईश्वर का प्रतिबिंब होने पर भी
जनता में सीता के त्याग से राम और युद्ध  के षडयंत्र  से
कृष्ण  कलंकित हो गये.
हरिश्चंद्र  जैसे सत्यवान को
श्मशान घाट का पहरा देना पडा.
अब भारतीय प्रतिभावान  बन रहे हैं, पर
अपनी भाषा, अपनी संस्कृति  भूल रहे हैं.
भगवान से प्रार्थना  है वह सद्बुद्धि दें.
योग्यता के बल पर नौकरी मिलें
आरक्षण  के नाम, रुपयों  के बल, भ्रष्टाचार  के बल,
घूस के बल  प्रशासन  न चलकर ईमानदार और सत्य को महत्व दें
यह तो प्रार्थना  है, चाह है, आशा है,
पर सबको नचानेवाले ईश्वर से प्रार्थना  की क्या ज़रूरत.
फिर आज यह विचार लिखने की बुद्धि  ईश्वर ने दी है.
 मैंहूँ ईश्वर शरणार्थी.ऊ

Sunday, August 12, 2018

समाज कल्याण नहीं

सब दोस्तों को प्रातःकालीन प्रणाम।
वणक्कम।एल्लोरुक्कुम कालै वणक्कम।
सब को नचानेवाले ईश्वर का क्या रूप रंग है?
रूप -कुरूप की सृष्टि ईश्वर ने की है.
ईश्वर के रूप मानव ने दिए हैं।
इसीलिये मज़हबी और मत-मतान्तर की लड़ाइयाँ हैं.
निराकार ईश्वर में कोई भेद नहीं है.
वनस्पतियां ,चन्द्रमा , सूरज , वर्षा , सागर , हवा , एक मज़हब के नहीं ; तिलक भेद से इनका एक प्रकार के तिलक दारी का नहीं।
शक्कर खाते हैं तो विष्णु भक्तों को भी मीठा है ,शिव भक्तों को
भी मीठा है. अल्ला के इबादत करनेवालों को भी ,ईसा के अनुयायियों को भी मीठा ही होता है.
आग सब को एक ही प्रकार से जलाता है.
सर्वशक्तिमान ईश्वर है,प्रार्थना कीजिये।
भगवान के नाम भेद लेकर लड़ना ,लड़ाना , लड़वाना
सांसारिक शान्ति का भंग करना है.
समाज का कल्याण नहीं .

Friday, August 10, 2018

सबहीं नचावत राम गोसाई

हम प्रार्थना करते हैं,
क्या हमारी प्रार्थना
मानने अनुकूल फल देने
ईश्वर तैयार हैं?
समाचार पत्र, समाज, वैज्ञानिक आविष्कार
सब का लाभ सभी उठा सकते हैं?
भाग्यवान ही उठा सकते हैं.
पैसेवाले भी दुखी हैं.
रंक- राव भी दुखी है.
करोडपति भिखारी   का  समाचार ,
लखपति  भिखारी  का  समाचार।

अनाथ भिखारी जहाँ बैठता था,
  वहीं मर गया,
उसके शव   के  नीचे
लाखों रुपये। 
बडे बडे अमीरों के यहाँ,
बडे बडे वेद के पारंगत के यहाँ,
बडे बडे डाक्टर के यहाँ
पागल संतान,
गायक और वक्ता के यहाँ
गूंगा पुत्र।
पैसे पद अधिकार से बढ़कर
सुखी वही है
जो एकांत में बैठकर
सुख का अनुभव करता  है. 
ऐसा कोई भी नहीं है,
अगजग में,
वही ईश्वरीय सूक्ष्म लीला है.
सबहीं नचावत राम गोसाई।

Thursday, August 9, 2018

वृन्द के दोहे --வ்ருந்தரின் ஈரடி

 ஹிந்தியில்   கபீர் ,துளசி ,ரஹீம் ,பிஹாரி லால், போன்று
விருந்தரும்   தோஹே   அதாவது  ஈரடி எழுதியுள்ளார் .

திருவள்ளுவரின்  திருக்குறள் போன்று இவர்களும்  அவர் போன்ற  கருத்துக்களை  ஈரடியாக எழுதி புகழ் பெற்றவர்.

இன்று  அவரின்  சில  ஈரடிகளைக் காண்போம்.

1.    எல்லோரும்  சுயநல  நண்பர்களே.
       சுயநலமின்றி  யாருமே இல்லை.
      கொக்கு ,நாரை   நீர் உள்ளவரை  தான்
      ஒரு குளத்தில் இருக்கும் .
      நீர் வறட்சி ஏற்பட்டால்
       அந்த  குளத்தை விட்டு பறந்துவிடும்.
             அவ்வாறே  நம்மிடம் இருந்து ஏதாவது கிடைக்குமா
     என்று எதிர்பார்க்கும்  நண்பர்களே  அதிகம்.
     வறுமையில்  உதவ வருபவர்கள் குறைவே.


2. நல்ல குணம்  இருந்தால் தான்
நமக்கு மதிப்பு.
   இயல்பான நல்ல குணம் ,
அழகு உள்ள கிளியை வளர்ப்போர் அதிகம் .
காகத்தை யாரும் வளர்க்கமாட்டார்கள்.
 அது  இறந்த முன்னோர்கள் போல் .
அது நகரத்தை சுத்தம் செய்யும் .
ஒருநாள் அழைத்து உணவு படைப்பர்.
அதன் குணம் சரியில்லாததால்
 மதிப்பு இல்லை.

3.கல்விச் செல்வம்  என்பது  கடின உழைப்பு,
கவனத்தால் வருவது.
நூல்கள் வாங்கி அடுக்குவதால்  ஞானம் வராது.
நூல்கள் பொருளுணர்ந்து படிக்க வேண்டும்.
விசிறி வாங்கினால் காற்று வராது.
அதை கையில் எடுத்து வீசினால் தான் காற்றுவரும்.அதுபோல் நூல்களை
 வாசிக்கவேண்டும்.
4.நல்லவர்கள் -கெட்டவர்கள் ஒரே மாதிரி
இனிமையாகப் பேசமுடியாது.
 வசந்தகாலம் வந்தால் குயிலின்
 இனிய குரலும்
காகத்தின்
 கர்ணகொடூரக் குரலும்
தெரிந்துவிடும்.
 நிறம் காகத்திற்கு குயிலுக்கு ஒன்றே.
ஆனால்  குரல் மற்றும் குணம்  வேறுபட்டதே.

5. எல்லோரும்  பலமுள்ளவர்களுக்கே
 உதவுவார்கள்.
 அதிகாரபலம் ,பணபலம் ,குணபலம் , ஞானபலம் ,உடல்பலம் ஆனால்  அதிகார பலம் , பணபலம் மதிப்பு மிக்கது.

காற்று நெருப்பை அதிகமாக பற்றவைக்கும்.
 காட்டுத்தீ பரவும் .
ஆனால்   காற்று விளக்கை  அணைத்துவிடும் .




आश्रम न तो मन की शांति नहीं।

संगम के दोस्तों को सादर प्रणाम।
बेहद आसमान सा बेहद भक्ति
भावावेश के आंसू ,
ब्रह्मानंद अनुभूतियां,
अंचल मन , अनासक्त जीवन एक ओर।
विरलास मय नशीला आनंद दूसरी ओर।
लौकिक अलौकिक जीवन
एक सकर्म प्रधान,दूसरा अकर्म ।
सकर्म प्रधान न तो आलीशान आश्रम नहीं।
आ लीशान आश्रम न तो मन की शांति नहीं।

पत्नी का कठपुतला

Good
இனி ய காலை வணக்கம்
morning
सुप्रभात.
 आज मैं क्या लिखूँ.
आत्मा की बात  या परमात्मा  की बात.
समाज की बात  या सांस्कृतिक बात.
राजनैतिक  बात या राष्ट्र  की बात.
शादी की बात  या साथी की बात.
संयोग  की बात या संभोग का बात.
विष्णु की बात या शिव की बात.

मजहबी बात या मनौती  की बात.
स्वस्थ  या अस्वस्थ  बात
फिल्मी बात या फिर की बात.
यों सोचते सोचते रात बीती.
जो़रू  की जोर  की आवाज़
बर्तनों  की आवाज़
बडबडाना की आवाज
जो कुछ सोचा,
क्या सोचा क्या सिखा
पता नहीं, उठा, दाँत साफ कर
काफी पी, लंबा भाषण सुना.
सब भूल  पत्नी का लट्टू, कठपुतला.
कल देखा जाएगा  कवि की कल्पना की बात.

Monday, August 6, 2018

विस्मय सनातन धर्म शक्ति।

हिंदू  धर्म अर्थात  सनातन धर्म  प्राचीन काल से
 दिव्य शक्ति के लिए अति प्रसिद्ध है.

हज़ारों  मंदिर  बनते हैं  तो
हर मंदिर के पीछे  की कहानियाँ 
अपूर्व ही नहीं ,
 शक्ति का प्रमाण  भी  है.
  ऐसे  ही मंदिरों में एक है   नाच्चियार कोइल अर्थात  नारायणी मंदिर।

  नरैयूर  तमिल शब्द है. एक गाँव का  नाम  है.
नरै  का मतलब है  शहद।
 तिरुमंगै याळ वार   ने लिखा  है --
  शहद  भरे  फूल ,
 सुगन्धित तालाबों से घेरे हैं
तिरुनरैयूर,   जहाँ  जाकर मैंने देखा
"श्री वेंकटेश्वर" को.
  इस   तीर्थ क्षेत्र  की कहानी अद्भुत हैं तो
 यहाँ के पत्थर के  गरुड़ की महिमा
अपूर्व अतिशय है.
महाविष्णु के भक्त है मेधावी महर्षि।
उन्होंने  चाहा कि  महाविष्णु ही अपने दामाद बने.
क्या  विष्णु भगवान को दामाद बनाना  सरल काम है?
 उन्होंने  मौलश्री पेड़ के  नीचे  बैठकर कठोर तपस्या की।
कठोर तपस्या के फलस्वरूप  फाल्गुन महीने के उत्तरा
नक्षत्र में  श्री देवी ही पुत्री के रूप में  पैदा हुई।
 जब  श्री देवी विवाह के योग्य बनी ,
तब महाविष्णु अपने वाहन
गरुड़ पर बैठकर  नरैयूर  पहुंचे।
श्री देवी से विवाह करने की इच्छा प्रकट की।

 तब पहली बार  मेधावी महर्षि ने  भारत में लड़की के पिता होकर भी
कन्यादान करने निम्नलिखित शर्तें रखीं :-
 विष्णु भगवान से  कहा ,
आप को हमेशा मेरी बेटी  की बात माननी चाहिए।
हर काम में उसीको प्राथमिकता और प्रधानता देनी चाहिए।
महाविष्णु  ने सहर्ष  महर्षि की बात  मान ली|
 गरुडाळवार  के  सामने  शादी हुई।
भगवान ने गरुडाळवार   से  कहा -
"तुम भी यहीं  रहकर भक्तों पर अनुग्रह कर"।

    अब  उस पत्थर के गरुडाळवार  की मूर्ती की विशेषता है कि
वही  उतसव मूर्ति  है.

उसको उठाते वक्त चार आदमी काफी है.
बाहर आते आते वजन बढ़ता रहता है.
और उठानेवालों की संख्या बढ़ती रहती हैं , वैसे ही
वापस आते समय भी,पर  मंदिर के  अंदर
चलते चलते उठाने वालों की संख्या  बढ़ती हैं,
पर मंदिर के अंदर जाते ही उठाने चार आदमी काफी हैं।
यही  इस मंदिर  की  बड़ी अतिशय विशिष्टता है.








Sunday, August 5, 2018

पूजा करने चली आई .

आध्यात्मिक मार्ग का मतलब है
बाह्याडम्बर रहित ईश्वर वंदना।
किसी के मन में धन के अभाव की चिंता उत्पन्न करना
वास्तविक आद्यात्मिक्ता नहीं है.
सुभद्राकुमारी चौहान जैसे kavita की प्रेरणा देना भक्ति नहीं है
देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं
सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते हैं
धूमधाम से साज-बाज से वे मंदिर में आते हैं
मुक्तामणि बहुमुल्य वस्तुऐं लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं
मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी जो कुछ साथ नहीं लाई
फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने चली आई .

हिन्दू समाज

हिन्दू  समाज  में  एकता नहीं है.

मंदिरों में भी  उच्च वर्ग मंदिर ,दलित मंदिर,
पुजारी में भी नगर पुजारी।  ग्राम पुजारी।
मन्त्र रहित पूजा , मन्त्र रहित पूजा।
तमिलनाडु में संस्कृत अर्चना। तमिल अर्चना।
जब तक  ये भेद भाव हिन्दुओं में  प्रचलित रहेंगे ,
तब तक तीसरे  को लाभ होता  रहेगा।
चर्च गया वहाँ  नहीं लिखा गैर ईसाई प्रवेश  न करें।
पर मंदिर में गैर हिन्दू का प्रवेश मना  है.
इसके  मूल में विदेशों का मंदिर लूटना, डाका डालना , मूर्ति तोडना।
इसको  न  समझकर हिन्दू को अवहेलना हिन्दू के लोग ही करते हैं.
प्रार्थना  के विषय में भी मत भेद हैं.



Wednesday, August 1, 2018

अचंचल हो तो सुख ही सुख है.

आज श्री गणपतिसच्चिदानंद 
आश्रम में ध्यान में बैठा तो चंचल मन में कई प्रकार के विचार आये. 
क्या ये मंदिर, ये चर्च, ये मसजिद का संख्याओं बढाने से 
वास्तव में भक्ति का प्रचार हो रहा है या वाणिज्य प्रवृत्तियां बढा रहे हैं. 
कई प्रकार के आश्रम बाह्याडंबर से, 
आधुनिक सुख सुविधाएं से माया मोह धन लोलुपता
बढा रहे हैं या निस्पृह मानव सेवा की ओर जा रहे हैं.
जग की हर बात के दो पहलू है सत्य असत्य, भला बुरा,
जन्म मरण सुख दुख इन सब में माया मोह सद्यःफल की आशा, अतः मन गिरगिट के समान बदल रहा है.
लौकिक आशा में लोग अलौकिकता को भूल रहे हैं
एक आश्रम में ध्यान मग्न बैठने पर कहीं दूसरे आश्रम के चाहक या भक्त उसके मन पसंद आश्रम की श्रेष्ठता बताकर वहाँ से जाने का प्रयत्न करता है.
वैसे ही नये नये मंदिर का यशोगान करके मन बदल ने का माया पूर्ण नाटक चला रहे हैं.
माया भरी संसार में सर्वेश्वर की लीला अति सूक्ष्म है.
सूत्रधार वही है. वह मानव मन की स्थिरता अस्थिरता को तुला पर चलकर फल प्रदान कर रहाहै.
उसके अनुसार मानव जीवन में शांति अशांति, सुख दुख
बदल बदलकर आते हैं.
मन निश्चल, निश्छल, अचंचल हो तो सुख ही सुख है.