Saturday, December 30, 2017

सत्य

२०१७ वर्ष का अंतिम दिन.
बारह महीने में क्या पाया ?
क्या खोया ?
कितना प्रेम मिला ?
कितना नफरत ?
कितना धन ?
जो बात गयी ,बीत गयी .
चिंता छोड़ दो. 
जीवन में कई बातें ऐसी ,
सत्य अकेला ही रोता हैं. 
झूठ मिलकर हँसता है.
यही संसार है.
न जाने मैं क्यों जी रहा हूँ ,
ऐसे विचार छोड़,
जीने के लिए कुछ खासियत है ,
यों सोचो .
भले ही सब के सब 
बेटे ,बहु ,सब दूर रखें ,
जरूर हमारे जन्म का कोई न कोई 
उद्देश्य होगा ही. 
सब के अपमान को मान समझ आगे बढ़.
सत्य का पुजारी हमेशा अकेले ही रहता हैं .

पञ्च परमेश्वर

पंच परमेश्वर होता तो
भारत में रातनीतिग्ञो में 
अधिकांश लोग जेल में रहते. 

अधिकांश चुनाव लड़ने 
अयोग्य हो जाते.
बलात्कारी आश्रम आचार्यों के पक्ष में
कोई आवाज या नारा न लगाता. 
राष्ट्रगीत राष्ट्रगान राष्ट्रीय झंडे के 
विपक्ष कोई मुँह न खौलता. 
पंद्रह मिनट में तमाम हिंदुओं का
काम तमाम करने की बात न करता. 
फिर सांसद बन संसद में आवाज नहीं उठाता. 
भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोरी अधिकारी 
तरक्की नहीं पाता. 
कहानी में हरिश्चंद्र का मृत पुत्र 
भले ही ज़िंदा सकता. 
नमक की दारोगा सत्य पर न जीता. 
न्यायाधीश उसका दंड न देता. 
ऊपरी आमदनी भगवान देता. 
ऐसी नौकरी तलाश कर जिससे 
ऊपरी आमदनी मिलें ऐसे 
उपदेश न देता.( स्वरचित अनंतकृष्णन )

स्वतंत्र लेखन

स्वतंत्र लेखन मेरी भाषा, मेरी शैली. 
कितना लिखूँ, सुखांतसुखाय पहले. 
परमार्थ केलिए कैसे मैं कहूँ, 

वह है अपने और परियों की 
अपनी बुद्धि, अपने लाभ, 
भ्रष्टाचार के विरुद्ध लिखूँ, 
उसके समर्थक करते विरोध. 
नास्तिक   का  विरोध करूँ, 
उसके भी समर्थक हैं 
दान धर्म का समर्थन करूँ, 
तब भी विरोध, 
आलसियों की वृद्धि 
राजनैतिक बातें व्यर्थ .
सत्यता बल केवल कहानियों में. 
मातृभाषा माध्यमियों का समर्थन तो
नौकरी की आशा नहीं. 
स्वतंत्र लेखन क्या लिखूँ, 
लिख रहा हूँ निश्चिंत. 
चाहे बनवास कहें, 
चाहे सत्य वचन कहें 
चिंता नहीं किसी की. 
स्वतंत्र चिंतन नहीं, 
समाज में रहता हूँ. 
सामाजिक चिंतन ही बढी.
(स्वरचित )

Tuesday, December 26, 2017

जीवन

जीवन --जी में वन की चाह , वह तो ज्ञान मार्ग .
जीव न चाहता पुनर्जन्म ,वह भी ज्ञान मार्ग .
जी वन में एकांत चाहता है, मतलब
जीवन से ऊब गया है जी.(स्वरचित अनंत कृष्णन.)

अस्थायी जग

अपनी आँखों से उसे दूर जाते देखा है,
शीर्ष क उसे माने क्या?
सुंदर प्रेमी या प्रेमिका या मित्र
मिलने -बिछुड़ जाने कितनी कविताएँ.
मैं जब छोटा था,
मुझे कितनों का प्यार मिला
बडा बना तो उसे दूर होते देखा.
कम कमाई, पर नाते रिश्ते के आना जाना
खुशी से मिलना दुलारना,
उन सब को देखा .
घर छोटा-दिल बड़ा.
अधिक कमाई बडा घर पर
नाते रिश्ते की
आना- जाना ,मिलना- जुलना
सब को
अब बंद होना देखा था.
गुरु जन मुफ्त सिखाते,
अब बोलने के लिए तैयार
पैसे गुरु शिष्य वात्सल्य मिलते देखा.
हर बात हर सेवा, नेताओं का त्याग
सब दूर
कर्तव्यपरायणता सब मिटते
दूर होते दे देख रहा हूँ,
क्या करूँ?
स्वच्छ जल की नदियाँ ,
जल भरे मंदिर के तालाब
उन सबके दूर होते देख रहा हूँ
. क्या करूँ?
अब मेरी जवानी मिट दूर होते देख रहा हूँ.
हृष्ट पृष्ट शरीर में झुर्रियां देख रहा हूँ.
उसे दूर जाते देखा है,
अस्थायी जग में सब के सब दूर जाते देखा है.

सबहीं नचावत राम गोसाई.

हम में हर कोई चाहता है 
सुखी जीवन. 
सुखांत जीवन. 
प्रयत्न हर कोई लगातार 
जारी रखता है,
कोई कामयाबी के शिखर पर
कोई असफलता की घाटी में
कोई संतुष्ट तो कोई असंतुष्ट
को ई धनी, कोई नामी,
कोई दानी, कोई धर्मी,
कोई रूपवान, कोई कुरूप.
अंत में निष्कर्ष यही
सब के नचावत राम गोसाई.

स्थायी कोहरा

स्थाई कोहरा
*×****/***////
जिससे अस्पष्ट
दीख पडता
सब कुछ.
देवालय के,
शिक्षालयों के
न्यायालयों के
न जाने और
सरकारी कार्यालयों में
राजनैतिक नेताओं के
सब के भ्रष्टाचार में
कोहरा स्थाई बन गया है.

ब्रह्मानंद

मन का घोडा, 
अति तेज. 
रोकना रुकाना अति दुर्लभ. 
कितने विचार 
कितनी कल्पना 
कितने हवा महल.
कितनी माया
कितना आकर्षण.
कितना आनंद,
कितनी पीडा.
कितनी आशाएँ
कितनी निराशाएँ.
यह मन होता तो
मनुष्य मन शांत
ब्रह्मानंद.

गाँव का नाला ,बचपन की यादें

पुराणी यादें ,
खेलते निर्भय ,
किसी ने न कहा,
संक्रामक रोग फैलेगा.
किसीने न कहा ,
कीटाणुओं का शिकार बनोगे .
किसीने न कहा
जल प्रढूषण.
आजकल वही गाँव ,
वही नाला,
चालीस साल शहरी वातावरण
पर पैर भिगोने डर लगता है,
उस समय के घासों का सुगंध नहीं ,
नाले में मोरे का गंदा पानी,
नाले की चौडाई कम .
कीचड से भरा,
भारतीय सरकार
ग्राम राज्य को भी
पैसे के लालच में
शहरी वातावरण बना रखा है.
खेतों में अधिकांश
इमारतें ,कारखाने ,
लोभी अंग्रेज़ी माध्यम पाठशालाएं,
केवल स्वार्थ धनियों के लिए.
वे पढ़कर डाक्टर बनते ,
धनलाभ के लालच में ,
जितने शिक्षा दान दिया ,
उतने लूटने.
जितना चुनाव खर्च किया
उतना लूटने.
स्वर्गीय सुख के नालें में

अंधरे उजाले में.

अन्धेरा खतरनाक , नेकों के लिए ,
दिन दहाड़े लूटनेवालों को नहीं ,
चोरों को नहीं, तस्करी लोगों को
अपराधी बुद्धिवालों को ,
निशाचरों को ,उल्लुवों को
जग में देखा सुना अनुभव किया
अच्छों को जो खतरा है,
जिस कर्म में पाप का भय हैं ,
बदों के लिए वहीं अच्छा लगते हैं.
खाली कागज़ में अंक देना
धन लोलुपों के लिए अच्छा ही .
अंग खोल कमाना रंडियों के लिए
वेश्या गमन के पुरुषों के लिए
खतरा नहीं हैं ,
मूर्तियों की चोरी ,

पर अँधेरे को चाहनेवाले ,
उजाले में सर नहीं दिखा सकते ,
वह ज़माना अब नहीं ,
अपराधियों को
नेता -नेत्री मान
माला पहनानेवाले
भ्रष्टाचारी ,रिश्वत-खोरियों के
समर्थक प्रत्यक्षा देखा
राधा-कृष्ण के मिलन नगर में .  बिल कुल ठंड पड जाएँ तो 
अवसाद के सिवा कुछ नहीं. 
पंच भूत तत्व शरीरा. 

उष्ण प्रधान जान. 
अंडे के लिए गर्मी. 
शारीरिक संबंध में गर्मी. 
गर्मी नहीं तो तन ठंड
मन ठंड चारों ओर रुदन. 
गर्मी तू बलि, भली.

स्वार्थ -निस्वार्थ

प्रेम ही जीवन है तो
प्रेम क्यों तंग दिली है?
पगडंडी क्यों ?
स्वार्थ क्यों ?
तीसरे को स्थान क्यों नहीं?
तब तो प्रेम होते हैं
स्वार्थ -निस्वार्थ .
अपने दल -अपने शासन -अपने लाभ
स्वार्थ प्रेम.
देश के लिए दल -देश के लिए शासन -देश के लाभ.
निस्वार्थ प्रेम .
स्वार्थ प्रेम में जलन-लोभ -क्रोध .माया आदि
शैतान का केंद्र.
अपने परिवार सुखी रहें ,
आरक्षण पीढी दर पीढी मिलता रहें
चाहें घर में डाक्टर ,इन्जनीयर आदि दल
कम अंक अधिक संख्या में हो.
जनेऊ पहने प्रतिभाशाली ,
भले ही भूखों मर जाएँ ,
आ रक्षण नीति सत्तर साल की आजादी के बाद भी
स्वार्थ राजनीती का ,पक्षपात नीति का
स्वार्थ लक्षण ,आरक्षण का.
सत्तर साल के बाद आरक्षण मिटाना
निस्वार्थ प्रेमार्थ शासन विधान.

Monday, December 25, 2017

अंधकार से प्रकाश

मनुष्य  माँ के गर्भ के अंधकार में
सूक्ष्म  बिंदु में जुडकर
 तम में पलता
दस महीने में
प्रकाश में आता .
फिर जीने के लिए
 ग्ञानांधकार से
छूट संसार को पहचाना.
 तभी
अंधे कानून, अंधे हिसाब, सब में
अमीरों को विजयांधकार,
ममकार अंधकार,
प्रेमांध,  कितने  अंधकार से
मनुष्य को प्रकाश   की ओर
लाना  कितना आसान,
 कितना मुश्किल .
जनतंत्र अंधकार,
 मत केलिए धन.
धनांधकार,
 पदांधकार,
अधिकारांधकार,
इन सब से छूटने पर
सच्चे भक्तों के दर्शन में
ज्योति स्वरूप  ईश्वर के
योग ग्ञान
ब्रह्मानंद  प्रकाश.

प्रह्लाद सूरज के प्रकाश
हरियाली तन मन में.
अंकुर के फूटना भी भूमि
गर्भ के अंधकार से,.

Sunday, December 24, 2017

भारत आध्यात्मिक देश

तमिलनाडु का मध्यावती चुनाव ,
अपराधीन नेत्री जेल में ,
उससे नियुक्त ,बहन का बेटा,
न्याय के बल नहीं ,
सेवा के कारण नहीं ,
देश -भक्ति के बल नहीं ,
सिर्फ पैसे के बल
५१% वोट लेकर जीता.
उनकी भ्रष्टाचारी ,
लोग जानते हैं ,
न्यायालय जानता हैं ,
अपराधिन छोटी माँ
कारावास में ,
केंद्र सरकार जानती हैं ,
तमिलनाडु में
राष्ट्रीय एकता विरोधी ,
देव विरोधी ,
विप्रविरोधी तो
आम जगह पर ब्राह्मणों की चोटी
छीनकर अपमानित करनेवाले ,
राम पर जूते मार्हे वाले ,
जनेऊ तोड़नेवाले ,
मंदिरों की संपत्ति हदाप्नेवाले ,
मंदिरों की सम्पत्ती अपहरण करनेवाले,
मंदिरों को तोड़ने के भाषण देने वाले ,
राष्ट्रीय झंडा जलानेवाले
शासक चल रहा हैं
पचास साल से.
केंद्र में सांसद बनने सौ करोड़ ,
प्रांत के शासक बन ने
हज़ारों करोड़ , यह भारत
संसार में आगे ,
युवा शक्ति में अव्वल,
आध्यात्मिकता में अग जग प्रसिद्ध .
अघ से भरे देश ,
आध्यात्मिकता में लूट ,
शिक्षा में लूट ,
होनहार -होशियार सब विदेश की यात्रा,
फिर भी देश आगे बढ़ रहा हैं ,
यही है दिव्य भरात.
इसमें तो आश्चर्य की बात किया ,
हत्यारे अशोक सुधरा तो
महान अशोक बन गया.
लुटेरा रत्नाकर सुधरा तो
आदि कवि वाल्मीकि बन गया.
पत्नी से चिपककर रहनेवाले
तुलसी सुधरा तो घर घर की रामायण पाठ
प्रथम पूजा उनकी.
हज़ारों योनी के शाप के पात्र
इंद्र आज भी छल के बल पर देवेन्द्र.
आध्यात्मिक भारत आगे बढ़ रहा है.

Friday, December 15, 2017

चुनाव.

बादल का बरसना सभी प्राणी -वनस्पति
जगत की भलाई के लिए.
चुनाव में कालेधानियों पर वोट बरसाना ,
जगत बुराई के लिए.
पोल खुल जा ता है,
फिर भी वोट भी उन्हीं को
जिनके अपराधों को
अदालात ने सिद्ध स्थापित किया.
अपराधी ही जगत माँ हो तो
ऐसी बुद्धि का धिक्कार.
ऐसे चुनाव केवल आम चुनाव में ही नहीं ,
हर संघ और छोटी सभावों में भी .
इमारतें बनवाने में ही उनका ध्यान
न सेवकों पर. यथा कमीशन ,वैसा काम. (स्वरचित )

Thursday, December 14, 2017

tamil की मीरा आंडाल

   तमिल  साहित्य  भक्ति   का  सागर  ही है.

    तमिल  में   आंडाल  नारायण की भक्ता थी.

    भगवान  को  ही  अपने पति
     मानकर प्रार्थना करती थी.

भगवान की  माला को ,
  भगवान को पहनाने के  पहले
 खुद पहनती थी ;
अतः उसका  नाम  सूडिक्कोडुत्त
नाच्चियार  बना.  (अर्थात  खुद माला पहनकर
ईश्वर को देनेवाली ) .

     मार्गशीर्ष  अर्थात  धनुर  मॉस  के  ठण्ड में
   अपनी सखियों  को  जगाने अति तडके   गाना गाती है.
   उसके  पदों  को तिरुप्पावै     कहते  हैं.
   कुल तीस पद्य हैं.

      १.   सुन्दर आभूषणों  से  सज्जित कन्याओं!

              
             प्रसिद्ध   व्रज-भूमि की लड़कियों !
              मार्ग  शीर्ष  महीने के आज
               पूर्णिमा  के  दिन    है .
              अब  हम  नहाने  जायेंगे,

               हमारे रक्षक  है  नंदगोपन ,
               जो तेज़ शूल से हमारी  रक्षा 
                करते   हैं   और
              सुन्दर नेत्रों वाली यशोधरा  .
               उन    दोनों  के  सिंह जैसा   बेटा,
                जिसका रंग काला है , आँखें  लाल  है ,
                  सूर्य - सा  उज्जवल  सूरत वाला  है--
                  श्री कृष्ण ,
                     हमपर 
                   अनुग्रह करने
   की प्रतीक्षा में  हैं.
                    उसका  यशोगान  करेंगे तो
                      यह संसार ही हमें  बधाइयां  देंगी .
                 

              

की प्रतीक्षा में  हैं.
                    उसका  यशोगान  करेंगे तो
                      यह संसार ही हमें  बधाइयां  देंगी . .


Wednesday, December 13, 2017

निज रचे दोहे


     सोच-समझ  देश के हित. सुविचार में लग जा.
     कर्म में लग जा देश के हित ,  धर्म कर्म में  लग जा.१.

      आशा  रख  भगवान  पर, निराशा  छोड़ जग में .
      शरणागत्वत्सल  रक्षक मान ,  परमानंद  है   जग में.२.

     आध्यात्मिक लोग जग में ,  करते हैं मानव भेद .
     आत्मा की बात मान चल,  न  मान  भिन्न विचार.३.
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@    मिथ्या  जग   स्वार्थ लोग ,  नित्य करते  अघ ठग .
   सत्य पथ  जान पहचान ,      वंदना करते   अग जग .४.

  मनमाना काम न कर.  मानसिक  पीडा  जान.

मन  मानी बात मान.मानसिक चैन जान. (स्वरचित)५. 

सहज मन उपजे ग्ञान ,सफलता की जड जान. 
सत्संग से मिलते ग्ञान. संकट की मुक्ति जान.६.--नौ पोस्टेड
********************************************

स्वरचितप्रतियोगिता ---४. 
काम करना मन को  हर्ष .चुप रहना अति कठिन 
बुरे विचार  के मन में ,बेकारी  ही पतन.७. 
चित्रपट  देख  इश्क ,इश्क । बलातकार,चुम्बन .।

सोच विचार दूर रह,    अश्लील बात  न  सुन.  ।८.

जी ठीक नहीं, बुद्धि   भी   ,कर्म भी  सही नहीं।
 जीवन बिन सद्विचार   ,कभी सुख  पाता  नहीं.९--12
***************************************

                  प्रतियोगिता -पाँच
                    

कर्म  ही ठीक नहीं तो ,फल भी वांछित नहीं,
धर्म  पथ  ठीक  नहीं तो  जीवन में चैन  नहीं,१० .

तेरी उन्नति तुझमें , जैसे शारीरिक विकास।
मेहनत, नेक सत्य , तीनों में है संतोष।११
लौकिक इच्छा कम करो, वही शांति का पथ।
अलौकिक अाध्यात्मिकता में है,अनंत संतोष!!१२
**********************************************

  प्रतियोगिता -६ छह
जान लो सही पैमाने में ,जग व्यवहार को।
जन्म फल मिलना हो तो, दूर करो चाहों को।१३.

भ्रष्टाचारी, काला धनी , रिश्वत खोरी ,भोगते बाह्यानंद।
आंतरिक आनंद भजन में ,जिससे मिलता ब्रह्मानंद।१४

विनाश काले विपरीत बुद्धि, ग्ञानी ने कहा।
विकास काले अनुकूल बुद्धी, ईश्वर की देन।।१५
****************************************************
 प्रतियोगिता -सात

राजनीती -भ्रष्टाचार   ,सर रहित शरीर मान.
राम ने मारा  छिपकर ,कुंजरः धीमा मुरली .१६.

देश हित जन्मे सूरमा, नेता  बनते अगजग में .
अघ जग   फैलाने   जन्मे , बद बनते अगजग में १७ अहिंसा से बुद्ध बने , जग वन्द्य महान .

 मोहन दास पाए   मान ,अहिंसा का विशिष्ट  मान.१८.
*******************************************
प्रतियोगिता --आठ. 



जान का  कोई न  जिम्मा, न  जग   जिम्मा जान .
मान ही रहता  हमेशा , सम्मान खोना पाप. १९
भगवान  देत दान-धर्म  ,   मनमाना धन-दौलत .
 पालन  कर  मन से   धर्म , मान बड़ों  की  बात. २०.

बातों की जानकारी,   आजादी  के  विचार.

कलियुग ही सब से  अच्छा, बोलते है प्रकट. २१ .
**********************************

प्रतियोगिता -नौ
  उचित शिकार की राह देख , तीर पर बैठ बगुला.
   देख शिकारी का तीर चला, तीर पर गिरा बगुला.                                                                                 २२ 

  विधि की विडम्बना  लख, सुकर्म में   लीन हो  जा.
 विधि  का फल टलते नहीं , लीला सब अनंत  की .२३
  कर्म फल  भोगत  तन मन . बुरे कर्म मत कर.
  शर्म ही बद कर्म  का फल,  सुकर्म  ही नित कर.२४.
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@

प्रतियोगिता --10
मन की अशांति ताक, खुद ईश्वरभक्त बनI
ईश्वर के ध्यान में लग ,सदाचार का मार्ग बन. २५.

खडी बोली

हमारे  देश  में  कितनी भाषयें  थी,
उतने ही ज्ञानी   थे.
 उनकी रचनाएँ अमर हैं.

मुग़ल आये तो खडी बोली
  ढाई लाख की बोली
पनपी ,वह तो चमत्कारी.

भारतेंदु काल से आधुनिक काल तक
१९०० से आज तक अद्भुत विकास.
हिन्दी  या हिन्दुस्तानी ऐसी होड़ में
शुक्रिया  या धन्यवाद ,
कोशिश  या प्रयत्न
खिताब या उपाधी यों ही
शब्द भण्डार बढे .
लिपि छोड़ उर्दू -हिंदी की समानता
मजहब  नहीं सिखाता  ,
आपस में बैर  रखना.
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा हमारा.
बंटवारे के बाद भी एकता  की निशानी .

हिंदी

मित्रों को सादर संध्या प्रणाम.

   हिंदी  है हमारे  देश  की भाषा.
    संस्कृत की बेटी ,भारतीय भाषाओं की सहोदरी.
    विश्व की भाषा शब्दों  को अपनाकर बड़ी बढी.
    तनख्वाह भी चलता हैं , वेतन भी.
   वर्ष भी चलता है , साल भी.
   दिनांक /तारीख  भी .
  धन्यवाद . शुक्रिया
  इश्क ,मुहब्बत,प्यार,  ,प्रेम की भाषा.
*********************************

Sunday, December 10, 2017

निज रचा दोहा

मनमाना काम न कर.
 मानसिक  पीडा  जान.
मन  मानी बात मान.
मानसिक चैन जान. (स्वरचित)

सिक्का

सिक्का  बचपन की याद दिलाती.
एक लेकर  जाते.
एक मूँगफली  का  गोला लेते.
बाकी दो जल्ली(दो पैसे)  लाते.
साथ ही गुड थोडा  सा मुफ्त मिलता.
पूरे दिन मजे में कटता.
अब नोट  है ,हज़ारों .
पर मजा नहीं ,
मानव  मन  में .

निजी रचे दोहे

भक्ति
 1. भगवान  का नाम जप,
 मन को रख वश  में.
मान मर्यादा   मिलेगा़
लौकिकता से दूर रह.
 अमित आनंद  जान.

2.अति सुखी जीवन तभी,
  सार्थक जीवन है  सदा.
 सर्वत्र  सानंद   तभी,
 जब सर्वेश्वर की याद.
3. करो करो परोपकार,
    धर्म पथ  को मानो.
  कलंकित जीवन  न   सुखी.
 यम  सदा  साथ  जानो.




Friday, December 8, 2017

जय जवान .जय किसान


जय जवान ! जय किसान!


दिनकर की रोशनी दिन -दिन ,

युग के परिवर्तन
रात में काम 

दिन में निद्रा .
 वे न जानते धूप.

मैंने सोचा तो सुना
आधी रात में खिलनेवाले 

फूल भी हैं ,
अँधेरे में देखने के उल्लू भी हैं. 

स्वार्थ के लोग अति कम ,
सेवक सच्चे अधिक.

सीमा पर लड़ते
 देश भक्त जवान. 

यहाँ के एक करुणा,
 जोड़ते भ्रष्टाचार रूपये
 लाख करोडो.

कुमारी जोड़ कर ,
जोड़ने के लुटेरों को छोड़ 

जेया जेया कार लेकर
चल बसी. 


ऐसे एकाध विषैली जन्तुयें
अपराध करके भी 

पाती सम्मान. 
जगाना हैं देश के युवक युवतियों को
स्वार्थी तत्वों को 

पनपने न देना.
चंद चाँदी की चिड़िया पाकर 
न देना बदमाशों को ,
भ्रष्टाचारियों को ,
काले धनियों को 

ठगों को खूनियों को वोट, 
सिखाना है उनको

 देश ही प्रधान .

जय जवान !जय किसान!

Tuesday, December 5, 2017

कली युग

मैं न कवि,  न पारंगत.
पागल के प्रलाप सा -युग की बात बक रहा हूँ.
रामायण काल
महाभारत काल
जातक कथाएं सब को देखा
सरसरी नजर से
कलियुग  तो है प्रतयक्ष
मेरी बुद्धि  में न कोई अंतर नहीं देखता.
सब युगों  में
बलात्कार, ठग, अहंकार, अत्याचार,
गंभीर  विचार किया तो
कलियुग ही सब से अच्छा.
ज्यादा ये ज्यादा
कहने की स्वतंत्रता.
आश्रमों की भ्रष्टता,
शासकों  की भ्रष्टता,
भले ही दंड ये बचे,
बातों की जानकारी तो मिलती,
बातें होती खुल्लमखुल्ला,
निस्संकोच मिलते रहते हैं बे शरम

कलियुग ही सब से अच्छा.

मैं न कवि,  न पारंगत.
पागल के प्रलाप सा -युग की बात बक रहा हूँ.
रामायण काल
महाभारत काल
जातक कथाएं सब को देखा
सरसरी नजर से
कलियुग  तो है प्रतयक्ष
मेरी बुद्धि  में न कोई अंतर नहीं देखता.
सब युगों  में
बलात्कार, ठग, अहंकार, अत्याचार,
गंभीर  विचार किया तो
कलियुग ही सब से अच्छा.
ज्यादा ये ज्यादा
कहने की स्वतंत्रता.
आश्रमों की भ्रष्टता,
शासकों  की भ्रष्टता,
भले ही दंड ये बचे,
बातों की जानकारी तो मिलती,
बातें होती खुल्लमखुल्ला,
निस्संकोच मिलते रहते हैं बे शरम

बातों की जानकारी,  बातें होती प्रकट.
कलियुग ही सब से अच्छा. ज्यादा ये ज्यादा.





मृत्यु निश्चित

मनमाना    ढंग से
 रुपये जोड
मान खोकर भी
नेता या नेत्री बन
पैसे के लिए
 मल खानेवाले भीड.
खुद न भोगते,
बेकार  पैसे
निर्दयी लोग
न्याय के पक्ष  नहीं
मजबूत
 मजबूर.
चंद पैसे के लिए
भ्रष्टाचारी   को सलाम.
क्यों भूल जाते,या
भय  नहीं खाते
मृत्यु निश्चित.

बुढापा

बुढापे में बचपन से बुढापे तक का जीवनावुभव
का सारांश
जवानी में परिवार  की चिंता
कमाई की चिंता
बुढापे में कई चिंताएँं
बचपन की गल्तियाँ,
बचपन की आआनंद,
जवानी की नौकरी
विवाह प्रेम का उतावला
न जाने बुढापा कैसे आता है,
मन तो जवानी सी तडपता है.
कई बातें कई करम करने की लालसा
पर अंगों की शिथिलता
कमजोरी, जन्म से
बूढे तक के जीवन की
सफलताएं -असफलताएँ
 मनुष्येतर  कर्म
मन लद जाता है
ईश्वर प्रेम में, भक्ति में, मुक्ति में.
ईशंवरानुराग में.
अपनी नई पीढ़ी  को संदेश यही
"कर्म कर, प्रयत्न कर
अपना धर्म न छोड.
सत्य का पालन कर
परोपकार  में लग.
धन तेरी मेरी सभी मनोकामना
पूरी नहीं करता,
प्रयत्न और धन से
हमारी हर मनोकामना पूरी नहीं होती.
जवानी इन बातों  को बूढे का बनवास कह
खिल्ली ' उड़ती.
पर बुढापा का. संदेश
सबहीं नचावत राम गोसाई.

Thursday, November 23, 2017

जागो --जगाओ (SA)

कुछ न कुछ लिखो ,
मन की बात लिखो .
समाज हित की बात लिखो .
देश हित की बातें जागृत कर.
देशोद्धार में लगो.
मनुष्य शक्ति मिल जाती तो 



देवों को भी कर देती टुकड़ा.
शिव के भक्त--
पर उनके अपने दल अलग .
विष्णु के भक्त -
उनके राम दल ,
कृष्ण दल.
ईश्वर के नाम
दल-दल में
झगड़ा.
अंधविश्वासों का बाह्याडम्बर ,
स्वर्ण-चाँदी-रूपये सब तहखाने में.
सुन्दर देव -देवी की मूर्तियाँ
समुद्र में विसर्जन.
न देश-समाज-गरीबों की चिंता.
राजनीतिज्ञ कब्र ,स्मारक , मूर्तियाँ ,तोरण-द्वार में
लाखों करोड़ों का खर्च.
सरकारी दफ्तर-धूल-दूषरित.
आम जनता की सुविधा कम .
भ्रष्टाचार-रिश्वत के रकम अधिक.
युवक-युवतियां ज़रा सोचो -जागो
अपने प्रतिनिधि चुनने में
दल के बंधन से दूर रह.
नेता का अन्धानुकर मत कर.
ऐसे नेता चुन ,मुख सामान.
जो चबाता हैं ,
उससे सभी अंगों को बल देता हैं.
तटस्थ नेता चाहिए,
जो जीतने के बाद
केवल देश की ही चिंता करता हो .
जागो,जगाओ .
देश ही प्रधान.
याद रखो जय जवान, जय जवान .

Wednesday, November 22, 2017

जागो, जगाओ .( ச )


मनुष्य शक्ति मिल जाती तो
देवों को भी कर देती टुकड़ा.
शिव के भक्त--
पर उनके अपने दल अलग .
विष्णु के भक्त -
उनके राम दल ,
कृष्ण दल.
ईश्वर के नाम
दल-दल में
झगड़ा.
अंधविश्वासों का बाह्याडम्बर ,
स्वर्ण-चाँदी-रूपये सब तहखाने में.
सुन्दर देव -देवी की मूर्तियाँ
समुद्र में विसर्जन.
न देश-समाज-गरीबों की चिंता.
राजनीतिज्ञ कब्र ,स्मारक , मूर्तियाँ ,तोरण-द्वार में
लाखों करोड़ों का खर्च.
सरकारी दफ्तर-धूल-दूषरित.
आम जनता की सुविधा कम .
भ्रष्टाचार-रिश्वत के रकम अधिक.
युवक-युवतियां ज़रा सोचो -जागो
अपने प्रतिनिधि चुनने में
दल के बंधन से दूर रह.
नेता का अन्धानुकर मत कर.
ऐसे नेता चुन ,मुख सामान.
जो चबाता हैं ,
उससे सभी अंगों को बल देता हैं.
तटस्थ नेता चाहिए,
जो जीतने के बाद
केवल देश की ही चिंता करता हो .
जागो,जगाओ .
देश ही प्रधान.
याद रखो जय जवान, जय जवान .

Sunday, November 19, 2017

हिंदी( ச)

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी जगत 
और राष्ट्र जगत .
हिंदी एक सेतु .
किसने बाँधा ,
पता नहीं ,

अपभ्रंश , मैथिली , अवधि , व्रज ,
भोजपुरी , मारवाड़ी , सब भाषाएँ
हड़पकर खडीबोली हिंदी ,

कैसे पनपी?
किसने विकसित  किया?
हिन्दीवालों की देन--नहीं
वे अन्यों की हिंदी को
ज़रा दूसरी या तीसरी श्रेणी ही देते.
वज़ह क्या ? कारण क्या ?पता नहीं .
राजा राम मोहन राय , दयानंद सरस्वती ,
आचार्य विनोबा . मोहनदास करम चंद जी ,

(गांधी कहने पर सब को खान परिवार की ही याद आती ).
हिंदी या हिन्दुस्तानी ?
गांधीजी का समर्थन हिन्दुस्तानी से था .

संस्कृत मिले या उर्दू मिलें

चित्र  पट दुनिया तो अधिक


शुक्रिया को , किस्मत को ,इश्क मुहब्बत को

शोर ,आवाज़ को जोर दिया.

क्रोध को दबाया, रूठ रूठ को बढ़ाया.
जो भी हो खडीबोली बाजारू हिंदी
आज विश्व मित्र को जोड़ रही है.
अतः हम मिल रहे हैं .
संभाषण करते हैं .
वार्तालाप या संवाद?
सब में हैं हिंदी यार बोलो ,सखा बोलो
दोस्त बोलो , मित्र बोलो ,
सब में चमकती हिन्दी.

Sunday, November 12, 2017

कलियुग की आजादी (ச)

संगम के मित्रों को प्रातः कालीन प्रणाम.
कलियुग की बातें निराली ,
आजादी प्राप्त युग ,
आ साथी कहें तो कर्ण सा कृतज्ञता होना है ,
पर
दल बदल कर शासन करने तैयार .
बड़े भाई शासित दल में ,
छोटे भाई विपक्ष दल में ,
बुआ ,मामा , चाचा , भतीजा या
कोई विश्वस्त साथी बड़े ओहदे पर .
आजादी मिल गई तो भ्रष्टाचार के ढंग
क़ानून से बचने दिन ब दिन बढ़ रहे हैं.
एक ही दूकान, विभिन्न रसीद बुक विभिन्न नामों में ,
सलाह देने तैयार क़ानून की आँखों में धुल झोंकने ,
वकील, आडिटर , अफसर , उनको चाहिए
काले धन , साथी वकील न्यायाधीश ,
साथी मित्र या नाता रिश्ता उच्च पद पर
आजादी से बचने बेनामी के नाम पर
बड़े -बड़े होटल कारखाने ,
गहराई से सोचा तो राजतंत्र ही
लोकतंत्र के आवरण में ,
मरने -मारने -मजदूरी सेना ,
आज कल तो एक ऐसी सेना
आत्महत्या की सेना.
लव जिहात की सेना प्यार के चंगुल में फंसाकर
सम्पत्ति हड़पना, धर्म -परिवर्तन , हत्यायें ,व्यभिचार .
सोचो , आजादी सब को मिल गई क्या ?
आजादी उनको मिल गयी ,
जो सरकारी बैंक से कर्जा लेकर
न चुकाता हो ;
आजादी उन नेताओं को मिल गयी
जो फोन से बोलकर ही पैसे बैंक से मिलता हो ,
आजादी उनको मिलगई जो कालेधनी हो.
आजादी उनको मिलगई , जो आश्रम चलाकर
करोड़ों की संपत्ति जोड़ता हो,
नए नए मंदिर काले धन छिपाने
नए नए आश्रम काले धन बटोरने ,
आजादी तो मिल गयी धनियों को मनमाना करने.
धन जोड़ो बलात्कार करो ,
धन जोड़ो मन मनमाना कमाओ ,
धन जोड़ो , पद जोड़ो , मजदूरी आत्महत्या , धन लोलुप
तुझको बचानी भीड़ , इकठ्ठा करके
बचाने तैयार.
वकील ,न्यायाधीश कानून के खोखले से
बचाने मुकद्दमा को १८ -बीस साल तक स्थगित रखने तैयार.
हाँ , आजादी उनको मिलगई ,
जो मन माना लूटता हो.
ईमानदारियों को बचने -बचाने तो कोई नहीं ,
भ्रष्टाचारियों को बचाने राजनैतिक शासक, विपक्षी , प्रसिद्द चित्रपट अभिनेता आदियों की बड़ी सेना तैयार .
मिलगई आजादी उनकी , जिनके पास
लाखों करोड़ों का काला धन हो , भ्रष्टाचारी में सर मौर हो.
यही नाटक देख रहे हैं आसाराम , राम -रहीम . ,
राजीव के हत्यारे, दिनाकरण के आय कर खोज ,
और अन्य राजनैतिक भ्रष्टाचार जैसे कोयले , बोफर्स , २जी , ३जी में .
जय लोकतंत्र, जय ऐसे नेता ,
वोट देने तत्पर तैयार
भारतीय मतदाता. आदि काल में राक्षसों के शासन देव भी कैद .
कलियुग में भी वैसा; पर कलियुग अच्छा, जरा डरते डरते चलते हैं.