Wednesday, December 28, 2022

नैतिक चिंतन

 प्रणाम।सादर प्रणाम।सविनय नमस्कार ।पुष्प चरण वंदन । कमल चरण वंदन । 

दास का चरण ।  दास के दास का चरण । 
हमारे पूर्वज ईश्वर के दास थे । जो ज्ञान मिला वह ईश्वरीय वरदान मानते थे ।
देवी काली के वरदान से महा कवि बने  कवि कालीदास ।
रामदास,तुलसीदास,कण्णदास,मुरुगदास।
आजकल तो विचार बदल गये । 
गुरु वेतनभोगी बन गये । गुरु केंद्रित विद्या शिष्य केंद्रित बन गया ।
संपूर्ण ज्ञान केंद्रित उपाधियाँ ३५ प्रतिशत ज्ञान से मिल जाती है।
जातीय आधार पर  उच्च पद,सिफारिश के आधर पर तरक्की,
पैसे के आधार पर विधायक,सांसद.
आश्चर्य की बात है ---विश्व विद्यालय  की संख्याएँ बढ रही है। 
स्नातक,स्नातकोत्तर की संख्या बढ रहीहैं ।
अनुशसन नदारद,संयम नदारद,
तलाक,बलात्कार,अवैध संबंध,पत्नी परिवर्तन मेला,
सार्जनिक स्थान में चुंबन आलिंगन  मेला क्रांति,
बगैर शादी के मिलकर रहना, न्यायालय में भी शारीरिक सुख न तो गैर संबंध का समर्थन.
प्यार करने से इनकार तुरंत तेजाब या हत्या. सामूहिक बलात्कार।इन अपराधियों को बचाने प्रतिभावान वकील.अपराधियों को नाबालिगछूट ।कल कीखबर बारह साल की लडकी गर्भवती ।स्नातक स्नातकोत्तर  ही अपराधी ,आडिटर कर बचाने का सलाहकार, वकील रिशत भ्रषटाचार मंत्री,सांसद बचाने सन्नद्ध,  
कर्मफल.अपना अपना भाग्य ।
पर देश का सर्वांगीन विकास.सही है-  --सबहिं नचावत राम। गोसाईं ।.

Saturday, December 24, 2022

नागरी लिपि द्वारा भारतीय भाषाएँ आचार्य विनोबा का सपना

 देवनागरी द्वारा भारतीय भाषा सिखाना आचार्य विनोबा भावे का संदेश है।

 मैं तमिल सिखाता हूँ। 


नमस्ते। वणक्कम्।  


कहते हैं कि 

 मनुष्य स्वार्थी है।  

 मनितन सुयनलवादी  एन्रु चोलकिरार्कळ।


मैं ने किसी स्वार्थी मनुष्य को नहीं देखा।

 नान ऍन्त  सुयनलवादियैयुम पार्क्कविल्लै ।


संन्यासी नाम जप करता है।

  चन्नियासि नाम जपम् चेय्किरान ।

स्वार्थ के लिए या अपनी मुक्ति के लिए।

सुयनलत्तिर्का अल्लतु तन् मुक्तिक्का।।


वह  भक्ति का प्रचार अनजान में ही करता है।

अवन् अरियामलेये भक्ति प्रचारम् चेयकिरान।



उसके कारण कई  दानी भक्त ईश्वर नाम जपते हैं।

अवन् कारणमाक  अनेक दानम् चेय्युम भक्तर्कळ कडवुळिन नामत्तै जपिक्किन्रनर।

 

उसने घर तो त्याग दिया,

अवन् वीट्टै तुरंतु विट्टान ।

सोचा --निनैत्तेन।


पर वह आँखें मूँदकर बैठते रहने पर भी कई श्रद्धालु के मन में भक्ति स्त्रोत  बहकर दानी बनाता है।

आनाल् अवन् कण्णैमूडि अमर्न्तिरुंदालुम् अनेक चिरत्तैयुळ्ळवर्कळिन मनतिल्  भक्ति ऊट्रैप्पेरुक्की  दानी आक्कुकिरान।

साधू  अपना मोह त्यागकर जनता में भक्ति मोह उत्पन्न करता है।

साधु तन मोहत्तैत् तुरंदु मक्कलिडत्तिल  भक्ति मोहत्तै  उंडाक्कुकिरान।




    मानव स्वार्थी है। ----मनितन् सुयनलवादी।

    नहीं,  इल्लै।

वह काम करता है =अवन् वेलै चेयकिरान।


   अपने परिवार के लिए।=

 तन कुटुंबत्तिर्क्का।


बच्चों का पालना ।=कुऴंतैकळै वळर्त्तल।


 दूधवाले के लिए कमाता है।== पालकारनुक्काक चंपादिकक्किरान्।

 पाठशाला शुल्क के लिए। 

 पळ्ळि कट्टणत्तिर्क्काक।


 कपड़ों की दूकानदार के लिए।तुणिक्कडैक्कारनुक्काक ।


दर्जी के लिए। 

तैयल कारणुक्काक।


किराने की दुकान के लिए। पलचरक्कुक् कडैक्काक।


भले ही बहुत बड़ा कंजूस हो,

अवन् पेरिय कंचनाक /(करुमियाक) इरुंतालुम,


उपर्युक्त खर्च करना ही पड़ेगा। 

मेलुळ्ळ चेलवुकप्पळ् चेय्यत्तान वेंडुम।


 अतः स्वार्थी मनुष्य अनजान में ही  परार्थी बनता है।

अतनाल् सुयनलमनितन्  अरियामलेये  परोपकारी आकिरान्।

एस.अनंतकृष्णन ,चेन्नै।

Wednesday, December 21, 2022

तमिल नागरी लिपि की तुलना।

 अ ---அ.

क--க

च--ச

प----ப

य---ய

ए ----ஏ

म---ம

 र   --- ர

व --வ

ल---ல

त--த

न --ன

ण ---ண

  दोनों लिपियों की तुलना कीजिए।

  आसान लगेगा।

भाषा की माँग।

 भाषा जो भी हो माँग के अनुसार सीखनी ही पढ़ती है।

मेरे शहर पवनी में एक ही  हिंदी परिवार था। अब 100से ज्यादा परिवार।

 कई तमिल ग्रंथों के कवि जैन मुनि थे।

तिरुवल्लुवर का  तिरुक्कुरल , त्रिकटुकम्, चिरु पंच मूलम्-आचारक्कोवै आदि तमिल साहित्य में जैनों की देन है। 

 महाकाव्य शिलप्पधिकारम मणि मेखलै जीवक चिंतामणी  ये जैन बौद्ध ग्रंथ है। पंच तमिल काव्यों के नाम संस्कृत है।

शिल्प अधिकार शिलप्पधिकारम।

जीव की चिंता जीवक चिंतामणी।

कुंडल +केश कुंडल केशी।

विद्यापति। मणि मेखला मणिमेखलै।

 अब भाषा तमिल हो या हिंदी हो या अंग्रेज़ी  समय की माँग है।

अंग्रेज़ी आते तो हमारा पहनावा बदल गया। गर्मी देश में शू साक्स  टै। बुद्धिजीवी ने संस्कृत को तजकर अंग्रेजी  सीखी। कल्रर्क बनने।वकील बनने। अंग्रेज़ों की चालाकी उनके जाने के बाद भी अंग्रेज़ी हमारी जीविकोपार्जन और गौरव की भाषा बन गयी।

 हमारे स्वतंत्रता संग्राम  के नेता अंग्रेज़ी के पारंगत थे। सत्तर साल उन्हीं का शासन था। हिंदी के लिए अधिक खर्च। पर जीविकोपार्जन बग़ैर अंग्रेज़ी के असंभव।

 तमिलनाडु में 52% तमिल भाषी नहीं।

तमिलनाडु के नेता तेलुगू भाषी हैं।

वै.गोपालसामी, विजयकांत करुणानिधि परिवार, प्राध्यापक अनबलकन आदि।

हाल ही में एक वीडियो आया कि  स्वर्गीय अण्णातुरै की माँ तेलुगू भाषी हैं।

तमिलनाडु  के जैन में कई तमिल के प्रकांड पंडित है।

यहां के तेलुगू कन्नड मराठी लोग तमिल ही पढ़ते हैं।


 भाषा तमिल सीखना या हिंदी आज तक अपनी अपनी मर्जी।

अनिवार्य नहीं।

पर अंग्रेजी अनिवार्य है। 

इस पर विचार करना है सोचना है।

आचार्य विनोबा भावे के भूदान यज्ञ में

वे हिंदी ही बोलते थे। उनके कारण आ सेतु हिमाचल हिंदी गूँजी थी।

उन्होंने ही बताया भारतीय सभी भाषाओं की लिपि देवनागरी करने पर भारतीय भाषा सीखना आसान है।

इसीलिए मैं ने नागरी लिपी में तमिल सिखा रहा हूँ।  यह तो कोई अनिवार्य नहीं है। इच्छुक लोगों के लिए।

देवनागरी लिपि को रोचक बनाना मेरा उद्देश्य है। तमिल का प्रचार नहीं है।






 


Friday, December 16, 2022

प्रार्थना

 


श्री गणेश के नाम से करता हूँ,श्रीगणेश!
श्री की कृपा रहें! श्री विद्या की भी;
श्री शक्ति की भी;श्री शिव,श्री विष्णु की भी;
इन सब से मिश्रित एक ईश्वरीय शक्ति मिले!!
जिससे कर सकूँ, मैं जगदोद्धार!!
आगे बढूँ मैं,आगे बढ़ें संसार!
न तो ऐसी शक्ति करो उत्पन्न,
जो रोक सके तेरे नाम से लूटना’
धर्म –कर्म के बाद नाम बचें;
करोड़ों की संपत्ति,न ऐक्य हो सागर में;
मानता हूँ तेरी बड़ी शक्ति,लेकिन एक तेरी
अपमान की शक्ति जो साल पर साल
बढ़ती रहती हैं,तनाव,कलह ,मृत्यु ,मार-काट के
आतंक फैलता बढ़ता रहता है;
मुक्ति करो भक्तों को,ऐसी तेरी मूर्ती –विसर्जन के
दुष्कर्म से; बचाओ धर्म को;मिटाओ अंध-धार्मिकता को’
करता हूँ,श्री गणेश श्री गणेश के नाम से;
करो कुछ शक्ति का प्रयोग;बचें संसार!!
भक्ति तो मुक्ति का साधन है ,पर
शक्ति है संसार में धन की ;ज्ञान की ;
ज्ञानी भक्त हो जाता हैं,तो
धनी नाचता नचाता मन माना;
अतः जन का मानना है .
धनी की बात;
यह तो बात ख टकती;
जीते हैं हम लेके नाम तेरे;
रखो हम पर कृपा तेरी;
श्री गणेश करता हूं,काम;
श्रीगणेश करो कामयाबी ,
कामना मेरी!
सनातन हिन्दू धर्म सिखाते हैं बहुत;
स्वदेशे पूजिते राजा;विद्वान सर्वत्र पूजिते;
वसुदैव् कुटुब्बकम ;
मनुष्य सेवा ही महेश की सेवा;
धन न जोड़ो;दान –धर्म में लगाओ;
वही महान है,जो सब कुछ तज,
जीता है परायों के लिए;
त्याग में है सुख;
भोग में हैं दुःख!
राजकुमार सन्यासी बन्ने की कहानियाँ है
भारत में;भोगी रोगी बनता है;
प्रकृति के साथ जीने में ब्रह्म के साक्षात्कार है;
अहम् ब्रह्मासमी ;आत्मा-परमात्मा में विलीन है ;

शुभ कानाएँ

 नमस्ते। வணக்கம்.

शुभ कामनाएँ। நல் விருப்பங்கள்.
भगवान की प्रार्थना, கடவுளிடம் வேண்டுகோள்.
वंदना. வணக்கம்.
आराधना. ஆராதனை
ध्यान--- தியானம்
तपस्या--- -------தவம்
प्रेम--------- அன்பு
श्रद्धा-भक्ति----சிரத்தை- பக்தி
ऋषिि -मुनि-साधु-संतों का मार्ग। ரிஷி-முனி- சாது-துறவிகள்வழி
लौकिक बाह्याडंबर में ----இவ்வுலக வெளிஆடம்பரங்கள்
मानव मन अति चंचल। -மனிதமனம் சஞ்சலம்
स्वार्थ, मोह,लोभ,मद,ईर्ष्या के मूल। சுயநலம்,மோகம்,பேராசை,ஆணவம்பொறாமை ஆணிவேர்.
सहज जीवन से अति दूर। இயல்பான வாழ்க்கையிலிருந்து அதிக விலகல்
आध्यात्मिक जीवन में ஆன்மீக வாழ்வில்
चलायमान मन स्थिर। அலையும் மனம் நிலையாகும்
सद्गुणों का विकास,--நற்குணங்களின் வளர்ச்சி
नश्वर दुनिया का पहचान। அழியும் உலகை அறிதல்
परिणाम अनासक्त जीवन। விளைவு பற்றற்ற வாழ்க்கை
परमानंद,ब्रह्मज्ञान, பரமானந்தம்,இறை ஞானம்
ब्रह्मानंद। பிரம்மானந்தம்.
जगत मिथ्या,ब्रह्मं सत्यं सूक्ष्मता। உலகம் பொய்,பிரம்மம் சத்தியம் நுட்பமானது
सबहिं नचावत राम गोसाई। அனைவரையும் ஆட்டிவைக்கும்ஆண்டன்
अपने को पहचानना, உன்னையே அறிந்துகோள்
अपनी क्षमता को पहचानना, தன் திறமையை அறிந்து கொள்
अपने में नया संस्कार लाना। தனக்குள் புதிய சீர்திருத்தம்
नयी सोच,नया विचार। புதிய சிந்தனைபுதிய எண்ணங்கள்
जग-कल्याण मार्ग। உலக நல மார்கங்கள்
जिओ जीने दो। வாழு வாழவிடு

सर्वे जना सुखिनो भवंतु।அனைவரும் சுகமாக இருக்க வேண்டும்
आत्मविश्वास, தன் நம்பிக்கை
आत्म त्याग. ஆத்ம தியாகம்
आत्मसंतोष। ஆன்ம நிறைவு
मानवता का विकास। மனிதநேய வளர்ச்சி
பக்தியின் பலன்கள்-भक्ति का फल।
आज का ईश्वरीय चिंतन।இண்றைய இறை சிந்தனைகள்

சே.அனந்தகிருஷ்ணன்अनंतकृष्णन

Tuesday, December 13, 2022

अगस्तियर

     अठारह  तमिल  सिद्ध  पुरुषों में   प्रधान सिद्ध पुरुष हैं -----अगस्त्य मुनि. वे सप्तऋषियों में एक थे ।
वे बडे तपस्वी थे । भगवान शिव ने देखा  कि उत्तर ऊँचा है,अतः उत्तर के बराबर दक्षिण  को करने के लिए मुनि अगस्त्य को 
दक्षिण भारत भेजा । पोतिकै पहाड पर कठोर तपस्या करने से उनका नाम पोतिकै मुनि, अहं में ईश्वर होने से अगस्तियर ,कुंभ में 
जन्म लेने से कुंभमुुनि आदि नामों से प्रसिद्ध बने ।  अगस्त्य मुनि  तमिल भाषा के जनक  माने जाते हैं ।


अगस्त्य के ज्ञान गीत  --------

सत्य स्वरूप भगवान एक ही  जानो। 
सभी जीव राशियों को वे ही मानो ।
बुद्धि बल के ज्ञाता पुण्यात्मा,
भूतल में करोडों लोगों में होते हैं  एक ।
भक्ति में  मन नियंत्रित स्थिर होते हैं ।
परम ज्ञानी व्यर्थ  बातों में मन नहीं लगााते ।
सूक्ष्मतम की तलाश में भटकते   नहीं ।
सांसारिक भँवर  में अपनी दशा जानने पर।
मोक्ष ही प्रधान है न ?

२.   मैंने मोक्ष पाने सूक्ष्मता बताई ।
मोह वश झूठी बातें,चोरी,हत्या मत करो.
गर्मी का मूल क्रोध से बचो। 
विश्व में पुण्य का पक्ष लो।
अविनयशील बनकर बेकार मत बनो।
विविध वेद शास्त्रों का अध्ययन करो व श्रवण करो।
जो बिना ठगे जीते हैं, उनके बताये मार्ग यह।
मेरे अपने लोगों सोचो विचारो मेरी बात ।
३.चारों वेदों को देखो, पढो,समझो ।
 आसक्त् जीने जमानत। करोड ।
वीर , एक को दूसरे से परिवर्तन कर 
जीने का मार्ग यह ।
देखो, गली गली प्रलाप करते रहते  ।
ईश्वरीय दशा कोई नहीं देखते ।

धरातल पर  एक  ईश्वर  को   एक ही मानकर  प्रार्थना करनी चाहिए ।
पुरुषोत्तम् बनकर भूमि पर जीना  चाहिए।
समय पर खेती करनी चाहिए ।
श्रेष्ठ ज्ञानी दिल उजाडने नहीं देता.
करोडों चोर जग में चलते फिरे रहते हैंं ।
देश में डाकू हैं करोडों ।
जग में आएँगे अनेक करोड। ।
वाक् जाल करवेवाले  भी लुटेरे ही ।