Friday, November 30, 2018

भुर कुस निकालना (मु )

भुर कुस निकालना
तब होता है जब भृकुटि चढ़ता है
जब भृकुटि चढ़ता है ,तब भ्रष्ट होता है बुद्धि।
जब भ्रष्ट होता है बुद्धि ,तब बुरा समय आता है
तब हमारे पैर ही ठोकर खाता है
,जब बुरा समय आता है ,
जीभ से प्रकटी बात ,तीर सा चुभता है
तब क्रोधी पात्र भुरकुस निकालने लगता है।
आँखें लाल होती हैं
तब मज़हबी की गाली निकलती है या खानदान की।
वह इंसानियत को नष्ट कर ,
भुरकुस निकालकर
खानदानी ,जाति -संप्रदाय ,मजहबी
दलीय ,ग्रामीण महाभारत कुरुक्षेत्र।
भुरकुस निकालना स्थायी दुश्मनी मोल लेती है.
डा.रजनी कान्त द्वारा नए मुहावरा ,
इंसानियत की भूलें , नयी कल्पना ,
नया जागरण , मनुष्यता जगाना
तू तू मैं मैं से बचना ,
इतनी सीख ,
समझो ,सोचो ,जागो ,
भुरकुस निकालो कभी नहीं।

Thursday, November 29, 2018

pyar(मु )

मोहब्बत  मोह में हो तो
वह इश्क नहीं।
वह तन सुख।
धन से मुहब्बत हो तो
मन से प्यार नहीं
तो कभी न मिलेगा चैन।

Wednesday, November 28, 2018

जागो संकल्प करो (मु )

कुटुंब  दल
अगजग भारतीय  एक परिवार
 बनाने का दल.
फूल दल सा
हमें नहीं बिखरने देना.
हमें एकता चाहिए,

पैसे के या पद के या लोभ के या भयवश

देशद्रोही  के पक्ष न लेना.

देश की शक्ति जान
अगजग के लोग लूटे खूब.
फिर भी हम सिर ऊँचा कर
चल रहे हैं जान.

विदेशों को साथ देकर
विदेशों को सिंहासन पर
बिठाई विदेशी शक्ति को
कई स्वार्थी  देश द्रोही,
आंबी सा, वह तो लंबी सूची.

आज भी इत्र तत्र  कुछ द्रोही
देश को टुकडे करने में लगे हैं.

अंकुर से ही समूल
ऐसी द्रोही शक्तियों को
बढने न देना केवल सरकार को ही
नहीं हर देशभक्त  का अटल संकल्प.

जागना जगाना
हमारे फेमिली ग्रूप
कदम उठाना.
युवा शक्ति को जागना.
मिली विदेशी बहु शक्ति को
पनपने  न देना.
स्वरचित स्वचिंतक :यस.अनंतकृष्णन 

मज़हबी स्वार्थी तजो। (मु )

भगवान भगवान बोलते हैं ,
नहीं रखते भगवान पर विश्वास। 
प्रायश्चित करने मंदिर जाते हैं 
मंदिर की मूर्ती सजी 
सोने के कवच से ,
चमकी हीरे के मुकुट से। 
मंदिर बना लूट के पैसे से। 
कवच मुकुट दिए हैं 
भ्रष्टाचार के मंत्री। 
काले धन हुंडी में 
काले व्यापारी हाथ से 
मंदिर सजा है 
जैसे हिरण्य कश्यप जैसे 
सोचो समझो 
बनो प्रह्लाद। 
जागो जगाओ 
बनो भक्त ध्रुव। 
लौकिकता प्रायश्चित 
वे ही करते वे ही कराते 
जो धनी लालची हो 
धनी ही बच सकते हैं तो 
गरीबों पर भगवान की दया नहीं। 
सोचा विचारा अनुभूति मिली 
लुटेरे ही करते यज्ञ हवन। 
दशरत के यज्ञ फल 
उनको शोक मृत्यु। 
राम का अश्वमेध यज्ञ 
सीता का शोक -विरह।
ब्राह्मणो !यज्ञ करो ,
देखता हूँ भ्रष्टाचारियों के हार हो.
करोड़ों रूपये का खर्च करते 
सांसद -विधायक ,
पैसे लेकर खून करनेवाले 
मज़दूरी खूनी ,
मतदेनेवाले मतदाता ,
भ्रष्टाचारी नेता को 
आँखें मूँदकर उम्मीद करने वाले 
३०% दल के सेवक रहते 
कैसे हारते। 
जिन्होंने मंदिर तोड़े 
बगैर उनके कांग्रेस नहीं जीत सकता।

भगवान पर विशवास नहीं ,
बाह्याडम्बर पर विशवास ,
भगवान को छिन्न-भिन्न कर 
कहते हैं पुण्य मिलेगा। 
भक्त त्यागराज , भक्त रैदास ,
भक्त प्रह्लाद बनो ,
तजो -बाह्याडम्बर भक्ति .
तभी होगी देश की भलाई।
दान धर्म करो 
मजहबी स्वार्थी तजो.

Saturday, November 24, 2018

आध्यात्मिक बातें( मु )

सोचो ,समझो ,विचारो ,
संसार क्यों सुखी ?
संसार क्यों दुखी ?
गरीबी के कारण ?
बेकारी के कारण ?
जन्म के कारण ?
बचपन के कारण ?
जवानी के कारण ?
सम्भोग के कारण ?
प्रेम के कारण ?
नफरत के कारण ?
शिक्षा के कारण ?
अशिक्षा के कारण ?
साध्य रोग के कारण ?
असाध्य रोग के कारण ?
संतान के कारण ?
संतान भाग्य न होने के कारण ?
सत्य के कारण ?
असत्य के कारण ?
चाह के कारण ?
लोभ के कारण ?
क्रोध के कारण ?
अहंकार के कारण ?
हिंसा के कारण ?
अहिंसा के कारण ?
दुर्घटना के कारण ?
अल्प आयु की  मृत्यु के कारण ?
बुढ़ापे के कारण ?
पति के कारण ?
पत्नी के कारण ?
सालों के कारण ?
सालियों के कारण ?
ननद के कारण ?
ननदोई के कारण ?
भाई के कारण ?
बहनों के कारण ?
पिता के कारण ?
चाचा -चाची ,काका काकी के कारण ?
शासकों के कारण ?
शासितों के कारण ?
भक्ति के नाम ठगने के कारण ?
बाह्याडम्बर के कारण ?
दोस्तों के कारण ?
दोस्ती निभाने के कारन ?
कृतज्ञता के कारण ?
कृतघ्नता के कारण ?
भोग के कारण ?
त्याग के कारण ?
गृहस्थी के कारण ?
सन्यास के कारण ?
देश भक्ति के कारण ?
देश द्रोही के कारण ?
आतंकवादी के कारण ?
शान्ति वादियों के कारण ?
जंगली पशुओं के कारण ?
पालतू पशुओं के कारण ?
अकाल के कारण ?
अभाव  के कारण ?
परिवार के कारण ?
परंपरा के कारण ?
पाप कर्म के कारण ?
पुण्य कर्म के कारण ?
दान - धर्म के कारण ?
कंजूसी के कारण ?
हर अच्छे या बुरे कारण से
दुखियों की संख्या अधिक ?
या दुखियों की संख्या अधिक ?
सोचो ,विचारो ,समझो ,समझाओ ,
जागो ,जगाओ ,

भ्रष्टाचार -रिश्वत के कारण ?
प्राकृतिक कोप के कारण ?
आधुनिक कृत्रिम साधनों के कारण ?
कारण जो भी हो
उपर्युक्त कारणों में से
एक मानव को दुखी बना रहा है।
अस्थायी संसार ,
अस्थायी जीवन
अस्थायी नाते -रिश्ते ,
चंचल मन ,चंचल धन
सबहीं  नचावत राम गोसाई।
धन-लाभ की ओर  बढ़ते चरण
अपनी क्षमता जानने में भूल.
अपनी योग्यता जानने में भूल।
अपनी भूलों को पहचानने में भूल।
अपने को भूल ,
परायों के पीछे चलने की भूल।
अपने पर विचारो
अपनी योग्यता पर सोचो
अपनी शक्ति पर विचार करो।
हर कोई नाग नहीं बन सकता।
हर कोई बाघ न बन सकता।
हर कोई सिंह नहीं बन सकता ?
हर कोई सियार या भेड़िया बन नहीं सकता।
हर कोई खुशबूदार फूल नहीं बन सकता।
मिश्रित गुणी मानव के भाग्य में
जन्म के पहले ही भाग्य लिखित
विधि की विडम्बना कोई ताल नहीं सकता।
यह मानव बुद्धि धिक्कार।




Thursday, November 22, 2018

समाज (मु )

समाज भारतीय समाज ,
स्वार्थमय या निस्वार्थ मय
विचित्र  व्यवहार समाज में
भ्रष्टाचार और रिश्वत
समर्थन ही करने तैयार।
न्यायालय  में मुकद्दमा
सालों चलके न्याय नहीं मिलते।
सब को मालूम है  सब रजिस्ट्ररर के
कार्यालय में ,घरबनवाने की योजना अनुमति में
मेट्रोवाटर ,बिजली कनेक्शन में
l .k .G  भर्ती में  हर क्षेत्र में
लेन -देन  की बात सर्वमान्य।
आदी  ऐसे हो गए ,आवेदन पत्र  के साथ
पैसे  देने की बात  मनपसंद।
पैसे लेकर वोट देना,
मनमाना लूटने भ्रष्टाचारियों को
पुनः पुनः चुनना आनंद विषय बन गया.
सड़कें नहीं ,फुटपात पर दुकानें ,
अवैध   तरीके अति सहज.
सिकंदर के आक्रमण से  आज तक
देश द्रोहियों  का विषैला प्रभाव
अभी  तक  कम  नहीं हुआ.

भक्ति ध्यान यह प्रेरित शक्ति (मु )

मन है तो यादों की बारात
स्मरण पटल पर
निकला करती है.
बचपन की यादें,
जवानी की यादें
मेरी यादें
गरीबी का आनंद
अमीरी की वेदनाएँ.
ईश्वरीय अनुभूतियाँ
दोस्तों की मदद.
मेंने उपकार किया या नहीं
अनेकों ने मेरी मदद की है.
धीरे धीरे मेरी तरक्की हुई.
हर स्नातक पत्राचार द्वारा.
29की उम्र में यम. ए.,
सस्ता विश्व विद्यालय.
एक सौ रुपये में स्नातकोत्तर।
श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, तिरुप्पति.
ईश्वर के प्रत्यक्ष दर्शन और कृपा कटाक्ष।
परीक्षा प्रथम साल लिखकर
तिरुमलै पहाड पर पहली यात्रा.
बडी भीड, राजगोपुर गया तो
विश्व विद्यालय के प्रवेश पत्र
दिखाकर सीधे दर्शन बिना कतार पर खडे।
द्वितीय साल की परीक्षा देने गया
फिर दर्शन के लिए ऊपर गया तो
प्रवेश पत्र दिखाया तो न जाने दिया.
भीड में राजद्वार पर मैं
तभी किसने मुझसे कहा,
वी. ऐ. पी पास है,
आइए मेरे साथ.
सीधे दर्शन दिव्य दर्शन.
दर्शन के बाद उससे नाम पूछा
तो कहा,
नाम है वेंकटाचलपति.
सब का अन्न दाता.
मैं अवाक खडा रहा.
वह नदारद.
यह ब्रह्मानंद
केवल महसूस ही कर सकता.
गूँगा गुडखाइकै के समान।
यादें हमेशा हरी भरी।
हिंदी विरोध तमिलनाडु में
स्नातकोत्तर बनते ही
स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक.
यह ईश्वरानुभूति
अपूर्व आनंद की यादें
चिर स्मरणीय और अनुकरणीय.
भक्ति ध्यान यह प्रेरित शक्ति.

Wednesday, November 21, 2018

मानव जगत (मु )

देव जगत की कल्पना में ,
दानव जगत की क्रूरता में
विधि की विडम्बना में
विधिवत दिव्य तत्व को न जान्ने से
मानव जगत सुख दुःख के चक्रमें।
हर कोई न बन सकता आविष्कारक।
आविष्कारक एक उपभोगता जग -मानव।
खोज करता एक ,आनन्दानुभव जग.
शासक एक ,सुख -दुःख भोगता राष्ट्र।
आसुरी शक्ति  के सामने ,
दिव्य शक्ति का घुटने टेकना,
एक दिव्य शक्ति का उदय ,
आसुरी शक्ति का अंत
मजहब की दुनिया में
राम कहानी ही अधिक।
मुहम्मद ने पत्थरों का मार खाया।
ईसा ने शूली का कष्ट भोगा।
राम आजीवन मन में रोता  रहा.
कृष्ण को तो माँ  का गोद  न  मिला।
हरिश्चंद्र की कहानी हरिश्चंद्र सम हरिश्चंद्र।
सांसद -विधायक कठपुतलियाँ
  अपने नेता  के इशारे की।
मानव जगत अति स्वार्थ ,
मानव जगत अति परार्थ।
मानव जगत अति भोगी।
मानव जगत अति त्यागी।
स्वार्थों की सूची स्मरण में नहीं ,
वह तो अति लम्बी।
भोगियों की सूचियाँ अगणित।
त्यागियों की सूची सगणित।
मानव जग सोचो ,जानो ,खोज करो
अति गहरा ,अति सूक्ष्म ,अति निराला।
अतः मानवों के गन की तुलना पशु -वनस्पति जगत से.
जड़-सा खड़ा,लकड़ी सा लेटा ,
बगुला भगत ,सियार चालाकी ,
सिंह चाल ,बाघ सा दबना ,
हिरन नयन ,काल चरण ,गुलाबी गाल.
मानव जगत मानव जगत नहीं ,
पशु गुणों का ,वनस्पति गुणों का मिश्रण।




Monday, November 19, 2018

सर्वेश्वर को प्रणाम।(मु )

இனிய காலை வணக்கம் நண்பர்களே!
मधुर प्रात:कालीन प्रणाम।
Good morning friends।
 ईश्वरीय लीला अद्भुत।
 इंसान को  संतुलन में  रखने
बुद्धि दी, आचार्य से जीने,
आनंद से जीने ,
पशु पक्षियों मनुष्य को
भूख-प्यास, काम,नींद,
बराबर बांटे गए।
केवल मनुष्य को जितेंद्रिय बनाया ।
सनातन ,धर्म के प्रधान भगवान को
दो पत्नियां दी, पर ब्रह्मा -सरस्वती   एक
ज्ञान एक, चिंतन अनेक।
शक्ति ज्ञान, क्षमताओं में
बराबरी नहीं,पागलों,पंडितों,
नायक, खलनायक,
क्रोधी, कामुक,लोभी, न्यायी,अन्यायी,
दयालू-निर्दयी, पापात्मा, पुण्यात्मा,
बल दुर्बल गुण अवगुण,
मां अपमान  जगमंच को
एक अभिनय मंच बनाकर
अपने को सर्व श्रेष्ठ  सिद्ध की
जो शक्ति नचा रही है,
उस शक्ति को प्रणाम।

और किसी प्रकार से बदल नहीं सकते।(मु )

ज़रा देखें ,
जग के मंच को 
धनी सुखी या निर्धन सुखी 
गली के कुत्ते खुशी या बंगला के श्रृंखला बंध बहुमूल्य कुत्ते। 
फुटपात पर पीपल के पेड़ के गणेश की शक्ति अधिक या 
हीरे सोना चांदी से भरे पहरेदार के देख रेख के गणेश की शक्ति अधिक।
खाली हाथ के भक्त सन्यासी भक्त बड़ा या
भ्रष्टाचार के मंत्री के हीरे के मुकुट धारण करना बड़ा.
कल्पित भगवानों से आदी भगवान ही बड़ा ,
जो तटस्थ , अटल क़ानून ,समान दंड
बचपन ,जवानी ,बुढ़ापा , रोग, मृत्यु।
अमीर हो या भिखारी।
वह फैसला पद ,धन ,अधिकार ,भय
और किसी प्रकार से बदल नहीं सकते।

न मानव जीवन चैनप्रद ।(मु )

कल की बात
आज की बात
कल होने की बात
खल के कारण ।
खल पात्र न तो
असुर न तो ,
मंथरा, रावण,शकुनी
खल विचार न तो
न ऐतिहासिक ग्रंथ
न वेद पुराण।
रोग खल न तो
प्राकृतिक क्रोध खल
काम खल
लोभ खल
ये खल न तो
खलनायक न तो
न रोचक जानकारी
न साहसी घट ना
बेरहमी से धरती न खोदें तो
न सोना न हीरा न चांदी।
मांसाहारी न तो
मच्छर वध न तो
न मानव जीवन चैनप्रद ।

Saturday, November 17, 2018

मातृत्व नेतृत्व (मु )

माँ ममता मयी
जब तक जिंदा  रहती
तब तक उनकी बात न मानते बच्चे.
उनकी मानसिक दशा,
शारीरिक रोग किसी पर न देता ध्यान.
वह   तो अपनी संतानों  के दुख दूर करने
चिंतित रहती.
सुख मेंंब्रह्मानंद का अनुभव करती.
सब उनकी मृत्यु के बाद ही सोचते हैं
ज़िंदा रहते उन पर ध्यान  नहीं देते.
यहीमानव जीवन.
राम भी कैकेयी के लिए  वन गया.
कौशल्या  दशरथ की मनोदशा न जाना.
सीता को संताप दिया,
पत्नी  की मनः स्थिति न महसूस की.
आदी काल से आजकल भारतीय कथाएँ
नारी को भोग और सेविका ही मानती.
परिणाम सोनिया खान
 सोनिया गांधी नाम धर
गांधी वंश बन गयी.
माँ का नाम आद्यक्षर  का कानून बन गया
माँ  के इशारे पर ही पता चलता
पिता कौन?
माँ के बगैर संकेत के
ईसा, कबीर,  सीता के पिता का पता नहीं.
यही वास्तव में ईश्वर की महा शक्ति.
किसी को पता नहीं पांडवों के असली पिता,
राम के असली पिता.
माँ अत्यंत सूक्ष्म  सृष्टि
ईसा के पिता का पता नहीं.
स्वरचित  स्वचिंतक :यस. अनंत कृष्णन 

Friday, November 16, 2018

सुख कहां?(मु )

सत्य असत्य
ईमानदारी बेईमानी
न्याय अन्याय
पाप पुण्य
शुभ अशुभ
भला बुरा
सब जानकर
समझकर भी
अमृत विष मिलाकर
सुकर्म दुष्कर्म
तटस्थ ता से
विपरीत कर्म में लगे मानव जीवन में
सुख  कहां?

Thursday, November 15, 2018

विजय (मु )

सत्य असत्य
ईमानदारी बेईमानी
न्याय अन्याय
पाप पुण्य
शुभ अशुभ
भला बुरा
सब जानकर
समझकर भी
अमृत विष मिलाकर
सुकर्म दुष्कर्म
तटस्थ ता से
विपरीत कर्म में लगे मानव जीवन में
सुख  कहां?



Wednesday, November 14, 2018

मानव अवलंबित(.मु )

फूल खिले तो
खुशबू .
मन मोहक
नेत्रानंद.
पर वह भी अस्थाई. 
पैसे अचल संपत्ति
पर प्राण ज़िंदा रहना
अनिश्चित.
पद, पदोन्नति , पर जवानी
अस्थाई.
अस्थाई जगत में
आनंद परमानंद से जीना है तो
सत्याचरण, कर्तव्य परायण
आत्मानंद अति आवश्यक.
सहज मिला तो दूध सम.
न पशु पक्षी माँगना किसी से
मानव तो जन्म से दूसरों पर निर्भर.
बछडा खडा है जन्म लेते ही
बच्चा लेटा है माँ की गोद में.
मानव को ज्ञान देकर भी
मानव अवलंबित.

Thursday, November 8, 2018

लक्ष्मी तू हार गयी (मु )

लक्ष्मी के नाम पत्र ,
देवी! चरण वंदन।
तेरी महिमा जन्म विदित है ,
सर्वत्र तेरे गुणगान।
चुनाव में जीतना ,
स्नातक -स्नातकोत्तर की उपाधियाँ पाना
व्यापार करना ,
रिश्ते-नाते दोस्तों के  भीड़ में मज़ा लेना ,
कारखाने ,माल के मालिक बनना
चित्र पट  के निर्माता - निदेशक बनना ,
चित्रपट -घर बनाना ,
संगणिक -अंतरजाल -यात्रा -सपर्क सब के मूल में
लक्ष्मी प्रधान।
जितना भी बल तुझमें हैं ,पर
तेरे अवहेलना करने का एक पल
हर एक के जीवन में अवश्य।
पहाड़ को चूर चूर भले करो।
धर्म -अधर्म कीजीत -हार तुम पर निर्भर।
अपार शक्ति तुझ में ,
तेरे वश में सब कुछ ,सभी प्रकार का आनंद सोच
न्याय -अन्याय तेरे अधीन।
भगवान की महिमा भी हीरे के मुकुट ,
सोने के कवच में.
इतना होने  पर भी न जाने
तुझ से दूर न करनेवाले
कई विषय है संसार  में.
करोड़पति के यहाँ असाध्य रोगी ,
डाक्टर  के यहाँ  पागल बच्चे,
करोड़पति के पुत्र का अकाल मृत्यु।
करोड़ों के खर्च कर चुनाव में हार.
गधे का स्वर संगीत प्रिय को।
जन्म से अंधे, निस्संतान दम्पति
कई विषय ऐसे संसार में
तुम्हारे अधीन  नहीं।
रेगिस्तान को उपजाऊँ  भूमि न बना सकती तू.
दक्षिण ध्रुव को गरम प्रदेश नहीं बना सकती तू.
जन्म से मंद बुद्धि को प्रतिभाशाली न बना सकती तू.
फिर   भी  यह पागल दुनिया ,
तेरे पीछे पागल।
हँसी  आती है ,मुझे कई करोड़पति की आत्महत्या देख.
लक्ष्मी तू हार गयी.



Tuesday, November 6, 2018

निर्भर जान.(मु )

बहुत हैं  दुनिया में सुख ,
बहुत है दुनिया के दुःख।
ज्ञानी मनुष्य के कर्म में
चुनने छोड़ने में ,सोचने में
पसंद करने में मदद करने में ठगने में
सुख दुःख निर्भर जान.

Monday, November 5, 2018

सब को दीपावली की शुभ-कामनाएँ

Saturday, November 3, 2018

साई राम महाराजाधिराज की जय

सत्य साई राम.
शाश्वत सत्य प्रमाण.
सांसारिक एकता का मूल.
मानवता के प्रचार में
न मज़हबी भेद

स्वार्थ मज़हबी यही सिखाते
अल्ला  बडा,ईसा बडा, हिंदु बडा,
सिक्ख बडा,बौद्ध बडा, जैन बडा.
साई राम  तो  यही कहते
मानव धर्म मनुष्यता बडा.
भजन में मिलाते
अल्ला साई  ईसा साई शिव साई विष्णु साई
सिक्ख साई, बौद्ध  साई जैन साई.
मानो सब मत-संप्रदाय  यही सिखाते
सत्य  पथ पर चल.
प्रेम मत पर चल.
नेक पथ पर चल.
कर्तव्य पथ  पर चल.
सेवा पथ पर चल.
मनुष्य मनुष्य भेद कर
अशांति हिंसा ठग निर्दयता,
अहंकार, क्रोध काम, लोभ स्वार्थ
सब तज, संसार है मिथ्या, अशाश्वत.
यही सब मजहब की सीख.
सोना एक, मिट्टी  एक ,चाँदी एक
बर्तन, आभूषण, रूप अनेक.
वैसे ही भगवान एक.
दीन दुखियों की सेवा में
बढती  संपत्ति.
भगवान रहेगा तेरा दिल में.
महान सत्य साई को नमन.

.

माँ माता अम्मा.

माँ, माता, अम्मा,
जगतजननी शक्ति स्वरूप,
देवी का नाम सुना है,
 पर न देखा ,अनुभूति मिली.
  माँ जिसके गर्भ में पला,
दिमाग, आँख, कान, हड्डियाँ, माँस,
हाथ, पैर, सर्वस्व  पूर्ण नर रूप
प्राप्त कर  पृथ्वी  पर आयी,
वह जननी जन्म भूमि,  मेरी.
दस महीने बिंदु  स्वरूप अति
सूक्ष्म रूप को अपना खून देकर
दर्द सहकर  पाला वह  देवी प्रत्यक्ष  शक्ति.
माँ रस  गो रस से श्रेष्ठ,
माँ, प्रत्यक्ष  ज़िंदा दिव्य रूप.
माँ गुरु आइन,  माँ सेविका, माँ मार्गदर्शिका,
माँ शक्ति  दात्री, ममता मयी,
दयामयी, त्याग  का प्रतिबिंब,
हैरान की बात है, सृजनहार ने
सब सृष्टियों में गुण अवगुण,
माँ में भी कई होती  निर्दयी,
कुंती सी,कैकेई सी,
काला धब्बा किसमेंनहीं.

माँ सम माँ न तो मैं नहीं, नरवर्ग नहीं
माँ को सविनय सादर नमस्कार.

Thursday, November 1, 2018

उपहार -उपकार

उपहार -उपकार 
उपहार देने से 
उप कार्य होता है 
उपहार  हार को जीत में बदलता है। 
उप कार्य  प्रधान कार्य बन जाता हैं 
उपहार कभी कभी लापरवाह बन जाता है 
मुफ़्त का उपहार लोभ बढ़ाता है। 
उपहार के बिना काम करना रुक जाता है.
उपहार के इंतज़ार ठगने का कारण। 
ऐसे भी देखा अमीरी गरीबी के लक्षण। 
उसने सस्ता दिया मैंने महँगा दिया ,
मानसिक कटुता और हीनता ग्रंथी के कारण 
मान -अपमान की सूचना भी.
भगवान को हीरे का उपहार देने से
 क्या सद्यःफल मिलता है.
अफसर को तो कठिनतम भी सरलतम