Monday, February 15, 2021

भगवान का दंड पुरस्कार

 वणक्कम। नमस्कार।

भगवान से सृष्टित संसार। 

भगवान की प्रार्थना अनिवार्य। 

हमारे  ऋषि मुनियों को ,पैगम्बरों को 

अगजग  की एकता के लिए   के

शान्ति  के लिए ,

भाईचारा बढ़ने -बढ़ाने के लिए 

प्रेम  से रहने के लिए ,

 दान धर्म, सहानुभूति, परोपकार,फँ

निस्वार्थ समाज कल्याण, विभाग

संक्षेप में इन्सानियत,संयम, 

भगवान के प्रति भक्ति भाव।

जितेन्द्रियता, ईमानदारी,

वचन का पालन,सत्यव्रत।

    सोचिए,मनुष्य सद्य:फल के लिए मनुष्यता

छोड़ देता तो वह मृगतुल्य।

लौकिक मृगतृष्णा की मिथ्या दौड़।

माया/शैतान/सामान के चंगुल में 

फँस जाता है।

भगवान को मालूम है,

मनुष्य  जानवर है।

हम ज्ञान देते हैं, 

मनुष्यता अपनाने वालों को सुखी रखेंगे।

बाकी को बदनाम  देंगे।

सबको मृत्यु  दंड  निश्चित।

ऐसा कानून ईश्वर का हर पापी को दंड/सजा।

 अतः  हर किसी को संसार में 

कोई न कोई कष्ट  विविध प्रकार के

भोगता है। गहराई से विचार करेंगे तो

समझेंगे कि यह  भूमि ही स्वर्ग नरक।

यह धरती ही जन्नत जहन्नुम।

 असाध्य रोग,साध्य रोग,   दरिद्रता,

लाभ नष्ट,कीर्ति अपकीर्ति, ज्ञानी अज्ञानी।

अंग हीनता,पदोन्नति पदोअवनति 

अल्पायु पूर्णायु, आत्महत्या,हत्या 

काम क्रोध मद लोभ में सद्गुण भी ईश्वरीय देन है

 अतः देवेन मनीष्यरूपेन।

अन्यायी न्यायी, दोनों ही सुख दुख भोगते हैं।

 दोनों को दंड  पुरस्कार देते हैं।

अंतिम सजा मृत्यु स्वर्ग नरक भोगने के बाद।

 संसार में रहकर सौ प्रतिशत तटस्थ रहना असंभव।

अतः सिद्ध पुरुष जंगलों में पहाड़ों में दुर्गम

स्थानों में  बस जाते हैं।

 कोई सज्जनों को अपनी दिव्य  शक्ति द्वारा

मिलवाकर दिव्य संदेश देते हैं।

वह दिव्य पुरुष की नसीहतें सुनकर 

समाज में पाप पुण्य के डाँवाडोल में

मनुष्य सुख दुख भोगते हैं।

इन दिव्य पुरुषों में   समाजिक संक्रामक रोग

माया पकड़ लेती है।

पर जल्दी ही उसका भंडा फोड़ जाता है।

वह अपमानित होकर छिप जाता है या जेल का दंड भोगता है।

भगवान सृष्टियां समाज। पाप पुण्य का भंडार घर।

जैसा लेते हैं वैसा ही स्वर्ग नरक  भेज गया है मनुष्य


स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Thursday, February 4, 2021

पुकार

 नमस्कार। वणक्कम।

विषय  पुकार 

५-२-२०२१कलमकार कुंभ।

पुकार बुला अर्थ हिंदी हो तो

पुकार तमिल शब्द का अर्थ शिकायत।

  पुकार  

 माँ की पुकार में ममता,

पिता की पुकार में भय,

नानी ,दादी की पुकार,

मामा,बुआ की पुकार।

हर पुकार में प्रेम,आतंक।

दोस्त की पुकार में  आनंद उल्लास।

 अध्यापक की पुकार में 

ज्ञान, अनुशासन, चरित्र गठन।

 देश की पुकार में देशभक्ति।

  भक्तों के प्रेम पुकार में 

 ईश्वरानुराग ।

काल की पुकार  निश्चित।

उनकी पुकार की तारीख पता नहीं,

उतने में हमें कल्याण कार्य कर

पुण्य कमाना मानव धर्म


स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक। का इस

स्वतंत्र

 ग्वालियर साहित्यिक सांस्कृतिक मंच के प्रशासक प्रबंधक संचालक समन्वयक सदस्य पाठक सब को सादर प्रणाम।

  इस दल में मेरी पहली अभिव्यक्ति।

३-२-२०२१

विषय  स्वतंत्र 

विधा। अपनी भाषा अपनी अभिव्यक्ति अपना छंद

 स्वतंत्र भारत नाम के लिए।

नौकरी बगैर अंग्रेज़ी के नहीं।

पोशाक अंग्रेज़ी के।

  टूटी फूटी अंग्रेज़ी न तो

 शुद्ध भारतभाषी अपमानित।

अंग्रेज़ी पेय,पीने का जल 

 हर बात में अंग्रेजियत।

हम स्वतंत्र भारतीय नाम के वास्ते।

विदेशी पूंजी विदेशी मालिक 

हम हैं दास।

भारतीय दास,नाथ देव तुल्य।

तुलसीदास कबीरदास रैदास एकनाथ


स्वतंत्र व्यक्तित्व दासों को भूल,

अंग्रेज़ी दास बनकर कहते हैं

स्वतंत्र।

सत्तर साल के बाद

आज ललकार

स्ववच्छ भारत, भारतीय बनो।

 भारत में बनाओ।

गंगा घाटी डुबोकर पानी।

पर मुझे पीने का पानी

एक लिटर २५ रुपए में लेना पड़ा।

  यह धिक्कार है स्वतंत्र।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

धरती

 कलमकार दल के प्रशासक,सदस्य समन्वयक संयोजक पाठक सब को हार्दिक नमस्ते वणक्कम।

४-२-२०२१

शीर्षक--धरती

धरती एक,गुण अनेक।

समृद्ध भूमि,संपन्नभूमि 

मरुभूमि,सूखी भूमि,

  नदी किनारे की हरी धरती।

सभ्यता का पालना।

मेरी भारत धरती कृषी प्रधान।

विदेशियों के आने के पहले,

अग जग की अमीर भूमि।


 मंगोलिया,फ्रांस,डच,अंग्रेज़,यूनानी 

सब लुटेरे लूटने आये,

खूब लूटे,  शैतान का कुप्रभाव,

  भारतीय संस्कृति, उद्योग, कलाएँ,

कुटिर उद

योग, संगीत, भारतीय भाषाएँ सब

खुद भारतीय ठुकराने लगे।

भारत की धरती पर

स्वर्ण उगता,दान धर्म की भूमि।

त्याग की भूमि,मानवता की श्रेष्ठ भूमि।

उद्योगीकरण, शहरीकरण,शहर विस्तार के नाम

मरुभूमि बना रही है।

विदेशी पेय,विदेशी कार कारखाना,

आदि के कारण जल प्रदूषिण वायु प्रदूषण, विचार प्रदूषण की 

भूमि बन रही है।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Wednesday, February 3, 2021

भावना

 हम नमस्कार वणक्कम।

कलमकार कुंभ ३-२-२०२१!

विषय। भावना।

विधा अपनी शैली अपनी भाषा अपनी अभिव्यक्ति अपना छंद।

अपनों के दुख में,

  भावना  अलग।

परायों के दुख में

भावना अलग।

पीडा का संवेग 

 दोस्ती-शत्रु में

अति विपरीत।।

  हार जीत में

पक्ष दल विपक्षदल 

मृत्यु में भी  भावना अलग।

 आँखों देखी दुर्घटना,

आकस्मिक हो तो

भावना  अलग।

ड्राइवर पियक्कड़ होतो 

क्रोध की भावना बहुगुणा अधिक।।

 डाक्टर हाथ छोड़ देता तो

भक्ति भावना अलग।

 नकली साधु ढोंगी का पता

लगे तो भक्ति विपरीत।

भावनाएँ अलग अलग । भी

घटना  अलग-अलग।

 प्रेम में फर्क,क्रोध में फ़र्क।

  करुण में फर्क।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Tuesday, February 2, 2021

रिश्ते

 साहित्य संगम सब इकाइयाँ, कविता कोश,काव्योदय, हिंदी प्रेमी समुदाय, साहित्य संगम, हिंदी लेखक परिवार,विश्व हिन्दी सचिवालय  और अंतर्राष्ट्रीय  साहित्य संगम, वर्णमाला साहित्य संगम सबको समर्पण। 

३_२_२०२१.

विषय। रिश्तें

विधा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति

++++++

रिश्तें   खून के ,

रिश्तें मिलन के,

 रिश्तें माँ के, सौतेली माँ के,रखैल के।

 माँ धाय माँ के

सब प्रकार के रिश्ते,

 रिश्ते दोस्त के, रिश्तें भक्तों के

 रिश्ते देश विदेश के

रामायण काल से आज तक

  सबके व्यवहार पढ़ा,परखा,

सच्चे ,कच्चे, पके,ठगे रिश्तें।

कर्ण की माँ निर्दयी

 कायर कामान्ध ।

भरत की माँ  अस्थिर,

मामा शकुनि  प्रतिशोध,

विभीषण ईमानदारी पर द्रोही,

मन में नाना विचार,

सर्वैश्वर की लीला।

भीष्म का बलात्कार,

विचित्र वीर्य नपुंसक तीन अबलाएँ,

विदुर से  अछूत का व्यवहार।

पांडवों के विविध पिता,

भीष्म प्रतिज्ञा,

अति विचित्र नाते रिश्तें।

ईश्वर की लीला अपूर्व अद्भुत।

मानव का सच्चा रिश्ता परमेश्वर।

जब  चाहते अपने आप परम पद देते।

बाकी रिश्तों में 

 विश्वसनीय-अविश्वनीय होते।

ईश्वरमानव सृष्टित अति स्वार्थ। के

 सोनिया मंदिर,मोदी मंदिर ,

जयललिता मंदिर,अभिनेता अभिनेत्री मंदिर।

मानव के स्वार्थ मंदिर। न समरस सन्मार्ग। इस करें हैं

 प्राकृतिक मंदिर सूर्य चंद्र,हवा,पानी,अग्नि,

ये ही समदर्शी भगवान।बाकी मानव निर्मित व्यापार केंद्र।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक










,

इर

Friday, January 29, 2021

औवैयार

  तमिल कवयित्री औवैयार की तमिल कविता का अनुवाद।

३०-१-२०२१.

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சாதி இரண்டொழிய வேறில்லை சாற்றுங்கால்

நீதி வழுவா  நெறிமுறையின்  -  மேதினியில்

இட்டார் பெரியோர்  இடாதோர் இழிகுலத்தோர்

பட்டாங்கில் உள்ள படி

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   संसार मेंनीति  व धर्म शास्त्रों के       अनुसार जातियाँ है दो।

 और जातियाँ है ही नहीं।

 दानी परोपकारी उच्च जाति। 

  दान धर्म न करनेवाले निम्न जाति ।

  यह  नौवीं शताब्दी की कविता है।


  जाति इरंडु ओऴिय =सिवा दो जातियों के

वेरु इल्लै --और कोई नहीं है

चाट्रुंगाल  कहने पर

नीति तवरा नेरि मुरैयिल --  न्याय न तजे शास्त्रीय नियम में 

मेदिनियिल --संसार में

इट्टार --  दान धर्म करनेवाले,

पेरियोर  --बडे लोग।

इडादोर   न दान धर्म न करनेवाले।

इऴि कुलत्तोर __निम्नकुलवाले।

पट्टांगिल उळ्ळपडि।  नीति ग्रंथों के अनुसार।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।


 






  

  


रंग

 नमस्ते वणक्कम।

विषय --रंग

विधा अपनी भाषा अपनी शैली अपने छंद अपने‌विचार।

  जिंदगी में कुछ लोग 

  रंग लाते हैं तो 

 कुछ लोग रंग में भंग करते हैं।

   भक्ति के क्षेत्र में रंगे सियार होते हैं।

  रंग बदलने वाले राज नीतिज्ञ होते हैं।

 रंग लाने वाले  रंगे सियार होते हैं।

 रंगे हाथ पकड़ने पर भी भ्रष्टाचारी

 चेहरे के रंग उखड़ने पर भी,

   रवि किरण बन जाते हैं।

   वर्षा के इंद्रधनुष  सात रंग होते हैं।

श्वेतांबर शक्ति का तो

गेरुआ  त्याग का।

व्यवहार में रंग रंग दिखाने वाले

  समाज में बहिष्कृत होते हैं।

  

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

दादी का गाँव ---संस्मरण

 नमस्ते वणक्कम।

दादी का गाँव
२९-१-२०२१
गुजरात इकाई साहित्य संगम संस्थान।
मैं तमिलनाडु का हूँ।
मेरी दादी का मदुरै जिले में है।
नाम है कुन्नुवारंकोट्टै।
नदी के किनारे पर है।
मंजिल आरु अर्थात पीली नदी।
किनारे पर एक सुंदर शिव मंदिर है।
वहाँ के खेत हरे भरे हैं।
एक बार दशहरे की छुट्टियों में वहां गया था।
मंदिर में नवरात्रि मेला का कोलाहाल।
देव देवी की कीर्ति पुजारी के हाथ में।
अति सुन्दर अलंकार ऐसा लगता,
जैसा देवी प्रत्यक्ष बोलती।
हीरे के कर्णाभूषण, नक बेसर
अधिक चमकती।
जवान लडकियाँ रंग-बिरंगे डांडिया लेकर नाचते।
रंग-बिरंगे पटाखे, फुलझडियाँ नाना प्रकार के पटाखे।
छूटते समय निराली और चमत्कार से पूर्ण।।
दस दिन का आनंद पर्व।
एक दिन राकेट उड़ी तो ऊपर न चलकर,
जमीन से सीधे चली एक दूकान पर पड़ी।
वहाँ पकवान बनाए रहे थे,
बड़े बर्तन पर तेल उबाल रहा था।
अचानक जलने से रसोइये पर उबालते तेल।
खुशी का कोलाहाल शोक शोर गुल में बदल गया।
बीस पच्चीस लोग घायल हो गए।।
भगवान के अनुग्रह से सब जिंदा रहे।।
भगवान को कृतज्ञता व्यक्त कर
सुंदर गाँव के आनंद के साथ
पटाखे की सावधानी का संदेश लेकर शहर लौटा।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

गंगा

 नमस्ते वणक्कम।

गंगा।२९-१-२०२१

 गंगा नदी अति पवित्र।

 सुना है जल पीने से स्वास्थ्य लाभ।

 प्राण पखेरु उड़ जाने के पहले

तड़पती आत्मा के मुख में

गंगाजल पिलाना अति पुण्य।।

पर मैं आया २०१९में ,

 काशी और प्रयाग में बाढ़ ही बाढ।

पर खेद की बात है कि 

पीने का पानी एक लिटर २२रुपये।

यह भारत का है बड़ा अपमान।

औद्योगिकीकरण शहरीकरण नगर विस्तार।

पवित्र नदी को अपवित्र बनाना,

 हिंदु ओं में अश्रद्धा होना,

 देश के कल्याण के लिए  उचित नहीं।

 पंचवटी गया तो वहाँ गंदा पानी,

 ठहर रहा है, भारतीयों में

चाहिए पवित्र अचंचल भक्ति भाव।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

हम सफर

 नमस्ते वणक्कम।


कलम बोलती है साहित्य समूह।

विषय --हम सफर।

दिनांक २९-१-२०२१

आयोजन संख्या --२५१

हम सफर है "भारत देश के"।

हम सफर है परिवार के।

हम सफर है दोस्तों के।

हम सफर है भक्ति के मुक्ति के।

हम सफर है मधुशाला के।

हम सफर है जेल खाने के।

हम सफर है पागल खाने के।

हम सफर है अमुक दल के।

हम सफर है तब तक,

जब काल अपने 

हिसाब न चुकाता।

नश्वर जगत के  हम सफर।

न जाने जब अकेले सफर

दूसरों के कंधों पर  या अमर वाहन पर।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।













 



Thursday, January 28, 2021

जिंदगी प्यार का गीत

 नमस्ते वणक्कम।

शीर्षक :- जिंदगी प्यार का गीत है।


मेरा जमाना 

 शादी के बाद,

बुढ़ापे तक का प्यार।

आज प्यार के बाद शादी,

अंतर्राष्ट्रीय, अंतर्जातीय, अंतर्रप्रांतीय,

शादी, तलाक पुनर्विवाह। 

समाज सुधार के गीत,

दिल का गीत।

 प्यार भरा गीत,

पाश्चात्य सभ्यता और भारतीय

 संस्कृति मिलन,  

बेचैन जिंदगी प्यारे !गीत गाओ,

प्रीत का पर पाश्चात्य सभ्यता का

न बनो पिछलग्गू।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

जिंदगी प्यार का गीत

 नमस्ते वणक्कम।

शीर्षक :- जिंदगी प्यार का गीत है।


मेरा जमाना 

 शादी के बाद,

बुढ़ापे तक का प्यार।

आज प्यार के बाद शादी,

अंतर्राष्ट्रीय, अंतर्जातीय, अंतर्रप्रांतीय,

शादी, तलाक पुनर्विवाह। 

समाज सुधार के गीत,

दिल का गीत।

 प्यार भरा गीत,

पाश्चात्य सभ्यता और भारतीय

 संस्कृति मिलन,  

बेचैन जिंदगी प्यारे !गीत गाओ,

प्रीत का पर पाश्चात्य सभ्यता का

न बनो पिछलग्गू।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

कवि और धन

 नमस्ते वणक्कम।

काव्य कला सेवा,

कविगणों की अमर सेवा।

तमिल के राष्ट्र कवि भारतियार ने

इस भाव में लिखा कि

मैं पशु पक्षी कीड़ा नहीं कविहूँ

युग युगांतर तक जीवित रहूँगा।

-------&&&&

भारत भूमि ज्ञान भूमि दिव्य भूमि।

ऋषि मुनि साधु संत अगजग के  मार्गदर्शक।

स्वार्थी देशद्रोही,लोभी,कामी ,क्रोधी, अहंकारी,चली,कपटी,

 कलियुग में नहीं ,त्रेता युग,द्वापर  युग में भी थे।

जन संख्या वृद्धि के साथ साथ,

ये भी बढ़ रहे हैं।

 विभीषण था तो आंबी था।

वह सूची तो बड़ी लंबी।

जो भी हो, नश्वर दुनिया,

सुनामी पाना, बदनाम पाना अपने अपने कर्म फल।

 धन है, धन बल जिंदा रहूँगा, कामयाबी का सम्राट बनूँगा।

यह विचार है अति मूर्खता।।

कई करोड़ पतियों के यहाँ असाध्य रोगियों को देखा।

अति प्रयत्न के बाद भी राजकुमार सिद्धार्थ बना बुद्ध।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

तमिलनाडु के हिंदी प्रेमी , प्रचारक।।

सरिता

 नमस्ते वणक्कम।

 सरिता तू नहीं बहती तो

क्षुधा शांति न होती।

तू न होते खेत सूख जाते।

 पशु पक्षी मानव वनस्पति सूख जाते।

सुवर्ण भरे घर में, 

क्षुधा से मरते सब के सब।

तू तो सभ्यता का पालना।।

 शहरी सभ्यता का मूल।।

कारखाने बढ़ते जाते हैं।

अमीर बढ़ते जाते हैं।

आलीशान महल बनवाते जाते हैैं।

नदी नाले सूखते जाते हैं।

यह नहीं सभ्यता के लक्षण।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै

Wednesday, January 27, 2021

ध्यान

 नमस्ते वणक्कम।

28-1-2021

 मग्न 

 मन अग्नि में तपना 

मन चंचल मन,

अचंचल बनाना,

बगुला भगत बनना 

ध्यान मग्न होना है।

मछुआरा एक कांटा 

पानी में डाल 

मछली फँसने की प्रतीक्षा में

ध्यान मग्न बैठा था।

तभी एक संन्यासी उससे

आगे जाने का मार्ग पूछा।

मछुआ बहरे के समान

काँटे को ही देख रहा था।

काँटे में मछली फँसी,

काँटे खींच मछली निकाल

 टोकरी में डाला।

संन्यासी को  मार्ग बताया।

मछुआ से  सीखमिली,

काम में ध्यान मग्न होना है।

गुरु द्रोणाचार्य ने  एक दिन 

पांडव और कौ‌रव की परीक्षा ली।

 दूर पेड़ पर एक चिड़िया बैठी थी।

उसकी चोंच पर  तीर चलाना।

परीक्षा के पहले हर एक शिष्य से पूछा

क्या देख रहे हो??

अर्जुन के सिवा सब ने बताया,

पेड़ पत्ते चिडिया चोंच।

सिर्फ अर्जुन ने कहा ,

सिर्फ चोंच।

मन काम में मग्न होना

 सरल नहीं।

  ऋषि मुनि भगवान के ध्यान में

 कई साल ध्यान में विलीन हो

लौकिक इच्छाओं को तज

 बैठ जाते और ज्ञान पाते।

अंधेरी गुफा में बैठ जाते,

खुदा  के पैगाम पाते।

 स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

अतीत की यादें।

 [27/01, 9:48 am] sanantha 50: गणतंत्र दिवस,

 मजहब के नाम देश बँटवारा।

 संविधान हमारा धर्म निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य।

 खेद है- राष्ट्र गीत गाने खड़ा रहने

 तैयार नहीं ,वंदेमातरम के विरोध।

  कानून के सामने सब बराबर।

 देव के दर्शन में 

अमीर मंदिर,

 गरीब मंदिर।

 शहर के मंदिर,

गाँव के मंदिर।

 अमीर विद्यालय

 गरीब विद्यालय।

 भारत एक ।

पाठ्य क्रम अलग अलग।

 सोना एक, 

स्तर दाम अलग अलग।

 राष्ट्रीय बैंक सोने के दाम मेंफर्क।

डाक् घर का सोना,

स्टेट बैंक का सोना 

इंडियन बैंक का सोना

अलग अलग दाम।

एक दूकान का दाम 

 दूसरी दूकान में कहते

 स्वर्ण में मिलावट ज्यादा।

 कानून के सामने सब बराबर।

 सोना स्वर्ण कांचन 

वह भी विश्वसनीय नहीं।

 लोकतन्त्र में समान अधिकार।

 स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी

[27/01, 11:02 am] sanantha 50: नमस्ते वणक्कम।

काव्य कला सेवा,

कविगणों की अमर सेवा।

तमिल के राष्ट्र कवि भारतियार ने

इस भाव में लिखा कि

मैं पशु पक्षी कीड़ा नहीं कविहूँ

युग युगांतर तक जीवित रहूँगा।

-------&&&&

भारत भूमि ज्ञान भूमि दिव्य भूमि।

ऋषि मुनि साधु संत अगजग के  मार्गदर्शक।

स्वार्थी देशद्रोही,लोभी,कामी ,क्रोधी, अहंकारी,चली,कपटी,

 कलियुग में नहीं ,त्रेता युग,द्वापर  युग में भी थे।

जन संख्या वृद्धि के साथ साथ,

ये भी बढ़ रहे हैं।

 विभीषण था तो आंबी था।

वह सूची तो बड़ी लंबी।

जो भी हो, नश्वर दुनिया,

सुनामी पाना, बदनाम पाना अपने अपने कर्म फल।

 धन है, धन बल जिंदा रहूँगा, कामयाबी का सम्राट बनूँगा।

यह विचार है अति मूर्खता।।

कई करोड़ पतियों के यहाँ असाध्य रोगियों को देखा।

अति प्रयत्न के बाद भी राजकुमार सिद्धार्थ बना बुद्ध।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

तमिलनाडु के हिंदी प्रेमी , प्रचारक।।

[27/01, 9:49 pm] sanantha 50: नमस्ते वणक्कम।

यादें अतीत की।

अतीत की यादें

 आनंद प्रद।

संतोषप्रद।

सम्मिलित परिवार।

 दादा दादी,

चाचा चाची।

टाटा काकी।

 बुआ बुआयिन।

सब के चार-चार बेटे।

एक ही रसोई घर।

  कमरे नहीं, एक बड़ा हाल।

औरतों को अपने कामों से निवृत्त होकर,

कब सोने  के लिए  आती,

अपने पति से बोलती या न बोलती पता नहीं।

हमारे सोने के बाद आतीं।

हमारे उठने के पहले उठती।

सब  गर्भवती हर साल एक बच्चा।

 हमने कभी पति पत्नीसे मिलते बोलते 

कहीं बाहर जाते न देखा।

न मनोरंजन,न टि वी।

सदा काम घर नहीं, धर्म शाला।

हमेशा रिश्तेदारों की भीड़।

हमें न गृह पाठ,न पढो,पढ़ो का उपदेश।

न अंक की चिंता न महाविद्यालय की भर्ती की चिंता।

आनंद मय अतीत,आज के बच्चे सुनकर 

दांतों तले उंगली दबा्ते।

स्वरचित स्वचिंतक ‌से.अनंतकृष्णन।चेन्नै। तमिल नाडु के हिंदी प्रचारक हिंदी प्रेमी।

Tuesday, January 26, 2021

२६ जनवरी

 गणतंत्र दिवस  में

हमें  अधिकार  मिले. 

किस के लिए? 

मनमाना  करने के लिए  नहीं, 

पैसेवाले अत्याचारियों  को 

वोट देने के लिए  नहीं, 

खेती को नष्ट करके 

कारखाने खोलने के लिए नहीं, 

   स्वतंत्रता  सेनानियों के त्याग पर 

विचार  कीजिए.  

तन, मन, धन नाते रिश्ते, सुख सुविधाएँ  तजकर 

जेल गये, यातानाएँ सही. 

स्वार्थ  लाभ के लिए  नहीं, 

भारत की रक्षा के लिए. 

भावी पीढी  के आनंद के लिए. 

आज हर नागरिक को शपथ्र लेना है, 

सांसद वैधानिक  ईमानदार, देशभक्त, हो तो

वोट देंगे.  भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोरी  को 

समूल नष्ट करेंगे. 

खेती बढाएँगे.  

अनुशासित  रहेंगे.

Sunday, January 24, 2021

चंद्रमा

 नमस्कार। वणक्कम।

चंद्र न जाने मा छोड़ दिया।

मा जोडूँ? 

चंद्र    घटने, बढ़ने में

अंधेरा,अधूरी प्रकाश,

न तो जुगुनु का महत्व।

शशिकला   शिव के सिर की  शोभा।

 सपना पूर्ण हो या घर का चाँद होना।

सर्वेश्वर का अनुग्रह।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।


Saturday, January 23, 2021

कर्तव्य

 नमस्ते वणक्कम।

 विषय --कर्तव्य

  गीता का सदुपदेश 

 कर्तव्य निभाओ,

फल की प्रतीक्षा मत करो।

परिणाम भगवान पर छोड़ दो।

  मत देने का कर्तव्य  भी

 ३०% भारतीय नहीं करते।

  गीतोपदेश मानते नहीं।

कैसे होगा भारत का खुशहाल?

 १०% मतदाता  वोट देते

 कर्तव्य निभाते  जो मधु पिलाते।

१०%अपने जातिवालों को 

पात्र कुपात्र सोचे विचारे 

 वोट देते।

१०%  मजहब के आधार पर ,

मत देने का कर्तव्य निभाते।

१०% नेता पर की अंध भक्ति पर देते ओट।

३०% लोगों में दलीय राजनीति स्वार्थ।

१०%+६%+४%+३+२+ २+३%

  राष्ट्रीय दल , प्रांतीय दल, छोटे-छोटे दल, निर्दलीय।

 भारतीय कर्तव्य चुनाव में

 सही रूप करते तो 

अगजग में भारत अव्वल।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

देव भक्ति है क्या?

 नमस्ते वणक्कम।

देशभक्ति, समत्व, सहोदरत्व, 

क्या है पता नहीं।

देश भक्ति हो तो नदी में  प्रदूषण,

रेत की चोरी क्यों?

खेती क्यों बदलती कारखाना।

गणपति अपमान में हर साल 

करोड़ों का खर्च।

 भिखारी के शव के नीचे

एक करोड़।

पंद्रह साल के बाद पकड़ा गया

 नकली पुलिस।

 शहरीकरण उद्योगीकरण के नाम

कृषी प्रधान भारत क्यों 

मरुभूमि बनती।

देश की भला चाहक है  तो 

भ्रष्टाचारी धनी लुटेरे

कैसे बनते सांसद विधायक मंत्री।

 कर्तव्य करने  घूस क्यों?

 सरकारी पाठशाला, अस्पताल,दूरभाष केंद्रों को

बदनाम क्यों?

नगर वाला का नाटक क्यों?

आसाराम जैसे ढोंगी कैसे?

विजय मल्लैया नीरव शरमाने खान 

  बच्चे कैसे?

 भगवान की मूर्ति का अपमान जूतों की मालाएँ कैसे?

 देश भक्ति है तो

 नदियों का राष्ट्रीय करण,

 भारत भर एक ही 

शिक्षा प्रणाली।

 ग्रामीकरण, खेती का विकास।

 शिक्षा केन्द्र अमीर गरीब भेद रहित।।

 बारह साल अमीर का मुकद्दमा।

   ये सब जब तक होता,

 तब तक नहीं सब के दिल में

 असली देश भक्ति ।

राजनीतिज्ञ में सच्ची  देश भक्ति हो तो

 कई दलों की आवश्यकता क्यों?

अपने अपने नेताओं की 

भ्रष्टाचारी क्यों नहीं छिपाते ? 

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन ,चेन्नै।

गुरु शिक्षक

 नमस्ते वणक्कम।

शीर्षक  गुरु/शिक्षक।

गुरु बड़े ऊँचे सर्वोपरी महान।

 सर्वश्रेष्ठ गुरु और शिष्य मिलन।

ईश्वरीय देन।

गुरु एक जमाने में 

आसानी से सब को 

अपने शिष्य नहीं बनाते।

 कठोर परीक्षा करने के बाद।

गुरु की खोज में शिष्य घूमते।

आजकल  की शिक्षा,

सर्व शिक्षा अभियान।

 शिक्षक पाठशाला खोलते नहीं,

अमीर अधिक पूँजी

 बाह्याडंबर भरा

 आलीशान पाठशालाएँ,

अमीरों की शिक्षा,

शिक्षक गुलाम बेगार।

गुरु बाह्याडंबर रहित सर्वज्ञानी।

ईश्वर सृष्टित गुरु ।

आजकल प्रशिक्षित।

वेतन भोगी।

सरकारी स्कूल शिक्षक,

अति स्वतंत्र मनमानी छुट्टीयाँ।

आकस्मिक छुट्टी, धार्मिक छुट्टियां,

अर्द्ध वैतनिक छुट्टी, अवैतनिक छुट्टी,

 सरकारी स्कूल सही नहीं का बदनाम।।

निजी स्कूल का नाम बड़ा।

 योग्य शिष्य योग्य शिक्षित माता पिता।

 शिक्षक बेगार, योग्य हो या अयोग्य।

 किसी प्रकार छुट्टी नहीं,

पाँच मिनट देर से आते तो वेतन कट।

छुट्टी लेना मना लेने पर नौकरी चली।

छात्रों को ट्यूशन अनिवार्य।

 वही शिक्षक को वेतन से ज्यादा।

अमीरी स्कूल के ट्रस्ट अति सम्मानित समाज में ।

गुरु के आदी गुरु कौन ?पता नहीं।

प्रशिक्षित शिक्षक को 

एक प्रशिक्षण महाविद्यालय।

गुरु सहज ज्ञान स्रोत।

शिक्षक पुस्तकीय  ज्ञान।।

अलग अलग विषय

 अलग अलग शिक्षक।

 गुरु गोविंद समान,

शिष्य चुनाव गुरु का अधिकार।

शिक्षक के मालिक 

हिरण्यकशिपु समान।

स्कूल सचिव,संगठक, सदस्य की बात माननेवाले।

प्रवेश योग्य अयोग्य

 सब के 

समान  शिक्षक।।

आज की शिक्षा के बाद

साक्षात्कार अवश्य।।

  गुरु  एकलव्य को मना करते।

शिक्षक एकलव्य को अपनाते।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

स्वतंत्रता

 स्वतंत्र नमस्कार। वणक्कम।

  स्वतंत्र हम नहीं 

 जब तक 

प्रकृति को नहीं देते

स्वतंत्रता तब तक।।

 नदी नाले झील सागर 

सब में प्रदूषण।

एक गौरैया को भी जीने नहीं देते।

 मानव दिन ब दिन 

यांत्रिक।

 यंत्र का गुलाम।।

 पंखा बुझाने,

रिमोट। 

आजादी कैसे?

हर बात में चाहते आजाद।

बाह्याडंबर दिखाने 

 क्रेडिट कार्ड के गुलाम।

होम लोन,वाहन लोन गुलाम।

पुकार पुकार कर ऋण देते।

बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट अधिक।

विजय मल्लय्या नीरव जैसे 

कर्जा न चुकाने वाले आजाद।

मध्य वर्ग ईमानदारी से कर्जा चुकाते 

पर न स्वतंत्र कर्जा लेने।

धनियों की स्वतंत्रता गरीबों की नहीं।

कहते हैं सब स्वतंत्र,

पर आवेदन पत्र में 

जाति धर्म लिखना अनिवार्य।।

स्वतंत्र नाम सिर्फ भाग्यवानों के लिए।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

प्रेम

 साजन 


 हमारे जमाने  में  प्रेम याने लव  शब्द  अश्लील ,

 दंडनीय ,बुरे शब्द।  

आधुनिक  काल में ऐ  लव यू  शब्द  

सामान्य शब्द। 

साजन  रहित महाविद्यालय जीवन

 शून्य ,अति शून्य ,अपमानित। 

कुछ मज़हबी  और जातिवाले 

प्रेम करने कराने करवाने के प्रशिक्षण में लगे हैं.

हमारे जमाने में शादी के  बाद ,

पति सेवा प्रधान। अंत तक जुड़े रहते हैं ,

अमीरों और जमींदारों को रखैल रखना गर्व की बात.

 अंतःपुर में सुंदरियों की भीड़.

आज  कल स्नातक स्नातकोत्तर 

साजन खोज लेते पर अदालत में तलाक मुकद्दमा 

बढ़ रहे हैं  कई कारणों से। 

कितने साजन से अति संतोषप्रद  जीवन पता नहीं।

मोह  तीस सिन ,चाह तीस दिन ,

बंधन रहित में प्यार ,बंधन के बाद मनमुटाव।

जवानों के अध्ययन से वे शादी के बाद दुखी। 

आर्थिक असमानता , अंतर्जाल में बढ़ा चढ़ाकर दृश्य। 

सुखी  नहीं ,यथार्थ की बात.

स्वरचित  स्वचिंतक अनंतकृष्णन।

पल

 नमस्ते वणक्कम।

 दिनांक 23-1-2021.

   शीर्षक : पल  

पल पल बूंदें मिलकर पला ।

बच्चा बना।तीन किलो का।

बालक बना पल-पल कर

वजन बारह किलो।

पलकर युवा बना पचास।

पलने माता ने खूब खिलाया।

पलकर नौकरी नहीं मिली।

वही माँ ने गाली दी 

पलकर भैंस बराबर बने हो।

पडोसिन का बेटा पल पल कमाता लाखों।

पल पल गाली खाते खाते

 मोटा ताजा जवान बना।

 न जाने भाग्य पलटा।

पल पल लाखों कमानेवाले की बहन से

 प्यार मिलन हो गई शादी।

अब भी पलता सुडौल बनता जा रहा हूँ।

पल पल कमानेवाला

 और कमाने की परेशानी में।

मैं हूँ निश्चिंत आवारा।

परावलंबित।

पल पल परिश्रमी स्वावलंबी।

भाग्य भला या परिश्रम पता नहीं।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै हिंदी प्रेमी तमिलनाडु।

Friday, January 22, 2021

मेरी अभिव्यक्ति

 [19/01, 5:46 am] Ananthakrishnan: वक्त से डरो।

संगम संस्थान गुजरात इकाई।

नमस्ते वणक्कम।

शीर्षक वक्त वक्त से डरो।

 वक्त  से डरना क्यों?

 वक्त तो चलता रहता है।

 वक्त की चिंता में

जीवन अपना बहूमूल्य या अमूल्य 

 या मूल्य रहित पता नहीं।।

 बुरे वक्त बुरे विचार के कारण।

सद्कर्म हमें बदमाश कर देता।

सुदर्शन जी ने अपनी कहानी में लिखा--

जब बुरा समय आता है,तब पहले 

बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है।

मौसमी वक्त में पतझड़ भी है।

कोशिश करनेवाले  सब के सब 

कामयाबी प्राप्त नहीं करते।।

सफलता प्राप्त करनेवाले सब 

कोशाश नहीं करतें।

काल चक्र काल तक।

वक्त पर अपने कर्तव्य निभाने वाले

 सिर्फ प्रकृति।

सूर्योदय होता है समय पर।

सूर्य सा वक्त निभाने वाले

 सूर्य सा चमकते अपने जीवन में।।

उनके जीवन में चाँदनी ही चाँदनी।

चंद्र के जीवन में घटा बढ़ का शाप।

वह भी करता वक्त पर।

सूर्य देता सबको चुस्ती।

जागने वाले जगमगाते।

सोने वाले के भाग्य में 

अमावाश्य अंधकार।।

वक्त  दशरथ को रुलाया।

वक्त जूते को गद्दी पर लिटाया।

वक्त राम को वनवास भेजा।

अग्नि प्रवेश फिर भी सांता वनवासिनी।।

 वक्त अपना काम करता है,

वह जीवन को

 वसंत या पतझड 

बना ही देता ।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

[23/01, 9:05 am] Ananthakrishnan: अपने को पहचानो।

आत्मविश्वास भर लो।

अन्यों का दोषारोपण पर 

अनंत ध्यान दो।

प्रशंसक तेरा कौन?

स्वार्थी या निस्वार्थी?

जानो गहराई से।

हम से ही काम लेकर मुफ्त में,

हमारी हंँसी उड़ायेंगे,कहेंगे 

"बेचारा भला आदमी".

कबीर,वाणी के डिक्टेटर ने कहा--

निंदक न्यारे राखिये,तभी मिलेंगे 

वास्तविक प्रशंसक।।

ईश्वर पर ही रखिए भरोसा--

जाको राखे साइयां मारी न सकै कोई।

बाल न बांका करि सकै जो जग वैरी होय।।

 कबीर सम कोई भक्त सुधारक नहीं,

 सरल वचन से गंभीर बात बताने।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै हिंदी प्रेमी।

[23/01, 9:28 am] Ananthakrishnan: कलम की यात्रा 

प्रकृति। 

प्रणाम। 

बगैर प्रकृति के 

मानव जीवन का जन्म दुर्लभ। 

प्राकृतिक  चेतना ,

प्राकृतिक  प्रेरणा ,

प्राकृतिक गुण ,

ऋतु  परिवर्तन। 

सूर्योदय चंद्रोदय। 

तारों की चमक.

खारा पानी भाप बनकर 

मीठा पानी की वर्षा। 

बिंदु ,शिशु ,बचपन ,

लड़कपन ,जवानी ,प्रौढ़ावस्था। 

बुढ़ापा ,झुर्रियाँ ,मृत्यु। 

प्राकृतिक शक्ति  अद्भुत। 

वैज्ञानिक मानव  बुद्धि अचंभित। 

अल्ला ,ईसा ,शिव ,विष्णु भेद भाव 

मानव कृत रक्षा नहीं करती 

भूकंप ,सुनामी ,ज्वालामुखी ,

नयी नयी दवाएँ ,

ताज़ी बीमारियाँ। 

ईश्वरीय  शक्ति  असली सोना ,

असली हीरा ,असली मिट्टी। 

बने बनायी आभूषण  मानव कृत। 

सोना ,हीरा ,पन्ना  प्राकुतिक शक्ति। 

मनुष्य शक्ति  प्राकृतिक शक्ति के प्रदूषण से 

फीकी ,अति दुर्बल। 


स्वरचित ,स्वचिंतक यस. अनंतकृष्णन।

मेरी रचनाएँ

 [15/01, 6:52 pm] Ananthakrishnan: नमस्ते।

 




शीर्षक.:- तन्हाइयाँ  தலைப்பு --தனிமை




 सब को सविनय அனைவருக்கும் பணிவான


 सादर  प्रणाम.  மரியாதை யான வணக்கம்.




गाना है तमिल में.  பாட்டு தமிழில்


कया अकेले आनंद पा सकते हैं?  தனியாக ஆனந்தம் பெறமுடியுமா?


क्या अकेला पेड उद्यान हो सकता है? 


தனிமரம் தோப்பாகுமா?


हिंदी में अकेले चना भाड नहीं फोड सकता. 


தனி ஒருவன் பெரிய தாக சாதிக்க முடியுமா?


 आज का शीर्षक तन्हाई. இன்றைய தலைப்பு தனிமை


लौकिक अलौकिक जीवन में  லௌகீக அலௌகீக வாழ்க்கை யில்


  पहले समाज को  முதலில் சமுதாயம்


दूसरे में तन्हाई.   அடுத்தது தனிமை.


समाज में जीना சமுதாயத்தில் 


 कितना आनंद, வாழ்வதில் எவ்வளவு ஆனந்தம்.


 कितना दुख.  எவ்வளவு வருத்தம்.


पडोसी की सुविधाएँ  அண்டை வீட்டு வசதிகள்.


बढते बढते  அதிகரிக்க அதிகரிக்க


ईर्ष्या -जलन,. பொறாமை எரிச்சல்.


अपनी सुविधाएँ தன் வசதிகள்


 அதிகரிக்க அதிகரிக்க


 बढते बढते


अहंकार. ஆணவம்.




अपनी कमज़ोरी தன் பலஹீனம் 


  छिपाने  மறைக்க


क्रोध.  கோபம்.


अपनी शारीरिक தன் உடல்


 सुख में काम  சுகத்தில் ஆசை


इन सबको नियंत्रण  में  இவைகளை கட்டுப்பாட்டில்


रखने,   வைக்க


मनको चैन में लाने  மனதை அமைதியில் கொண்டு வர.


इन सब से बचने  இவைகள் அனைத்திலும் தப்பிக்க


एक साधन है तन्हाई.  ஒரு சாதனம் தனிமை.


तन्हाई पसंद लोग  தனிமையை விரும்புபவர்கள்


लौकिकता  तजकर  லௌகீகம் விட்டு விட்டு


अकेले ब्रह्मानंद  में लगे.  தனியாக பிரம்மானந்தத்


 தில் ஈடுபட்டனர்.


महावीर, बुद्ध, मुहम्मद नबी, மஹாவீரர்,புத்தர்,


 आदी  कवि वाल्मीकि, तुलसी,ஆதிகவி வால்மீகி,துளசி


 आदि परिवार तज, पत्नी तज 


முதலியோர் குடும்பத்தை விட்டு


ईश्वर का वर,  கடவுளின் வரம் 


अनुग्रह  प्राप्त कर அனுக்ரஹம் பெற்று


ईश्वर  तुल्य बने.  கடவுளுக்கு ஒப்பானார்கள்.


अगजग के आराधना के அகில உலக ஆராதனை


 ईश्वर तुल्य बने.  கடவுளுக்கு  இணையானார்கள்.


जग -अभिलाषा रहित, உலகப் பற்றின்றி


ईश्वरत्व अनुशासित  தெய்வீக ஒழுக்கம்


दान धर्म का  தான் தர்மத்திற்கு 


मार्ग दिखाया.  வழி காட்டி கார்கள்.


मैं सत्तर साल का  நான் எழுந்து வயதில் 


दूसरी तन्हाई के महत्व का  அடுத்த தனிமையின் மகத்துவம் 


महसूस कर உணர்ந்து,


तन्हाई को तनहाईतम मान தனிமையை தனித்தன்மையான ஏற்று 


युवकों को जगाने  के प्रयत्न में இளைஞர்கள் விழிப்புணர்வு பெற 


तन्हाई में आनंदमय  தனிமையில் ஆனந்தம் 


ब्रह्मानंद में जीने का  பிரம்மானந்தம் தில் வாழும் 


महत्व  पर सोचने का संदेशமகத்துவத்தைக் கூறும் நிலையில்.


சுய சிந்தனையாளர் சுயபடைப்பு 


சே.அனந்தகிருஷ்ணன்.


देने की अवस्था  में.


स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

[17/01, 10:44 am] Ananthakrishnan: नमस्ते।  मैं अपने तमिल  साहित्य का हिंदी अनुवाद,  हिंदी का तमिल अनुवाद अपनी निजी विचार आदि ब्लाग द्वारा 

लिख रहा हूँ।सुना है किताब छपकर प्रकाशित करने पर ही 

पुरस्कार के लिए सरकार के यहाँ से सम्मान मिलेगा।

    आप जानते हैं कि किताब छापने और प्रकाशित करने अधिक खर्च होगा। युगानुकूल ब्लाग में लिखनेवाले लेखकों भी प्रोत्साहित करने का कदम उठाइये।

 मेरे ब्लाग है

 १.आ सेतु हिमाचल नवभारतटाइम्स अपनाब्लाग 

२.Tamil Hindi Sampark

anand gomu. blog spot.com

3sethukri.blogspot.com

4.Anbeandavan (Tamil

Knowledge sharing.

ananthako.blogspot.com

 v.p.poor.blogspot.com 

Speaking tree Timesof India 


 मेरी उम्र७२हैं।

SBM school my face book ID.

 s.anandakrishnan 

8610128658

[18/01, 9:06 am] Ananthakrishnan: दोष  देखना  गैरों  का   बंद  कीजिए --नूतन साहू  वाह। 

बुरा जो देखन मैं गया ,बुरा न  मिलिया कोय। जो दिल खोजा अपना मुझसे बुरा न कोय --कबीर। 

हर कोई अपने को सही रखें तो 

देश स्वर्ग तुल्य  मान। 

हमेशा यह याद रखना ,

बार बार जानी हुई  बात दोहराना 

सही या गलत।,

दोहराने में  मजबूर मनुष्य। 

धन  न रोक सकता जवानी। 

धन न रोक सकता श्वेत बाल। 

धन न रोक सकता बुढ़ापा। 

फिर भी भ्रष्टाचारी ,रिश्वतखोरी ,ठग 

आदि काल से पनपते जग  में। 

वाल्मीकि से पाठ न सीखा। 

तुलसी से  पाठ न सीखा। 

भर्तृ हरी से पाठ न सीखा। 

बुद्ध से पाठ न सीखा। 

अंगुलिमाल से  पाठ न सीखा। 

छत्रपति शिवाजी से पाठ न सीखा। 

इंदिरागांधी ,संचय , राजीव से पाठ न सीखा। 

खांन गांधी ठग से न सीखा। 

आज तमिलनाडु के पहाड़ 

हिन्दू मंदिर छिपाकर 

ईसाई  गिरिजा घर , मुग़ल दरगा। 

सहने तैयार ,पर वे तो भारतीय संस्कृति ,भाषा मिटाने तैयार। 

बगैर दोष देखे बताये ,समझाए जीना 

स्वाभिमान है क्या ?

जिओ जीने दो। 

हम हैं तो 

अन्यों का नाश करो ,जड़ मूल नष्ट करो 

खुद जीओ तब न सोचे मरना 

सार्थक कहाँ तक ?

सोचो ,मीन मेख देखना सही 

आत्माभिमान और स्वरक्षा के लिए। 

स्वरचित स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन। चेन्नै  हिंदी प्रेमी

[19/01, 8:49 am] Ananthakrishnan: नमस्ते वणक्कम।

न अपनी गरीबी की चिंता।

न अपने भविष्य की चिंता।

हाथ में  राष्ट्रीय झंडे।

देश के नामोच्चारण।।

 भगवान की क्रूर लीला।।

धनलक्ष्मी देकर

 संतान लक्ष्मी से वंचित।

संतान भाग्य देकर,

 धन लक्ष्मी से वंचित।।

 सुंदर आँखों की चमक।।

स्वस्थ ह्रृष्टपृष्ठ शरीर की संतान।

 निर्मल हँसी,गरीबी में आनंद।।

 लक्ष्मी पुत्र अपनी आलीशान महल में।

संतान लक्ष्मी पुत्र फुटपाथ पर।।

ईश्वरीय लौकिक लीला,

 अगजग को पता नहीं।

 आदर्श देश भक्ति यहाँ।

 भ्रष्टाचारी रिश्वत खोरी 

  छल कपटी  दल 

सत्ता के लिए 

समाधियाँ,

मूर्तियाँ बनाते।

लाखों करोड़ों  की इमारतें।।

लाखों करोड़ों झोंपडियाँ,

मतदाता वे ही।

३५% मतदाता अमीरी शिक्षित

 नहीं देते ओट।

गरीबों के वोट में  

जीते संसद विधायक।

असुरों को  वर देकर 

देवों को कारावास ।

फिर वध के लिए अवतार।‌

यह लौकिक लीला समझ में न आती।

राजा महाराजा  के प्रेम मिलन में

हजारों विधवाएँ,

उन स्वार्थी कामांधकारी राजाओं की प्रशंसक कवि।

पद्मावत के शासकों को 

वीरों के अनाथ बच्चों पर दया नहीं।

उन अनाथ बच्चों का

 शाप राज परंपरा नहीं।

 विविध  विचार, 

ईश्वर की लौकिक लीलाएँ।

समझ में आती नहीं।

पाषाण युग से 

आधुनिक शिक्षित युग तक।

जिसकी लाठी उसकी भैंस।

 भस्मासुर को वर देकर

 शिव का भागना समझ में नहीं आता।

मोहिनी अवतार कामदहन  

 शिव के आकर्षण  

समझ में आता नहीं।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै

[21/01, 9:45 pm] Ananthakrishnan: मेरा नाम  अनंतकृष्णन  है.

मैं  आपको बोलचाल की हिंदी सिखाने   आया हूँ.


आप  अपना  नाम   बताइये।

 हिंदी  -तमिल  भाषा की समानता।


 हम अनजान में ही  हिंदी का  प्रयोग करते हैं। 


आप  जानते हैं ,हमारे नामों का तमिल अर्थ जानने  पर 

हिंदी  सरल होगा।


पहले  हम  "तामरै "  शब्द  के हिंदी शब्द  पर ध्यान देंगे। 


आप निम्नलिखित  नामों के दोस्त  जानते हैं। 


कमल,  सरोजा ,नीरजा,पद्मा ,पंकज ,जलजा --- अब छह नाम जानते  हैं.

इन सबका  एक  ही अर्थ है -तामरै। lotus 


 दूसरे   शब्द देखिये :--

सूर्य --सूरियन।  sun 

दिनकर ,दिवाकर ,प्रभाकर,रवि,  इन सबका अर्थ सूरज। =सूरियन। 


अब   आप   बारह शब्द सीख चुके हैं  जो  अपने परिचित नाम   है.


अब  तमिल अखबार में अक्सर उपयोग और प्रयोग करनेवाले शब्द :


कामम (காமம்),क्रोतम ,(குரோதம்)अहंकारं  (அஹங்காரம் ) ,निर्वाहम (நிர்வாகம் ),बंद பந்து ),घेरो ,கேரோ 


திருப்தி , निवारणं ,(நிவாரணம் ),गिरहप (கிரஹப்பிரவேசம் ),

गणितम(கணிதம் ) ,சேவை ,गिरामम  கிராமம் ,सुतंतिरम ,(சுதந்திரம் मुकाम, முகாம் सबै,சபை 

मासम,மாசம்   वरुसम , வருஷம்  सतम ,சதம் वसूल,வசூல்  कोटि கோடி ,कुडुम्बम , குடும்பம்  

वारम வாரம் ,परिवर्त्तने ,பரிவர்த்தனை बागपपरिविनै பாகப் பரிவர்த்தனை , भागम,,பாகம் 

समरप्पणम ,சமர்ப்பணம் अधिकारीஅதிகாரி 

   ये सब तमिल और हिंदी में प्रयोग करते  हैं।  இவை எல்லாம்  தமிழ்  ஹிந்தியில்   சமமாகும்.ஹிந்தியில் "  ம் "

  अंत के "म "  हटाने पर  हिंदी हो  जाएगा। 


இவ்வாறு    தமிழ் அறிந்தவர்கள்  ஹிந்தி  படிப்பது  மிக எளிது.

[22/01, 5:15 pm] Ananthakrishnan: तमिल  हिन्दी में फर्क।

एकता।


अरुकतै   - अर्हता

योग्यतै  -  योग्यता

कतै    -  कथा

सिदै।   - चिता। 

शिलै  -  शिला।

ज्वाला -  ज्वालै।

शूलम्। -  शूल।

  गधै    -गदा 

 पातै  -  पाथ।

 वतै  -वध कर।


चिंतनै।  चिंता।

मालै     माला 


परिवर्तनै   परिवर्तन।

भ्रम्मै भ्रम।

चित्तम्   चित्त।

संग्रह  अनंतकृष्णन चेन्नै।

Sunday, January 3, 2021

மனித நேயம்इन्सानियत

 


தமிழும் நானே ஹிந்தியும் நானே.

तमिल भी मैं, हिंदी भी मैं।


नमस्ते। वणक्कम। வணக்கம்.

3-1-2021

दिनांक -३-१-२०२१

शीर्षक --आगाज़ -ए -नववर्ष. புத்தாண்டு வரவேற்பு.

२०२०   का  अलविदा , 2020க்குஇறுதிவிடை. 


नव  वर्ष  का  स्वागत।புத்தாண்டு வரவேற்பு.


पिछले वर्ष कोरना  का आगमन। சென்ற ஆண்டு கொரானா.

नव वर्ष      புத்தாண்டு 


अति तीव्र कोराना। அதி தீவிர கொரானா.


क्रीट विषाणु          மகுட விஷக்கிருமி


मेरा हिंदी अनुवाद।    என் தமிழ் மொழிபெயர்ப்பு


सम्राट असुर 

कोराना धारण कर , பேரரசன் அசுரன்  விஷம

 குடம் தரித்து


अगजग को डरा रहा है , அகில உலகை பயமுறுத்திக் கொண்டிருக்கிறான்.


नव वर्ष का  பத்தாண்டு

स्वागत गाना , வரவேற்பு பாட்டு.


प्रार्थना के साथ। இறைவணக்கத்துடன்.


अगजग.    அகில உலகம்


  समझ  गया , அறிந்துகொண்டு விட்டது.


कृत्रिम विज्ञान   செயற்கை அறிவியல்


काम का नहीं ,. பயன் படாது


प्रार्थना , பிரார்த்தனை


इबादत  தொழுகை


प्रधान।  பிரதானம்


प्राकृतिक  का कोप  இயற்கை ச் சீற்றங்கள்


 नहीं देखता.     பார்ப்பதில்லை--:--


हिन्दू ,मुस्लिम  ஹிந்து முஸ்லிம்


ईसाई ,सिक्ख , கிறிஸ்தவ ன் சீக்கியன்


जाति ,सम्प्रदाय नहीं देखता। ஜாதி சம்பிரதாயங்கள் ஆகியவை.


इंसानियत /मनुष्यता , மனித நேயம்


ईमानदारी ,सच्चा दिल , நாணயம் உண்மை மனம்


अचंचल मन              சஞ்சலமற்ற மனம்


,सफाई अति  தூய்மை அதிக அவசியம்.

आवश्यक।


अत्याचारी हिटलर नहीं , கொடுங்கோலன் ஹிட்லர் இல்லை.


जगत विजेता सिकंदर नहीं , உலகையே வென்ற அலெக்சாண்டர் இல்லை.


अत्याचारी हिरण्यकश्यप नहीं கொடுங்கோலன் ஹிரண்ய கஷ்யப் இல்லை.


ईसा नहीं ,मुहम्मद नहीं , ஏசு இல்லை முஹம்மது இல்லை.


व्यास नहीं वाल्मीकि नहीं , வியாசர் இல்லை. வால்மீகி இல்லை


पर वेद हैं ,कुरआन है ,बइबिल भी है ஆனால் வேதம் குரான் பைபிள் உள்ளன.


पर उन सब के  ஆனால் அந்த அனைத்தையும்


अच्छे अनुयायी नहीं। பின்பற்றுபவர் இல்லை.


धर्म कर्म में मजहबी भेद , அறம் செயல்களில் மத வேற்றுமைகள்


मनुष्य मनुष्य में नफरत , மனித ர்களுக்குள் வெறுப்பு.


स्वार्थ आश्रम , சுய நல ஆஸ்ரமங்கள்


तिलक भेद।  திலக வேறுபாடுகள்


खुदा के नाम.  குதா வின் பெயரால்


भगवान के नाम பகவானின் பெயரால்


ईसा के नाम.   ஏசுவின் பெயரால்


लेकर भेद।      வேறுபாடுகள்


कोराना   கொரானா


भेद न देखा जान।  வேற்றுமை 

பார்க்காது என அறிந்து கொள்.


मनुष्यता

 निभाएंगे हम। நாம் மனிதநேயம் கடைப்பிடிப்போம்.


मजहबी भेद  तो மதவேறுபாடுகள்


नहीं पवन  के  लिए। காற்றுக்கில்லை.


नहीं समीर  के  लिए। தென்றலுக்கு இல்லை


नहीं गंगा पानी के लिए। கங்கை தண்ணீருக்கு இல்லை

समुद्र का.  கடலின்

 खारापन सब के लिए। உவர்ப்பு அனைவருக்கும்


सोचो विचारो   சிந்தித்து எண்ணுங்கள்.


मानव एक होंगे. மனிதர்கள் ஒன்றாவோம்


मानवता निभाएँगे।  மனித நேயம் கடைபிடிப்போம்.


यह शपथ लेकर   இந்த சபதம் ஏற்று 


आगे बढ़ेंगे।  முன்னேறுவோம்.


नव वर्ष का   புத்தாண்டை வரவேற்போம்.

सुस्वागत करेंगे।

स्वरचित ,स्वचिंतक ,से। अनंतकृष्णन ,चेन्नई तमिलनाडु

आगाज ए नव वर्ष

 नमस्ते। वणक्कम

दिनांक -३-१-२०२१
शीर्षक --आगाज़ -ए -नववर्ष
२०२० का अलविदा ,
नव वर्ष का स्वागत।
पिछले वर्ष कोरना का आगमन।
नव वर्ष अति तीव्र कोराना।
क्रीट विषाणु मेरा हिंदी अनुवाद।
सम्राट असुर सम्राट बन ,
अगजग को डरा रहा है ,
नव वर्ष का स्वागत गाना ,
प्राथना के साथ।
अगजग समझ गया ,
कृत्रिम विज्ञान काम का नहीं ,
प्रार्थना ,प्रेयर ,इबादत प्रधान।
प्राकृतिक का कोप नहीं देखता
हिन्दू ,मुस्लिम ईसाई ,सिक्ख ,
जाति ,सम्प्रदाय नहीं देखता।
इंसानियत /मनुष्यता ,
ईमानदारी ,सच्चा दिल ,
अचंचल मन ,सफाई अति
आवश्यक।
अत्याचारी हिटलर नहीं ,
जगत विजेता सिकंदर नहीं ,
अत्याचारी हिरण्यकश्यप नहीं
ईसा नहीं ,मुहम्मद नहीं ,
व्यास नहीं वाल्मीकि नहीं ,
पर वेद हैं ,कुरआन है ,बइबिल भी है
पर उन सब की अच्छे अनुयायी नहीं।
धर्म कर्म में मजहबी भेद ,
मनुष्य मनुष्य में नफरत ,
स्वार्थ आश्रम ,तिलक भेद।
खुदा के नाम
भगवान के नाम
ईसा के नाम
लेकर भेद।
कराना भेद न देखा जान।
मनुष्यता निभाएंगे हम।
मजहबी भेद तो
नहीं पवन के लिए।
नहीं समीर के लिए।
नहीं गंगा पानी के लिए।
समुद्र का खारापन सब के लिए।
सोचो विचारो मानव एक होंगे
मानवता निभाएँगे।
यह शपथ लेकर आगे बढ़ेंगे।
नव वर्ष का सुस्वागत करेंगे।
स्वरचित ,स्वचिंतक ,से। अनंतकृष्णन ,चेन्नई तमिलनाडु