नमस्ते वणक्कम।
कलम बोलती है साहित्य समूह।
विषय --हम सफर।
दिनांक २९-१-२०२१
आयोजन संख्या --२५१
हम सफर है "भारत देश के"।
हम सफर है परिवार के।
हम सफर है दोस्तों के।
हम सफर है भक्ति के मुक्ति के।
हम सफर है मधुशाला के।
हम सफर है जेल खाने के।
हम सफर है पागल खाने के।
हम सफर है अमुक दल के।
हम सफर है तब तक,
जब काल अपने
हिसाब न चुकाता।
नश्वर जगत के हम सफर।
न जाने जब अकेले सफर
दूसरों के कंधों पर या अमर वाहन पर।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।
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