Search This Blog

Thursday, January 28, 2021

सरिता

 नमस्ते वणक्कम।

 सरिता तू नहीं बहती तो

क्षुधा शांति न होती।

तू न होते खेत सूख जाते।

 पशु पक्षी मानव वनस्पति सूख जाते।

सुवर्ण भरे घर में, 

क्षुधा से मरते सब के सब।

तू तो सभ्यता का पालना।।

 शहरी सभ्यता का मूल।।

कारखाने बढ़ते जाते हैं।

अमीर बढ़ते जाते हैं।

आलीशान महल बनवाते जाते हैैं।

नदी नाले सूखते जाते हैं।

यह नहीं सभ्यता के लक्षण।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै

No comments:

Post a Comment