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Wednesday, January 27, 2021

ध्यान

 नमस्ते वणक्कम।

28-1-2021

 मग्न 

 मन अग्नि में तपना 

मन चंचल मन,

अचंचल बनाना,

बगुला भगत बनना 

ध्यान मग्न होना है।

मछुआरा एक कांटा 

पानी में डाल 

मछली फँसने की प्रतीक्षा में

ध्यान मग्न बैठा था।

तभी एक संन्यासी उससे

आगे जाने का मार्ग पूछा।

मछुआ बहरे के समान

काँटे को ही देख रहा था।

काँटे में मछली फँसी,

काँटे खींच मछली निकाल

 टोकरी में डाला।

संन्यासी को  मार्ग बताया।

मछुआ से  सीखमिली,

काम में ध्यान मग्न होना है।

गुरु द्रोणाचार्य ने  एक दिन 

पांडव और कौ‌रव की परीक्षा ली।

 दूर पेड़ पर एक चिड़िया बैठी थी।

उसकी चोंच पर  तीर चलाना।

परीक्षा के पहले हर एक शिष्य से पूछा

क्या देख रहे हो??

अर्जुन के सिवा सब ने बताया,

पेड़ पत्ते चिडिया चोंच।

सिर्फ अर्जुन ने कहा ,

सिर्फ चोंच।

मन काम में मग्न होना

 सरल नहीं।

  ऋषि मुनि भगवान के ध्यान में

 कई साल ध्यान में विलीन हो

लौकिक इच्छाओं को तज

 बैठ जाते और ज्ञान पाते।

अंधेरी गुफा में बैठ जाते,

खुदा  के पैगाम पाते।

 स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

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