Saturday, January 23, 2021

पल

 नमस्ते वणक्कम।

 दिनांक 23-1-2021.

   शीर्षक : पल  

पल पल बूंदें मिलकर पला ।

बच्चा बना।तीन किलो का।

बालक बना पल-पल कर

वजन बारह किलो।

पलकर युवा बना पचास।

पलने माता ने खूब खिलाया।

पलकर नौकरी नहीं मिली।

वही माँ ने गाली दी 

पलकर भैंस बराबर बने हो।

पडोसिन का बेटा पल पल कमाता लाखों।

पल पल गाली खाते खाते

 मोटा ताजा जवान बना।

 न जाने भाग्य पलटा।

पल पल लाखों कमानेवाले की बहन से

 प्यार मिलन हो गई शादी।

अब भी पलता सुडौल बनता जा रहा हूँ।

पल पल कमानेवाला

 और कमाने की परेशानी में।

मैं हूँ निश्चिंत आवारा।

परावलंबित।

पल पल परिश्रमी स्वावलंबी।

भाग्य भला या परिश्रम पता नहीं।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै हिंदी प्रेमी तमिलनाडु।

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