Saturday, January 23, 2021

स्वतंत्रता

 स्वतंत्र नमस्कार। वणक्कम।

  स्वतंत्र हम नहीं 

 जब तक 

प्रकृति को नहीं देते

स्वतंत्रता तब तक।।

 नदी नाले झील सागर 

सब में प्रदूषण।

एक गौरैया को भी जीने नहीं देते।

 मानव दिन ब दिन 

यांत्रिक।

 यंत्र का गुलाम।।

 पंखा बुझाने,

रिमोट। 

आजादी कैसे?

हर बात में चाहते आजाद।

बाह्याडंबर दिखाने 

 क्रेडिट कार्ड के गुलाम।

होम लोन,वाहन लोन गुलाम।

पुकार पुकार कर ऋण देते।

बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट अधिक।

विजय मल्लय्या नीरव जैसे 

कर्जा न चुकाने वाले आजाद।

मध्य वर्ग ईमानदारी से कर्जा चुकाते 

पर न स्वतंत्र कर्जा लेने।

धनियों की स्वतंत्रता गरीबों की नहीं।

कहते हैं सब स्वतंत्र,

पर आवेदन पत्र में 

जाति धर्म लिखना अनिवार्य।।

स्वतंत्र नाम सिर्फ भाग्यवानों के लिए।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

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