Saturday, January 23, 2021

गुरु शिक्षक

 नमस्ते वणक्कम।

शीर्षक  गुरु/शिक्षक।

गुरु बड़े ऊँचे सर्वोपरी महान।

 सर्वश्रेष्ठ गुरु और शिष्य मिलन।

ईश्वरीय देन।

गुरु एक जमाने में 

आसानी से सब को 

अपने शिष्य नहीं बनाते।

 कठोर परीक्षा करने के बाद।

गुरु की खोज में शिष्य घूमते।

आजकल  की शिक्षा,

सर्व शिक्षा अभियान।

 शिक्षक पाठशाला खोलते नहीं,

अमीर अधिक पूँजी

 बाह्याडंबर भरा

 आलीशान पाठशालाएँ,

अमीरों की शिक्षा,

शिक्षक गुलाम बेगार।

गुरु बाह्याडंबर रहित सर्वज्ञानी।

ईश्वर सृष्टित गुरु ।

आजकल प्रशिक्षित।

वेतन भोगी।

सरकारी स्कूल शिक्षक,

अति स्वतंत्र मनमानी छुट्टीयाँ।

आकस्मिक छुट्टी, धार्मिक छुट्टियां,

अर्द्ध वैतनिक छुट्टी, अवैतनिक छुट्टी,

 सरकारी स्कूल सही नहीं का बदनाम।।

निजी स्कूल का नाम बड़ा।

 योग्य शिष्य योग्य शिक्षित माता पिता।

 शिक्षक बेगार, योग्य हो या अयोग्य।

 किसी प्रकार छुट्टी नहीं,

पाँच मिनट देर से आते तो वेतन कट।

छुट्टी लेना मना लेने पर नौकरी चली।

छात्रों को ट्यूशन अनिवार्य।

 वही शिक्षक को वेतन से ज्यादा।

अमीरी स्कूल के ट्रस्ट अति सम्मानित समाज में ।

गुरु के आदी गुरु कौन ?पता नहीं।

प्रशिक्षित शिक्षक को 

एक प्रशिक्षण महाविद्यालय।

गुरु सहज ज्ञान स्रोत।

शिक्षक पुस्तकीय  ज्ञान।।

अलग अलग विषय

 अलग अलग शिक्षक।

 गुरु गोविंद समान,

शिष्य चुनाव गुरु का अधिकार।

शिक्षक के मालिक 

हिरण्यकशिपु समान।

स्कूल सचिव,संगठक, सदस्य की बात माननेवाले।

प्रवेश योग्य अयोग्य

 सब के 

समान  शिक्षक।।

आज की शिक्षा के बाद

साक्षात्कार अवश्य।।

  गुरु  एकलव्य को मना करते।

शिक्षक एकलव्य को अपनाते।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

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