नमस्ते वणक्कम।
मैं इतिहास का छात्र हूँ।
हिंदी साहित्य का छात्र हूँ।
एक सुमंत्री का कर्तव्य है,
देश के सर्वांगीण विकास के लिए
राजा को प्रोत्साहन करना।
पर वीरगाथाकाल में सुंदर
राजकुमारी के अंग देखने हजारों
सिपाहियों को प्राण देने पड़े।
सिपाहियों ने की पत्नियां विधवाएँ बन गईं। बच्चे हो गये अनाथ।
निर्दयता की चरम सीमा जवहरव्रत।जिंदा जलती आग में कूद पड़ना। यह त्याग पतिव्रता की रक्षा के लिए।
यह देश भक्ति नहीं,
इसकी प्रशंसा कवियों ने खूब की हैं। कवि की स्वार्थता जिसका खाना उसका खाना।
बड़े बड़े राजमहल,
अंतःपुर की सुंदरियाँ
बस,राजा कामान्धकारी।
परिणाम देश में मुगलों ने का शासन।
उनका लूटना, मंदिर तोड़ना,
सब के साथ थे सद्यःफल भोगनेवाले देश वंचक देश द्रोही।।
हत्याएँ, अत्याचार ख़त्म।
भक्ति काल में आश्रयदाता
राजा नहीं,राजा को दर-दर भटकना पड़ा। कविगणों को
खाने पीने ठहरने कोई सुविधा नहीं। अतः उनका ध्यान भक्ति यह की ओर गया।
त्याग मय जीवन बिताने लगे।
भगवान के दर्शन के लिए
दो मार्ग ,दो मार्ग से
दो -दो उप-शाखाएंँ, परिणाम
मानव मानव में भेद।
अपने अपने मार्ग पर
दृढ़ता। मानव की एकता
भक्ति द्वारा भी नहीं हुई।
जैसा भी हो भक्ति मार्ग ने सिखा ही द गई दिया। जगत मिथ्या, ब्रह्म सत्यं। संसार में मानव ही नहीं 80हजार योनियों की सृष्टियाँ
शाश्वत नहीं। मृत्यु या नाश निश्चित है।
भक्ति काल की शांति भी अस्थाई रही। सुखी जीवन में भगवान का प्रेम भोग प्रेम में बदल गया। राधा कृष्ण का दिव्यवर्णन अश्लीलता में बदल गया। ऐश आराम,जुआ,नशा , भोग-विलास में बदल गया। अंग्रेज़ी मेहमान बनकर आये। सत्ताधारी बन गये।
भारतीय शिक्षा, भारतीय भाषाओं की शिक्षा अंग्रेज़ी भाषा माध्यम में बदल गया। परिणाम यह हुआ कि गुमाश्ता, वकील, डाक्टर बनने बुद्धि जीवी अंग्रेज़ी के पारंगत बन गये। भारतीय भाषा बोलना गँवार मानने लगे।
भारतीय जनता भी अंग्रेज़ी पढ़े लिखे आदमी को ही ज्ञानी मानने लगे।
आज़ादी ज्ञके 76वर्ष में देश भर में चालीस हजार CBSE पाठशालाएँ खुल गई। हर साल संख्या बढ़ती जा रही है।
शासकों की सौपत्तियाँ बढ़ती रही।
76साल में गरीबों की बस्ती ज्यों के त्यों हैं। फुटपाथ वासियों को गरीबी रेखाओं की सुविधाएं देकर
चुनाव के समय वोट के लिए ज्यों का त्यों रखते हैं जिनके ओट से सांसद, विधायक बनकर अगले चुनाव को सौ करोड़ रुपये चुनाव के लिए खर्च करने तैयार हो जाते हैं।
शिक्षा न्याय पुलिस विभाग सत्ताधारी अमीरों की कठपुतलियांँ बन जाते हैं।यही आधुनिक चित्रपट के कथानक।
जय भारत। जय लोकतंत्र।
वंदेमातरम्।