नमस्ते। वणक्कम।
विचारों की अभिव्यक्ति में स्वतंत्रता चाहिए। समाज कल्याण के साहित्यकार धन के लिए नहीं लिखते।
जैसे समाचार पत्र नग्न चित्र अश्लीलता राजनीति अपनाकर धन अर्थ कमाकर अर्थ हीन जीवन बिताते हैं।
सार्थक जीवन अर्थ प्रधान नहीं, अतः
साहित्यकार अमर बनते हैं। साहित्यकार की जीवनी में भूखे प्यासे दरिद्र जिंदगी बीतनवाले ही अमर है।
भक्त त्यागराज कबीर प्रेमचंद दरिद्र देते। उनकी ज्ञान धारा में डुबकी लगाकर मोती की सुंदर माला बनाकर बाजार चलानेवाले डाक्टरेट की उपाधि पाकर प्राध्यापक बनकर रईस जीवन बिता रहे हैं।
समाज में सकारात्मक, नकारात्मक चिंतन की अभिव्यक्ति का अधिकार है।
सब्रता से सोचना चाहिए कि
लिखने का केंद्रीय भाव क्या है?
आसाराम जैसे नकली त्रेता युग में द्वापर युग में कलियुग में तीनों युगों में ढोंगी संन्यासी थे, है, होंगे ही। जग में ईश्वर ने गुलाब की सृष्टि की हैं। गुलाब के गुण की ही प्रशंसा करना है तो चुभने वाले कांटों की चिंता प्रकट करना गलत माननेवाले समाज के पढ़े लिखे लोग हैं। गलत हिसाब किताब लिखनेवाले बुद्धि जीवी चार्टर्ड एकाउंटेंट।
अपराधी को बचानेवाले अर्थलोभी मेधावी वकील सोचने के लिए लिखनेवाला भूख से तड़पनेवाला
साहित्यकार। पदोन्नति केलिए नेता के पैर चाटनेवाले चाटुकार हैं।
अपने नेता के गुण की ही प्रशंसा चाहनेवाले
उनके दोषों पर भी
ध्यान देना चाहिए।
तमिल में नक्कीरन नामक कवि थे। उन्होंने शिव भगवान के गलत विचार का विरोध किया।
स्त्रियों के बाल में सहज सुगंध है
ऐसा शिव ने कविता लिखी।
कवि नक्कीरन ने शिव से कहा
इसमें अर्थदोष है।
ऐसी वीरता से अपने नेता के गुण दोषों की प्रशंसा और निंदा आवश्यक है।
हम तमिल नाडु के लोग कलक्टर का प्रयोग नहीं करते।
मावट्ट आट्चियर शब्द का प्रयोग करते हैं।
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नमस्ते वणक्कम अनंतकृष्णन का!
मानव मन में सकारात्मक और नकारात्मक विचार उठते हैं।
समाज कल्याण के साहित्यकार सकारात्मक और नकारात्मक विचार प्रकट करते हैं तो सोचना चाहिए कि ईश्वर के सृजन में
गुण भी हैं और दोष भी है।।
ईश्वर की सृष्टि में केवल गुलाब का ही प्रशंसा करना है तो काँटों का वर्णन करनेवाले दोषी कैसे?अपने बच्चों के गुणों के लिए पुरस्कार के साथ अवगुणों का दंड देना चाहिए।
तभी वह आदर्श बनेगा।
अपने नेता के गुणों की प्रशंसा और भ्रष्टाचार की निंदा ही
सार्वजनिक कल्याण करेगा।
अपने नेता का अंधानुकरण सही नहीं हैं। भारत में अंधानुकरण नहीं करते। अतः सनातन धर्म में ढोंगियों के द्वारा अनाचार बढ़ा तो
बौद्ध,जैन धर्म का उदय हुआ।
यहाँ के ज्ञानी दिगंबर को श्वेतांबर बनाया। दोनों को माननेवाले हैं।
हीनयान,महायान बनाया।
हिंदू सनातन धर्म है।
अगजग का धर्म है।
सर्व जगत के जयजयकार करनेवाला है। वसुधैव कुटुंबकम् ,
सर्वेजनार्नः सुखिनो भवन्तु की विचारधारा बहती है।
आजकल राजनैतिक दलों में
पद नहीं मिलें तो
अलग-अलग दलों का आरंभ करते हैं।
पुराना कांग्रेस, इंदिरा कांग्रेस।
जनता दल, जनसंघ, भारतीय जनता।
द्राविड़ कऴकम्, द्राविड़ मुन्नेट्र कऴकम् ,अण्णा द्राविड़ मुन्नेट्र कऴकम् दल एक नेता एक सिद्धांत वही।
अनुयायी अलग अलग ।
तब देश की चिंता नहीं।
अपने अपने दलों की चिंता।
अपने अपने दलों की
सत्ता की चिंता।
चुनाव के लिए पैसे जोड़ने की चिंता।
भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की चिंता।
परिणाम सब दलों में भ्रष्टाचार।
एक दूसरे पर कीचड उछालना।
निंदा करना।
हास्य की बात हैं कि सुबह जो दल भ्रष्टाचार की निंदा का पात्र रहा,
शाम को प्रशंसा का पात्र।
पैसे, स्वार्थता की चरम सीमा।
गिरगिट से तेज़ रंग बदलनेवाले।
अजीबोगरीब स्थिति है कि विश्वपटल पर भारत की प्रगति
प्रशंसनीय है।
भिन्न भिन्न भगवान, भिन्न-भिन्न जलवयु, भिन्न-भिन्न मजहब, भिन्न-भिन्न पोशाक,भोजन पर
आध्यात्मिक एकता
आ सेतु हिमाचल तक
एक ही है।
भक्ति द्राविड़ उपजी।
पर भक्ति के भगवान गणेश, कार्तिकेय,शिव,विष्णु उत्तर के।
कार्तिकेय जिसको तमिल में मुरुगा कहते हैं, जिनका झंडा मुर्गा है,
उसे तमिऴ भगवान कहते हैं, पर नाम है दंडपाणी। कौपीन धारी।
कोदंड पानी राम है।
आ सेतु हिमाचल में शिव, विष्णु, ब्रह्मा पार्वती, लक्ष्मी, सरस्वती की आराधना है।
यह आध्यात्मिक शक्ति ऐसी है जहाँ कबीर का दोहा चिरस्मरणीय है
भगवान जिसको चाहता है, जिसकी रक्षा करने सन्नद्ध हैं,
वह अकेला होने पर भी ,सारे विश्व के शत्रु होने पर भी, उसके बाल तक बिगाड़ नहीं सकता।
"जाको राखे साइयां ,मारी न सके कोय !
बाल न बांका करि सके , जो जग वैरी होय।।"
भारत एक आध्यात्मिक भूमि है।
अतिथि देवो भव मानता है।
विदेशी लुटेरों को लूटने देता है।
जब अत्याचार चर्म सीमा पार करता है,तब एक दिव्य शक्ति का अवतार होता हैं, तभी हम देश की एकता दिखाते हैं तो विश्व के अन्य देश नत्मस्तक हो जाते हैं।
अहिंसा,सत्य, त्याग, दान,धर्म, परोपकार, जगत मिथ्या, सहनशीलता ,मानवता आदि शाश्वत सिद्धांत भारत को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचा रहे हैं।
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
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