Tuesday, August 8, 2023

विसर्जन यहां पाप।

 भक्ति माने धर्म काम! न फेंको ईश्वर की मूर्ति।।

 ईश्वर की मूर्ति विसर्जन में,

 करोड़ों रूपये व्यर्थ।।

  विसर्जन  विघ्नेश्वर  का  अपमान।

अपमानित  गणपति कुपित।

 जैसे मूर्ति बिखेरती,वैसे ही हिंदू बिखरेंगे।।

शाप का परिणाम एकता की कमी।

  ईश्वर वंदनीय है, विसर्जन निंदनीय जान।

 न करो ऐसा दुष्कर्म।।

 शास्त्रों में वेदों में

 दान धर्म का संदेश।।

 तीस हजार रूपयों की मूर्ति,

 लहरों के थप्पड़ से छिन्न-भिन्न।

 यह तो मूर्ख अंध भक्ति  समझना।।

करोड़ों के विसर्जन रूपये,

 गरीबों के देश के शिक्षा के 

 विकास में करना ही बुद्धिमानी।।

सोचो, समझो, जानो पहचानो

करो भक्ति का पैसों का सदुपयोग।।

  एस. अनंतकृष्णन,

स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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