एस. अनंत कृष्णन, तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक का
सादर प्रणाम।
नमस्ते वणक्कम।
हमारा देश और प्रशासन।।
लोकतंत्रात्मक प्रशासन में
जनकल्याण के खर्च,
गरीबों के कल्याण के खर्च,
गरीबों की शिक्षा का खर्च
फुटपाथ वासियों के मोरे नाले के पास को साफ करना
आदि पर ध्यान ही देते नहीं।
कब्र समाधी बनाने के करोड़ों रुपये,
सामान्य जनता की सेवा के लिए नहीं करते।
राशन की दुूकानें
10*10इंच की जगह पर ।
गरीबों को धूप पर लंबे कतार।
सरकारी स्कूलों में
शौचालय नहीं,
श्यापट नहीं,
खड़िया नहीं,
पेय जल नहीं,
निजी स्कूलों में सब सुविधाएँ,
अध्यापक बेगार।।
वेतन कम एक सरकारी स्कूल अध्यापक का वेतन चार
अध्यापकों को।
एल.के.जी.दान शुल्क
पचास हजार से सात लाख तक।
एक छात्र का दान शुल्क
एक अध्यापिका का वार्षिक वेतन।
सरकारी अध्यापक प्रशिक्षित,
पर उनको छुट्टियाँ लेने की
मनमानी छूट।
कुल वर्ष में काम के दिन
200 . 165 दिन छुट्टी।
काम के दिनों में
पढ़ाई के सिवा अन्यान्य कार्यों में लगना।
अंग्रेज़ी माध्यम के निजी
स्कूलों में नौवीं फेल या पास टी .सी।
शिक्षा अधिकारी निजी स्कूलों की करते प्रशंसा।।
सरकारी स्कूलों में नौवीं तक पास अंक 20या 25.
दसवीं सरकारी आम परीक्षा
लेने हैं 35%
केंद्र सरकार के स्कूलों में
भारतीय भाषाओं में 30% काफी।
अंग्रेज़ी माध्यम का ही सम्मान।
नवोदय विद्यालय तमिलनाडु में विरोध।
केंद्रीय सी बी एस सी स्कूल खोलने की अनुमति।
शिक्षा का व्यापार खूब।
आज नहीं आदी काल में
जातीय शिक्षा, आधुनिक काल में धनीय शिक्षा।
जय हो भारतीय शिक्षा नीति।।
सोचना है, विचार करना है,
राष्ट्रीय शिक्षा को अनिवार्य बनाना है।
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