Wednesday, August 28, 2019

प्रणाम और प्रश्न चिन्ह

प्रणाम।
प्रश्न चिन्ह ?क्यों ?
निस्वार्थ है या  निस्वार्थ ?
खुशामद है ?या असली ?
सार्थक या निरर्थक ?
पैसे मांगने या लिए पैसे वापस देने
या और रूपये मांगने या मियाद बढ़ाने।
सोच सोच प्रश्न चिन्ह लेट गया।
प्रश्न के उत्तर प्रश्न चिन्ह पर प्रश्न चिन्ह।
मनुष्य के विकास के लक्षण "प्रश्न चिन्ह "
क्यों ?कैसे ?क्या ?कब ?

स्वरचित स्वचिंतक
यस.अनंतकृष्णन

Saturday, August 24, 2019

ईश्वरानुग्रह

प्रणाम।
नमस्कार।
    पद धन न तो न महत्व।
    ऐसी समझ धिक्कार  है।
   सडक की भिखारिन
   अपने मधुर स्वर के कारण
   आज विश्व विख्यात  गायिका।
  सर्वत्र सम्मानित  वंदनीय।
 हीरे की परख जौहरी जाने।
 परखनेवाले चमकानेवाले
जौहरी  की नजरें  पकडनी चाहिए।
कवि मंच पर चमकने पंजीकरण
बाह्याडंबर  से भरे मंच  चाहिए।
नाद या पद , स्वर संगीत
साधारण  वाक्य संगीत कार के
 कौशल के कारण जगत प्रसिद्ध।
  प्यार की कहानी  में 
एक लडका
एक लडकी होती है ।
साधारण वाक्य संगीत कार के
कारण अति प्रसिद्ध।
कवि के नाम कई नहीं जानते।
आर।डी।बर्मन मुहम्मद  राही
आशा भोंसले लता मंगेशकर
जगत प्रसिद्ध।
 साँप हिरन संगीत  में
अपने को सौंप  देते।
 नाम दाम पाने हमें
चमकानेवाले  प्रकाशक चाहिये।
ईश्वरानुग्रह चाहिए।
स्नातक स्नातकोत्तर से
विख्यात  है  वरकवि
वाल्मीकि। कबीर। रैदास।
उनकी आलोचना  से ही स्नातक स्नातकोत्तर  डाक्टरेट।
 स्वरचित स्वचिंतक
यस।अनंतकृष्णन

गुरु भक्ति

मुख्य संचालक, चित्रांकन, आयोजन संचालक  आदि सबको नमस्कार।
 गुरु  की आशीषें,
गुरु  के ठुकराने पर भी
गुरु  ध्यान  -भक्ति-अनंत अपार असीम आकाश ज्ञान देगा।
भले ही अंगूठा  दक्षिण में दे दे।
गुरु  के शाप कर्ण को  मिले पर
गुरु   शाप से बढकर नाम देगा ही।
गुरु  ब्रह्मा गुरू विष्णु
गुरु देवो माहेश्वरः।
साधु संत  की आशीषों  से
जन्मा संत कबीर।
 अकुशल जीने सदानंद परमानंद ब्रह्मानंद महसूस करने
गुरुवंदना का अपना
 विशिष्ट स्थान जान।
स्वरचित स्वचिंतक
यस।अनंतकृष्णन

Wednesday, August 21, 2019

भक्ति

मित्रोँ  को नमस्कार।
ईश्वरीय देन
 करुणा
 ईश्वर के इशारे से
जन्म नक्षत्र के फल से
बुद्धि  काम करती है।
दोस्ती  मित्रता
नफरत प्यार
आसक्त अनासक्त जीवन।
 यश अपयश।
सच्चे अच्छे  आदर्श  नाते रिश्ते
पुत्र सुपुत्र कुपुत्र।
सत्संग बदसंग
सदाचार  बदाचार
रूप कुरूप 
मधुर कठोर स्वर
सब के सब ईश्वरीय देन।
कीचड़ के कमल
काँटों के गुलाब।
जहरीले साँप।
अस्थाई  जगत।
गीताचार्य का यशोगान।

भूल गये

जिंदगी   
ईश्वर के ध्यान में बिताना
भारतीय  शिक्षा।
त्याग ही जीवन।
वस्त्र  शस्त्र के त्यागी संत।
शास्त्र रचकर
संयम का मार्ग सिखाये।
पश्चिम  के भोगी आए।
कब ?
जब भक्त  का मन
मनमाना भोग भर चला।
संयम तजा।
स्नातक स्नातकोत्तर
 पर मधुशाला  का व्यापार बढा।
 भक्त  संख्या  बढा
पर शांति  न मिली।
ईश्वर की मूर्ति  के दर्शन
पैसे पद के  बाह्याडंबर  द्वारा।
भूल गये भक्त  मन चंगा तो कटौती में गंगा।

किसान

प्रणाम।
  किसान
लालबहादुर शास्त्री  का नारा
देश की सुरक्षा  और
प्राण शक्ति प्रदान
"जय जवान जय किसान:।
 सैनिक  न तो चैन नहीं।
पेट खाली है तो बैचैनी ।
कृषि प्रधान भारत।
विश्व भर में  समृद्ध भूमि।
विश्व का खाद्यान्न खजाना।
आजकल औद्योगीकरण के जाल में  फँसकर फँसकर
शहरीकरण के नाम से
मेरे बचपन की हरी भरी भूमि
रेत हीन नदियाँ  भविष्य पीढी के
अकाल आतंक की सूचना।
गाँवों में  जवान कम।
बूढे ज्यादा।
ग्रामराज्य का सपना
सपना ही रह जाएँ तो
किसानों  की आत्महत्याएँ
ऋण भार से बढती जाएँ तो
भविष्य  की पीढी को
दाने दाने के लिए
तपना ही पढेगा।
   जय जवान!जय किसान!
स्वरचित स्वचिंतक ।
यस।अनंतकृष्णन।

Saturday, August 10, 2019

कण्णदासन की कविता

Daily one song blogspot today I took and publishing.
Think about the film

चित्र पट = मदुरै वीर
  कवि का नाम --तमिल चित्रपट कवि सम्राट
 कण्णदासन  साल =1956

  सोच सोच देख।
 ठगकर जीने का धंधा ।
 ठीक है क्या?
जी! सोचिएगा।
 सोच सोच देखिए।
ठगकर जीने का धंधा।
ठीक है क्या?
नट सुप्पा
आतंकवादी  बद्माश सुब्बा।
कृष्णा! ज़रा  सोचकर देखना।
ठगकर जीने का धंधा सही है क्या?
गहराई  से सोचना,
लूट डकैतियों से जीने पर
कोई  छोडेगा क्या?
डकैति के रईस सब
जेल केशहतीर  गिनना ही पडेगा।
ताला तोडने के चोरों ।
बाघों। इसे समझ लेना।
जिंदगी भर डकैती की जिंदगी।
छेद डालकर चोरी की जिंदगी।
उत्पात उपद्रव  का जीवन।
स्वप्न में  भी न चाहिए।
अच्छी बातें  खूब सोचिए।
शहर लूट कर जीना नहीं चाहिए।
डरडरकर जीना भी न चाहिए
  हल लेकर खेत जीतकर जीना ।
गौरव पूर्ण जिंदगी जीना श्रेष्ठ है।














ஏச்சுப் பிழைக்கும்

திரைப்படம்: மதுரை வீரன்
இயற்றியவர்: கவிஞர் கண்ணதாசன்
இசை: ஜி. ராமநாதன்
பாடியவர்: டி.எம். சௌந்தரராஜன், ஜிக்கி
ஆண்டு: 1956

ஏச்சுப் பிழைக்கும் தொழிலே சரிதானா? எண்ணிப் பாருங்க
ஏச்சுப் பிழைக்கும் 

शाश्वत काल

प्रार्थना  में  आज के विचार।
शाश्वत संसार।
भ्रष्टाचार और रिश्वत से
करोडों कमाओ।
विदेशी बैंकों में  जमा करो।
बेवकूफी प्रार्थना तीस हजार गणेश की
मूर्ति  बनाकर  बेकार भक्ति दिखाकर
आदी देव विनायक का अपमान  करो।
पद पाऔ।
बडे बडे विश्वविख्यात डाक्टरों को पास रखो।
सुरक्षा  दल रखो।
तेरी जवानी अपने आप बुढापा में बदलेगी।
काल आएगा तो कोई  बचा नहीं  सकता।
ईश्वरीय  विचार।

गड्ढे

नमस्ते।
 वणक्कम्।
   कोई  भी गड्ढे  में  गिरें तो
 हँसी  आती है।
बरसात  के गड्ढे
 अधिक  खतरनाक।
यह तो ठेकेदार का दोष।
स्थानीय  नगर पालिका का दोष।
विधायक  का लोटभ।
अधिकारी  का स्वार्थ।
वर्षा के गड्ढे में  कीचड़
कइयों को चोट मिली।
एकाध के प्राण पखेरू उड़ने लगा तो   सरकार  अपने मगरमच्छ
आँसू बहाने लगी।मंत्री  आये।
घायलों के नाते रिश्तेदारों से मिले।
बूढियों से  गले मिले।
पत्रिकाओं  में फोटो छपे।
मौसम समाप्त।
गड्ढे  ज्यों के त्यों  रहे।
चुनाव  वही  वही मंत्री।
उनको पता नहीं  वहाँ गड्ढे  हैं।
मतदाता भी भूल गये।
मंत्री  गड्ढे  भरने पक्की वादा।
कौन सी राजनीति  पता नहीं।
स्वरचित स्वचिंतक
 यस ।अनंतकृष्णन

Friday, August 9, 2019

इयाँ।

नमस्ते।
 बधाइयाँ।
 कुरबानियाँ।
तिलांजलियाँ।
श्रद्धांजलियाँ,
विधियाँ।
मानसिक कमियाँ।
आर्थिक कठिनाइयाँ।
स्वास्थ्य की कमियाँ।
दूरियाँ,अधूरियाँ।
विधियाँ व विडंबनाएँ।
मान अपमान की
 गालियाँ   मर्यादाएँ।
सुविधाएँ-असुविधाएँ।
 प्रतिज्ञाएँ।
सबहिं नचावत राम गोसाईं।

माँ

नमस्कार।
प्रणाम।
सुप्रभात।
  माँ-बाप  दोनों  को नमस्कार।
 पुत्र  -पुत्री  का जन्म  देना
 माँ  का काम।
ज्ञानी बनाना पिता  का काम।
माँ  ममतामयी,
कितनी बडी निस्वार्थ  सेवा।
जहाँ  भी रहो वहाँ  सुखी रहो।
स्वास्थ पर ध्यान  रखना।
समय पर बुला बुलाकर
खाना खिलाती।पुत्र पुत्रियों की
शादी के बाद  भी
उसको आराम नहीं।
बाप का खर्च  कम।
मेहनत अधिक।
पर हमारी  हर माँग माँ  से।
पिता कमाने के कोल्हू बैल।
अधिकांश  खाना बाहर।
माँ   सही नहीं  तो
 नरक तुल्य जीवन।
माँ  की सेवा अतुलनीय।
माँ  नहीं  तो जीवन  मेरा
हिंदी  क्षेत्र  नहीं।
माँ  ने मुफ्त  का
हिंदी प्रचार किया।
निष्काम सेवा  का फल
हमें  बल दिया।
माँ  पढी लिखी हो तो
दोनों  हाथों  में  लड्डू।
ऐसी माँ  को वृद्धावस्था में
वृद्धाश्रम  में  छोडना,
आजकल की नौकरी  का प्रभाव।
देखिए  सोचिए देश रक्षक वीर  जवानों   का महान त्याग,
जिनके कारण हम निर्भय
शांति  से बैठकर
कविता  के
शब्द  ढूँढ रहे हैं।
सैनिक  शत्रुओं द्वारा
जमीन पर गाढे बमे
ढूँढ  रहे हैं।
खाई में  खडे होकर
शत्रु के प्रवेश रोक रहा है।
आज वीरों को प्रसवित
पूजनीय  माँ को करेंगे प्रणाम।
 स्वरचित स्वचिंतक
यस।अनंत कृष्णन।

अधूरा सपना

मंच  को प्रणाम।
नमस्कार।
   अधूरा ख्वाब।
  अधूरी  ख्वाहिश।
अधूरा सपना।
  आधे अधूरे  जीवन शिक्षा।
समाज  का अध्ययन।
महानों  के जीवन भी
अधूरा  सपना।
राम का जीवन आधा अधूरा।
रावण का सपना अधूरा।
मुख्य मंत्रानी
जयललिता का ख्वाब  अधूरा।
प्रधान मंत्रानी इंदिरा का सपना अधूरा।
संचय गाँधी,
राजीव गांधी,
न जाने पद और पैसे के
आधार  पर कभी जीवन का
ख्वाब  पूरा नहीं  होता।
मानव का सपना अधूरा ही रह जाता।
संतान लक्ष्मी  है तो
धनलक्ष्मी की कमी।
दोनों  हैं  तो  विद्या की कमी।
तीनों  हैं  तो धैर्य  की कमी।
स्वास्थ्य की कमी।
पूर्ण अपूर्ण आयु की कमी।
सब के सब संसार  से अपूर्ण
अधूरे सपना लेकर  ही चले।
स्वरचित स्वचिंतक
यस। अनंतकृष्णन।

Sunday, August 4, 2019

तिरुवनदाति

हे भगवान!
வணக்கம் .நம்மாழ்வார் அருளிய பெரிய திருவந்தாதியினை (2585-2681) அண்மையில் நிறைவு செய்தார் .. நம்மாழ்வார் அருளிய பெரிய திருவந்தாதியினை (2585-2681) அண்மையில் நிறைவு செய்தவர் முனைவர் பி .ஜம் புலிங்கம் .
அவரின் தமிழ் விளக்கத்தை ஹிந்தியில் மொழிபெயர்த்துள்ளேன் .
जो हिंदी जानते हैं वे अपनी रायें प्रकट करें।
तिरुवान्दाति नम्माल्वार नामक वैष्णव संत कृत भक्ति ग्रथ हैं।
भगवान के सम्बोधन में :-
आपके सद्गुणों से प्रभावित हम।
आपका यशोगान गा रहे हैं।
एक ही कमल चरण में
सारी पृथ्वी नाप डाली।
आपके सुंदर रूप के दर्शन अपूर्व ।
आपके समीप आने का मार्ग भी न जाना।
आपपर हमारीश्रद्धा प्रेम कैसे जागे।
आप खुद पहचानकर अनुग्रह कीजिए।
मन को सम्बोधित :-
हे मन !भगवान दुग्ध सागर में लेटते हुए बढ़ते जा रहे हैं।
वह सागर की लहरें शोर मचाती हुई भगवान के तन -चरण को छू रही हैं। वह तो अपने लाल चक्षुओं को बंद कर लेटा हुआ है.
उस सद्गुणी ईश्वर के सद्गुणों की चर्चा या बोलने से हमारे दुःख दूर हो जाते हैं। इसलिए उनकी श्रेष्ठता की कोई कमी नहीं होती।
इसको तुम प्रत्यक्ष पहचान लो।
संसार लोग जो चाहे करें ,व्यापित इस दुनियाँ को सुधारने हम कौन ?मेरे कष्टों को दूर कर रक्षा करनेवाले तो नित्य सूर्य के नेता श्री कृष्ण ही है। उन्हीं के कारण मेरे दुःसाध्य दुखों को दूर कर लिया।
हे मन ! मन में और कुछ न सोचो। हमेशा तुलसी माला पहने भगवान का स्मरण कर। उसे छोड़कर अन्य विषयों पर ध्यान न देना। और असंभव उनके शिव और कोई नहीं। उनको न पकड़ो तो नाश हो जा। पुरातन विस्तृत इस संसार नरक में शिव भगवान के हमारी सुरक्षा के लिए और कोई नहीं है। जहां में कहीं भी खोजो
और कोई नहीं है।
भगवान की कृपा मुझपर अत्यधिक है। मेरे सदा चाहक हैं। वे तटस्थ हैं ,ये चोदे ये बड़े ये सद गुणी ,ये बद गुणी आदि नहीं देखते। रात -दिन के अंतर न देखकर सदा मेरी रक्ष के लिए अपनाया है।
अनुवादक एस। अनंतकृष्णन। तमिलनाडु हिंदी प्रचारक /स्नातकोत्तर अध्यापक (अवकाश प्राप्त )

Saturday, August 3, 2019

मायके ससुराल

नमस्ते!
रामायण के मूल में 
मायके की मंथरा। 
के मूल में शकुनि 
मायके का आदमी। 
कृष्ण के जन्म ,
मामा कंस के चंगुल में 
मायके के आदमी 
कुल नाश के मूल। 

नाते रिश्ते की लड़ाई। 
मायके से प्रेम 
पति का अपमान 
कई मुकद्दमे अदालत में। 
यह कटु सत्य 
माफ करना। 
भाई को देने पर गुस्सा ,
साले को अर्पण सर्वस्व 
यही मायके का प्रेम। 
माफ करना बहनों 
यह भारतीय कहानियों का प्रमाण। 
अतः शादी के बाद मायके जाना मना। 
पर देखिये ,पुराणों से आज 
ससुराल के तंग ,
बहु को जलाना। 
दहेज़ के लिए सताना। 
निर्दयी ससुराल ,
क़ानून बना तो 
९०%सच तो १०% 
मायके के झूठे मुक़द्दमे। 
अब आधुनिक स्नातक स्नातकोत्तर 
नौकरी में दोनों बराबर। 
अब गृहस्त शान्ति नहीं 
भारत में। 
पाश्चात्य और संयम रहित 
अनुशासन रहित अंग्रेज़ी शिक्षा। 
जवाहर व्रत ,सति 
प्रथा भारत का कलंकित इतिहास।
स्त्री सबला न हो तो 
चलना फिरना दुश्वार।
भीष्म के दुराचार आज तक जारी। 
जागने जगाने सोचने ये विचार। 
स्वरचित स्वचिंतक 
एस। अनंत कृष्णन।

Friday, August 2, 2019

वन उपवन

प्रणाम।
 वन स्वेच्छा से
अनुशासन हीन
 तो
उपवन सुंदर
अनुशासित
माली की जरूरत।
वनवनमाली  की
सहजक्रियाएँ।
हमेशा   कृत्रिम  सुंदरता
अति आकर्षित।
माली की देखरेख
नियमानुसार।
 फिर  भी महत्व वन का।
न तो न वर्षा  न पानी न हवा।
उपवन लौ किक,
वन अलौकिक आनंद।
स्वरचित स्वचिंतक
यस अनंतकृष्णन।

नाग

मंच को प्रणाम। संचालक को नमस्कार।
वणक्कम्।
नाग/साँप
जानते हैं  सब।
गुण जानते हैं
फुफकार और विषैला
प्रभाव जानते हैं,
उनसे बच सकते हैं।
पर स्वार्थ  भ्रष्टाचारी
लोभी लूटेरा  फिर फिर
जीतता चुनाव।
हर चुनाव में  वही वादा
न निभाता फिर भी विजयी।
ऐसे मनुष्य  नाग का पता
मतदाताओं को 
पता नहीं  चलता।
क्यों?
नाग से अति क्रूर।
साँप  नाग को पालने से
इन देश के लुटेरों  को पालना
अति खतरनाक  जान।
स्वरचित  स्वचिंतक
यस-अनंतकृष्णन।
तमिलनाडु  हिंदी प्रचारक।