Saturday, August 3, 2019

मायके ससुराल

नमस्ते!
रामायण के मूल में 
मायके की मंथरा। 
के मूल में शकुनि 
मायके का आदमी। 
कृष्ण के जन्म ,
मामा कंस के चंगुल में 
मायके के आदमी 
कुल नाश के मूल। 

नाते रिश्ते की लड़ाई। 
मायके से प्रेम 
पति का अपमान 
कई मुकद्दमे अदालत में। 
यह कटु सत्य 
माफ करना। 
भाई को देने पर गुस्सा ,
साले को अर्पण सर्वस्व 
यही मायके का प्रेम। 
माफ करना बहनों 
यह भारतीय कहानियों का प्रमाण। 
अतः शादी के बाद मायके जाना मना। 
पर देखिये ,पुराणों से आज 
ससुराल के तंग ,
बहु को जलाना। 
दहेज़ के लिए सताना। 
निर्दयी ससुराल ,
क़ानून बना तो 
९०%सच तो १०% 
मायके के झूठे मुक़द्दमे। 
अब आधुनिक स्नातक स्नातकोत्तर 
नौकरी में दोनों बराबर। 
अब गृहस्त शान्ति नहीं 
भारत में। 
पाश्चात्य और संयम रहित 
अनुशासन रहित अंग्रेज़ी शिक्षा। 
जवाहर व्रत ,सति 
प्रथा भारत का कलंकित इतिहास।
स्त्री सबला न हो तो 
चलना फिरना दुश्वार।
भीष्म के दुराचार आज तक जारी। 
जागने जगाने सोचने ये विचार। 
स्वरचित स्वचिंतक 
एस। अनंत कृष्णन।

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