Saturday, June 29, 2019

भक्ति

संचालक, संयोजक,  सदस्य, पाठक आदि  सबको  नमस्कार।
   न जाने,
  भावाभिव्यक्ति हो,
  ईश्वर  दर्शन हो,
 सब में  नवीनीकरण लाना
भूलोक नियम।
नंगा   घूमा  करते थे,
वस्त्र पहने, निराकार  परब्रह्म
की उपासना की।
सूर्य, चंद्र, नक्षत्र ,नदी,
जंगल  की प्रार्थनाएँ कीं।
खेद की बात  है  कि
होशियारी के
 बढते  -बढते,
पवित्र  मानव  मन
अपवित्र  बनने  लगा।
भक्ति  में  बाह्याडंबर।
सोने चाँदी  का महत्व।
भूल गए हैं  :-मन चंगा तो कटौती में गंगा।

संतोष

कलम की यात्रा।
शीर्षक:संतोष।
 तुलसीदास:
गो  धन,गज धन,बाजी धन,रतन धन खान।
जब न आवे संतोष  धन,
सब धन धूली समान।
 संक्षेप  में  संतोष,
संदेश  तुलसी का।
स्वरचित स्वचिंतक :
 चंचल मन,चंचला धन,
  आवारा आदमी,न देता संतोष।
 लोभी,क्रोधी  ,किमी,
अहंकारी  न पाते संतोष।
आत्मानंद, आत्मसंतोष
आध्यात्मिकता में  जान।

संतोष

कलम की यात्रा।
शीर्षक:संतोष।
 तुलसीदास:
गो  धन,गज धन,बाजी धन,रतन धन खान।
जब न आवे संतोष  धन,
सब धन धूली समान।
 संक्षेप  में  संतोष,
संदेश  तुलसी का।
स्वरचित स्वचिंतक :
 चंचल मन,चंचला धन,
  आवारा आदमी,न देता संतोष।
 लोभी,क्रोधी  ,किमी,
अहंकारी  न पाते संतोष।
आत्मानंद, आत्मसंतोष
आध्यात्मिकता में  जान।

Thursday, June 27, 2019

जंगल

समन्वयक, संयोजक, संचालक, सबको प्रणाम।
  शीर्षक:-जंगल/वाटिका/उपवन।
  जंगल  की  वनस्पतियाँ
  ईश्वर  पालित प्राकृतिक
संतुलन  के ईश्वर  सृजन।
उपवन ईश्वर की दी
बुद्धि  से मानव निर्मित।
जंगल  में  आदमखोर।
ज॔गल में  भयंकर जंतु।
जंगल में  वन महोत्सव।
ऋषि मुनि सिद्ध पुरुषों का आवास स्थान।
 असाध्य रोगों की जडी बूटियों  के केंद्र।
जंगल  सुरक्षा  विश्व समृद्धि  का,
पर्याप्त  वर्षा  का मूल।
वाटिका  मानव निर्मित।
पानी  देना ,खाद देना,
सुंदरता  के  लिए  काटना।
मानव परिश्रम से निर्मित।
ईश्वर  निर्मित 
 जंगल  काटना
ईश्वर  का अपमान।
हद तक  सहेंगे।
ज्ञान चक्षु प्राप्त मानव की
आँखें  न खुलेंगी  तो
भूकंप, सूनामी,अकाल निश्चित।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

आनंद

प्रणाम सज्जनों।
आनंद  । कितने प्रकार।
आकर्षण  कितने  प्रकार।कितने  आकर्षित।
आज पता चल जाएगा।
संचालक को नमस्कार।
आयोजन  मेरा नाम,
धन्यवाद।
आनंद  कितने  प्रकार।
 सुना परमानंद।
सुना ब्रह्मानंद।
शिशु के  स्तन पान में,
माँ  का आनंद।
तीर्थयात्रा  में  भक्तों  को आनंद।
मिथ्या वादा देने में,
राजनैतिक
 उम्मीदवारों  को,
मिथ्या  वादों  को
सुनने में  मतदाताओं को आनंद।
एनकेनप्रकारेन जीतने में  आनंद।
कुछ  लोगों को
देने में  आनंद।
कुछ  लोगों  को
लेने में  आनंद।
पाने में  आनंद।
त्याग  में  आनंद।
भोग में  आनंद।
मिलने में  आनंद।
दिल चुराने में आनंद।
चोरी करने में  आनंद।
डाका डालने में  आनंद।
 कवि का आनंद,
गाने का  आनंद।
वाद्ययंत्र  का आनंद।
कितने आकर्षक, कितने आकर्षित, कितने आनंद  प्रद पता चलेगा  आज।
ऐसे  भी लोग  हैं,
ठगने में, इज्जत
लूटने में ,
दूसरों को हँसी  उड़ाने में,
अस्थाई  आनंद में  आकर्षित।
आनंद  ब्रह्मानंद।
स्वर्गिक आनंद।
 आज के लेखक की
लेखनी से आत्मानंद।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

Wednesday, June 26, 2019

तेरे लिए

प्रणाम।  साथियों!संचालकों! सदस्यों!सज्जनों।
प्रणाम।
शीर्षक =तेरे लिए
प्रेमी/प्रेमिका,
यह प्रेम  पत्र  तेरे लिए।
तेरे मन में  स्थान
पाने के लिए ।
तुझे मेरे मन में
 बसाने के लिए।
 कबीरानुसार   तू मेरे  लाल।
अतः मैं  भी हो गई  लाल।
परमात्मा  मिलन में
परमानंद।
ब्रह्मानंद  भोगने
प्रार्थना  तेरे लिए।
मैं  लौकिक  प्रेम  केलिए नहीं  पत्र लिखता।
मैं  अलौकिकता केलिए
प्रार्थना।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

आदी मुद्रा योगाभ्यास

परिषद  को प्रणाम।
आदी मुद्रा  के चित्रण।
योगाभ्यास  में  सीखा।
अंगूठा  पंजे में  दबाकर,
चार उंगलियों  से
 बंद कर  देखो।
यह आदी मुद्रा।
बच्चा जब कोख में
रहता तभी ऐसी मुद्रा।
अतः नाम पडा आदी मुद्रा।
सहज प्राणायाम/ नियंत्रण  प्राणायम में,
दोनों  मुट्ठी  ना भी पर रखो।
साँस खींचने में  नियंत्रण  रखो।
लाभ तो अधिक, पर यह भारतीय  कला,विदेश में प्रचलित।
 अच्छाइयों को भारत से चलने दीजिएगा। पर भूलना तो अति मूर्खता।
आदी मुद्रा योगाभ्यास करें।
अपनी,तोंद, चर्बी  चढना
साँस  घुटने सब से बचिए।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं। ,

Tuesday, June 25, 2019

चित्र लेखन सृजन

सब को नमस्कार।
नव उदित विचार।
नवाकर्षण,नवपसंद,
यही दुनिया।
 यही मानव जीवन।
प्राचीनता  मिटाना,
नवीनता अपनाना,
काल परिवर्तन,
मौसम  परिवर्तन,
भाषा परिवर्तन,
हर चीज  में  बदलाव।
 छत्री जोर की वर्षा से बचने के  लिए।
वर्षा  के साथ  जोर हवा,
छाता उड जाता।
शरीर भीग जाता।
रैन कोट छाता का स्थान  ले लिया।
हाथ में  गलौस बस ,
भीगने का नाम न लेता।
सुविधाओं  के कारण
स्वास्थ्य  बिगड जाता  या स्वस्थ  होता ,पता नहीं।
सुस्ती बढती या चुस्ती।
मानव जीवन अति स्वर्गीय  आनंद।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

பாக்ய்भाग्य प्रधान

उडान।
मन का उडान
चंचलता
दुविधा
सही निर्णय
वर पुत्रों  से ही
संभव।
  हर कोई   मंजिल  तक
  पहुँचना असंभव।
  प्रयत्न, प्रयत्न, प्रयत्न।
   वही शक्ति प्रदान।
आशा प्रदान।पर
भगवान का अनुग्रह,
भाग्य  प्रधान।

भगवान भक्तवत्सल।
भाग्य विधाता।
एक भरोसा 
एक बल।
 एकता, शांति, संतोष।
 परमानंद ब्रह्मानंद
परमेश्वर के ध्यान  में।

Monday, June 24, 2019

तितली

फूल  पर  मंडराकर,
मकरंद केसर
 मिलाने का काम।
शायद  तितलियाँ ही
शुक्ल दान के गुरु हो।

सामने का दर्पण

परिषद को प्रणाम।
संचालक को नमस्कार।
 सामने आइना
रखकर देखिए।
दर्पण भगवान
 समझ लीजिए।
मन को गवाही का दर्पण
 बनाकर काम
करके देखिए।
धर्म कर्म  का आइना
सामने रखकर चलिए।
शांति, स॔तोष ,
आत्मानंद का प्रतिबिम्ब।
ब्रह्मानंद भोगकर देखिए।
भगवान दर्पण
 सामने रख,कर्म  करके,
पाप ,भ्रष्टाचार, रिश्वत  ,छोड  देखिए।
देश की प्रगति का प्रतिबिम्ब  देखिए।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

Sunday, June 23, 2019

पक्षी

प्रणाम।
 शीर्षक: पक्षी/विहंग/
  विधा : अपनी हिंदी-अपनी शैली-अपना भाव।
   जहाज  की पंछी,
   जहाज में।
  मन रूपी पक्षी
  अनंत  आसमान  ,
चंद्र  मंडल ,सौर मंडल,
अतल पाताल
समुद्र की गहराई  तक।
पर पक्षी  की ऊँचाई
 एक हद तक।
गरुड़ की  उडान शक्ति
मोर को नहीँ।
हरी वाहन गरुड़।
कार्तिक  वाहन मोर।
दोनों असुर संहारक
बगुला  भक्त  अलग।
कार्तिक  झंडा मुर्गा।
हंसवाहिणी  सरस्वती।
मीनाक्षी  तोता पसंद।
शनीश्वर कौआ।
वही साफ करता है
सडी माँस को आहार  बनाकर।
लाश  फेंकने  की रीति
वहाँ  खानेवाले  बाज नहीं  तो, क्या  होगा।
  चातक से आशा,
हंस से बुराई छोड,
अच्छाई ग्रहण।
विद्यार्थी  के पाँच  लक्षणों  में  दो
काक चेष्टा, वको ध्यानम्।
संक्षेप  में  कहें  तो
विविध  पक्षी,
विविध  रंग,  विविध  गुण।
सब  गुणों  मिश्रित  मानव।
उड नहीं  सकता।
पर बतख समान
 तैर सकता।
पर
प्रशिक्षण जरूरी।
बगुला  समान मछली पकड सकता,
पर जाल चाहिए।
पक्षी  की क्रियाएँ सहज।
खेद की बात  है---
मानव उसका
नामोनिशान  मिटा रहा है।
जीव संतुलन बिगाड  रहा है।
सनातन  धर्मी  हर पक्षी  को
ईश्वर  से जोड रखा है।
प्रशिक्षित  गुण  मनुष्य
सहज गुण से
 गया गुजरा है।
गौरैया  का घोंसला 
वह नहीं  बना सकता ,
उसको चाहिए 
सहायक सामग्रियाँ।
कल्पना के पंख  उडते रहते।
न विश्राम।
पाठक ऊब जायेंगे।
पक्षी  न तो न विमान।
कल्पना  का पक्षी  बनिए।
परिणाम  ज्ञानी।
शीर्षक दाता  को धन्यवाद।
प्रणाम।

सूचित।

परिषद को नमस्कार।
लघु कहानी।
  आधुनिक  शिक्षा  गुरु  केंद्रित  नहीं  है।
छात्र  केंद्रित।
छात्रों  को पीटने,गाली देना,जाति के नाम  से
अपमानित  करना मना है। फिर  भी  आवेदन  पत्र  भरते समय जाति  बताना,जाति प्रमाणपत्र  नत्थी  करना जरूरी  है।
हर साल सूचित अनु सूचित,पिछडे वर्ग,बहुत  पिछडे वर्ग छात्रों  की सूची  भेजना प्रधान अध्यापक का कर्तव्य  है।
कभी कभी हर वर्ग  में  जाकर छात्रों  से उनकी सूची माँगनी पडती है।
नाम न छूटे, इसपर ध्यान देना चाहिए।
 गरीब  उच्च वर्ग  छात्रों  को छात्रवृत्ति  नहीं।
 जब मैं  स्कूल  में  पढता था,न पढने पर कठोर  दंड, अनुशासन  भंग  होने पर  कठोरता सजा।
आजकल छात्र  नहीं, शिक्षक डरते हैं।
सोचा, हमारा जमाने  में
पक्षपात  का व्यवहार  था।पर भक्त  प्रह्लाद  के गुरु  भी राजा हिरण्यकषिपु के डर से
सिखाते थे।
द्रोण भी पक्षपात करते थे।
आजादी  के बाद  तो
अमीरी-गरीबी स्कूल,  बडे रई सोंचकर का स्कूल  ।संविधान  के सामने सब बराबर है।
पर व्यवहार  में  भगवान  के मंदिर  में  भी नहीं, यों
सोचते सोचते  सरकार  और समाज  की निंदा  करते हुए  वर्ग  की ओर जा रहा था।
 तब  गुंडे नामक छात्र
नमस्ते जी कहा।
सर, आपसे कुछ  कहना है। मेरा नाम  अनुसूचित 
जाति  की सूची  में  है।
मेरे दो भाई अभियंता है।
एक बहन डाक्टर  है।
पिता जी  राजनीतिज्ञ  हैं।
सांसद  भी है।
अतः मेरी छात्रवृत्ति  लेकर   जगदीश  अति गरीब  ब्राह्मण  लडके को दीजिये। वह होशियार  भी है। यह तो नियम विरुद्ध  है। नहीं  कर सकते।  फिर  भी मैं ने गुंडे की प्रशंसा  की।
ऐसे ही समाज  आत्मचिंतन से सुधारना है।ये राजनीतिज्ञ वोट  के लिए  मनुष्य  मनुष्य  में  समानता  लाना नहीं  चाहते।  आजादी  के बाद   सत्तर साल में  वोट  के लिए  सूचित जातियों  की सूची  बढती रहती है।
कारण वोट और नोट।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।

सुमन

लता/बेल/कुसुम  फूल सुमन पुष्प।
 सब को नमस्कार।
 स्वर्ण लता नाम।
स्वर्ण  पुष्प।
स्वर्ण  बेल  नाम नहीं।
 कुसुमांजली/पुष्पाजली है।
सुमनांजली नहीं।
  लता/बेल
  लपेटने
 पेड चाहिए। 
फूलांजली भी
व्यवहार में  नहीं है।
शब्द भिन्नता पर अर्थ एक।
प्रयोग  भिन्न।
गुलाब फूल 
 सुनने में  मधुर।
 स्वर्ण गुलाम 
स्वर्ण  फूल।
स्वर्ण  पुष्प।
  बोली में  जान पडता।
  जाति। धर्म।  संप्रदाय।
भगवान/खुदा/ ईश्वर।
इबादत। पूजा।स्तुति।
कहने  में  मजहब का पता।
 हर हर महादेव। ऊँ  नमः शिवाय।
कार्तिक। सुब्रह्मण्यम। मुरुगा।
कहने में   भगवान  भले ही एक हो, पर पता चलता, उत्तर, दक्षिण, केरल,कर्नाटक, तमिलनाडु  का पता लगता।
ये प्रयोग, ये समझ  कैसे।
सोचा  तो दाँतों  तले उंगली  दबाकर बैठ जाता।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

Saturday, June 22, 2019

भारतीयता

परिषद को नमस्कार।
 संचालक को नमस्कार।
सदस्यों  को नमस्कार।
सर्वेश्वर  के चरण
कमल में शरण।
शरणार्थी  मैं,
न लेन देन की बात।
यश -अपयश, धन -निर्धन, तेरा अनुग्रह।
मातृभाषा मेरी तेलुगु।
न जानता
 लिखना पढना।
 सही ढंग से बोलना।
प्रांतीय  भाषा तमिल,
हिंदी  विरोध  प्रांत में
जीविकोपार्जन की भाषा  हिंदी।
  मेरे  बेटे  बेटी  न सोचते
तेलुगु,  तमिल,हिंदी।
बगैर  अंग्रेज़ी  के जीविकोपार्जन  ।
न शिक्षा-दीक्षा न धनी जिंदगी।
तमिल  प्रेयसी
तमिल माँ।तमिल  रखैल
तमिल  सौतेली माँ।
तमिल  ही जिंदगी।
सांसद  बन संसद में
तमिल  संकल्प।
तमिल  जिंदाबाद का नारा।
स्वार्थ  राजनीति के नेताओं  की पाठशालाएँ,
अंग्रेज़ी  माध्यम।
 मनमाना  शुल्क।
न चलाते स्टेट बोर्ड  स्कूल।
मनमाना शुल्क  वसूल नहीं  कर सकते।
सी।बी।यस।सी स्कूल,
मनमानी बाहर प्रकाशित  किताबें,
न यन।सी।आर।टी।प्रकाशित  ग्रंथ।
न सरकार  नियत फीस।
मन माना शुल्क।
 भारतीय  नाम मात्र ।
वोट  लेने।
तमिल माध्यम  के हजारों  स्कूल  बंद।
करते हैं  संस्कृत विरोध। हिंदी  विरोध।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

स॓सद

संसद और सांसद को प्रणाम।
साहित्य  संसद में
न शासक दल
न विपक्षी  दल।
पाठक  हैं 
जिनकी रचना उत्कृष्ट  ,
उनको मिलते
वाह !वाह!शाबाश!
उनमें  भी आजकल
अपने अपने प्रिय  जनों  के समर्थक।
रूढीवादी कवि,
छंद नियम न तो तिरस्कार।
नव कविता 
मेरे जैसे
अध्पक ।
 अधजल गहरी
छलकत जाय।
साहित्य  संसद में  भी
सरस्वती  वरदान  के पुत्र।
कवि गायक ईश्वर करुण  सा।
लिखते बहुत,
पर पढते कर्ण कठोर।
लिखते नहीं,
पर गाते अति मधुर।
भाषा भी नहीं जानते।
पर सठीक उच्चारण,
अपनी मातृभाषा  से श्रेष्ठ।
 ये  स्वर वाणी के पुत्र।
कवि को
भुलवाकर 
खुद लेते नाम।
गद्य  लेखक, संवाद 
लेखक  के नाम
नहीं  जानते ।
अभिनेता अभिनेत्री  बनते
मुख्यमंत्री। शिक्षा  मंत्री।
अपना अपना  भाग्य।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

Thursday, June 20, 2019

सोना

प्रणाम।
प्रिय मित्रों।
 सोना
दिन में  सोना  बुरा है।
रात में  काम है तो
दिन में  सोना पडेगा  ही।
सोना  महँगा है।
सोने पर सोना जो जोडा
चोरी  हो जाएँ तो
सोना  मीठी नींद
सोना न देता।
सोना महँगा है,
न नींद आती,
तो बीमारी  है।
सोना न आना रोग है।
बेटी  का नाम  सोना,
सयानी हो जाने यर
शादी  की चिंता,
सोना कालेज गयी,
समय पर वापस न आयी तो सोने की  चिंता  नहीं
बेटी  सोना की चिंता।
बैंक लाकर में  सोना,
बैंक व्यवस्थापक  जिम्मेदारी  नहीं,
यह खबर पढी तो
सोने की चिंता,
सोना हराम।
सोना जोडो,
सुरक्षा  की चिंता।
भगवान  की मूर्ति
सोने की ,पहरेदार के
प्राण खतरे में।
सोना जोड कई पागल।
सोना खरीदने  में  पागल।
सोने की बिक्री  में,
भले ही सरकार  लगे
दाम बराबर नहीं।
डाक घर का सोना ,
बैंक का सोना,
दाम बैंक बैंक में  भिन्न।
दूकान दूकान में  भिन्न।
सरकार भी बराबर  दाम निर्णय नहीं  करती।
सोना धोखा खाना,
भले ही  स्वर्ण हो या
भले ही नींद  हो या
सदा के लिए  सोना हो
मन में  बेचैनी  ही बैचैनी।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

दिल्लगी दिल लगी

संगम में  संगठित होकर कई
दिन हो गये।
दिल की बात
 दिल में
रहना  भी एक तनाव ।
एक रोग, एक चिंता।
विचित्र   मनोभाव,
शांति  के विरुद्ध  मन।
एक भरोसा  राम  बल।
स्वाति चातक बातें।
मानव चंचल  मन।
विश्वास  दृढ हो तो
विश्वनाथ  ,जगन्नाथ  की
कृपा  अनुकूल।

प्यार।

यारों  प्रणाम।
विचार  हैं  अनेक।
आकार हैं  अनेक।

ओंकार, हूँ कार,अहंकार।
यारों।  लिंगाकार शिव।
अनुयायियों  के आचार  अनेक।
व्यवहार  अनेक।
योगाभ्यास  भी पतंजलि योग विज्ञान,
दत्त क्रिया, सहज क्रिया।
 क्रांतिकारी  आकार।

न समझ पाया विश्वाकार,
गोलाकार ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

Wednesday, June 19, 2019

चाँदनी रात में।

चाँदनी रात है,
प्रेयसी  साथ  है।
वह तो मेरे नहीं,
मेरे दोस्त  की।
मैं  तो प्रेयसी की
 खोज  में।
चाँदनी  फीकी पडी।
  अब चाँदनी  रात  में,
ज्योतिष  की सलाह मान,
गिरी प्रदक्षा करने निकला।
मार्ग  पर दोस्त  मिला।
न प्रेयसी साथ थी।
   कल्पना  आगे न बढी।
 थोडी दूर पर दोस्त  की प्रेयसी,साथ एक पुरुष,
उसके माता-पिता।
 चाँदनी  रात मेें  भी अंधेरी   नज़र पडी।

Tuesday, June 18, 2019

सूखापन

सब को नमस्कार।
 चित्र लेख: सूखी  भूमि।
सुखी स्मृद्ध

 हरी भरी भूमि आज सूखी शून्य ।
कारण  वजह  रीसन।
भाषा बदली।
व्रत भजन त्याग  की तपोभूमि  आज औद्योगीकरण  के नाम लेकर,
विदेशी  पूँजी, विदेशी  पेय,विदेशी आचार
इतना विदेशी मोह,
खाना सीरियल,टमाटर  केच्चप।
दस उंगलियों  के संगणक काम।
दो उंगलियों  से चम्मच खाना, गणित  का हल ,
सुबह  उठकर हल लेकर  न जोता,
झील बना कारखाना,
खेत बने बस्ती।
नतीजा  आज चित्र  लेखन   सूखी भूमि।
दोष  किसका?
आधुनिक  सुविधा  चाहनेवालों जनता का?
चुनाव  खर्च  के लिए  पैसे चाहनेवाले  राजनैतिक-सामाजिक दल,
रिश्वत  के बल जीने वाले  अधिकारी  गण।
 शासकों   के पक्षवादी।
दलों  के समर्थक।
विपक्षी  दल।

स्वार्थ  लोग।

जो भी हो नतीजा
अकाल। पानी  की कमी।
सूखापन। चिंतन के लिए
यह नादानी या खानदानी या ईश्वरीय देन।
पता नहीं।  जागना है।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।

Monday, June 17, 2019

धुआँ

प्रणाम।
चाहक,प्रेरक संचालक, समन्वयक, संयोजक, लायक,नायक, सब के प्रति   कृतज्ञ  हूँ।

शीर्षक  :ये धुआँ  कहाँ से उठता है। 
 हवन होम से ,
जग कल्याण के लिए।
धूम्रपान  से जग
 अहित के लिए।
कारखाने  से सुख भरे
आलसी जीवन
 बिताने के लिए।
वाहन से प्रदूषण  के लिए।
ज्ञान चक्षु  प्राप्त  मानव ही अस्थाई जग
 जीवन के लिए,
प्राकृतिक  संतुलन  खो बैठकर असाध्य  रोगों  की चिन्गारी की धुआँ उठाता रहता है।
आतंकवादी धुआँ, स्वार्थी  धुआँ, लालची धुआँ,
सब उठाता ,
अशांति  की धुएँ में
साँस घुटकर वेदना की धुएँ  पुंज  में असह्य 
पीडों की धएँ में,
अज्ञात  धुएँ में  अस्पष्ट
जीवन बिताता रहता है।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

Thursday, June 13, 2019

सोना

प्रणाम दोस्तों। 
स्वर्ण, सोना,कांचन, 
सुख प्रद या दुख प्रद,
जमा करने में मजा।
पहनकर चलने फिरने में 
कदम कदम पर
आनंद या आतंक ।
भगवान के गले में
पूर्वजों का असली,
अब असली या नकली,
मंदिर के तहखाने में
करोड़ों किलो सोना
कितना गायब।
पता नहीं।
मंत्री ने 100 किलो
सोने का मुकुट दिया।
उसमें श्वेत कितना,
काला कितना ,
सूंडी में मिले करोडों में
रिश्वत के कितने,न्याय के कितने,लूट के कितने।
स्वर्ण, कांचन, सोना
कितने दुःख प्रदान,
सुख प्रद,न्याय अन्याय
पता नहीं, चाहें बढती, बढाती,घटाती नहीं।
स्वरचित स्वचिंतक  एस। अनंत कृष्णन 

जिंदगी

जिंदगी 
दोस्तों को नमस्कार। 
हर देश के मनुष्य रूप-रंग अलग-अलग। 
टमाटर के रूप रंग आकार भी अलग-अलग। 
गुण अलग-अलग, विचारो, सोचो,कल्पना करो।
मित्रों को ,इष्ट-मित्रों को,
अनिष्ट मित्रों को,
हिंसात्मक अहिंसात्मक आविष्कारों को,
कृतज्ञ -कृतघ्न लोगों को,
त्यागियों को,भोगियों को,
आध्यात्मिक,आस्तिकनास्तिकलोगों को।
देशभक्तों को,देश द्रोहियों को,
सोचो,समझो,विचारो, कल्पना करो,
पति-पत्नी प्रेम,नफरत, वेश्या,अवैध संबंधों को,ईर्ष्यालु, दयालू निर्दयी
सब को सोचो,विचारो,कल्पना करो
सोचो,विचारो,
कल्पना करो,क्या होगा?
नया रामायण, नया महाभारत
युगानुकूल उपन्यास, चित्र पट,
साहित्य अकादमी पुरस्कार,
पद्म पुरस्कार सब के सब मिलने का
हवामहल बाँध लो ।
आशा निराशा में, जिंदगी गुजर जाएगी।
भाग्य बल,बुद्धि बल का
पता लग जाएगा।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

Tuesday, June 11, 2019

कल्पना

जिंदगी
दोस्तों  को नमस्कार।
हर देश  के मनुष्य रूप-रंग अलग-अलग।
टमाटर  के रूप रंग आकार भी अलग-अलग।
 गुण अलग-अलग, विचारो, सोचो,कल्पना  करो।
मित्रों को ,इष्ट-मित्रों को,
अनिष्ट  मित्रों  को,
हिंसात्मक अहिंसात्मक आविष्कारों को,
कृतज्ञ -कृतघ्न लोगों को,
त्यागियों को,भोगियों को,
आध्यात्मिक,आस्तिकनास्तिकलोगों को।
देशभक्तों को,देश द्रोहियों को,
सोचो,समझो,विचारो, कल्पना करो,
पति-पत्नी प्रेम,नफरत, वेश्या,अवैध संबंधों  को,ईर्ष्यालु, दयालू निर्दयी
सब को सोचो,विचारो,कल्पना करो
सोचो,विचारो,
कल्पना करो,क्या होगा?
नया रामायण, नया महाभारत
युगानुकूल  उपन्यास, चित्र पट,
साहित्य अकादमी पुरस्कार,
पद्म पुरस्कार सब के सब मिलने का
हवामहल बाँध लो ।
आशा निराशा  में, जिंदगी गुजर जाएगी।
भाग्य  बल,बुद्धि  बल का
पता लग जाएगा।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

Friday, June 7, 2019

दरिंदा

स॔योजक ,संचालक, व्यवस्थापक,पाठक,सदस्य, चाहक  सबको प्रणाम।
 शीर्षक  : दरिंदा
 शेर,बाघ,चीता,आदमखोर।
जान सकते हैं।
मगर,पहाड़ी साँप,निगलनेवाले जंतु,
नर सतर्क रह सकता  है    दरिंदों से।
पर मानव  से सतर्क  रहना।
 अति  मुश्किल ।
दरिंदा  तो माँसाहारी,
मानव  तो सरवाहारी।
सतर्क रहना कैसे?
मंद हास   मन दरिंदों से अति भयंकर।
भक्त बन दुखियों  की दुर्बलता का लूट।
 नेता  बन निर्दयी व्यवहार।
क्या करूँ पता नहीं? भ्रष्टाचार, रिश्वत
दरिंदा  से सौ गुना  बेरहमी।
चित्र पट  समाज का दर्पण  है तो
खलनायक  आजकल पुलिस को
कठपुतली बनाकर मनमाना,
मंत्री के लिए  मजदूरी सेना,
अशोक  के जंगली मूँछों से
अति डरावना व्यवहार।
दरिंदा  भला  मानव   दरिंदों  से।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्णन।

कर्म भूमि। तपोनिष्ठ भूमि।

न नाम की चाह,न दाम की चाह।
चाह है सर्वेश्वर की।
सर्वेश्वर चाहें तो सुनाम,कुनाम।

दाम-बदनाम।सुनाम।
दानी कर्ण,संगति के फल से नहीं,
।निर्दयी माता के बदचलन के कारण।

कर्म फल,ईश्वरानुग्रह ।
राम को दुखी,कृष्ण को षडयंत्रकारी, 
वाली वध में बदनाम।द्रोण वध से कलंकित कृष्ण।
।जग माया,जग में असुरों को,
भ्रष्टाचारियों का शासन।
यही भूलोक नीति।
कर्म भूमि। तपोनिष्ठ भूमि।
अच्छों के कारण समय समय पर,
पुनः स्थापित कर स्वर्ग बन रहा है भूमि।
अनुभव से शिक्षित दीक्षित हूँ मैं। 
सुधारने कुछ कहा लिखा तो
पत्थर फेंकते लोग।
श्री पर चढाये लोग। 
खुल्लम-खुल्ला बोलते ,
कर्म कर, सत्य बोल,सेवा कर।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं। 
भ्रष्टाचार को बढाने देते मत।

स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्णन।
नमस्कार। 
कर्म फल  मेरा जन्म  ,
कर्मभूमि  भारत पर।
निष्काम सेवा का संदेश।
गीता  का,फल भगवान  पर।
मेरी मातृभूमि  कर्म भूमि।
राजा के आदेश  पर
 अति सुन्दर भव्य  मंदिर ।
राजा की प्रेमिका  लाने
हजारों  वीर।
कर्म भूमि  भारत भूमि मेरी मातृभूमि।
धन्यवाद जी।

Monday, June 3, 2019

कोरा कागज़

नमस्कार।
कोरा कागज।
मैं  कोरा कागज़ हूँ।
जब तक कोरा कागज़  रहा,तब तक किसी ने मुझे  छुआ  तक नहीं।
 एक लडके ने प्रेम  पत्र लिखा,तो
वह लडकी के बुआ के हाथ में  लगा।
 परिवार  के सभी सदस्य पढने लगे।
फिर लडके के बाप,लडके के परिवार वाले,गालियाँ, ऐसी गालियाँ, तू तू मैं मैं  ,मारकाट।
अंत में  लडके मुझे मुख में  डाल कर  निगला दिया।
मैं  कोरा ही रहता तो साफ साफ  बच जाता। दोनों  परिवार की बेचैनी  मैं। उचित दंड मिल गया। कोरा रहना ही एक कागज के लिए  अच्छा  है।वैसे  मानव मन के लिए।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण

Saturday, June 1, 2019

जय अजय

अजय  संचालक को  प्रणाम ।
 भूलोक जीवन में,
नहीं  कोई  अजय।
राम तो अजय नहीं,
अपने जीवन में
पराजित राम।
कृष्ण अपने अवतार में
जय पर छल षडयंत्र
नाम कलंकित कर्ण के कारण।
शंकराचार्य  तो नामी,
एक चांडाल के सवाल से पराजित ।
 कौन अजय संसार में,
केवल युद्ध  में  जय अजय नहीं,
निजी जीवन में  भी चाहिए अजय।
सत्य सम्राट  हरिश्चन्द्र,
अजय है क्या ?
हरिश्चंद्र  अजय है
तब तो  सत्यवान
अगजग के लोग होना चाहिए ।
ठगों की संख्या  बढ़ना,
प्रार्थना  में  प्रायश्चित  का डर।
शासक के भ्रष्टाचार  ,
अतः सत्य  हार गया।
देवताओ   को भी,
मानव  दधिची की
रीढ़  की हड्डी
माँगने पडी।
शिव भस्मासुर  को वर देकर
शिव को बचाने विष्णु  को
मोहिनी अवतार  लेना पडा।
मुहम्मद भी अपने सद्व्यवहार  से
सब का मुहब्बत  पा न सके।
ईसा भी अपनी ओर
सब को खींच न सके ।
आध्यात्मिक  मजहबी नेता,
मनुष्यों  में  भेदभाव  उत्पन्न  कर
शांति  स्थापित  करने में  हार गये।
अजय कोई  नहीं  अगजग में ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं