पूज्य प्रधान मंत्री महोदय ,
नमस्ते ! दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा ,चेन्नई ,गांधीजी स्थापित संस्था का शताब्दी वर्ष ,
केवल बाह्याडम्बर के लिए
बड़ी बड़ी इमारतें
अंग्रेज़ी माध्यम पाठशालाएं ,
इसकेलिए कार्यकर्ताओं से
जबरदस्त एक महीने का वेतन ,
हिंदी प्रचारक तमिलनाडु के सच्चे सेवक
उनसे सरकारी मान्यता
जो एक साल के एक बार देते हैं ,
उनसे जबरदस्त दान,
तमिलनाडु हिंदी विरोध कहकर
मनमाना प्रमाण पत्र , परीक्षा शुल्क ,दान ,
किताब खरीदना है , नहीं तो परीक्षा नहीं दे सकते।
एक घर में तीन लोग एक ही परीक्षा देनी है तो
तीन किताबें जबरदस्त सर पर मढ़ना कहाँ तक सार्थक है.
बाह्याडम्बर दिखाने इमारत के लिए आंशिक पूर्णकालीन विद्यालय के
गरीब प्रचारकों से पचास हज़ार तक दान लेना
क्या न्याय है?
मोहनदास करमचंद गांधी जी की आत्मा रोयेगी ज़रूर।
जहाँ हिंदी प्रचार मुफ़्त में करना है ,
वहाँ परीक्षा शुल्क ,अनिवार्य किताब बिक्री , अनिवार्य दान।
केवल इमारत बनवाकर लूटने।
हर एक परीक्षा केंद्र में नक़ल ,
सातवीं कक्षा में बी.ए
समकक्ष प्रवीण प्रमाण पत्र ,
विद्यार्थी मेला द्वारा
प्रश्न पत्र का व्यापार,
चुनाव में कितना भ्रष्टाचार,
प्रमाणित प्रचारक संख्या ,
कुछ प्रलोभन से बिना
चुनाव के सदस्य चुनना ,
बी.एड, कालेज में मनमाना लूट ,
केवल तमिलनाडु में ही
हिंदी प्रचारक त्यागमय
जीवन बिता रहे हैं ;
सभा की गतिविधियों के लिए
एक जाँच आयोग नियुक्त करेंगे तो
प्रचार सभा के भ्रष्टाचारों का ,
कार्यकर्ता और प्रचारकों के
त्यागमय जीवन का
पता चलेगा।
मनमाना वसूल कर इमारतें ,
पर शताब्दी वर्ष में
सभा के कार्यकर्तावों को
बोनस न देकर ,
प्रचारकों को प्रोत्साहन न देकर
दान दान दान वसूल .
तोरण द्वार के लिए बीस लाख ,
पर कार्यकर्ता और प्रचारक के लिए
क्या किया है?
क्वाटर्स बनाना ठेकेदार
लाभ के लिए.
सभा का विस्तृत मैदान
अंग्रेज़ी के विकास के लिए ,
मनमाना लूटने .
सभा का उद्देश्य हिंदी प्रचार --
पर प्रचारक को कमीशन
एजेंट बना रही है सभा.
अंग्रेज़ी ज्यादा बोलनेवाला अहाता।
आशा है सच्चे दिलसे जांच कर
योग्य प्रचारकों द्वारा
हिंदी प्रचार करने की
कार्रवाई
प्रधान मंत्री लेंगे।
धन्यवाद !