करो प्रदूषण को दूर.
आज सुबह का सुप्रणाम .
भगवान की यादें,
भक्त के मन में.
भोग के विचार.
भोगी के मन में.
इच्छाओं की माया,
ईश्वर को न बुलायी.
ईश्वर की माया,
इच्छाओं को भगायी.
सांसारिक मायाओं से बचो.
वैज्ञानिक युग,
भोगैश्वर्य साधन अनेक.
दान की महिमा हटाकर
धान उत्पादन का महत्व हटाकर
झील, नदी, तालाब की लंबाई, चौडाई ढककर,
आगे की पीढी के सूखापन पर ध्यान न देकर,
तत्काल के सुख के अपूर्व मान,
अगजग को अकाल की ओर
ले जा रहा है, जागना है,
भारतवासियों! जगाना है देशवासियों को.
सनातन सदा सादगी की ओर करता संकेत.
प्रकृति कोप सुनाना, भूकंप, अतिवर्षा,
सतर्क करता कभी कभी. पर
आधुनिकता आगे कभी कभी नहीं
अक्सर तंग करेगा जान.
जानकर भी तंग करता तो
जगदीश न करेगा माफ.
माता -पिता भी अनजान हस्ती का माफ कर देते.
न करते जानी हस्ती को.
स्नातक स्नातकोत्तर बढते जग में
हो रहा है अनुशासन की कमी.
सोचो समझे, संयम जानो, जितेंद्रिय बनो
करो प्रदूषण को दूर.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन
आज सुबह का सुप्रणाम .
भगवान की यादें,
भक्त के मन में.
भोग के विचार.
भोगी के मन में.
इच्छाओं की माया,
ईश्वर को न बुलायी.
ईश्वर की माया,
इच्छाओं को भगायी.
सांसारिक मायाओं से बचो.
वैज्ञानिक युग,
भोगैश्वर्य साधन अनेक.
दान की महिमा हटाकर
धान उत्पादन का महत्व हटाकर
झील, नदी, तालाब की लंबाई, चौडाई ढककर,
आगे की पीढी के सूखापन पर ध्यान न देकर,
तत्काल के सुख के अपूर्व मान,
अगजग को अकाल की ओर
ले जा रहा है, जागना है,
भारतवासियों! जगाना है देशवासियों को.
सनातन सदा सादगी की ओर करता संकेत.
प्रकृति कोप सुनाना, भूकंप, अतिवर्षा,
सतर्क करता कभी कभी. पर
आधुनिकता आगे कभी कभी नहीं
अक्सर तंग करेगा जान.
जानकर भी तंग करता तो
जगदीश न करेगा माफ.
माता -पिता भी अनजान हस्ती का माफ कर देते.
न करते जानी हस्ती को.
स्नातक स्नातकोत्तर बढते जग में
हो रहा है अनुशासन की कमी.
सोचो समझे, संयम जानो, जितेंद्रिय बनो
करो प्रदूषण को दूर.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन
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